बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शिक्षाशास्त्र - शैक्षिक आकलन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
अथवा
आकलन के क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
अथवा
शिक्षण में आकलन की आवश्यकता क्या है?
अथवा
शिक्षा अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
(Scope of Assessment)
आज का युग कार्य एवं परिणामों का युग है। प्रत्येक क्षेत्र के अन्तर्गत किये जाने वाले कार्यों का परिणाम ज्ञात करना अति आवश्यक होता है। मनुष्य इन्हीं परिणामों के आधार पर अपने नियोजन एवं भावी रणनीतियों का निर्माण करते हुए सफलता एवं उपलब्धि को प्राप्त करता है। आकलन शब्द का प्रयोग विस्तृत रूप में किया जाता है। आज मानव ने जितना विकास किया है उसके विकास के किसी न किसी स्तर पर आकलन का प्रयोग अवश्य हुआ है चाहे वह मानसिक, शारीरिक, बौद्धिक, सांस्कृतिक, औद्योगिक अथवा तकनीकी स्तर पर विकास हो। इस प्रकार आकलन का एक विस्तृत क्षेत्र है जो निम्नलिखित है -
1. शैक्षिक उपलब्धियों का पता लगाने में - छात्रों की शैक्षिक उपलब्धियों को ज्ञात करने के लिए आकलन का प्रयोग किया जाता है। शिक्षक छात्रों की पूर्व उपलब्धियों तथा शिक्षण के समय विभिन्न विधियों के माध्यम से उसका आकलन कर उसके अधिगम स्तरं को ज्ञात करता है। छात्रों के अतिरिक्त आकलन का प्रयोग शिक्षकों की उपलब्धियों को ज्ञात करने हेतु भी किया जाता है। इस प्रकार आकलन का उद्देश्य छात्रों एवं शिक्षकों के ज्ञान एवं कौशल का पता लगाता है।
2. वैयक्तिक विभिन्नता ज्ञात करने में - एक कक्षा-कक्ष में विभिन्न वैयक्तिक विभिन्नता वाले छात्र उपस्थित होते हैं। अतः शिक्षक का कर्त्तव्य होता है कि वह प्रत्येक छात्र की व्यक्तिगत भिन्नता की पहचान कर उसे उचित विधि के माध्यम से अधिगम प्रदान करे। इसके लिए शिक्षक कक्षा में अनेक क्रियाओं एवं गतिविधियों को आयोजित करके माध्यम से उसकी रुचि क्षमता एवं योग्यता जानने का प्रयत्न करता है।
3. अनुसंधान करने हेतु - किसी भी वस्तु पर अनुसंधान तभी प्रारम्भ किया जा सकता है जब उसके बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध हो। उस वस्तु के बारे में आँकड़े एकत्रित करने के लिए भी हम आकलन का प्रयोग कर सकते हैं। यदि हमें प्राचीन संस्कृति पर अनुसंधान कार्य करना है तो इसके लिए हमें विभिन्न ग्रन्थों, पुस्तकों, स्थानों आदि से प्राप्त जानकारियों का आकलन करने के पश्चात् ही उस विषय पर अनुसंधान कार्य प्रारम्भ कर सकते हैं।
4. पूर्वानुमान लगाने हेतु - पूर्वानुमान लगाने हेतु भी आकलन का प्रयोग किया जाता है। किसी भी वस्तु या परिस्थिति का आकलन करने के पश्चात् उससे सम्बन्धी पूर्वानुमान या पूर्वाग्रह का निर्माण किया जाता है। जैसे- मौसम विभाग पूर्व तथा वर्तमान के मौसम का आकलन करके ही आगे के मौसम के सम्बन्ध में भविष्यवाणी करते हैं। ठीक इसी प्रकार एक डाक्टर अपने मरीज के बताए गये लक्षणों के आधार पर आकलन करके उसकी बीमारी का पूर्वानुमान लगाकर ही उसका उपचार प्रारम्भ करता है।
5. स्थान निर्धारित करने में आकलन का प्रयोग - किसी संस्था एवं छात्र का स्थान निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है। आकलन का प्रयोग विभिन्न संस्थानों का जिला स्तर, राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर स्थान निर्धारित करने के लिए किया जाता है। आकलन के द्वारा यह ज्ञात किया जाता है कि वह संस्थान या छात्र निधारित मानकों या उद्देश्यों की पूर्ति कर रहे हैं अथवा नहीं। उसके पश्चात् ज्ञात सूचनाओं के आधार पर उन्हें विभिन्न ग्रेड प्रदान किये जाते हैं।
