बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक सांख्यिकी बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक सांख्यिकीसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक सांख्यिकी - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 2
प्रदत्त का प्रस्तुतीकरण एवं व्यवस्थापन
(Presentation and Organization of Data)
प्रश्न- दत्त और सांख्यिकी में क्या सम्बन्ध है? दत्तों के विभिन्न वर्गीकरण का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
दत्त एवं सांख्यिकी में सम्बन्ध - आज ज्ञान-विज्ञानों में सांख्यिकी अनिवार्य हो गई है इसके द्वारा संख्याओं तथा तथ्यों को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है। सांख्यिकी का सम्बन्ध आँकड़ों (दत्त) की प्रकृति एवं इनकी अध्ययन विधियों का समावेश से होता है। इस संदर्भ में म्यूलर तथा शुसलर ने सांख्यिकी को दो सम्बन्धित अर्थों में परिभाषित करने की सलाह दी है-
(1) तथ्यगत आँकड़े जैसे जन्म-मृत्यु सम्बन्धी आँकड़े, व्यापार वाणिज्य सम्बन्धी आँकड़े आदि
(2) विधियाँ सिद्धांत और तकनीकी जिसके माध्यम से संग्रहीत विवरण का संक्षिप्तीकरण और व्याख्या की जाती है।
सांख्यिकी वैज्ञानिक पद्धति की वह शाखा है जो बहुकारकों से प्रभावित किसी प्राकृतिक या सामाजिक घटना के पूर्व निश्चित उद्देश्य के अनुसार अपनी विधियों, सिद्धांतों एवं तकनीकी से संख्यात्मक मापन एवं मापन से प्राप्त संख्यात्मक तथ्यों का वर्गीकरण सांख्यिकीयन प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण करके मापित घटना की प्रकृति की व्याख्या करती है तथा साथ ही साथ गुणात्मक तथ्यों के मापन एवं संख्यात्मक तथ्यों के अध्ययन हेतु नई विधियों सिद्धांतों एवं तकनीकी का अनुसंधान करती है।
सांख्यिकी को अंकों या संख्याओं में प्रस्तुत आँकड़ों (दत्तों) का विज्ञान कहा जाता है।
सांख्यिकी अंकगणित एवं बीजगणित की तरह एक स्वतन्त्र शाखा है। सांख्यिकी को एक सैद्धांतिक विज्ञान तथा अनुप्रयुक्त विज्ञान के रूप में जाना जाता है। प्राप्त आँकड़ों से सांख्यिकी विश्लेषण के आधार पर अनेक प्रकार के प्रश्नों के उत्तर पाये जाते हैं। प्रदत्तों पर किस प्रकार की सांख्यिकी तकनीकी का उपयोग लिया जाये वह इस पर निर्भर करता है कि आँकड़ों (Data) के आधार पर किस प्रकार का प्रश्न अपेक्षित है। सांख्यिकी का मूलभूत कार्य यह है कि आँकड़ों के रूप में संकलित प्रदत्तों की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन करना, जोड़ने, घटाने, गुणा करने तथा विभाजन करने जैसी अंकगणित प्रक्रियाओं का उपयोग कर प्रदत्तों का विश्लेषण करना आदि। इन्द्रिय आनुभविक विज्ञानों में प्रेक्षण के द्वारा संकलित प्रदत्तों का सांख्यिकीय विश्लेषण कर विषय-वस्तु के बारे में समान्यीकृत कथन परिकल्पनाओं का परीक्षण अथवा सत्यापन एवं उनके आधार पर सैद्धांतिक विवेचन की पुष्टि की जाती है।
मनोविज्ञान के अंतर्गत सांख्यिकी तकनीकी के अनुप्रयोग में तीन प्रमुख उद्देश्य हैं-
1. प्रदत्तों की संक्षिप्त किंतु परिशुद्ध प्रस्तुति उनका संक्षिप्तीकरण एवं भावात्मक वर्णन।
2. आँकड़ों में सम्मिलित किये गये चरों के आधार पर आँकड़ों या प्रदत्तों का विभाजन और उनके आधार पर चरों में प्रकार्यात्मक भिन्नता का निर्धारण।
3. विभाजन प्रदत्तों के पारस्परिक सह सम्बन्धों की मात्रा का मापन। सांख्यिकी आँकड़ों के संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा विवेचन से सम्बन्धित विज्ञान है। समंकों (Data) को संकलित करने, वर्गीकरण करने सारणीबद्ध करने, प्रस्तुत करने तथा रेखाचित्रीय निरुपण करने का कार्य सांख्यिकी के अंतर्गत ही आता है।
