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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2805
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

शीत चिकित्सा या क्रायोथेपी

शीत चिकित्सा पानी के कम तापमान में दी जाने वाली और सामान्यतः उपयोग में लाई जाने वाली चिकित्सा है। शीत व ठंडी चिकित्सा के द्वारा सौम्य और घातक ऊतकों के नुकसान के लिए भी प्रयोग में लाई जाती है। ऊतकों की चोट को चिकित्सा में घाव कहते हैं। शीत चिकित्सा शब्द ग्रीक भाषा से लाया गया है जिसका अर्थ है ठंड या शीत और थैरेपी इलाज व उपचार से है। शीत चिकित्सा का उपयोग सत्रहवीं सदी में इस्तेमाल किया गया था।

शीत चिकित्सा को शीत सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। शीत चिकित्सा में क्रायोसर्जरी के द्वारा उतकों को न्यूनतम तापमान में लाने के बाद चोटग्रस्त ऊतकों को नष्ट किया जाता है तथा इस उपचार में कैंसर ऊतकों को भी नष्ट किया जाता है। हालांकि शीत चिकित्सा, क्रायोसर्जरी से अलग नहीं है क्योंकि दोनों का दृष्टिकोण शल्य चिकित्सा का उपयोग करता है।

शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक

(1) बर्फ मसाज - शीत चिकित्सा की इस विधि व तकनीक द्वारा त्वचा को तृतीय आकार के रूप से मालिश करते हैं, अर्थात् बर्फ को गोलाकार दिशा में त्वचा पर रगड़ा जाता है या बर्फ द्वारा त्वचा को आगे और पीछे दोनों दिशाओं में रगड़ते हैं या लगाते हैं। इस मसाज को 5 से 10 मिनट तक बाह्य मोच या हड्डी की चोट के लिए उपयोग में लाते हैं। इस मसाज तकनीक को दिन में तीन से दस बार दोहराते हैं जिससे चोटग्रस्त भाग में दर्द से छुटकारा मिल सके।

(2) ठंडे पानी में डूबाना - इस तकनीक में शरीर के चोटग्रस्त भागों को ठंडे पानी में डुबाकर रखते हैं। इसके लिए इच्छानुसार पानी को ताप का चयन किया जाता है, साधारणतः नल के जल को 12°C, 0 से 8°C और बर्फ वाली पानी को 0°C से 5°C तक उपयोग में लाया जाता है। इससे चोटग्रस्त ऊतकों में तत्परता बढ़ती हैं और आराम मिलता है।

(3) बर्फ की थैली - इस विधि में बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े या पीसी हुई बर्फ को प्लास्टिक के बैग में भरकर 20 से 30 मिनट तक दिन में तीन से 5 बार तक चोटग्रस्त भाग पर लगाकर उपचार किया जाता है। कभी-कभी बर्फ के पाँच या छः टुकड़ों को प्लास्टिक थैली में बन्द करके अप्रत्यक्ष रूप से चोटग्रस्त भाग पर उपयोग करते हैं। यदि रक्त स्राव नहीं रुकता है तो उसे बार-बार उपयोग में लाते हैं। इस विधि का आज कल प्रत्येक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व राज्य स्तर में भी उपयोग में लाई जाती है।

(4) ठंडे स्प्रे - ठंडे स्प्रे वाली दवाईयों के निर्माताओं द्वारा फैक्टरियों में विभिन्न प्रकार के स्प्रे व्यावसायिक दृष्टिकोण से तैयार किए जाते हैं जिनको शीघ्र चोटग्रस्त भाग पर लगाने से, ये वाष्पित होकर उष्मा परिवर्तन द्वारा मांसपेशियों को आराम प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए इथाईल क्लोराइड, फास्ट रिलिफ और अन्य प्रकारों के पेन स्प्रे आजकल बाजारों में मिलते हैं।

(5) ठंडी चिकित्सा की सावधानियाँ - ठंडी चिकित्सा से सम्बन्धित सावधानियों की जानकारी सभी चिकित्सक व खेल प्रशिक्षक, अधिशिक्षक व खिलाड़ियों को होनी चाहिए। जो निम्नलिखित है-

(i) ठंडी व शीत चिकित्सा का प्रयोग हृदय रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को नहीं दी जानी चाहिए।
(ii) ठंडी चिकित्सा की विभिन्न तकनीकों को निर्धारित समय से अधिक नहीं करना चाहिए।

(iii) शीत चिकित्सा के उपयोग से पूर्व व्यक्तियों या खिलाड़ियों को प्रतिकूल मनोवैज्ञानिक कारकों को ध्यान में रखना चाहिए।

(iv) ठंडी चिकित्सा की सबसे महत्त्वपूर्ण सावधानी यह है कि बर्फ को प्रत्यक्ष रूप से त्वचा के ऊपर नहीं रखना चाहिए। इसके लिए चोटग्रस्त भाग पर तौलिए या अन्य आईस बैग का प्रयोग करना चाहिए अन्यथा प्रत्यक्ष रूप से बर्फ के उपयोग से आइस बर्न का खतरा बन जायेगा।

