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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2803
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गुप्तकाल में मूर्तिकला में क्या परिवर्तन हुए?
2. गुप्तकाल के कारीगर मुख्यतः किस-किस मिट्टी का प्रयोग मूर्ति बनाने में करते थे?

उत्तर -

मूर्ति निर्माण के क्षेत्र में इस काल में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। गुप्तकाल में तीन प्रकार की मूर्तियों का निर्माण किया गया- पत्थर, धातु एवं मिट्टी। इस काल में मूर्तिकला के दो महत्त्वपूर्ण केन्द्र थे। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि गुप्त साम्राज्य के विकास के आरम्भिक दिनों में मथुरा मूर्तिकला का प्रमुख केन्द्र था। यह एक मान्य तथ्य है कि प्रथम कुमारगुप्त के शासन काल में बनी बुद्ध की मूर्ति, जो मानकुंवर से प्राप्त हुई है, मथुरा से निर्यात की हुई है। मथुरा के बाद काशी-सारनाथ गुप्त कला से निर्यात की हुई है। मथुरा के बाद काशी-सारनाथ गुप्त कला का केन्द्र रहा है और साथ ही यह भी कहा जाता है कि मथुरा कला की ही एक धारा नयी ताजगी लेकर यहाँ फूटी है। वस्तुतः मथुरा कला शैली के विकास से बहुत पहले से ही काशी प्रदेश इस कला का केन्द्र रहा है।

सारनाथ में प्राप्त मूर्तियों में बौद्ध, ब्राह्मण और जैन प्रतिमाएँ सम्मिलित की जाती हैं। इनमें सबसे अधिक संख्या बौद्ध मूर्तियों की है। संख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर ब्राह्मण देवी- देवताओं की मूर्तियाँ हैं और सबसे कम जैन मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। गुप्तकालीन मूर्तियों का विशेष महत्त्व मथुरा, सारनाथ, सुल्तानगंज और अनेक अन्य स्थलों से अनन्त मात्रा में उपलब्ध गुप्त भारतीय शैली में निर्मित नमूनों से हैं।

इस काल से पूर्व अर्थात् कुषाणकालीन मूर्तियों में विदेशी आदर्शों का प्रभाव देखा जाता है। कहा गया है कि संघटी की चुन्नटें गांधार शैली ने उन्हें दी थीं। उन्होंने उसे स्वीकार किया पर इस रूप से उन्होंने नये सिरे से उन्हें साधा कि चुन्नटें तो गायब हो गयीं पर उनकी लहरियाँ शरीर से एकाकार होकर उसमें समा गयीं और लगने लगा कि तन उनके भीतर से झलक रहा है, परिधान का मात्र आभास रह गया। अब तन परिधान से अधिक महत्त्व का हो गया। ध्यातव्य है कि मथुरा केन्द्र की बनी हुई मूर्तियों को छोड़कर गुप्तकालीन किसी बुद्ध प्रतिमा में वस्त्रों में चुन्नटें नहीं देखी जाती। यह भी देखा गया है कि इस काल की मूर्तियों की भौंहें तिरछी न होकर सीधी प्रदर्शित की गयी हैं। कलाकारों ने भावों की अभिव्यक्ति के लिए विभिन्न मुद्राओं का सहारा लिया है।

प्रतिमा निर्माण के शास्त्रीय नियमों का निर्धारण किया गया। तदनुरूप मूर्तियों के वक्षस्थल विकसित बनाये गये और सुदृढ़ कन्धों को प्रमुखता से उभारा गया। मूर्ति निर्माण हेतु प्रयुक्त किये जाने वाले पत्थरों के विषय में जैसा पहले उल्लेख किया। मथुरा कला की अभिव्यक्ति बलुआ लाल पठार द्वारा की गयी। गुप्तकाल तक भी इसी पंठार का उपयोग स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जाता रहा किन्तु सारनाथ में मूर्ति निर्माण हेतु चुनर के सफेद बालूदार पठार का प्रयोग किया गया।

१. सुल्तानगंज से प्राप्त बुद्ध की एक खड़ी मूर्ति ताँबे की है जिसकी लम्बाई 72 फीट है। महात्मा बुद्ध के शीश पर कुंचित केश हैं परन्तु उसके चारों ओर प्रभामण्डल नहीं है। बुद्ध पारदर्शक वस्त्र से आवृत हैं तथा दायाँ हाथ अभयमुद्रा में, बायाँ हाथ आधा नीचे की ओर झुका हुआ है। अंगुलियों के बीच कुछ वस्तुएँ दिखाई देती हैं। मथुरा से प्राप्त विष्णु मूर्ति अपनी स्वाभाविकता और भावुकता में सारनाथ के महात्मा बुद्ध की मूर्ति से समता रखती है। भगवान विष्णु रत्नजड़ित मुकुट पहने हैं, कानों में आभूषण हैं, उनके सुगठित शरीर में पूरा अनुपात है और मुख पर आध्यात्मिक आभा और शान्ति विद्यमान है।

