बी ए - एम ए >> फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्रयूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर
प्रश्न- उच्च शिक्षा में उद्देश्यहीनता तथा दोषपूर्ण पाठ्यक्रम पर विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
उच्च शिक्षा में विचार
उद्देश्यहीनता - हमारी शिक्षा प्रणाली की प्रमुख समस्या यह है कि उसमें उद्देश्य का अभाव है। इसी कारण से हमारी पीढ़ी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी लक्ष्यविहीन है तथा इसी कारण वह उच्च शिक्षा को भी अनावश्यक समझने लगा है। उच्च शिक्षा से हमें ज्ञान प्राप्त होता है। हम सत्य की खोज कर सकते हैं, किसी भी समस्या को तार्किक दृष्टि से देख सकते हैं लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा को रोजगार प्राप्त करने का एक साधन माना जा रहा है। यह दृष्टिकोण कई समस्याओं को जन्म देता है।
दोषपूर्ण पाठ्यक्रम - हमारे शिक्षा जगत में पाठ्यक्रम में नवीनता व व्यावहारिकता की माँग एक लम्बे समय से चली आ रही है। नये पाठ्यक्रम को विकसित नहीं किया जाता है। आज अनेक नये पाठ्यक्रम हैं जो शिक्षा क्षेत्र में नये विषयों व एक नई सोच के साथ आये हैं। इन पाठ्यक्रमों को सैद्धान्तिक व व्यावहारिक बनाकर अपनाना चाहिए। इससे रोजगार की समस्या का समाधान भी होगा।
शिक्षा का स्तर -विश्वविद्यालयों का शिक्षण स्तर भी गिर रहा है। विश्वविद्यालयों के प्रागंण में शिक्षा के स्थान पर राजनीति, जातिवाद, क्षेत्रवाद व सम्प्रदायवाद ने अपने पैर जमा लिए हैं। छात्रों की संख्या में दिनों-दिन होने वाली वृद्धि भी शिक्षा के स्तर को गिराने का कारण है।
माध्यम-उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम क्या हो? यह समस्या भी शिक्षा के क्षेत्र में आती है। अंग्रेजी का समर्थन करने वाला वर्ग भी केवल सम्पन्न वर्ग है जबकि अधिकांश लोग मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा के माध्यम की माँग करते हैं। विडम्बना ये है कि उच्च शिक्षा से सम्बन्धित अधिकांश पुस्तकें, शोध आदि सब अंग्रेजी में हैं
असन्तोषजनक परीक्षा प्रणाली-उच्च शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षा प्रणाली भी दोषपूर्ण है। निबन्धात्मक परीक्षा प्रणाली के जो दोष हैं वह सब इसमें है।
अनुशासनहीनता - छात्रों के मध्य अनुशासनहीनता चरम सीमा पर पहुँच गई हैं। आज विश्वविद्यालय परिसर राजनीति का अखाड़ा बने हुए हैं। न केवल छात्र अपितु उच्च पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारी व शिक्षकगण भी इस रोग की चपेट में आये हुए हैं। धन सम्बन्धी अनियमितता, दुर्व्यवहार, यौन शोषण, चोरी, अपराध, परीक्षा-पत्रों का लीक होना, छात्रों को राजनीतिक दलों व नेताओं का संरक्षण आज विश्वविद्यालयों की पहचान बन गए हैं।
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- प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।