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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।

उत्तर-
सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य है -
(Aims of Education in India in Favour of Society)

देश की वर्तमान परिस्थितियों के सन्दर्भ में समाज सम्बन्धी शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास - वस्तुतः शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है जो कि 'सामाजिक वातावरण' में ही सम्पन्न हो सकती है। दूसरी ओर प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं की पूर्ति समाज के द्वारा ही होती है। सामाजिक सुविधाएँ प्राप्त करने पर व्यक्ति का कर्तव्य हो जाता है कि वह भी समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का पालन करे। अतः शिक्षा के द्वारा व्यक्ति में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए।
2. सामाजिक नेतृत्व की क्षमता का विकास - लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में शासन की बागडोर जनता द्वार निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होती है। अतः इस व्यवस्था में जन-नेतृत्व एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है। आज के विद्यार्थी कल के नागरिक है और इन्हें ही भावी जीवन में देश के विभिन्न क्षेत्रों का नेतृत्व करना है। अतः शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में सामाजिक नेतृत्व की क्षमता का विकास होना चाहिए। नेतृत्व के गुणों का विकास करने हेतु शिक्षा की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए।
3. सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करना - आज भी हमारा समाज विभिन्न प्रकार की सामाजिक कुप्रथाओं जैसे दहेज प्रथा, बाल विवाह, पर्दा प्रथा, छुआ-छूत इत्यादि से पीड़ित है जो असमय में ही देश के असंख्य युवक तथा युवतियों को मुरझा डालती है। ऐसी स्थिति में इन सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त करना परम उद्देश्य होना चाहिए।
4. धार्मिक समस्याओं का समाधान - भारत आदि काल से ही धर्म प्रधान देश रहा है। यहाँ ऋषियों मुनियों ने विश्व को मनावता का सन्देश दिया है। परन्तु आज हम और हमारा समाज विभिन्न प्रकार की धार्मिक समस्याओं जैसे पूर्व जन्म के विचारों का गलत अर्थ लगाने के कारण समाज में निष्क्रियता का आ जाना, धार्मिक ठेकेदारों द्वारा समाज का शोषण, नाना प्रकार के देवी-देवताओं, नदियों, भूत-प्रेतों आदि को खुश करने के लिए राष्ट्रीय सम्पत्ति को बरबाद करना इत्यादि से ग्रसित है, जिसके कारण देश की पर्याप्त उन्नति नहीं हो पा रही है। शिक्षा द्वारा इन धार्मिक समस्याओं का समाधान होना चाहिए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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