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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।

उत्तर -

संवेगात्मक बुद्धि का विचार हावर्ड गार्नर (Howard Garner, 1983) के बहुगुणक बुद्धि सिद्धान्त से उत्पन्न हुआ है। हावर्ड ने अपने सिद्धान्त में बुद्धि के सात प्रकारों का वर्णन किया है। ये सभी प्रकार की बुद्धि अपने-आप में स्वतन्त्र होती हैं तथा प्रत्येक का अपन स्वाभाविक ढाँचा होता है। इनमें से दो प्रकार की बुद्धि आन्तरवैयक्तिक बुद्धि ( Intrapersonal Intelligence) तथा अन्तरवैयक्तिक बुद्धि ( Interpersonal Intelligence) को कुछ मनोवैज्ञानिकों ने संवेगात्मक बुद्धि माना है। इन दोनों प्रकार की बुद्धि का उपयोग अपने एवं दूसरों के संवेगों को शुद्ध रूप से पहचानने, अपने संवेगों को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने तथा स्वयं के एवं दूसरें के संवेगों को नियमित करने के लिये किया जाता है। इस विचार के जनक गोलेमैन ( Goleman, 1995 ) तथा मेयर एवं सैलोवे (Mayer & Salovey- 1997) है। यह बुद्धि बुद्धिलब्धि परीक्षणों से पूर्णतः भिन्न होती है।

डेनियल गोलेमैन (Daniel Goleman 1995, 1998 ) का तर्क था कि इस प्रकार की बुद्धि खुशहाल एवं उत्पादनशील जीवन के लिए बुद्धिलब्धि की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस प्रकार की संवेगात्मक बुद्धि को संवेगात्मक लब्धि (Emotional Quotient or EQ) नाम दिया तथा इसे गुणों के समूह या जीवन के संवेगात्मक पक्ष से सम्बन्धित योग्यता के रूप में परिभाषित किया। संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य अपनी स्वयं की भावनाओं को समझने की क्षमता, दूसरों की भावनाओं को समझने की क्षमता, स्वयं को प्रेरित करने की योग्यता, तथा स्वयं से सम्बन्धित लोगों के प्रबन्धन की योग्यता से है।

पीटर सैलोवे एवं जॉन मेयर (1994) ने संवेगात्मक बुद्धि को परिभाषित करते हुए कहा है कि, "संवेगात्मक बुद्धि एक शब्द है जो व्यक्ति की स्वयं की एवं दूसरों की भावनाओं को समझने, उसे नियमित करने तथा भावनाओं का विचारों एवं कार्यों को निर्देशित करने की योग्यता को प्रदर्शित करता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संवेगात्मक बुद्धि से तात्पर्य व्यक्ति की उस योग्यता से है जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं की तथा दूसरे लोगों की संवेगात्मक स्थिति को समझता है ओर प्राप्त सूचनाओं को सम्बन्धों में बुद्धिमत्तापूर्वक प्रयोग करता है।

संवेगात्मक बुद्धि योग्यता का वर्णन शैक्षणिक बुद्धि से भिन्न परन्तु उसके पूरक के रूप में करती है तथा यह पूर्णतः संज्ञानात्मक क्षमताओं की व्याख्या करती है तथा इसका मापन बुद्धिलब्धि परीक्षणों के द्वारा किया जाता है। संवेगात्मक बुद्धि उन योग्यताओं एवं विशेषताओं का वर्णन करती है जो व्यक्ति को प्रेरित करने, हताशा का सामना करने, भावनाओं को नियंत्रित करने, असंतोष को विलम्बित करने, भावों को नियमित करने, निराशा को हटाकर आशापूर्ण ढंग से विचार करने में सहायता करती हैं। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि उन योग्यताओं एवं विशेषताओं का वर्णन करती है जो व्यक्ति को प्रेरित करने, हताशा का सामाना करने, भावनाओं को नियश्रित करने, असंतोष को विलम्बित करने, भावों को नियमित करने, निराशय को हटाकर आशापूर्ण ढंग से विचार करने में सहायता करती है। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि इस तथ्य की पहचान करती है बुद्धि परीक्षणों तथा मानवीकृत उपलब्धि परीक्षणों द्वारा मापी गयी मष्तिष्क की शक्ति व्यक्ति की जीवन में सफलता के लिए आवश्यक रूप से इतनी महत्वपूर्ण नहीं होती हैं जितनी संवेगात्मक बुद्धि होती है।

गोलेमैन (1995) ने संवेगात्मक बुद्धि का विश्लेषण करते हुए कहा है कि बौद्धिक एवं संवेगात्मक बुद्धि दो भिन्न प्रकार की बुद्धि होती हैं और मष्तिष्क के भिन्न-भिन्न भागों की गतिविधियों को संचालित करती हैं। बौद्धिक बुद्धि पूरी तरह से नववल्कुट (Neo Cortex) के कार्यों पर आश्रित होती हैं। यह भाग मस्तिष्क सबसे ऊपरी हिस्से में स्थित होता है जबकि संवेगात्मक बुद्धि का सम्बन्ध अपेक्षाकृत निचले भाग उपवल्कुट ( Sub-cortex) से होता है। कुछ मामलों में पाया गया है कि सिर पर चोट लगने के कारण संवेगात्मक बुद्धि में कमी आने पर भी बौद्धिक बुद्धि सुरक्षित बनी रहती है।