देवगढ़ के मन्दिर से अनेक सुन्दर मूर्तियाँ प्राप्त हुई हैं। यहाँ से प्राप्त महत्त्वपूर्ण मूर्तियों में शेष विष्णु की मूर्ति का उल्लेख किया जा सकता है। भगवान ने सिर पर किरीट मुकुट, कानों में कुण्डल, गले में हार, केयूर, बनमाला एवं हाथों में कंकण धारण किये हैं। पैरो की ओर लक्ष्मी बैठी हैं। नाभि से निकले कमल पर शिव-पार्वती हैं।

उदयगिरि पहाड़ी पर उत्कीर्ण, विष्णु का वाराह अवतार बड़ा ही सजीव है। इसमें पृथ्वी को ऊपर की ओर उठाते हुए दिखाये गये हैं। एक वाराह मूर्ति एरण से भी प्राप्त हुई है जिसका निर्माण मातृविष्णु के अनुज धन्य विष्णु ने करवाया था। गुप्त कलाकारों ने बुद्ध एवं विष्णु के अतिरिक्त शिव मूर्तियाँ भी निर्मित कीं। गुप्तकालीन अनेक एकमुखी तथा चतुर्मुखी शिवलिंग, प्राप्त हुए हैं। इनमें करमदण्डा, मथुरा, सारनाथ, खोह, विलसद उल्लेखनीय हैं। इस काल की अनेक जैन मूर्तियाँ भी मिली हैं। मथुरा से प्राप्त प्रतिमा में महावीर को पद्यासन में ध्यान मुद्रा में बैठे दर्शाया गया है।

प्रस्तर मूर्तियों के अतिरिक्त इस काल में पकी हुई मिट्टी की भी छोटी-छोटी मूर्तियाँ बनाई गईं। इस प्रकार की मूर्तियाँ विष्णु, कार्तिकेय, दुर्गा, गंगा, यमुना आदि की हैं। ये भृण्मूर्तियाँ पहाड़पुर, राजघाट, मीटा, कौशाम्बी, श्रावस्ती, अहिच्छल, मथुरा आदि स्थानों से प्राप्त हुई हैं। ये मूर्तियाँ सुडौल, सुन्दर और आकर्षक हैं।

मानव जाति के इतिहास में सम्भवतः कला की दृष्टि से अभिव्यक्ति की यह परम्परा सबसे प्राचीन है। चित्रकला के द्वारा एक तलीय द्विपक्षों में भावों की अभिव्यक्ति होती है। चित्र लिखना मानव स्वभाव का स्वाभाविक परिणाम है। इस दृष्टि से चित्र मनुष्य के भावों की चित्रात्मक परिणति हैं।

प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर अनुमान किया जाता है कि शुंग सातवाहन युग में इस कला का विकास हुआ जिसकी चरम परिणति गुप्तकाल में हुई। वासुदेव शरण अग्रवाल के अनुसार, 'गुप्त युग में चित्रकला अपनी पूर्णता को प्राप्त हो चुकी थी।' अजन्ता की गुहा संख्या 9-10 में लिखे चित्र सम्भवतः पुरातात्विक दृष्टि से ऐतिहासिक काल में प्राचीनतम हैं। समय के परिप्रेक्ष्य में, अजन्ता की गुहा संख्या 16 में अंकित वाकाटक शासक हरिषेण का अभिलेख महत्त्वपूर्ण है।

बौद्ध चैत्य एवं विहारों में आलेखित चित्रों का मुख्य विषय बौद्ध धर्म से सम्बद्ध है। भगवान बुद्ध को बोधिसत्व या उनके पिछले जन्म की घटनाओं अथवा उन्हें उपदेश देते हुए अंकित किया है। अनेक जातक कथाओं के आख्यानों का भी चित्रण किया गया जैसे- शिवविजातक, हस्ति, महाजनक, विधुर, हंस, महिषि, मृग, श्याम आदि। बुद्ध जन्म से पूर्व माया देवी का स्वप्न, बुद्ध जन्म, सुजाता द्वारा क्षीर (खीर) दान, उपदेश राहुल का यशोधरा द्वारा समर्पण आदि बुद्ध के जीवन से सम्बद्ध चित्रों का विशेष रूप से आलेखन किया गया।

अजन्ता में पहले सभी गुफाओं में चित्र बनाए गए थे। समुचित संरक्षण के अभाव में अधिकांश चित्र नष्ट हो गए तथा अब केवल छः गुफाओं (1-2, 9-10 तथा 16-17) के चित्र बचे हुए हैं। इनमें से सोलहवीं -सत्रहवीं शताब्दी ईस्वी के भित्ति चित्र गुप्तकालीन हैं। 