दत्तों (समंकों) का वर्गीकरण - मापन प्रक्रिया से प्राप्त समंक (दत्त) प्रायः प्राप्तांकों के एक बड़े ढेर के रूप में होते हैं जिन्हें देखकर समूह के सम्बन्ध में किसी महत्वपूर्ण सूचना को प्राप्त करना कठिन होता है।
संकलित समंकों को अर्थयुक्त बनाने के लिए संक्षिप्त एवं बोधमय रूप से समंकों का वर्गीकरण व्यवस्थित ढंग से करना होता है। वर्गीकरण में समंकों को उनकी समानता तथा सादृश्यता के आधार पर प्राप्तांक वर्गों या श्रेणियों में प्रस्तुत किया जाता है जो प्राप्तांकों या व्यक्तियों की संख्या को प्रदर्शित करते हैं। जिसे आवृत्ति कहा जाता है। यही कारण है कि वर्गीकृत समंकों को प्रायः आवृत्ति वितरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। समंकों को वर्गीकृत करने की निम्न विधियाँ हैं -
1. समंकों का गुणात्मक वर्गीकरण - गुणात्मक चरों पर प्राप्त दत्तों को गुणात्मक वर्गीकरण के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस प्रकार के वर्गीकरण में विभिन्न व्यक्तियों या वस्तुओं को उनमें उपस्थित गुण के प्रकार (Type of Trait) के आधार पर बाँटा जाता है। इसके लिए गुण के विभिन्न प्रकारों के आधार पर बनाये गये कुछ वर्गों या श्रेणियों में आने वाले व्यक्तियों अथवा वस्तुओं की संख्या ज्ञात करके उन्हें आवृत्ति विवरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यही कारण है कि गुणात्मक समंकों को गुणात्मक वर्गीकरण के रूप में ही प्रस्तुत किया जा सकता है। नामित एवं कुमित स्तर के मापों से प्राप्त परिणामों या समंकों को गुणात्मक वर्गीकरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
जिन वर्गीकरणों में संपूर्ण समूह को केवल किसी एक गुणात्मक चर के आधार पर कुछ वर्गों में बाँटा गया होता है, उस वर्गीकरण को एक मार्गी वर्गीकरण कहते हैं। समूह को एक साथ कई गुणात्मक चरों के आधार पर भी विभक्त किया जा सकता है। एक साथ दो गुणों या चरों के आधार पर किसी समूह का वर्गीकरण द्वि-मार्गी वर्गीकरण कहलाता है। इसमें एक चर को पंक्तियों (Rows) तथा दूसरे चर को स्तम्भ (Columns) के द्वारा व्यक्त किया जाता है। पंक्तियों तथा स्तम्भों के कटाव से जो (Cells) खाने बनते हैं उनमें व्यक्तियों को उनकी दोनों चरों की साझी स्थिति के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। जिसे (x) गुणा के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इसी प्रकार गुणात्मक चरों के आधार पर त्रिमार्गी तथा बहुमार्गी वर्गीकरण किया जा सकता है।
गुणात्मक समंकों का वर्गीकरण करना अत्यंत सरल तथा स्वस्पष्ट है। इसके लिए विभिन्न वर्गों अथवा खानों (Cells) में आने वाले व्यक्तियों के लिए टैली चिन्ह लगाकर गिनती कर ली जाती है जो उस वर्ग अथवा खाने की आवृत्ति होती है।
समंकों (दत्तों) का मात्रात्मक वर्गीकरण - मांत्रात्मक चरों के मापन से प्राप्त होने वाले समंकों का मात्रात्मक वर्गीकरण किया जाता है। मात्रात्मक वर्गीकरण में गुण की मात्रा के आधार पर वर्ग बनायें जाते हैं तत्पश्चात् प्रत्येक वर्ग में आने वाले व्यक्तियों या वस्तुओं की संख्या ज्ञात की जाती है। अन्तरित तथा अनुपातिक स्तर के मापन से प्राप्त समंकों को मात्रात्मक वर्गीकरण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसमें प्राप्तांकों को सुबोध बनाने के लिए आरोही