बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
अथवा
भाषा-विज्ञान के अर्थ एवं स्वरूप को समझाने के लिए भारतीय एवं विदेशी विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
भाषा-विज्ञान
परिभाषा - भाषा-विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है- भाषा और विज्ञान। भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन को भाषा-विज्ञान कहते हैं। भाषा-विज्ञान का अर्थ है - भाषा का विज्ञान और विज्ञान का अर्थ है विशिष्ट ज्ञान। भाषा मनुष्य के परस्पर विचार-विनिमय का सर्वोत्तम साधन है एवं अन्य विज्ञानों के समान भाषा का भी विज्ञान है, जिसमें भाषा के सभी अंगों का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है, अतः भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत करने वाला विषय भाषा-विज्ञान कहलाता है।
भाषा-विज्ञान के विषय में विद्वानों की विविध परिभाषाएँ हैं-
१.डॉ.श्यामसुन्दर दास ने लिखा है कि - "भाषा-विज्ञान उस शास्त्र को कहते हैं, जिसमें भाषा मात्र के भिन्न- भिन्न अंगों और स्वरूपों का विवेचन तथा निरूपण किया जाता है। भाषा-विज्ञान की सहायता से हम किसी भाषा का वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन, अध्ययन अनुशीलन करना सीखते हैं।"
२. देवेन्द्रनाथ शर्मा के अनुसार - "भाषा-विज्ञान का सीधा अर्थ है भाषा का विज्ञान और विज्ञान. का अर्थ है, विशिष्ट ज्ञान। इस प्रकार भाषा का विशिष्ट भाषा-विज्ञान कहलाएगा।'
३. डॉ. मंगलदेव शास्त्री के अनुसार - "भाषा-विज्ञान उस विज्ञान को कहते हैं, जिसमें सामान्य रूप से मानवीय भाषा का किसी विशेष भाषा की रचना और इतिहास का अन्ततः भाषाओं, प्रादेशिक भाषाओं या बोलियों के वर्गों की पारस्परिक समानताओं आदि विशेषताओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।
४. डॉ. बाबूराम सक्सेना का कथन है कि - "भाषा-विज्ञान का अभिप्राय भाषा का विश्लेषण करके उसका दिग्दर्शन कराना है।"
५. डॉ. भोलानाथ तिवारी के अनुसार - "जिस विज्ञान के अन्तर्गत ऐतिहासिक और तुलनात्मक अध्ययन के सहारे भाषा की उत्पत्ति, गठन, प्रकृति एवं विकास आदि की सम्यक् व्याख्या करते हुए इन सभी के विषय में सिद्धान्तों का निर्धारण हो उसे भाषा-विज्ञान कहते हैं।"
परिभाषाओं के अध्ययन के बाद निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि भाषा के विशिष्ट, सम्यक तथा सुव्यवस्थित ज्ञान को भाषा-विज्ञान कहते हैं।
स्वरूप (प्रकृति) - प्रायः यह प्रश्न उठाया जाता है, कि भाषा-विज्ञान का स्वरूप क्या है? वह 'विज्ञान' की कौटि में आता है या 'कला' की कोटि में। इस विषय में विद्वानों में मतैक्य नहीं हैं, क्योंकि कोई इसे शुद्ध विज्ञान मानता है तो कोई परिष्कृत कला की कोटि में स्थापित करता है।
विज्ञान का अर्थ है - विशिष्ट ज्ञान, कभी-कभी विज्ञान को शास्त्र भी कहा जाता है। शास्त्र धर्मशास्त्र की ओर संकेत करते हैं, मगर आजकल विज्ञान और शास्त्र को एक ही माना जाता है। शास्त्र देश और काल की सीमा में आबद्ध होता है, किन्तु विज्ञान सार्वत्रिक एवं सार्वदेशिक होता है। विज्ञान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह पदार्थों में कार्य कारण सम्बन्ध स्थापित करता है। विज्ञान खोज करता है कि अंगर कोई घटना घटती है या कोई कार्य होता है, तो उसका कारण क्या है? इसी कारण कार्य के विश्लेषण से विज्ञान में सुसंबद्धता, सुसंगति स्थापित होती है। विज्ञान की दूसरी विशेषता है- प्रयोग, चिन्तन और मनन के बाद प्रयोगों के द्वारा वैज्ञानिक विश्लेषण को प्रमाणित बनाया जाता है।
भाषा-विज्ञान में भी भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है, इसके अन्तर्गत भाषा में बिखरी हुई सामग्री को एकत्र करके उसका विश्लेषण एवं उसमें सूत्रता स्थापित की जाती है, जैसे- कोई ध्वनि विशिष्ट दिशा में क्यों परिवर्तित हो जाती है? इसकी खोज और कार्य कारण सम्बन्ध के आधार पर ध्वनि परिवर्तन की व्यवस्था स्पष्ट की जाती है। भाषा-विज्ञान में भाषा के प्रयोग भी किये जाते हैं। जैसे - ध्वनिशास्त्र में ध्वनि सम्बन्धी प्रयोग किये जाते हैं।
भाषा-विज्ञान की विशेषताओं से स्पष्ट होता है कि भाषा-विज्ञान एक विज्ञान है। जैसाकि भाषा-विज्ञान नाम से स्पष्ट होता है कि यह भाषा का विज्ञान है, परन्तु विज्ञान में विशेष ज्ञान के अतिरिक्तं कुछ अन्य विशेषतायें भी हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसमें विकल्प के लिए कोई स्थान नहीं है, उनके नियम सर्वत्र लागू होते हैं और उनका फल भी प्रायः एक ही होता है। उदाहरण हवा गर्म होने पर हल्की होती है - यह विज्ञान का शाश्वत नियम है, परन्तु भाषा-विज्ञान सर्वत्र निश्चयात्मिक वृत्ति का अभाव है। विज्ञान की भाँति इसमें निमय सर्वत्र सार्वकालिक और शाश्वत नहीं है। 'मर्म' और 'कर्म' रूप की दृष्टि से समान है, किन्तु एक का विकास मरम तथा दूसरे का विकास 'काम' के रूप में हुआ है यह विकास शुद्ध वैज्ञानिक नहीं कहा जा सकता।
कला का एकमात्र लक्ष्य मनोरंजन तथा सौन्दर्य की सृष्टि करना है। कला अभिव्यक्ति कुशल है, परन्तु भाषा-विज्ञान का प्रधान कार्य इससे भिन्न है वह न तो मनोरंजन का साधन है और न ही सुन्दर कृति है। भाषा-विज्ञान, विज्ञान के अधिक निकट है, क्योंकि कला में सौन्दर्यानुभूति की अभिव्यक्ति होती है, जबकि भाषा-विज्ञान में ज्ञानार्जन, सत्यान्वेषण और बौद्धिकता होती है, अतः कह सकते हैं कि भाषा-विज्ञान कला नहीं है।
