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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2799
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?

उत्तर -

किसी शैक्षिक आकलन प्रक्रिया के लिए यह आवश्यक है कि वह विद्यार्थियों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों का ठीक ढंग से आकलन कर सके। आकलन एक सतत् प्रक्रिया है, इसलिए इसमें अनेक क्रियाओं का होना स्वाभाविक है। विभिन्न विषय के शिक्षण के भिन्न-भिन्न उद्देश्य होते हैं तथा इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अलग-अलग प्रकार की अधिगम क्रियाओं के फलस्वरूप विद्यार्थियों के व्यवहारों में होने वाले परिवर्तनों का मापन करना सामान्य प्रक्रिया नहीं है। इसलिए आकलन प्रक्रिया को विभिन्न सोपानों में बाँटा जाता है। ये सोपान मुख्यतः तीन हैं। उद्देश्यों का निर्धारण करना, अधिगम क्रियाओं का आयोजन तथा आकलन, आकलन की प्रक्रिया के तीनों सोपानों तथा उपसोपानों को निम्नानुसार क्रमबद्ध रूप में बाँटा जा सकता है।

1. उद्देश्यों का निर्धारण-

(i) सामान्य उद्देश्यों का निर्धारण करना। -
(ii) विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण करना व परिभाषीकरण करना।

2. अधिगम क्रियाओं का आयोजन- 

(iii) शिक्षण बिन्दुओं का चयन करना।
(iv) उपयुक्त अधिगम क्रियाओं का आयोजन करना।

3. आकलन- 

(v) विद्यार्थियों के व्यवहार परिवर्तन को ज्ञात करना।
(vi) प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर आकलन करना।
(vii) परिणामों को पृष्ठ पोषण के रूप में प्रयुक्त करना।

आकलन प्रक्रिया का पहला कदम यह ज्ञात करना है कि किसका करना है। अर्थात् शैक्षिक उद्देश्य कौन-से हैं जिनकी प्राप्ति की वांछनीयता को ज्ञात करना है। शैक्षिक उद्देश्यों को शिक्षण के सामान्य उद्देश्य कहा जाता है। निश्चय ही ये उद्देश्य व्यापक तथा शिक्षा के अन्तिम लक्ष्य होते हैं जिनकी प्राप्ति किसी शिक्षक का एक सामान्यतया दूरगामी लक्ष्य होता है तथा इन्हें लम्बी अवधि में प्राप्त किया जाना सम्भव होता है। परन्तु दैनिक शिक्षण कार्य करते समय शिक्षक के मस्तिष्क में अवश्य ही कुछ तात्कालिक प्राप्य उद्देश्य रहते हैं।

यही विशिष्ट उद्देश्य विद्यार्थियों में लाये जाने वाले व्यवहार परिवर्तन को इंगित करते हैं तथा सामान्य उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर उन्मुख होते हैं। सामान्य उद्देश्यों की अपेक्षा विशिष्ट उद्देश्य कुछ संकुचित प्रत्यक्ष तथा कार्यपरक होते हैं। ये व्यवहारिकता पर आधारित होते हैं तथा अल्प अवधि में इन्हें प्राप्त किया जा सकता है।

आकलन प्रक्रिया के तीसरे सोपान में उन शिक्षण बिन्दुओं को निर्धारित किया जाता है जिनके द्वारा विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है। पाठ्यवस्तु के छोटे-छोटे भाग जो अपने आप में शिक्षण की एक संक्षिप्त परन्तु पूर्ण इकाई होते हैं शिक्षण बिन्दु कहलाते हैं। इन शिक्षण बिन्दुओं का अनुसरण करके ही शिक्षक अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है। ये शिक्षण बिन्दु शिक्षक को शिक्षण योजना बनाने में भी अत्यधिक सहायक होते हैं। शिक्षण बिन्दुओं का चयन करने के बाद शिक्षक का कार्य वास्तविक रूप से अधिगम क्रियाओं का आयोजन करना है। अधिगम क्रियाएँ अनेक प्रकार से विद्यार्थियों के सम्मुख प्रस्तुत की जा सकती हैं तथा इन्हीं क्रियाओं के फलस्वरूप विद्यार्थियों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन होते हैं। ये क्रियाएँ कक्षा शिक्षण, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, रेडियो, दूरदर्शन, जनसंचार साधनों, चलचित्र, भ्रमण आदि के रूप में प्रस्तुत की जा सकती हैं।