अथवा अवरोही क्रम में रखकर व्यवस्थित किया जाता है। यद्यपि आरोही अथवा अवरोही क्रम में व्यवस्थित समंक अव्यवस्थित समंकों की तुलना में अधिक बोधगम्य प्रतीत होते हैं तथा समूह की योग्यता के सम्बन्ध में कुछ सूचनायें प्रदान करते है लेकिन प्राप्तांकों का यह व्यवस्थित रूप भी संख्याओं का झुंड तथा काफी जटिल प्रतीत होता है। इसे सविधाजनक ढंग से समंकों को प्रस्तुत करने के लिए प्राप्तांकों को कुछ वर्गों या समूहों के साथ रखा जा सकता है, जिसकी संख्या समान होगी। किसी वर्ग में आने वाले सभी प्राप्तांकों को न लिखकर उस वर्ग के सबसे छोटे व सबसे बड़े प्राप्तांक से ही उस वर्ग को इंगित कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को आवृत्ति वितरण कहते हैं।
आवृत्ति विवरण में वर्गों में वर्गीकृत समंकों को वर्गीकृत समंक तथा उससे पूर्व दिये गये प्राप्तांकों को अवर्गीकृत समंक कहते है। प्रत्येक वर्ग की सीमायें होती है। छोटे अंक को निम्न सीमा तथा बड़े प्राप्तांक को उच्च सीमा कहा जाता है। किसी वर्ग में कुल व्यक्तियों या प्राप्तांक की संख्या को उस वर्ग का आवृत्ति कहते हैं। किसी वर्ग की वास्तविक उच्च सीमा तथा वास्तविक निम्न सीमा के अंतर को वर्ग विस्तार अथवा वर्ग-अंतराल (C.I.) कहा जाता है। आवृत्ति विवरण में सभी वर्गों का वर्ग-अंतराल समान रखा जाता है। वर्ग अंतराल ज्ञात करने का एक सरल तरीका आवृत्ति विवरण को किन्हीं दो लगातार की उच्च सीमाओं अथवा निम्न सीमाओं को ज्ञात करना है। यह अंतर आभासी सीमाओं के बीच भी ज्ञात किया जा सकता है। किसी वर्ग की दोनों सीमाओं के मध्य बिंदु को उस वर्ग का मध्य बिंदु (mid point of the class) कहा जाता है। जिसे ज्ञात करने के लिए वर्ग की दोनों सीमाओं को जोड़कर आधार कर देते हैं। वर्ग अंतराल, उच्च व निम्न सीमाएँ तथा मध्य बिंदु के प्रत्ययों को निम्न चित्र की सहायता से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है -
आवृत्ति विवरण से सम्बन्धित विभिन्न पदों (Terms) को प्राय: निम्नांकित अक्षरों से प्रदर्शित किया जाता हैं-
L = वर्ग की निम्न सीमा (Lower limit of the class)
U = वर्ग की उच्च सीमा (Upper limit of the class)
i = वर्ग-अंतराल (Class Internal)
F = आवृत्ति (Frequency)
X = मध्यबिंदु (Midpoint)
N= आवृत्तियों का योग (Total frequency)
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- प्रश्न- सांख्यिकी की परिभाषा दीजिए तथा इसकी प्रकृति और क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी के प्रमुख कार्य क्या हैं?
- प्रश्न- सांख्यिकी के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी की सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी के विभिन्न प्रकारों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सांख्यिकी का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सांख्यिकी के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांख्यिकी के प्रतीक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्न अंकों से वर्गान्तरों की संख्या ज्ञात कीजिए एवं आवृत्तियां भी ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- दत्त और सांख्यिकी में क्या सम्बन्ध है? दत्तों के विभिन्न वर्गीकरण का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आवृत्ति बंटन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकार व लाभ बताइए। आप किस प्रकार से खण्डित आवृत्ति बंटन करेंगे?
