बी ए - एम ए >> फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्रयूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
काल एवं परिस्थितियों के सापेक्ष शिक्षा के उद्देश्य
यह सत्य है कि शिक्षा का महत्व व्यक्ति एवं समाज के लिए सदैव ही रहता है परन्तु शिक्षा के उद्देश्य सदैव समान नहीं रहते अर्थात् सदैव ही शिक्षा के उद्देश्य परिवर्तित होते रहते हैं। प्रत्येक देशकाल में समाज एवं राष्ट्र की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होती हैं। भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शिक्षा का स्वरूप एवं उद्देश्य भी भिन्न-भिन्न हो जाते हैं। एक समय था जबकि समस्त विश्व में धार्मिक भावना को अधिक महत्व दिया जाता था। इस काल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ही धार्मिक था। जहाँ युद्ध एवं आक्रमणों का बोल-बाला अधिक होता है वहाँ शिक्षा का मुख्य उद्देश्य-शारीरिक संगठन शिक्षा को ही अधिक महत्व दिया जाता था, इससे भिन्न-भिन्न राज्यों के कल्याण के लिए शिक्षा का मुख्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न स्वीकार होता है।
प्राचीनकाल में शिक्षा का उद्देश्य धार्मिक एवं व्यावसायिक था। इसके बाद ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजों ने भारतीय शिक्षा को ऐसा रूप दिया कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य राज्य की सेवा करना हो गया। आधुनिक युग में स्वतंत्र भारत में शिक्षा के बहुपक्षीय उद्देश्यों को महत्व दिया गया है। आज का युग विज्ञान का युग है। वैज्ञानिक युग में भौतिक उन्नति एवं समृद्धि को अधिक महत्व दिया जाता है। अतः आज शिक्षा का उद्देश्य आर्थिक समृद्धि प्राप्त करना हो गया है।
अन्धविश्वास एवं रूढ़ियाँ तथा कुरीतियाँ वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में बाधक होती हैं। अतः शिक्षा का उद्देश्य इन बाधाओं को समाप्त करना है। शिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण में राष्ट्र की शासन-प्रणाली का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए लोकतांत्रिक, अधिनायकवादी, साम्यवादी तथा एकतन्त्रीय शासन प्रणाली वाले देशों में शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं नीतियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। जनतांत्रिक राष्ट्रों में शिक्षा का उद्देश्य व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करना होता है। अतः शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त छूट एवं स्वतन्त्रता होती है। इससे भिन्न एकतन्त्रिय शासन प्रणाली तथा अधिनायकवादी देशों में शिक्षा का उद्देश्य राज्य की व्यवस्था में सहायक होना माना जाता है। अत ऐसे में व्यक्ति को अधिक छूट या स्वतन्त्रता नहीं दी जाती है। पूँजीवादी राष्ट्रों में शिक्षा का उद्देश्य आर्थिक सम्पन्नता प्राप्त करना है। शासन प्रणाली के अतिरिक्त कभी- कभी व्यक्ति की किसी विशिष्ट मनोवृत्ति के परिणामस्वरूप भी शिक्षा के उद्देश्य परिवर्तित होते देखे जाते हैं। उदाहरण के लिए जर्मनी में हिटलर ने अपने शासन-काल में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अपने देश को सैन्य दृष्टिकोण से प्रबल बनाना निर्धारित किया था। इसके लिए उस काल में जर्मनी में सैन्य शिक्षा अनिवार्य कर दी गयी तथा समस्त पाठ्य-पुस्तकों में देश की सीमाओं की सुरक्षा एवं विस्तार पर बल दिया जाने लगा।
इसी प्रकार भारतवर्ष में भी गाँधी जी ने शिक्षा का उद्देश्य हस्तकलाओं में निपुण बनाना प्रतिपादित किया था। स्पष्ट है कि प्रभावशाली विद्वान अथवा नेता की मनोवृत्ति भी शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक होती है। उपरोक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि शिक्षा के उद्देश्य के निर्धारण में विभिन्न कारक अपना-अपना योगदान देते हैं। इसलिए शिक्षा के उद्देश्य स्थिर नहीं होते।
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- प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।