अधिगम क्रियाओं के परिणामस्वरूप विद्यार्थियों के व्यवहार में होने वाले परिवर्तनों को ज्ञात करना आकलन का पाँचवा सोपान है। इसके लिए कुछ ऐसे परीक्षणों या अन्य युक्तियों का प्रयोग करना होता है जो अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन की सीमा का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ज्ञान प्रदान कर सके। अलग-अलग प्रकार के व्यंवहार परिवर्तनों को मापने के लिए अलग-अलग युक्तियों या उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। जैसे सम्प्राप्ति परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण, बुद्धि परीक्षण, निदानात्मक परीक्षण, साक्षात्कार, प्रश्नावली, समाजमिती, प्रायोगिक परीक्षण, विद्यालयी संचयी अभिलेख आदि का प्रयोग करके विद्यार्थियों के व्यवहार में आये परिवर्तनों को ज्ञात किया जा सकता है। व्यवहार परिवर्तनों का ज्ञात करने के उपरान्त इन व्यवहार परिवर्तनों की वांछनीयता के सापेक्ष व्याख्या की जाती है। इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों में आये हुए परिवर्तनों की तुलना अपेक्षित व्यवहार परिवर्तनों में की जाती है। यदि आये हुए परिवर्तन अपेक्षित व्यवहार परिवर्तनों के काफी निकट होते हैं तो शिक्षण कार्य को सन्तोषप्रद कहा जा सकता है। परन्तु यह ध्यान रखने की बात है कि विद्यार्थियों के व्यवहार में शत-प्रतिशत वांछित परिवर्तन लाना तथा शत-प्रतिशत विद्यार्थियों में लाना एक असम्भव कार्य है। इसलिए व्यवहार परिवर्तनों की प्राप्ति के सम्बन्ध में न्यूनतम स्तर निर्धारित किया जा सकता है। यह न्यूनतम स्तर दो प्रकार का हो सकता है कक्षा न्यूनतम स्तर तथा विद्यार्थी न्यूनतम स्तर।

आकलन प्रक्रिया का अन्तिम सोपान प्राप्त परिणामों को पृष्ठपोषण के रूप में प्रयोग करना है। यदि शिक्षक को आकलन से ज्ञात होता है कि शिक्षण विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं हुई है तो प्राप्त परिणामों के आधार पर अपने शिक्षण कार्य में सुधार करता है, अधिगम क्रियाएँ आयोजित करता है, से व्यवहार परिवर्तनों का मापन करता है तथा आकलन करता है। यह क्रिया चक्रीय क्रम में तब तक चलती है जब तक अपेक्षित उद्देश्यों की प्राप्ति नहीं हो जाती है। इस प्रकार से आंकलन के परिणाम शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक पृष्ठपोषण प्रदान करते हैं तथा अन्ततः उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक सिद्ध होते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
  7. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
  8. प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
  9. प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
  10. प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
  13. प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  14. प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
  15. प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
  17. प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  18. प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
  20. प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
  21. प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
  23. प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
  24. प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  26. प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
  27. प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
  29. प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
  30. प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
  33. प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
  34. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
  36. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
  37. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
  38. प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  39. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
  41. प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  43. प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  44. प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  45. प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
  46. प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
  47. प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
  48. प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
  53. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
  56. प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
  57. प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
  61. प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
  62. प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
  64. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
  65. प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
  66. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  67. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
  68. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
  69. प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
  70. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
  71. प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  72. प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
  73. प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
  76. प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
  77. प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
  78. प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
  82. प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
  83. प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  84. प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
  85. प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
  87. प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
  88. प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  90. प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
  92. प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
  93. प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
  94. प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' ( OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के प्रकार तथा गुण-दोष बताइए।
  97. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के गुण बताइए।
  98. प्रश्न- प्रक्षेपी प्रविधियों के दोष बताइए।
  99. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
  101. प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
  102. प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।

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