- प्रश्न- आवृत्ति वितरण के लाभ बताइए।
- प्रश्न- मूल प्रदत्तों को व्यवस्थित करने की विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'चर' से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइए।
- प्रश्न- संचयी बारम्बारता से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार समझाइये।
- प्रश्न- योग संचालन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वर्ग सीमाओं के आधार पर वर्गान्तरों के निर्धारण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- निम्न आँकड़ों से संचयी आवृत्ति सारणी बनाइये।
- प्रश्न- प्रदत्तों के आलेखीय चित्रण से आप क्या समझते हैं? शिक्षा में रेखाचित्रों के विभिन्न कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "रेखा का विचरण मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाले सारणित कथन की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होता है। यह उतनी शीघ्रता से, जितनी आँख कार्य करने की क्षमता रखती है, प्रकट करता है कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला है।' वॉडिंगटन के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दण्ड चित्र से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं इनका विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आँकड़ों के रेखीय चित्रण के सामान्य सिद्धांत बताइए।
- प्रश्न- सांख्यिकी में रेखीय प्रदर्शन में प्रयुक्त वृत्त चित्र विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सारणी का संचयी आवृत्ति वक्र चित्र बनाइये।
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन का महत्व बताइये। उसके विभिन्न लाभ एवं दोष क्या हैं?
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- समंकों के बिन्दुरेखीय प्रदर्शन के क्या दोष हैं?
- प्रश्न- आवृत्ति वक्र से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बहुभुज एवं स्तम्भाकृति अंकित करने का तर्काधार दीजिए।
- प्रश्न- तोरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- स्तम्भाकृति का एक उदाहरण दीजिए।
- प्रश्न- बहुभुज किसे कहते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- 50 अंकों की शिक्षाशास्त्र की एक परीक्षा में 40 छात्रों के प्राप्तांकों की आवृत्ति वितरण तालिका में नीचे दी गयी है। इन समंकों से आवृत्ति बहुभुज की रचना कीजिए।
- प्रश्न- आवृत्ति आयत चित्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न समंकों को आवृत्ति आयत चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों को त्रिदण्ड चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
- प्रश्न- भारत में चीनी उत्पादन के निम्नलिखित समंकों को सरल दण्ड चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
- प्रश्न- अग्रलिखित प्रमुख उत्पादन सम्बन्धी आँकड़ों को त्रिदण्ड चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए।
- प्रश्न- मध्यमान से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व एवं विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मध्यमान का उपयोग एवं महत्व बताइये।
- प्रश्न- मध्यमान ज्ञात करने की प्रत्यक्ष विधि का उल्लेख उदाहरण सहित कीजिए।
- प्रश्न- मध्यमान ज्ञात करने की लम्बी विधि (Long Method) को उदाहरण सहित समझाइये।
- प्रश्न- मध्यमान् ज्ञात करने की सरल विधि उदाहरण सहित बताइये।
- प्रश्न- मध्यमान ज्ञात करने के लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- बहुलांक से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व एवं विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में बहुलांक की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बहुलांक ज्ञात करने की विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नीचे दिये गये आँकड़ों से मध्यमान एवं मध्यांक की गणना कीजिए :
- प्रश्न- मध्यांक से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व एवं विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मध्यांक के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मध्यांक ज्ञात करने की विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापक कौन-कौन से हैं? इसकी परिभाषायें लिखिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति की मापों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति के मानों के प्रयोग का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्षिक स्थिति के मापों में प्रतिशतांक मान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मध्यमान एवं माध्यिका में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मध्यमान एवं बहुलक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित समंकों से मध्यमान ज्ञात कीजिए -7, 10, 13, 15, 20
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित संमकों से मध्यमान ज्ञात कीजिए - 7, 10, 8, 15, 9, 11
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित संमकों से बहुलक ज्ञात कीजिए - 4, 6, 3, 4, 5, 7, 4, 8
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित समंकों के मध्यमान ज्ञात कीजिए : 4, 6, 7, 5, 8, 6
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित समंकों से माध्यिका ज्ञात कीजिए - 6, 8, 7, 10, 9, 12, 11
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित समंकों से बहुलांक ज्ञात कीजिए : 3, 7, 4, 5, 3, 9, 3, 7, 3
- प्रश्न- निम्नलिखित का बहुलांक बताइये - 2, 2, 4, 6, 8, 10, 2, 5, 4, 2
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति से क्या आशय है?