(v) ठंडी चिकित्सा का उपयोग तनाव से ग्रस्त व्यक्ति व खिलाड़ियों को भी नहीं देना चाहिए। (vi) ठंडी चिकित्सा की एक विशेष सावधानी यह भी है कि जिन व्यक्तियों को बर्फ या बर्फ के ठंडे पानी से एलर्जी होती है, उन्हें इस उपचार का उपयोग नहीं करना चाहिए।

शीत चिकित्सा का इलाज में उपयोग - शीत चिकित्सा का इलाज में उपयोग निम्न प्रकार से है- त्वचा ट्यूमर, कैंसर से पहले त्वचा मोल्स, गाँठ, त्वचा में चिप्पी, भद्दी झाइयाँ पड़ जाने के लिए, प्रोस्टेट लीवर, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और यदि शल्य की कोई प्रतिक्रिया सम्भव न हो। इसके अलावा शीत चिकित्सा का उपयोग इलाज के तौर पर शरीर के अन्य भाग के ट्यूमर फेफड़े और स्तनों का कैंसर, गुर्दे, हड्डी और स्पाइन के दर्दों का इलाज किया जाता है। इसके बाद शीत चिकित्सा अपने दीर्घकालिक प्रभाव का मिश्रण है। जो शीत चिकित्सा में चिकित्सक द्वारा रोगियों को प्रभावित करता है। इसके अतिरिक्त हम क्रायोथैरेपी (शीत चिकित्सा) का उपचार व प्रभाव को निम्नलिखित प्रकार से भी करते हैं। शीत चिकित्सा की मुख्य धारणा है कि किसी चोटग्रस्त भाग को क्रायोथैरेपी यानि शीतं चिकित्सा द्वारा आराम प्रदान करना है। इससे रक्त नलिकाओं में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे चोटग्रस्त भाग की सूजन कम हो जाती है। किसी भी चोट के शीघ्र उपचार के लिए इस शीत चिकित्सा के तरीकों को उपयोग में लाया जाता है। इस चिकित्सा के माध्यम से मांसपेशी ऐंठन भी कम होती है। इस चिकित्सा के अन्तर्गत चोट लगने के 24 घंटे तक चोटग्रस्त भाग को अप्रत्यक्ष रूप से बर्फ की थैली द्वारा सिकाई बांध देते हैं जिसको ठंडी चिकित्सा और दबाव के नाम से भी जाना जाता है। इस विधि में कुछ ऐसे भी द्रवित पदार्थ हैं जिनको शरीर की सतह पर उपयोग करने, उनका शीघ्र वाष्पन होता है तथा चोटग्रस्त भाग पर इस द्रवित पदार्थ के वाष्पन से ठंडा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए इथाईल एल्कोहॉल यह द्रव के रूप में रहता है तथा त्वचा को उष्मा प्रदान करता है तथा इसके प्रभाव में चोटग्रस्त भाग का स्थानीय क्षेत्र ठंडा रहता इस विधि द्वारा शीत प्रभाव से चोट ग्रस्त भाग का स्थानीय क्षेत्र ठंडा रहता है। इस विधि द्वारा ठंडे प्रभाव के कारण उष्मा का स्थानान्तरण भी होता है। इलाज का यह तरीका खेल चोटों में बहुत अधिक प्रभावशाली होता है।

शीत व ठंडी चिकित्सा के प्रभाव - शींत व ठंडी चिकित्सा के प्रभाव निम्नलिखित हैं-

(i) ठंडी चिकित्सा के उपयोग से दर्द को कम करने में सहायता मिलती है।
(ii) इस चिकित्सा के उपयोग से मांसपेशी ऐंठन कम होती है।

(iii) इस चिकित्सा के उपयोग से मांसपेशीय ऊतकों की सूजन को कम किया जा सकता है। (iv) ठंडी चिकित्सा के प्रयोग से घाव भी शीघ्रता से भरता है।

(v) इस चिकित्सा की विधियों का उपयोग करने से मांसपेशी की संकुचन को और विकसित किया जाता है और इसके साथ-साथ तंत्रिकाओं में आवेगों के संचरण में सुधार होता है।

(vi) इस चिकित्सा से ऊतकों पर प्रभाव के कारण चयापचय दर को घटाता है जिससे जोड़ों व मांसपेशियों की श्यानता लम्बे समय तक संकुचन एवं मांसपेशियों में शिथिलन काल को उत्पन्न करता है।

(vii) नियमित और निर्धारित समय तक ठंडे प्रभाव से अवांछित संवेदना या उत्तेजना समाप्त होती है, और लंबे समय तक (20-30 ) मिनट तक ठंडी चिकित्सा से मांसपेशी तनाव और तंत्रिका तंतु चालकता बढ़ती है।

