बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
उत्तर -
प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के अभाव में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के नियन्त्रणों का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता। न्यायालय की निष्पक्षता के कारण सार्वजनिक हित को केवल इसी के माध्यम से सुरक्षित रखा जा सकता है। न्यायिक नियन्त्रण का उद्देश्य यह होता है कि प्रशासकीय कार्यों की वैधता के बारे में निश्चित हुआ जा सके और सत्ता के किसी भी अवैधानिक उपयोग से नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके। कल्याणकारी राज्य में प्रशासन की शक्तियों में जो असीमित बढ़ोत्तरी हुई है इससे सत्ता के दुरुपयोग की सम्भावनाएँ अधिक हो गई हैं।
प्रशासन व्यवस्थापिका द्वारा बनाई गई नीतियों के अनुसार काम करता है। ये नीतियाँ विभिन्न विधियों में व्यक्त होती हैं। ये विधियाँ जनता के विभिन्न अधिकारों के अनुकूल ही रहती हैं। किन्तु यह सम्भावना हमेशा बनी रहती हैं कि जनहित को सुरक्षित रखने वाले संविधान का कहीं पर किसी प्रकार जाने-अनजाने में उल्लंघन करके विधियाँ बन जाएं। यह सम्भावना इसलिए बनी रहती है कि नीति को व्यक्त करने के लिए विधि को निर्मित करते समय यह सभावना रहती है कि व्यवस्थापिका संविधान के उचित अर्थ को ग्रहण नहीं कर पा रही है। इसी तरह यह भी सम्भव है कि उक्त विधि व्यवस्थापिका के क्षेत्राधिकार के बाहर ही इसी प्रकार जब प्रशासन विधि को व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करने लगता है तब यह सम्भावना बनी रहती है कि प्रशासन ने विधि का जो अर्थ ग्रहण किया है वह संविधान के प्रतिकूल हो अथवा विधि का व्यावहारिक स्वरूप विधि के वांछित उद्देश्य से अधिक व्यापक हो रहा हो तथा इस व्यापकता के परिणामस्वरूप जनता के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हो। यह भी संभव है कि प्रशासन अपने व्यवहार में तथ्य-मूलक भ्रान्तियाँ कर रहा हो। ये सब कुछ ऐसी सम्भावनाएँ हैं जिनके समाधान के लिए प्रशासन पर नियन्त्रण की आवश्यकता बनी रहती है।
न्यायालय पाँच अवसरों पर प्रशासन के कार्यों को अवैध घोषित कर सकते हैं-
(1) विवेक का अनुचित प्रयोग (Abuse of Discretion)
(2) अधिकार क्षेत्र का अभाव (Lack of Jurisdiction)
(3) विधि की त्रुटि (Error of Law)
(4) तथ्य प्राप्ति में त्रुटि (Error in the finding of fact)
(5) कार्य-पद्धति की त्रुटियाँ (Errors of Procedure)
विवेक का अनुचित प्रयोग - जब कोई प्रशासनिक अधिकारी अपनी शक्ति अधिकारों की योग्यता का अनुचित प्रयोग करने लगता है और सार्वजनिक हित के विपरीत आचरण करने लगता है तब उसे नियन्त्रित करना आवश्यक हो जाता है। ऐसे अनेक अवसर आते हैं जब प्रशासन के लोग अपनी शक्तियों, अधिकारों तथा विवेक का प्रयोग सार्वजनिक हित में न करके व्यक्तिगत हित में करने लगते हैं। इससे जन- सामान्य का हित बाधित होता है। ऐसी स्थिति में न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है।
(2) अधिकार क्षेत्र का अभाव - प्रशासन में सभी अधिकारों का कार्यक्षेत्र निश्चित रहता है। अधिकार क्षेत्र के बाहर किए जाने वाले कार्यों को अवैध माना जाता है और इसके लिए न्यायालय का हस्तक्षेप आवश्यक हो जाता है। प्रशासनिक अधिकारी प्रायः इसी भ्रम में बने रहते हैं कि उनका कार्यक्षेत्र कितना और किस सीमा तक है और उत्साह एवं उत्तेजना में वे उसका जाने-अनजाने अतिक्रमण करते रहते हैं जिससे अन्य व्यक्तियों के हित प्रभावित होते हैं और लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। तब ऐसे में न्यायालय के हस्तक्षेप से स्थिति को स्पष्ट किया जाता है।