आज का भाषा वैज्ञानिक तो निश्चित रूप से ज्ञान की इस शाखा को विज्ञान मानता है क्योंकि उसकी दृष्टि में भाषाओं का अध्ययन इतना व्यवस्थित हो गया है कि उसके आधार पर निर्मित सिद्धान्तों में वैज्ञानिक सिद्धान्तों की भाँति ही संक्षिप्तता, स्थिरता और व्यापकता विद्यमान है जिस प्रकार विज्ञान में किसी वस्तु का सम्यक् परीक्षण करके उसके सम्बन्ध में नियम निर्धारित किये जाते हैं, उसी प्रकार भाषाविज्ञान में भी भाषा की उत्पत्ति रचना, विकास आदि सभी तत्वों के विश्लेषण के सामान्य नियम निश्चित कर लिये जाते हैं।
अतः हम कह सकते हैं कि भाषा-विज्ञान 'विज्ञान' है कला नहीं लेकिन वह 'गणित' या भौतिकशास्त्र की तरह विज्ञान नहीं है। भाषा-विज्ञान में विज्ञान के सभी लक्षण दिखाई देते हैं, मगर कहीं-कहीं कुछ अपवाद भी मिल जाते हैं, फिर भी निश्चित रूप से भाषा-विज्ञान का सर्वाधिक झुकाव विज्ञान की ओर है। समग्र दृष्टि से विचार करने पर भाषा-विज्ञान है, कला नहीं मानना ही पड़ता है।
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- प्रश्न- निम्नलिखित क्रियापदों की सूत्र निर्देशपूर्वक सिद्धिकीजिये।
- १. भू धातु
- २. पा धातु - (पीना) परस्मैपद
- ३. गम् (जाना) परस्मैपद
- ४. कृ
- (ख) सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या (भ्वादिगणः)
- प्रश्न- निम्नलिखित की रूपसिद्धि प्रक्रिया कीजिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रयोगों की सूत्रानुसार प्रत्यय सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित नियम निर्देश पूर्वक तद्धित प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित का सूत्र निर्देश पूर्वक प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भिवदेलिमाः सूत्रनिर्देशपूर्वक सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- स्तुत्यः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- प्रश्न- साहदेवः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
- कर्त्ता कारक : प्रथमा विभक्ति - सूत्र व्याख्या एवं सिद्धि
- कर्म कारक : द्वितीया विभक्ति
- करणः कारकः तृतीया विभक्ति
- सम्प्रदान कारकः चतुर्थी विभक्तिः
- अपादानकारकः पञ्चमी विभक्ति
- सम्बन्धकारकः षष्ठी विभक्ति
- अधिकरणकारक : सप्तमी विभक्ति
- प्रश्न- समास शब्द का अर्थ एवं इनके भेद बताइए।
- प्रश्न- अथ समास और अव्ययीभाव समास की सिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक) पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- द्वन्द्व समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- अधिकरण कारक कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- बहुव्रीहि समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- "अनेक मन्य पदार्थे" सूत्र की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की रूपसिद्धि कीजिए।
- प्रश्न- केवल समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कर्मधारय समास लक्षण-उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- द्विगु समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- द्वन्द्व समास किसे कहते हैं?
- प्रश्न- समास में समस्त पद किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्रथमा निर्दिष्टं समास उपर्सजनम् सूत्र की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
- प्रश्न- अव्ययी भाव समास कितने अर्थों में होता है?
- प्रश्न- समुच्चय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'अन्वाचय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
- प्रश्न- इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाहार द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरणपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति के प्रत्यक्ष मार्ग से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की परिभाषा देते हुए उसके व्यापक एवं संकुचित रूपों पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान के क्षेत्र का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भाषाओं के आकृतिमूलक वर्गीकरण का आधार क्या है? इस सिद्धान्त के अनुसार भाषाएँ जिन वर्गों में विभक्त की आती हैं उनकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ कौन-कौन सी हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का संक्षेप मेंउल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- अयोगात्मक भाषाओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- भाषा और बोली में अन्तर बताइए।
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- प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संस्कृत साहित्य के इतिहास के उद्देश्य व इसकी समकालीन प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन की मुख्य दिशाओं और प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए किसी एक का ध्वनि नियम को सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संस्कृत भाषा के स्वरूप के लोक व्यवहार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।