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्य चोटों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- खेलों के दौरान चोटों की रोकथाम करने के सामान्य सिद्धान्त क्या हैं?
  3. प्रश्न- खेलों में चोट की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्यतः चोटों के दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
  5. प्रश्न- स्पोर्ट्स फिजियोथेरपी से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- खेल चिकित्सा विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है?
  7. प्रश्न- एथलेटिक चोटों से आपका क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  8. प्रश्न- ट्रॉमेट्रिक इंजरी से आप क्या समझते हैं? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सी चोटें आती हैं?
  9. प्रश्न- अवधि के आधार पर चोटें क्या हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  10. प्रश्न- ऐंठन (Cramp) से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- सनबर्न (Sunburn) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षण और होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये?
  12. प्रश्न- चोट लगने के क्या लक्षण होते हैं?
  13. प्रश्न- चोट लगने के जोखिम के प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  14. प्रश्न- खेल में चोट से क्या तात्पर्य है। इसके विभिन्न भेदों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- खेल चोटों के प्रकारों को स्पष्ट करते हुए डिसलोकेशन व स्प्रेन के कारण, लक्षण व उपचार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सामान्य खेल चोटों के उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- खेल में चोटों के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- मुख्य खेल चोटें कौन-सी हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- खेल चोटें पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- खेलों में चोटें क्या होती है?
  21. प्रश्न- स्नायुबंधन मोच से आप क्या समझते है? इसके लक्षण व निदान का वर्णन कीजिये?
  22. प्रश्न- मांसपेशिय तनाव से आप क्या समझते हैं? मांसपेशिय तनाव के कारण और निवारण से संक्षिप्त लेख लिखें।
  23. प्रश्न- टेण्डन और लिंगामेन्ट में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- कन्धे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों का वर्गीकरण कीजिये?
  25. प्रश्न- पीठ (पीछे) के तनाव से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- टेनिस एल्बो से आपका क्या अभिप्राय है? टेनिस एल्बो के लक्षण और निदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  27. प्रश्न- गोल्फर की कोहनी क्या है? इसके कारण, लक्षण और निदान पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?
  28. प्रश्न- टेनिस एल्बो और गोल्फर एल्बो में क्या अन्तर है?
  29. प्रश्न- "धावक का घुटना" से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों और उपचार को समझाइये?
  30. प्रश्न- पिंडलियों में दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण व लक्षणों का वर्णन कीजिये?
  31. प्रश्न- फफोले क्या हैं? इनसे बचाव के उपाय बताये?
  32. प्रश्न- छालों से आप क्या समझते हैं? छालों के कारण, लक्षण और बचाव के सामान्य उपायों को समझाइये?
  33. प्रश्न- रक्त गुल्म क्या है? इसके कारण और लक्षणों पर प्रकाश डालिये?
  34. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- प्राथमिक सहायक के गुणों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- एक प्राथमिक सहायता देने वाले के रूप में आप अपने मित्र की निम्न स्थितियों में कैसे सहायता करेंगे? (1) मोच (3) घाव (2) हड्डी का टूटना (अस्थि भंग) (4) सर्प दंश या साँप का काटना।
  38. प्रश्न- रक्त स्त्राव के बाह्य और आंतरिक कारणों पर प्रकाश डालिए। आप इसके लिए प्राथमिक सहायता कैसे देंगे? स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा में उपचार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए इनके आवश्यक उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा की परिभाषा एवं अर्थ स्पष्ट करते हुए एक अच्छे प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- 'प्राथमिक चिकित्सा' को परिभाषित कर उसके मुख्य घटकों का उल्लेख कीजिये तथा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में प्राथमिक चिकित्सा की अपरिहार्यता पर समालोचनात्मक मत प्रकट कीजिये।
  43. प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
  44. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- अस्थि भंग का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- अस्थि-विस्थापन पर टिप्पणी कीजिए।
  49. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |
  55. प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- लार्डोसिस तथा सपाट पाँव के कारणों का उल्लेख कीजिये तथा इन्हें दूर करने के लिए उपचारात्मक व्यायामों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
  62. प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
  63. प्रश्न- पीठ दर्द क्या है? पीठ दर्द क्यों होता है? इसके उपचार को सरल शब्दों में समझाये।
  64. प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- अनुचित मुद्रा से कौन-कौन से विकार उत्पन्न हो जाते हैं?
  66. प्रश्न- अनुचित मुद्राओं को कैसे सुधारें?
  67. प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
  68. प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
  69. प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- चोट पुनर्वास से आप क्या समझते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए। चोट पुनर्वास की विधियों पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- खेल चोट पुनर्वास में ठण्डी चिकित्सा (क्रायोथेरेपी) की तकनीक व प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- आर. आई. सी. ई. से आप क्या समझते है?
  73. प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
  74. प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
  80. प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
  81. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
  82. प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
  89. प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
  90. प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
  93. प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
  94. प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
  103. प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
  115. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  119. प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
  120. प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  121. प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  122. प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।

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