वर्तमान में संवेगात्मक बुद्धि का विशेषरूप से मापन करने के लिये परीक्षणों का विकास करने की दिशा में निरन्तर अनुसंधान किये जा रहे हैं। संवेगों का अध्ययन करने वाले मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जो व्यक्ति उच्च संवेगात्मक बुद्धि वाले होते हैं, वे सहयोगात्मक परिस्थितियों में बेहतर ढंग से कार्य करते हैं तथा दूसरों को प्राप्त करने तथा उनका प्रबन्धन करने में अधिक कुशल होते हैं, जो लोग निम्न संवेगात्मक बुद्धि वाले होते हैं वे संवेगात्मक संकेतों को समझने मे अक्सर गलती करते हैं और उन्हें आपसी सम्बन्धों में कठिनाई होती है। यद्यपि संवेगात्मक बुद्धि सम्भवतः अनुवांशिक तत्व है, फिर भी बहुत से मनोवैज्ञानिकों को यह मानना है किं लोगों को उनको संवेगात्मक बुद्धि का सही ढंग से प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।

संवेगात्मक बुद्धि के अंग
(Parts of Emotional Intelligence)

डेनियल गोलेमैन ने संवेगात्मक बुद्धि के निम्नलिखित पाँच प्रमुख अंगों का वर्णन किया है-

1. अपने स्वयं के संवेगों को जानना ( Knowing our Own Emotions) - संवेग प्रायः शक्ति शाली प्रतिक्रियाओं के रूप में होते हैं अतः प्रथम दृष्टि में यह लगता है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वयं के संवेगों को समझने में सक्षम होना चाहिए। वास्तव में हमेशा नहीं होता है। कुछ लोग अपने संवेगों को समझने में अत्यधिक सक्षम होते हैं तथा उनके प्रति अपने विचारों को स्पष्ट रूप से समझ पाते हैं। जबकि कुछ लोग इसके बारे में पूर्णतः अनिभिज्ञ होते हैं। कभी-कभी व्यक्ति अपने स्वयं के भावों को नहीं समझ पाता है अतः वह अपनी भावनाओं को व्यक्त भी नहीं कर पाता है जिसके कारण उसके अन्तरवैयक्तिक सम्बन्ध प्रभावित होते हैं अतः स्पष्ट है कि अपने भावों को जानना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस तत्व के अन्तर्गत संवेगों को समझना, उन्हे व्यक्त करना तथा समय के साथ-साथ संवेगों में परिवर्तन तथा विभिन्न संवेगों का पूर्वानुमान आदि आते हैं।

2. अपने संवेगों का प्रबन्धन (Managing our Own Emotions) (Jillmann, 1996) -  जिलमैन के अनुसार हम अपने संवेगों को वैकल्पिक रणनीतियों के रूप में नियमित करते हैं जिससे हम विभिन्न परिस्थितियों में उनका भिन्न-भिन्न रूप में प्रयोग कर सकें। हम अपने संवेगों को उनकी प्रकृति, तीव्रता और रूप के अनुसार संचालित करते हैं। ऐसा करना न केवल हमारे अपने स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है बल्कि दूसरों के साथ प्रभावपूर्ण प्रतिक्रिया करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

3. स्वयं को प्रेरित करना (Motivating Ourselves) - इसके अन्तर्गत कठिन परिश्रम एवं संवेगात्मक बुद्धि के अन्य पक्ष आते हैं जैसे किसी कार्य को करने के लिए स्वयं को प्रेरित करना, कठिन परिश्रम करना, उत्साह बनाये रखना, परिणाम के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण, असंतोष को विलम्बित करना, छोटे पुरस्कारों की अवहेलना करना जिससे बड़ा पुरस्कार प्राप्त हो सके आदि आते हैं। इस कला में श्रेष्ठता निश्चित रूप से विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाती है।

4. दूसरों के संवेगों को पहचानना तथा प्रभावित करना (Recognizing and influening Others Emotions) - संवेगात्मक बुद्धि का एक अन्य महत्वपूर्ण पक्ष दूसरों को शुद्ध रूप से जानना है। उनके विभिन्न मूड को पहचानना, उनके संवेगों को पहचानना आदि संवेगात्मक बुद्धि के लिए आवश्यक हैं। यह जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में सफलता पाने के लिए आवश्यक है।

5. सम्बन्धों का निर्वाह ( Handling Relationships) - कुछ लोग दूसरों को प्रभावित करने में पर्याप्त कुशल होते हैं। अधिकांश लोग जो उनसे मिलते है उन्हें पसन्द करते हैं उनके बहुत से मित्र होते हैं तथा वे जीवन में उच्च स्तर की सफलता प्राप्त करते हैं। अंतर्वैयक्तिक सम्बन्धों का ज्ञान अति आवश्यक है और यह बौद्धिक बुद्धि से भिन्न होती है। -

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

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