बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सिन्धु घाटी सभ्यता कब विकसित हुई?
2. सिन्धु घाटी सभ्यता में कैसी मोहरें मिली हैं?
उत्तर-
सर्वप्रथम सन् 1922 ई० में सुप्रसिद्ध भारतीय पुरातत्ववेत्ता ननि गोपाल मजूमदार मोहनजोदड़ो की खुदाई करने के लिए वहाँ पहुँचे थे, परन्तु जब वे अपने इस उत्खनन शिविर में मजदूरों को वेतन बाँट रहे थे तभी एक बलूची कबायील डाकुओं के दल ने उन पर आक्रमण कर दिया तथा उन्हें गोलियों से छलनी करके सारा रुपया तथा उत्खनन में निकला सोना व चाँदी लेकर भाग गये। करांची से लगभग 150 मील उत्तर-पूर्व से एक रेलगाड़ी गुजरती है यहीं रेल की खिड़की से टीले दिखाई देते थे। इन्हें लोग मोहनजोदड़ो यानि मुद्रा के टीले कहते थे। सर जॉन मार्शल, मार्टिमरा व्हीलर और स्टुअर्ट रिगाट जैसे अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुरातत्व वेत्ताओं ने भी रेल से सफर करते हुए इन टीलों को देखा और तभी 1924 में इन्होंने यहाँ उत्खनन कार्य प्रारम्भ करके हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता तथा उनकी कला को संसार के सामने प्रस्तुत किया।
सर एलेक्जेन्डर कनिंघम, जो कि भारत में प्रथम पुरातत्व विभाग के अधिकारी थे, ने मोन्टगोमरी जिले में बहुत सी हड़प्पा की मुहरें खोज निकाली थीं। इन्हीं के कारण सिन्धु घाटी की सभ्यता को हड़प्पा की कला गया है उसके बाद पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी आर०डी० बनर्जी जोकि कुषाण मूर्तियों की खोज में गये थे उन्हें हड़प्पा से मिलती-जुलती आकृतियाँ मिलीं। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में प्रागैतिहासिक सभ्यता का इतिहास मिलता है यहाँ पर हमें सुसंयोजित नगर मिले हैं जोकि वाणिज्य के केन्द्र थे। उनसे यह अनुमान लगाया गया है। वहाँ पर एक उच्चतम बौद्धिक सभ्यता रहती थी। जहाँ पर धार्मिक तथा वैचारिक स्वतन्त्रता थी तथा बहुत उच्च कोटि का कला-कौशल था।
"यह सभ्यता 4000 से 3000 ई० पूर्व के आस-पास विकसित हुई। सर मार्टिमार व्हीलर ने हड़प्पा का समय 2500 से 1500 ई० पूर्व माना है। ये लोग पक्की मिट्टी के बर्तनों को अलंकृत करते थे उनमें पशुओं तथा मानव आकृतियाँ भी बनाते थे तथा कुछ ज्यामितिक नमूने भी बनाते थे। भारत में इस प्रकार की सामग्री मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, जानूदड़ो एवं लोथल नामक स्थानों में खुदाई के बाद प्राप्त हुई हैं। कुछ बर्तनों को रेखाओं, कोणों तथा वृत्तों से अलंकृत किया गया है। कुछ को पशु-पक्षी, फूल एवं पत्तियों से सजाया गया है। मिट्टी के बर्तनों पर लाल रंग पर काले रंग से नमूने बनाये गये हैं। यही सामग्री राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रचुर मात्रा में सुरक्षित है। जिन बर्तनों पर विभिन्न प्रकार के नमूने बने हुये हैं, बहुत चमकदार तथा चिकने हैं जो हजारों वर्षों के बाद भी आज तक जो चमक इन बर्तनों में है, वह आश्चर्यजनक विषय हैं किस प्रकार की वार्निश अथवा घोल से उस समय के कलाकार ने इन बर्तनों को सजाया है, यह अभी तक विवाद का विषय बना हुआ है। राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली में एक बड़ा-सा बर्तन है जिसे मोहनजोदड़ों के समय में शव रखकर जमीन में गाढ़ने के लिए बनाया मानते हैं, बहुत सुन्दर नमूनों से सुसज्जित है। उसके ऊपर की हुई चमकदार वार्निश आज भी पुरातत्ववेत्ताओं के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई है।
यह भी लाल रंग पर काली रेखाओं से अलंकृत है। इन्हीं स्थानों पर कुछ रंगी हुई मिट्टी की मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं जिससे कि उस समय की कलाभिरुचि के दर्शन होते हैं। यह स्थान सिन्धु घाटी नदी के पास होने से इसे "सिन्धु की सभ्यता" कहा जाता है और क्योंकि अधिकतर पक्की मिट्टी के बर्तन आदि प्राप्य हैं, इसको "पकाई मिट्टी के बर्तनों की सभ्यता भी कहा जाता है।
सिन्धु घाटी में कुछ चित्रित मोहरें मिली हैं, काँसे की नर्तकी की मूर्ति, भैंसे की आकृति, पत्थर का धड़ तथा एक मुहर जिस पर त्रिशूल के साथ मानवाकृति पशुओं आदि सहित है, उस काल की कलाभिरुचि की परिचायक है। इस मुहर पर शिव का चित्र प्रतीत होता है क्योंकि ये लोग धार्मिक थे तथा शिव और विष्णु के उपासक थे। चित्रों में अधिकतर धार्मिक चित्रण मिलता है। इस युग में सोने, चाँदी के गहने भी बने। कुछ मिट्टी के खिलौने तो बहुत सुन्दर हैं जो कि आज के खिलौने से साम्य रखते हैं। एक पहियेदार चिड़िया गाड़ी, रस्सी पर चढ़ता हुआ बन्दर, सिर हिलाने वाला बैल तथा दो बन्दर कलात्मक खिलौनों के उत्कृष्ट नमूने हैं।