- प्रश्न- केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित का बहुलांक बताइये - 4, 6, 7, 5, 8, 6
- प्रश्न- मध्यांक का क्या अर्थ है? इसका प्रयोग कब करना चाहिए।
- प्रश्न- बहुलांक के क्या उपयोग हैं?
- प्रश्न- निम्न वितरण से समान्तर माध्य, मध्यका और बहुलक ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- (अ) निम्नलिखित आवृत्ति बंटन में यदि समान्तर माध्य का मान 18 हो तो अज्ञात आवृत्ति ज्ञात कीजिये?
- प्रश्न- निम्न समंकों से अज्ञात पद ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित संचयी आवृत्ति वितरण से समान्तर माध्य ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नलिखित समंकों से भूयिष्ठिक एवं मध्यिका ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित प्राप्तांकों का मध्यांक एवं बहुलांक ज्ञात कीजिए - 15, 23, 22, 17, 22, 18, 19, 22, 18, 24
- प्रश्न- निम्न सारणी को संशोधित कर मध्यका ज्ञात कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित अव्यवस्थित समंकों से बहुलांक ज्ञात कीजिए - 3, 7, 4, 2, 3, 9, 3
- प्रश्न- एक कक्षा के 20 विद्यार्थियों की आयु के समंक निम्नलिखित हैं। बहुलक ज्ञात कीजिए - 15, 17, 18, 20, 21, 22, 24, 15, 16, 17, 21, 22, 22, 23, 17, 22, 18, 22, 19, 20.
- प्रश्न- निम्नलिखित जूतों के आकार संख्या से भूयिष्ठिक ज्ञात कीजिए - जूतों की आकार की संख्या 3, 4, 2, 1, 7, 6, 6, 7, 5, 6, 8, 9, 5
- प्रश्न- निम्नलिखित आँकड़ों से बहुलक की गणना कीजिए.
- प्रश्न- निम्नलिखित सारणी से मध्यांक ज्ञात कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सारणी से मध्यमान ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नलिखित सारिणी से मध्यांक ज्ञात कीजिए -
- प्रश्न- निम्नलिखित सारणी से मध्यमान ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- शतांशीय मान से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व एवं विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में शतांशीय मान के उपयोग एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- प्रतिशतांक क्रमांक का क्या अर्थ है? प्रतिशतांक व प्रतिशतांक क्रमांक में सम्बन्ध को समझाइये।
- प्रश्न- नीचे दिये गए व्यवस्थित प्राप्तांकों से यह ज्ञात करें कि उस विद्यार्थी का PR क्या होगा जिसका 15 और 41 प्राप्तांक है।
- प्रश्न- एम. ए. की 50 छात्राओं की कक्षा को परीक्षा में उपलब्धि पर क्रमांकित किया गया तथा उसमें पूजा को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ तो उसका प्रतिशतांक क्रमांक क्या होगा?
- प्रश्न- यदि किसी विद्यार्थी का क्रमांक 5 है तो प्रतिशतांक क्रम क्या होगा?
- प्रश्न- विचलनशीलता के मापन से आप क्या समझते हैं? विचलनशीलता के मापन में प्रयुक्त विभिन्न विधियों की सूत्र संकेत सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विस्तार से आप क्या समझते हैं? इसको ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- प्रामाणिक विचलन से आप क्या समझते हैं? इसको ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- माध्य विचलन को परिभाषित कीजिए। ये किस प्रकार प्रमाप विचलन से भिन्न हैं?
- प्रश्न- माध्य विचलन और प्रमाप विचलन में अन्तर बताइए
- प्रश्न- प्रमाप विचलन से आप क्या समझते हैं? इसकी गणना कैसे की जाती है?