6. गुणवत्ता का निर्धारण करने में - जैसा की नाम से ज्ञात होता है कि इसका अर्थ है किस व्यावसायिक व शैक्षिक संस्थान या व्यक्ति में प्रदर्शन की गुणवत्ताओं का आकलन करना जो सेवाएँ वह उपलब्ध करवा रहे हैं। आकलन का प्रयोग किसी उद्योग, विद्यालय, शिक्षक या डॉक्टर आदि किसी को भी गुणवत्ता की जाँच करने हेतु किया जाता है।
शिक्षा में आकलन की आवश्यकता
शिक्षा में आकलन का उपयोग विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसकी आवश्यकता निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर समझी जा सकती हैं-
1. विभिन्न विषय क्षेत्रों के बारे में सीख सकें व कुशलता प्राप्त करें।
2. विभिन्न विषय क्षेत्रों में उपलब्धि स्तर तक पहुँच सकें।
3. एक स्वस्थ्य एवं उपयोगी जीवन जी सकें।
4. अपनी रुचियों, अभिरुचियों, प्रेरणा एवं कौशलों का विकास करें।
5. समय के साथ आने वाले बदलावों (अधिगम, व्यवहार, प्रगति) की जाँच कर सकें, उनके अनुसार समायोजन कर सकें।
6. स्कूल के अन्दर व बाहर होने वाली गतिविधियों एवं अवसरों पर प्रतिक्रिया दें।
7. जो सीखा गया है, उसे विभिन्न वातावरण एवं स्थितियों में लागू कर सकें।
8. आत्म विश्लेषण एवं स्व-मूल्यांकन कर सकें।
9. सामाजिक एवं वातावरण के मुददों के बारे में जागरूक बन सकें।
10. सामाजिक एवं वातावरण सम्बन्धित गतिविधियों में भाग ले सकें।
11. जो भी सीखें, उसे एक लम्बे समय तक याद रख सकें।
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका
छात्रों में अधिगम पश्चात् उपलब्धि से सम्बन्धित साक्ष्यों को संकलित करने की प्रक्रिया परीक्षा कहलाती है। परीक्षा में लिखित, मौखिक एवं प्रायोगिक परीक्षाएँ सम्मिलित हैं। परीक्षा शैक्षिक सत्र पर्यन्त चलती है जो छात्र के मानसिक विकास तथा अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित करने में सहायता प्रदान करती है। यह छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि की प्रगति का मूल्यांकन करती है तथा शिक्षकों को छात्रों की कक्षोन्नति करने में सहायता मिलती है। शिक्षण प्रक्रिया में आकलन छात्रों को शैक्षिक कठिनाइयों, कमियों एवं दुर्बलताओं की जानकारी को खोजने में सहायता प्रदान करता है तथा उनके उपचारात्मक शिक्षण के माध्यम से कमियों को दूर करने का मार्ग प्रशस्त करता है। अनुसंधान के क्षेत्र में शिक्षण से सम्बन्धित शोध कार्य हेतु निष्कर्ष निकालने के लिए आकलन आँकड़े प्रदान करता है तथा भविष्य के लिए पूर्व कथन भी किया जाता है। शैक्षिक दर्शन के अनुसार शिक्षा एक त्रिध्रुवीय प्रक्रिया है इसमें शिक्षक शिक्षार्थी एवं पाठ्यक्रम तीनों आपस में अन्तर्सम्बन्धित हैं। अधिगम की प्रक्रिया से बालक नये ज्ञान एवं अनुभवों_ को सीखता है तथा अपने व्यवहार में उचित एवं वांछनीय परिवर्तन लाता है। साथ ही साथ पाठ्यक्रम के शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति हो जाती है। शिक्षण की प्रक्रिया छात्र के ज्ञान, अधिगम क्षमता, अवरोध कौशल, रुचि इत्यादि को ध्यान में रखकर की जाती है।
विद्यार्थियों के शिक्षण अधिगम के पश्चात् अर्जित ज्ञान एवं वांछित व्यवहार परिवर्तन का आकलन मूल्यांकन के माध्यम से किया जाता है। मूल्यांकन के माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति के बारे में पता लगाया जा सकता है। साथ ही मूल्यांकन पाठ को सुनियोजित तरीके से प्रस्तुत करने हेतु भी शिक्षक को प्रेरित करता है ताकि छात्र अधिक से अधिक सीख सके और उनके अनुभवों में वृद्धि हो सके।
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- प्रश्न- शिक्षा में मापन के अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक मापन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की उपयोगिता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की अवधारणा एवं अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी उपयोगिता भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए !
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन की उपयोगिता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन और मूल्यांकन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्याँकन में क्या अन्तर है? शिक्षा में इनकी क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा में मूल्यांकन के उद्देश्य और कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आकलन क्या है तथा आकलन क्यों किया जाता है? विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं के आधार पर परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के क्षेत्र उनकी आवश्यकता तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में आकलन के प्रकार तथा इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आकलन के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आकलन प्रक्रिया के सोपान कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भौतिक तथा मानसिक मापन क्या होता है? इनका तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्यों तथा उसके स्वरूप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अच्छे मापन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मापन कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- शैक्षिक मापन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मापन के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- मापन एवं मूल्यांकन के विशिष्ट उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- सतत् तथा व्यापक मूल्यांकन का क्या महत्त्व है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् और व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण मानक को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- मानक से आप क्या समझते हैं? ये कितने प्रकार के होते है? अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- मानक कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- अच्छे मानकों की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अंकन तथा ग्रेडिंग प्रणाली का अर्थ बताते हुए दोनों के बीच क्या अन्तर है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रचलित क्रेडिट सिस्टम क्या है? इसके लाभ और हानि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानक परीक्षण 'मानक' क्या होते हैं?
- प्रश्न- मानक क्या है? मानकों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से क्या आशय है? इसके उद्देश्य एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- उपलब्धि परीक्षणों का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताइये।
- प्रश्न- प्रमापीकृत परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण से आप क्या समझते हैं? एक अच्छे परीक्षण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक अच्छे परीक्षण की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण की प्रकृति के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के द्वारा मापे जा रहे गुणों के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- परीक्षण के प्रशासन के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- परीक्षणों में प्रयुक्त प्रश्नों के आधार पर परीक्षणों के विभिन्न प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- प्रश्नों के उत्तर के फलांकन के आधार पर परीक्षणों का वर्गीकरण, कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षण में लगने वाले समय के आधार पर परीक्षणों के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- "निबन्धात्मक परीक्षण की कमियों को दूर करने के लिए वस्तुनिष्ठ परीक्षण की आवश्यकता है।" इस कथन के सन्दर्भ में वस्तुनिष्ठ परीक्षण की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निबन्धात्मक परीक्षाओं के दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसके उद्देश्य, गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रमुख दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परीक्षणों का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- मापीकृत उपलब्धि परीक्षण और अध्यापककृत उपलब्धि परीक्षणों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रत्यय / अवधारणा को बताते हुए उसके अर्थ एवं परिभाषा तथा बुद्धि की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तिगत एवं सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? व्यक्तिगत तथा सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ एवं सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण की सीमायें बताइये।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण की सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं? संवेगात्मक लब्धि के विचार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक एवं अशाब्दिक बुद्धि परीक्षणों के अंतर को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? उनका निर्धारण कैसे होता है? व्यक्तित्व की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के जैविक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।-
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
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- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व सूचियाँ क्या होती हैं तथा इसके ऐतिहासिक विकास क्रम के बारे में समझाइए?
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- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियाँ किसे कहते हैं? इनका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रक्षेपी विधियों की प्रकृति तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अभिक्षमता क्या है? परिभाषा भी दीजिए तथा अभिक्षमता कितने प्रकार की होती है? अभिक्षमता की विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- अभिक्षमता परीक्षण के मापन पर प्रकाश डालिए।