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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य है?

उत्तर-

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के कार्य

आज किसी राष्ट्र की शिक्षा से न केवल वह राष्ट्र प्रभावित होता है अपितु उसका अन्य राष्ट्रों पर भी प्रभाव पड़ता है। आज हम किसी राष्ट्र में शिक्षा के परिणामस्वरूप हुए विकास से कितना शीघ्र प्रभावित होते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। इसे हम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के अप्रत्यक्ष प्रभाव के रूप में ले सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय भावना ने शिक्षा के कुछ प्रत्यक्ष कार्य भी निश्चित किये हैं जैसे संसार के समस्त व्यक्तियों को साक्षर करना, उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी सामान्य जानकारी देना, उन्हें देश-विदेश के ज्ञान-विज्ञान से परिचित कराना, उन्हें संसार की विभिन्न सभ्यता एवं संस्कृतियों से परिचित कराना, उनमें मानव मात्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करना और संसार में सह-अस्तित्व के सिद्धान्त को प्रतिष्ठित करना। आज ये सब कार्य अनेक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं द्वारा किये जा रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय संस्था यू. एन. ओ. (U.NO.) में इसके लिए एक अलग विभाग यूनेस्को (UNESCO) है। इस क्षेत्र में यूनेस्को के कार्य बहुत प्रशंसनीय हैं। अन्तर्राष्ट्रीयता की दृष्टि से हम शिक्षा के कार्यों को निम्नलिखित रूप से संजो-पिरो सकते हैं-
1. संसार के समस्त व्यक्तियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी सामान्य जानकारी देना और उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना।
2. संसार के समस्त व्यक्तियों को साक्षर करना और किसी एक राष्ट्र के व्यक्तियों को दूसरे राष्ट्रों के ज्ञान-विज्ञान से परिचित कराना।
3. संसार के समस्त राष्ट्रों में वसुधैव कुटुम्बकम, विश्वबन्धुत्व की भावना का विकास करना।
4. संसार के सभी राष्ट्रों को एक-दूसरे की संस्कृतियों में परिचित कराना और उनके नागरिकों में सांस्कृतिक सहिष्णुता का विकास करना।
5. संसार के समस्त व्यक्तियों में सार्वभौमिक मूल्यों का विकास करना और उनका नैतिक एवं चारित्रिक विकास करना।
6. संसार के समस्त राष्ट्रों में विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और इस प्रकार एक- दूसरे के विकास में सहायता पहुँचाना।
7. संसार के समस्त राष्ट्रों को सह-अस्तित्व के सिद्धान्त की ओर अग्रसर करना।
8. संसार के समस्त राष्ट्रों को एक-दूसरे के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता की ओर अग्रसर करना।
9. संसार के व्यक्तियों को संसार के विभिन्न धर्म दर्शनों से परिचित कराना और उनमें धार्मिक सहिष्णुता का विकास करना !

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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