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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 5

व्यक्तित्व

(Personality)

प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।

अथवा
व्यक्तित्व की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व के लक्षणों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन हैं?
अथवा
व्यक्तित्व को निर्धारित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

व्यक्तित्व का स्वरूप अर्थ एवं परिभाषा
(Nature of Personality : Meaning and Definition)

सामान्य रूप से व्यक्तित्व से तात्पर्य व्यक्ति के रंग, रूप, लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई व मोटाई अर्थात् शारीरिक संरचना से लगाया जाता है। व्यक्तित्व की अनेक धारणाएं प्रचलन में हैं जो कि निम्नलिखित हैं -

'व्यक्तित्व' शब्द की उत्पत्ति - व्यक्तित्व शब्द का अंग्रेजी रूपान्तर 'पर्सनेल्टी' (Personality) है। अंग्रेजी के इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के पर्सोना (Persona) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है, नकाब (Mask )। यूनानी लोग जब अभिनय करते थे तो वे नकाब पहनते थे जिससे दर्शक यह न जान सकें कि अभिनय करने वाला कौन है ये लोग जिस पात्र का अभिनय करते थे उसी प्रकार का नकाब पहन लेते थे।
व्यक्तित्व का अर्थ - उपरोक्त दी गयी व्यक्तित्व सम्बन्धी धारणायें इसके अर्थ की पूर्ण व्याख्या करने में असमर्थ पायी गयी हैं। 'व्यक्तित्व' में एक मनुष्य का शारीरिक व मानसिक गुणों के साथ सामाजिक गुणों का भी समावेश होता है, किन्तु इतने से भी व्यक्तित्व का अर्थ पूरा नहीं होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि यह तभी सम्भव है जब एक समाज के सभी सदस्यों के आपसी विचार, उनकी सामाजिक क्रियायें तथा संवेगों के अनुभव बिल्कुल एक ही जैसे हों। इस स्थिति  में व्यक्तित्व का प्रश्न उठता ही नहीं है। अतः मनोवैज्ञानिकों का कथन यह है कि 'व्यक्तित्व, मानव के गुणों, विशेषताओं तथा क्षमताओं आदि की एक रूप संगठित इकाई है। इसे कुछ प्रमुख मनोवैज्ञानिकों द्वारा निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है -

"व्यक्तित्व की परिभाषा, व्यक्ति के ढाँचे, व्यवहार की विधियों, रुचियों, अभिवृत्तियों, क्षमताओं, योग्यताओं और कुशलताओं के सबसे विशिष्ट एक एकीकरण के रूप में की जा सकती है।" -  मनु "व्यक्तित्व एक व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यवहार, प्रतिमान और इसकी विशेषताओं के योग का उल्लेख करता है।' - बिग व हण्ट

व्यक्तित्व के लक्षण या गुण
(Traits or Qualities of Personality)

व्यक्तित्व में निम्नलिखित लक्षणों या गुणों का समावेश पाया जाता है
1. शारीरिक गुण (Physical Traits) - शारीरिक संरचना का निर्धारण लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई तथा मोटाई से किया जाता है। एक अच्छे व्यक्तित्व के लिए स्वस्थ शरीर का होना अति आवश्यक है इसका प्रमुख कारण यह है कि मनुष्य एक मनो- शारीरिक प्राणी है।
2. मानसिक गुण (Mental Traits) - इसके अन्तर्गत व्यक्ति की बुद्धि, निर्णय, प्रत्यक्षीकरण, तर्कशक्ति, स्मृति तथा विश्वास आदि को शामिल किया जाता है।
3. सामाजिक गुण (Social Traits) - प्रत्येक व्यक्ति का दृष्टिकोण समाज के प्रति भिन्न होता है। कोई समाज को पकड़ने वाला होता है, कोई आक्रमण करने वाला होता है तो कोई दूर भागने वाला होता है। इसी प्रकार कोई व्यक्ति अभिमानी होता है तो कोई विनम्र स्वभाव का होता है।

