बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन
प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक का योगदान
संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में - लूथर गुलिक और लिंडल उर्विक लोक प्रशासन के क्षेत्र में संगठन के सिद्धान्तों से सम्बन्धित पारम्परिक सिद्धान्त (Classical Theory) से सम्बन्धित हैं। इस दृष्टिकोण की सर्वाधिक चिन्ता का विषय संगठन के कुछ सार्वभौम सिद्धान्तों का निर्माण करना है। इस दृष्टिकोण की मूल मान्यता है कि लोक प्रशासन के क्षेत्र में कुछ सिद्धान्तों का विकास किया जा सकता है जिनके आधार पर किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक संगठन की स्थापना की जा सकती है। गुलिक एवं उर्विक इसी पारम्परिक दृष्टिकोण के अग्रणी विचारकों में शामिल हैं। इस सन्दर्भ में दोनों विचारकों के योगदान को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत भली प्रकार समझा जा सकता है -
(1) लूथर गुलिक का योगदान - लूथर गुलिक द्वारा संगठन के सिद्धान्तों के सन्दर्भ में 'पोस्डकोर्ब' का विधिवत् निरुपण व प्रतिपादन किया गया है। पोस्डकोर्ब' सात क्रियाओं की अंग्रेजी के प्राथमिक अक्षरों से मिलकर बना है, जोकि निम्नलिखित है-
POSDCoRB (पोस्डकोर्ब)
यहाँ
P = Planing (नियोजन)
0 = Organizing (संगठन बनाना)
S = Staffing (स्टाफ की भर्ती)
D = Directing (निर्देशन करना)
Co = Co-Ordinating (समन्वय करना)
R = Reporting (रिपोर्ट लेना)
B = Budgeting (बजट निर्माण)
इस प्रकार उपर्युक्त पोस्डकोर्ब' दृष्टिकोण के रूप में गुलिक ने संगठन के सर्वमान्य व अपरिहार्य सिद्धान्त के निर्माण का प्रयास किया। काफी हद तक यह सिद्धान्त संगठनों की संरचना व विकास की दृष्टि से सार्वदेशिक व प्रासंगिक भी प्रतीत होता है।
इसी क्रम में 1937 ई. में गुलिक द्वारा “प्रशासन के विज्ञान पर शोधपत्र" का प्रकाशन किया गया। इसे प्रबंधन के विज्ञान के विकास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाता है। संगठनों की संरचना के महत्व पर बल देते हुए गुलिक व उर्विक ने उन सिद्धान्तों की खोज में अपना ध्यान लगाया जिनके आधार पर संरचना बनाई जा सकती है।
इस सन्दर्भ में भी गुलिक ने संगठनों के निम्नलिखित दस सिद्धान्तों को प्रस्तुत किया है-
(i) कार्य का विभाजन या विशिष्टीकरण
(ii) विभागीय संगठनों के आधार
(iii) अभिक्रम के द्वारा समन्वय
(iv) सुविचारित समन्वयन
(v) समितियों के द्वारा समन्वयन
(vi) विकेन्द्रीकरण
(vii) आदेश की एकता
(viii) स्टाफ एवं रेखा
(ix) प्रत्यायोजन
(x) नियंत्रण का क्षेत्र।
प्रशासन के सूचीबद्ध उपर्युक्त दस सिद्धान्तों को गुलिक कार्य का विभाजन एवं एकीकरण के ऐसे स्वप्रयत्न बताया है, जिनके द्वारा मनुष्य स्वयं को सभ्यता की प्रक्रिया में ऊपर ले जाता है।
(2) लिंडल उर्विक का योगदान - एफ. डब्लू टेलर और हेनरी फेयोल की कृतियों से प्रेरणा लेकर गुलिक की भाँति उर्विक ने की सिद्धान्तों पर आधारित प्रबंधन के विज्ञान के विकास पर बल दिया। उन्होंने इस तथ्य की ओर संकेत दिया कि एक अभियन्ता भी कभी एक शिल्पी माना जाता था जिसने अपनी दक्षताओं का विकास केवल बेंच पर किया। अनुभवजन्य निरीक्षणों, विश्लेषणों एवं व्यवस्थित खोजों के माध्यम से ही अभियंत्रण का विज्ञान सम्भव हो पाया। अतः उर्विक ने संगठन को ऐसी संरचना के रूप में परिभाषित किया है, जो किसी प्रयोजन के लिए आवश्यक है और समूहों को व्यवस्थित करती है।
उर्विक ने भी संगठन के सिद्धान्तों की पहचान करते हुए इसके निम्नलिखित 8 सिद्धान्त प्रस्तुत
किय -
(i) उद्देश्यों का सिद्धान्त
(ii) सादृश्य का सिद्धान्त
(iii) जिम्मेदारी का सिद्धान्त
(iv) अदिश सिद्धान्त
(v) नियन्त्रण का क्षेत्र
(vi) विशिष्टीकरण का सिद्धान्त
(vii) समन्वय का सिद्धान्त
(viii) परिभाषा का सिद्धान्त
इस प्रकार उर्विक ने उपर्युक्त सिद्धान्तों की पहचान व प्रतिपादन द्वारा संगठन के सर्वमान्य सिद्धान्त प्रस्तुत करने का प्रयास किया। गुलिक की भाँति उर्विक भी संगठन के विज्ञान के निर्माण का प्रयास करते दिखाई पड़ते है।
उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर स्पष्टतया कहा जा सकता है कि संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन के क्षेत्र में गुलिक व उर्विक का योगदान अति महत्वपूर्ण रहा। गुलिक व उर्विक ने संगठन के ऐसे विज्ञान के निर्माण पर बल दिया, जिसकी सहायता से सरलता से विभिन्न संगठनों की स्थापना व क्रियान्वयन किया जा सके।
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- प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
- प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
- प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
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- प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
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- प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
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