- प्रश्न- प्रमाप विचलन का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर चतुर्थक विस्तार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शतमक विस्तार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में विचलन मापनों का क्या उपयोग होता है?
- प्रश्न- विचलन की विभिन्न मापों की विशेषताओं की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- धनात्मक तथा ऋणात्मक वैषम्यताओं की तुलना चित्र खींचकर कीजिए।
- प्रश्न- मानक विचलन के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- विस्तार का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- विस्तार के गुण बताइये।
- प्रश्न- विस्तार के दोष बताइये।
- प्रश्न- दिये गये अंकों से माध्य विचलन गुणांक की गणना कीजिए। 22, 25, 20, 18, 16, 21, 29, 26, 19, 24
- प्रश्न- प्राप्तांकों के निम्नलिखित वितरण के लिए मानक विचलन तथा चतुर्थक विचलन की गणना कीजिए।
- प्रश्न- प्राप्तांकों के निम्नलिखित वितरण के लिए मानक विचलन तथा चतुर्थक विचलन की गणना कीजिए।
- प्रश्न- मानक विचलन क्या है? प्राप्तांकों के निम्नलिखित वितरण के लिये मानक विचलन की गणना कीजिए -
- प्रश्न- मानक विचलन क्या है? प्राप्तांकों के निम्नलिखित वितरण के लिए मध्यमान तथा मानक विचलन की गणना कीजिए
- प्रश्न- मानक विचलन से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित आवृत्ति वितरण से संक्षिप्त विधि द्वारा मानक विचलन की गणना कीजिए
- प्रश्न- प्रसार एवं शतमक से आप क्या समझते हैं? निम्नलिखित अंकों का चतुर्थांक विचलन (Q.D.) ज्ञात कीजिए : 31, 30, 22, 27, 32, 17, 26, 34, 21, 24, 19
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के क्षेत्र में इसका उपयोग कब किया जाता है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में सह-सम्बन्ध का उपयोग कब किया जाता है?
- प्रश्न- दो चर श्रेणियों के मध्य सह-सम्बन्ध की गणना के लिए संगामी विचलन रीति को उदाहरण सहित समझाइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के प्रकार तथा विभिन्न विधियाँ का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध का क्या अर्थ है? सहसम्बन्ध के प्रकार व उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कोटि अन्तर सह-सम्बन्ध की गणना करने के लिये किसके द्वारा निर्मित सूत्र का प्रयोग किया जाता है? सूत्र भी लिखिये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध ज्ञात करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है?
- प्रश्न- सम्भाव्य विभ्रम तथा प्रमाप विभ्रम में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धनात्मक व ऋणात्मक सह-सम्बन्ध में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? स्पीयरमैन सहसम्बन्ध गुणांक का सूत्र बताइये और उसमें प्रयुक्त संकेताक्षरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक की परिभाषा बताइये। इसके गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध कितने प्रकार का होता है? निम्नांकित अंकों के आधार पर स्पीयरमैन की कोटि अन्तर विधि से सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? निम्नांकित अंकों के आधार पर स्पीयरमैन को कोटि अन्तर विधि से सहसम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित दस विद्यार्थियों के विज्ञान और गणित में प्राप्तांक दिये गये हैं। पियर्सन सहसम्बन्ध गुणांक निकालिए :
- प्रश्न- निम्नांकित अंकों के आधार पर कोटि अन्तर विधि से सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिए :
- प्रश्न- निम्नांकित अंकों के आधार पर कोटि अन्तर विधि से सहसम्बन्ध गुणांक ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- निम्नांकित अंकों के आधार पर स्पीयर मैन की कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- अग्रलिखित आँकड़ों से कोटि अन्तर विधि द्वारा सहसम्बन्ध गुणांक की गणना कीजिए :
- प्रश्न- निम्न अंकों के आधार पर कोटि अन्तर विधि से सह-सम्बन्ध गुणांक की गणना कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य सम्भावना वक्र क्या है? तथा इसमें कौन-सी विशेषताएँ पायी जाती हैं?
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती है?
- प्रश्न- सामान्य संभावना वक्र से क्या समझते हैं? इसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र के क्या उपयोग है?