सामान्यतः अजन्ता चित्रों को तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है— कथाचित्र, प्रतिकृतियाँ ( या छवि चित्र) एवं अलंकरण के लिए प्रयुक्त चित्र। गुप्तकालीन चित्रों में कुछ चित्र बहुत ही प्रसिद्ध हैं।

बाघ चित्रकला - यह चित्रकला आवश्यक रूप से गुप्तकाल की ही है, जहाँ पर अजन्ता चित्रकला के विषय धार्मिक हैं, वहीं पर बाघ चित्रकला का विषय लौकिक है। संगीतकला का भी गुप्तकाल में विकास हुआ। वात्स्यायन के कामसूत्र में संगीत कला की गणना 64 कलाओं में की गई है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'सिन्धु घाटी स्थापत्य' शीर्षक पर एक निबन्ध लिखिए।
  2. प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
  3. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की तथा वहाँ का स्वरूप कैसा था?
  4. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्ति शिल्प कला किस प्रकार की थी?
  5. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  6. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ?
  7. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण कितने हैं?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर विन्यास तथा कृषि कार्य कैसा था?
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था तथा शिल्पकला कैसी थी?
  10. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की संस्थाओं और धार्मिक विचारों पर लेख लिखिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  12. प्रश्न- भारत की प्रागैतिहासिक कला पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला की प्रविधि एवं विशेषताएँ बताइए।
  14. प्रश्न- बाघ की गुफाओं के चित्रों का वर्णन एवं उनकी सराहना कीजिए।
  15. प्रश्न- 'बादामी गुफा के चित्रों' के सम्बन्ध में पूर्ण विवरण दीजिए।
  16. प्रश्न- प्रारम्भिक भारतीय रॉक कट गुफाएँ कहाँ मिली हैं?
  17. प्रश्न- दूसरी शताब्दी के बाद गुफाओं का निर्माण कार्य किस ओर अग्रसर हुआ?
  18. प्रश्न- बौद्ध काल की चित्रकला का परिचय दीजिए।
  19. प्रश्न- गुप्तकाल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा जाता है?
  20. प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- गुप्तकालीन मन्दिरों में की गई कारीगरी का वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- गुप्तकालीन बौद्ध मूर्तियाँ कैसी थीं?
  24. प्रश्न- गुप्तकाल का पारिवारिक जीवन कैसा था?
  25. प्रश्न- गुप्तकाल में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी?
  26. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?
  27. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विकास पर प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
  29. प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।
  30. प्रश्न- भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का क्या स्थान है?
  31. प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दू मन्दिर कौन-से हैं?
  32. प्रश्न- भारतीय मन्दिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ कौन-सी हैं? तथा इसके सिद्धान्त कौन-से हैं?
  33. प्रश्न- हिन्दू मन्दिर की वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
  34. प्रश्न- जैन धर्म से सम्बन्धित मन्दिर कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
  35. प्रश्न- खजुराहो के मूर्ति शिल्प के विषय में आप क्या जानते हैं?
  36. प्रश्न- भारत में जैन मन्दिर कहाँ-कहाँ मिले हैं?
  37. प्रश्न- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहाँ की देन हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला के लोकप्रिय उदाहरण कौन से हैं?
  39. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की इमारतों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- इण्डो इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में ताजमहल की कारीगरी का वर्णन दीजिए।
  41. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत द्वारा कौन सी शैली की विशेषताएँ पसंद की जाती थीं?
  42. प्रश्न- इंडो इस्लामिक वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला में हमें किस-किसके उदाहरण देखने को मिलते हैं?
  45. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?
  46. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स के पीछे का इतिहास क्या है?
  47. प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स की विभिन्न विशेषताएँ क्या हैं?
  48. प्रश्न- भारत इस्लामी वास्तुकला के उदाहरण क्या हैं?
  49. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  50. प्रश्न- मुख्य मुगल स्मारक कौन से हैं?
  51. प्रश्न- मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव कौन से हैं?
  52. प्रश्न- भारत में मुगल वास्तुकला को आकार देने वाली 10 इमारतें कौन सी हैं?
  53. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  54. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
  56. प्रश्न- अकबर कालीन मुगल शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  57. प्रश्न- मुगल वास्तुकला किसका मिश्रण है?
  58. प्रश्न- मुगल कौन थे?
  59. प्रश्न- मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
  60. प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
  61. प्रश्न- राजस्थान की वास्तुकला का परिचय दीजिए।
  62. प्रश्न- राजस्थानी वास्तुकला पर निबन्ध लिखिए तथा उदाहरण भी दीजिए।
  63. प्रश्न- राजस्थान के पाँच शीर्ष वास्तुशिल्प कार्यों का परिचय दीजिए।
  64. प्रश्न- हवेली से क्या तात्पर्य है?
  65. प्रश्न- राजस्थानी शैली के कुछ उदाहरण दीजिए।

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