(3) विधि की त्रुटि - कानून की त्रुटियों को भी न्यायालय के द्वारा एवं न्यायिक नियन्त्रण एवं न्यायिक प्रक्रिया के द्वारा ठीक किया जाता है। जब प्रशासन कानून को गलत तरीके एवं त्रुटिपूर्ण तरीके से प्रयोग करता है तब न्यायालयों का यह दायित्व होता है कि वह अपने हस्तक्षेप के द्वारा उक्त त्रुटि को दूर करने का प्रयत्न करे क्योंकि इससे जहाँ एक और न्याय का दुरुपयोग होता है वहीं दूसरी ओर जनहित की उपेक्षा एवं उल्लंघन भी होता है।
(4) तथ्य पुष्टि में त्रुटि - प्रशासन की तथ्यमूलक त्रुटियों को भी न्यायालय के द्वारा ठीक किया जाता है। ऐसे मामलों में प्रशासनिक अधिकारी कानून को तो ठीक प्रकार से समझते हैं किन्तु व्यवहार में जहाँ उक्त कानून के अनुसार तथ्य नहीं हैं वहाँ भी यह मान लिया जाता है कि वे तथ्य हैं और इसके अनुसार काम किया जाये। इस प्रकार प्रशासनिक अधिकारी कानून की गलत तथा मनचाही व्याख्या करके अपने को उचित एवं सही ठहराने का प्रयास करता है। यही कारण है कि सार्वजनिक हित के सन्दर्भ में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होते और जन सामान्य का हित बाधित होता है और फिर न्यायालय ही इस त्रुटि को दूर करने का कार्य करता है।
(5) कार्य-पद्धति की गल्तियाँ - यह प्रशासनिक विभागों में कार्य संचालन के लिए आवश्यक नियमावली होती है और प्रशासनिक कार्य-पद्धति का यह एक आवश्यक अंग होता है जिसका विशेष महत्व होता है। यदि उक्त नियमावली के विरुद्ध कार्य एवं व्यवहार होता है तो इससे जन-सामान्य के व्यक्तिगत हित प्रभावित होते हैं, उनमें बाधा पहुँचती है, जिसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। नियुक्ति, पदोन्नति, पदावनति और पदमुक्ति आदि सभी विभागीय नियमों के अनुसार ही होना चाहिए। प्रायः सक्षम अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए नियमों के विरुद्ध कार्य करने लगता है तब न्यायालय इसमें हस्तक्षेप करके जन-सामान्य को न्याय दिलाने का कार्य करता है। न्यायालय नियम विरुद्ध की गई किसी भी विभागीय कार्यवाही को परिवर्तित संशोधित एवं रद्द कर सकता है।
मुख्य रूप से यही वे आधार हैं जिनमें प्रशासन पर नियन्त्रण की आवश्यकता रहती है। ये दोषों दूर करने के उपचार नहीं हैं ये केवल परिस्थितियों को बतलाते हैं। उपचार का सम्बन्ध न्यायालय द्वारा प्राप्त विभिन्न प्रकार की कानूनी एवं विधिक सहायता से है जिससे व्यक्ति प्रशासन के खिलाफ अपनी सुरक्षा एवं अपने अधिकारों को संरक्षित एवं प्राप्त करता है।
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- प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
- प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
- प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
- प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
- प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
- प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
- प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
- प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
- प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
- प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
- प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
- प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
- प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
- प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
- प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
- प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
- प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
- प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
- प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
- प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।