यहीं बहुत-सी सुन्दर प्रतिमाएँ भी मिली हैं जिनमें सबसे सुन्दर एक दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष प्रतिमा है। यह किसी पुजारी की प्रतीत होती है। इसके बाल एक रिबन से बँधे हुए हैं तथा एक गोलाकार आभूषण माथे पर बँधा हुआ है। मुख पर मूँछे नहीं हैं। बाएँ कन्धे पर शाल पड़ा हुआ है जिस पर तीन लघु वृत्तों से बना मोटिफ जगह-जगह उकेरा हुआ है। दाहिने हाथ पर भी एक गोल ताबीज-सा बँधा हुआ है। यह चूने के पत्थर का बना है। एक पकाई मिट्टी की देवी माता की मूर्ति है तथा इसी प्रकार बहुत-सी चित्रित मुहरें, बर्तन तथा आकृतियाँ हैं। लोहे के शस्त्र, हाथी दाँत तथा ताँबे के गहने आदि सभी से यह ज्ञान होता है कि वह सभ्यता उन्नतिशील रही होगी।
गुजरात में लोथल नामक स्थान की खुदाई तो 1953 ई० में ही हुई है तथा कालीभंगा की राजस्थान में। वहाँ पर भी एक नगर-सा है जो चार फलाँग लम्बा तथा दो फलाँग चौड़ा है। यहाँ पर भी मोहनजोदड़ो व हड़प्पा की तरह बस्तियाँ, मकान, नालियाँ, सड़कें और स्नानागार आदि वैज्ञानिक ढंग से बने हुए हैं। यह स्थान मोहनजोदड़ो से 600 मील दक्षिण पूर्व में है। मिट्टी के बर्तनों पर हड़प्पा जैसे नमूने बने हुए हैं। हिरन, मोर, सारस तथा साँप आदि इन पर चित्रित हैं। ज्यामितीय नमूनों में त्रिभुज, वर्ग, आयत, वृत्त, अर्धवृत्त आदि इन बर्तनों पर बने हुए हैं। वनस्पति में कहीं-कहीं गेहूँ, मक्का, घास आदि भी चित्रित हैं। इस प्रकार अनुसार यही होता है कि उस समय सभ्यता उच्च शिखर पर पहुँची हुई थी और कला में भी प्रगति बहुत थी।
विशेष बात यह है कि आज भी अपने दैनिक जीवन में मिट्टी के बर्तनों पर जो नमूने हम देखते हैं, सिन्धु घाटी की सभ्यता के समय बर्तनों से बहुत अधिक मिलते-जुलते हैं।
1947 में भारत के टुकड़े होने के बाद मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा चानूदड़ो आदि स्थान पाकिस्तान में चले गये, परन्तु जब हमारे पुरातत्ववेत्ताओं ने पंजाब में रुपड़, गुजरात में लोथल तथा राजस्थान में कालीभंगा में खोज की तो उन्हें हड़प्पा जैसी ही सभ्यता के अवशेष वहाँ पर मिले। लोथल, जिसकी खोज 1953 ई० में हुई थी, वहाँ पर 4 x 2 फलाँग का शहर मिला है। यहाँ भी मकान, नालियाँ, सड़कें, स्नानगृह आदि बहुत वैज्ञानिक ढंग से बने हुए मिले हैं। यह स्थान मोहनजोदड़ो से दक्षिण पूर्व में 600 मील की दूरी पर है। बर्तनों पर हड़प्पा जैसा ही अलंकरण हैं हिरन, मयूर तथा सारस आदि का बहुत सुन्दर चित्रण उन पर हुआ है। कुछ त्रिकोण, वर्ग, आयत, वृत्त, अर्धवृत्त आदि ज्यामितीय नमूने भी वहाँ बने हैं। घास, जौ, मक्का आदि का चित्रण मिलता है।
ये सभी कलाकृतियाँ भारत की आदि सभ्यता की कलाप्रियता की द्योतक हैं।
|
- प्रश्न- 'सिन्धु घाटी स्थापत्य' शीर्षक पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के कला नमूने विकसित कला के हैं। कैसे?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज किसने की तथा वहाँ का स्वरूप कैसा था?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की मूर्ति शिल्प कला किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेष कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का पतन किस प्रकार हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के चरण कितने हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर विन्यास तथा कृषि कार्य कैसा था?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की अर्थव्यवस्था तथा शिल्पकला कैसी थी?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की संस्थाओं और धार्मिक विचारों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय वास्तुकला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत की प्रागैतिहासिक कला पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- प्रागैतिहासिक कला की प्रविधि एवं विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- बाघ की गुफाओं के चित्रों का वर्णन एवं उनकी सराहना कीजिए।