4. संवेगात्मक गुण (Emotional Traits) - संवेगात्मक स्थिति व्यक्ति के गुणों को काफी अधिक प्रभावित करती है। ये गुण निम्नलिखित हैं- दया, क्रोध, हंसी, लालच तथा साहस आदि।

5. यौन भेद (Sex Difference) - व्यक्तित्व पर लिंग का भी काफी प्रभाव पड़ता है। लिंग भेद के कारण ही शारीरिक संरचना, संवेगात्मकता और सामाजिकता आदि में अन्तर पाया जाता है, जोकि व्यक्ति को प्रभावित करता है। अतः स्त्री व पुरुष के व्यक्तित्व में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है।

व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले कारक
(Factors Influencing Growth of Personality)

व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
1. वंशानुक्रम का प्रभाव (Influence of Heredity) - अनेक मनोवैज्ञानिकों ने अपने अध्ययनों के आधार पर इस बात को पूर्ण रूप से सत्य कर दिया है कि वंशानुक्रम व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं। उदाहरणार्थ- गाल्टन ने इस बात को प्रमाणित किया है कि व्यक्तियों के शारीरिक विकास और मानसिक लक्षणों में भिन्नता होने का प्रमुख कारण वंशानुक्रम ही है।
2. शारीरिक रचना का प्रभाव (Influence of Physical Structure) - शारीरिक रचना के अन्तर्गत लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई तथा ऊँचाई को शामिल किया जाता है। ये सभी किसी न किसी रूप में व्यक्तित्व के विकास को प्रभावित करते हैं, जैसे- छोटे पैरों वाला मनुष्य बड़े पैरों वाले मनुष्य की तुलना में दौड़ में जीत नहीं सकता है।
3. जैविक कारकों का प्रभाव (Influence of Biological Factors) - जैविक कारकों का प्रभाव भी व्यक्तित्व पर पड़ता है। प्रमुख जैविक कारकं निम्नलिखित हैं : नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ, अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ तथा शारीरिक रसायन।

4. दैहिक प्रवृत्तियों का प्रभाव ( Influence of Physiological Tendencies) - जलोटा के मतानुसार शरीर के अन्दर रासायनिक परिवर्तनों के कारण दैहिक परिवर्तन होते हैं। जिनके फलस्वरूप व्यक्ति महत्वाकांक्षी या आकांक्षाहीन, सक्रिय या निष्क्रिय बन जाता है। स्वाभाविक है कि इन बातों का उसके व्यक्तित्व विकास पर वांछनीय या अवांछनीय प्रभाव पड़ता है।

व्यक्तित्व के निर्धारक या प्रभावित करने वाले तत्व
(Determinants or Factors Influencing Personality)