- प्रश्न- 'बादामी गुफा के चित्रों' के सम्बन्ध में पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- प्रारम्भिक भारतीय रॉक कट गुफाएँ कहाँ मिली हैं?
- प्रश्न- दूसरी शताब्दी के बाद गुफाओं का निर्माण कार्य किस ओर अग्रसर हुआ?
- प्रश्न- बौद्ध काल की चित्रकला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल को कला का स्वर्ण काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- गुप्तकाल की मूर्तिकला पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- गुप्तकालीन मन्दिरों में की गई कारीगरी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन बौद्ध मूर्तियाँ कैसी थीं?
- प्रश्न- गुप्तकाल का पारिवारिक जीवन कैसा था?
- प्रश्न- गुप्तकाल में स्त्रियों की स्थिति कैसी थी?
- प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला में किन-किन धातुओं का प्रयोग किया गया था?
- प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन मूर्तिकला के केन्द्र कहाँ-कहाँ स्थित हैं?
- प्रश्न- भारतीय प्रमुख प्राचीन मन्दिर वास्तुकला पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भारत की प्राचीन स्थापत्य कला में मन्दिरों का क्या स्थान है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक हिन्दू मन्दिर कौन-से हैं?
- प्रश्न- भारतीय मन्दिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ कौन-सी हैं? तथा इसके सिद्धान्त कौन-से हैं?
- प्रश्न- हिन्दू मन्दिर की वास्तुकला कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- जैन धर्म से सम्बन्धित मन्दिर कहाँ-कहाँ प्राप्त हुए हैं?
- प्रश्न- खजुराहो के मूर्ति शिल्प के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भारत में जैन मन्दिर कहाँ-कहाँ मिले हैं?
- प्रश्न- इंडो-इस्लामिक वास्तुकला कहाँ की देन हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला के लोकप्रिय उदाहरण कौन से हैं?
- प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला की इमारतों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इण्डो इस्लामिक वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने के रूप में ताजमहल की कारीगरी का वर्णन दीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत द्वारा कौन सी शैली की विशेषताएँ पसंद की जाती थीं?
- प्रश्न- इंडो इस्लामिक वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत में इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला में हमें किस-किसके उदाहरण देखने को मिलते हैं?
- प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक वास्तुकला को परम्परा की दृष्टि से कितनी श्रेणियों में बाँटा जाता है?
- प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स के पीछे का इतिहास क्या है?
- प्रश्न- इण्डो-इस्लामिक आर्किटेक्ट्स की विभिन्न विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारत इस्लामी वास्तुकला के उदाहरण क्या हैं?
- प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- मुख्य मुगल स्मारक कौन से हैं?
- प्रश्न- मुगल वास्तुकला के अभिलक्षणिक अवयव कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत में मुगल वास्तुकला को आकार देने वाली 10 इमारतें कौन सी हैं?
- प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुगल वास्तुकला की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अकबर कालीन मुगल शैली की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुगल वास्तुकला किसका मिश्रण है?
- प्रश्न- मुगल कौन थे?
- प्रश्न- मुगल वास्तुकला की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना कैसे हुई? तथा अपने काल में इन्होंने कला के क्षेत्र में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- राजस्थान की वास्तुकला का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- राजस्थानी वास्तुकला पर निबन्ध लिखिए तथा उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- राजस्थान के पाँच शीर्ष वास्तुशिल्प कार्यों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हवेली से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- राजस्थानी शैली के कुछ उदाहरण दीजिए।