व्यक्तित्व की परिभाषाओं से स्पष्ट हो गया है कि व्यक्तित्व विभिन्न गुणों का संगठन है और इसको निर्धारण करने वाले प्रमुख तत्व दो हैं
1. जैविक या आनुवांशिकता (Biological or Heredity) - वंशानुक्रम व्यक्तित्व का निर्धारण भौतिक रूप में करता है। वंशानुक्रम से सम्बन्धित निम्न तत्वों का प्रभाव व्यक्तित्व पर पड़ता है -
(i) अंतःस्रावी अथवा नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ (Endocrine or Ductless Glands) - हमारे शरीर के अन्दर कई नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ होती हैं इनसे एक विशिष्ट प्रकार का रस निकलता रहता है जो रक्त में मिलकर शरीर के अंगों में पहुँचा करता है। इन ग्रन्थियों की अधिक सक्रियता या निष्क्रियता व्यक्तित्व के शरीर की आकृति, गठन, संवेदनशीलता तथा बुद्धि आदि को प्रभावित करती है और अन्ततः उसका व्यक्तित्व प्रभावित होता है।
(ii) स्नायु मण्डल (Nervous System) - प्रत्येक व्यक्ति को स्नायु मण्डल जन्म से ही प्राप्त होता है। जिस व्यक्ति का स्नायु मण्डल जितना ही सुव्यवस्थित तथा विकसित होगा उसका व्यक्तित्व उतना ही अधिक अच्छा होगा क्योंकि विकसित स्नायु मण्डल ही समस्त मानसिक क्रियाओं को ठीक से चलने के लिए उत्तरदायी होता है। यदि किसी व्यक्तित्व के स्नायु मण्डल का विकास ठीक से नहीं हो तो वह शारीरिक एवं मानसिक क्रियायें सुव्यवस्थित ढंग से नहीं हो पाती हैं।
(iii) शारीरिक रचना तथा स्वास्थ्य (Body Construction and Health) - प्रत्येक व्यक्ति के व्यवस्थित व्यक्तित्व विकास में शारीरिक रचना एवं स्वास्थ्य का बहुत प्रभाव पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति की रचना सुन्दर तथा आकर्षक है और उसका स्वास्थ्य भी अच्छा है तो उसमें सर्वश्रेष्ठ भाव तथा आत्मविश्वास के गुण विकसित होंगे।
2. वातावरण ( Environment) -  वातावरण के अन्तर्गत मुख्य रूप से तीन प्रकार के वातावरण आते हैं, जिन्हें हम निम्न प्रकार से प्रस्तुत कर सकते हैं
(i) भौतिक वातावरण (Physical Environment) - व्यक्ति पर वातावरण का प्रभाव बहुत पड़ता है। भौतिक दृष्टि से ठंडी जलवायु क्षेत्र के लोग सुन्दर, स्वस्थ तथा परिश्रमी एवं बुद्धिमान होते हैं। इसके विपरीत अधिक गर्मी वाले क्षेत्रों के लोग आलसी, अस्वस्थ एवं कुरूप होते हैं। विकास में भौतिक अथवा प्राकृतिक वातावरण को महत्वहीन नहीं समझा जा सकता है।
(ii) सामाजिक वातावरण (Social Environment) - सामाजिक वातावरण के अन्तर्गत कई बातें आती हैं जिनमें प्रमुख निम्न हैं
(a) परिवार (Family) - परिवार में माता-पिता छोटे-बड़े भाई-बहिन तथा अन्य सदस्य आते हैं। इन सभी सदस्यों के व्यवहार तथा पारिवारिक वातावरण का बालक के व्यक्तित्वं पर बहुत प्रभाव पड़ता है। शान्त स्नेहपूर्ण पारिवारिक वातावरण का व्यक्तित्व पर अच्छा तथा कलहपूर्ण वातावरण का व्यक्तित्व पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

(b) विद्यालय (School) - विद्यालय बालक के व्यक्तित्व के विकास में सहयोग करने वाला महत्वपूर्ण कारक है।
(c) पास-पड़ोस (Neighbourhood ) - बच्चों में खेलों की स्वाभाविक प्रकृति पायी जाती है। जिसके कारण वे अपने पास-पड़ोस के बच्चों से बड़ी जल्दी निकट सम्पर्क स्थापित कर लेते हैं, इस तरह सभ्य तथा शिष्ट बच्चों का साथ उनमें शिष्टता तथा सभ्यता एवं गन्दे बच्चों का साथ गन्दी आदतें निर्माण करता है। इस प्रकार उसका व्यक्तित्व प्रभावित होता है।
(d) आर्थिक स्तर (Economic Status) - आर्थिक स्थिति तथा स्तर का व्यक्तित्व पर बहुत प्रभाव पड़ता है। गरीब परिवार के बालकों में हीन भाव तथा असुरक्षा का भाव पैदा हो जाता
है।
(iii) सांस्कृतिक वातावरण (Cultural Environment) - बालक जिस प्रकार की संस्कृति में पला होता है उसका व्यक्तित्व उसी प्रकार का हो जाता है। प्रत्येक देश या समाज की अपनी संस्कृति होती है। वह अपनी संस्कृति की छाप अपने आगे की पीढ़ी पर छोड़ता है जिससे लोगों का व्यक्तित्व प्रभावित होता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

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