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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।

 

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं?
अथवा
अमेरिका में न्यायिक पुनर्विलोकन पर टिप्पणी लिखिए।
2. न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति के प्रमुख आधार क्या हैं?
3. न्यायिक पुनर्निरीक्षण का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
4. न्यायिक पुनर्निरीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ बताइये?
5. न्यायिक पुनर्निरीक्षण की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
6. न्यायिक पुनर्निरीक्षण के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अर्थ

न्यायिक पुनर्निरीक्षण का अर्थ यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का उच्चतम न्यायालय यह देखता है कि राज्य का कोई कानून राज्य के संविधान की कोई धारा कांग्रेस के द्वारा बनाया गया कोई कानून अथवा कार्यपालिका (राष्ट्रपति) का कोई आदेश संविधान के विरुद्ध तो नहीं है। 

न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति का आधार - अनेक विचारकों का विचार है कि इस संबंध में जिस शक्ति का उपयोग संघीय न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय व विशेषतः करते हैं इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है और न न्यायपालिका को इस प्रकार की किसी शक्ति को प्रदान करने का विचार संविधान के निर्माण करने वालों का था।

न्यायिक पुनर्निरीक्षण का स्वरूप

रूप - न्यायिक पुनर्निरीक्षण का आधार संवैधानिक रहा है तथा परम्परागत रूप से उसका प्रयोग अमेरिका की न्यायपालिका द्वारा बड़े प्रभावशाली ढंग से किया गया है तथा समय-समय पर उसके प्रस्तुत किये गये मामलों के न्यायिक पुनर्निरीक्षण के रूप तथा उसके संबंध में न्यायपालिका को प्राप्त अधिकार का प्रतिपादन किया है। काँग्रेस द्वारा निर्मित सन् 1789 के न्यायपालिका अधिनियम में यह व्यवस्था की गयी थी कि प्रशासन के अधिकारियों के लिए परमादेश दिये जाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से प्रार्थना की जाती है तथा सर्वोच्च न्यायालय का यह अधिकार है कि वह ऐसे परमादेश दे सकें। न्यायमूर्ति मार्शल ने जो तर्क प्रस्तुत किया वह यह था कि संविधान देश का सर्वोच्च कानून है और न्यायाधिकारियों का यह कर्त्तव्य है कि उसका आदर करते हुए वे उसे लागू करें।

कोविन के अनुसार, "न्यायिक पुनर्निरीक्षण का तात्पर्य न्यायालयों की उस शक्ति से है, जो अपने न्याय क्षेत्र के अन्तर्गत लागू होने वाले व्यवस्थापिका के कानूनों की वैधानिकता का निर्णय देने के सम्बन्ध में तथा कानूनों को लागू करने से इन्कार करने के सम्बन्ध में प्राप्त हैं, जिन्हें वे अवैध और व्यर्थ समझें।'

न्यायपालिका न्यायिक पुनर्निरीक्षण के अपने कार्य का सम्पादन करते समय व्यवस्थापिका व कार्यपालिका के कृत्यों व संविधान के शाब्दिक रूप पर ही विचार नहीं करती, वरन् वह उसकी आत्मा पर भी विचार करती है। इसके अतिरिक्त जब न्यायालय व्यवस्थापिका के किसी कानून को अवैध घोषित करता है, तो उसका अर्थ है कि संविधान के विपरीत होने के कारण उसका रूप कानूनी नहीं हो सका, फिर भी न्यायालय स्वयं अपने निर्णय को क्रियान्वित नहीं कर सकते। उसके निर्णय पर अमल करने का कार्य वस्तुतः कार्यपालिका का है और यदि कार्यपालिका चाहे तो उसके निर्णयों की उपेक्षा कर उन्हें क्रियान्वित बिना छोड सकती है।

न्यायिक पुनर्निरीक्षण की विशेषतायें - इसकी विशेषतायें निम्न हैं-

1. मुकदमें की सुनवाई व जूरी का अनिवार्य प्रयोग - अमेरिका की न्याय व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि केवल महाभियोग के मामले को छोड़कर अन्य सभी मामलों के अभियोगों की सुनवाई में जूरी का प्रयोग अनिवार्य है तथा जूरी द्वारा अभियोग की सुनवाई उसी राज्य में होती है।

2. दंड दिये जाने से पहले न्यायिक प्रक्रिया के पालन की व्यवस्था - अमेरिका के न्यायिक प्रक्रिया की एक विशेषता यह है कि निश्चित कानून की प्रक्रिया के बिना किसी व्यक्ति को उसके जीवन, उसकी स्वतंत्रता तथा उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता।

3. न्याय व्यवस्था अन्तर्राज्जीय सामंजस्य - इस प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह भी है कि वहां पर संघ व विविध राज्यों में न्याय व्यवस्था का सामंजस्य पाया जाता है। न्याय कार्य के संबंध में विविध राज्यों की सरकारों द्वारा किये गये कार्य, उनके अभिलेख तथा न्यायिक क्रियाकलापों को सभी राज्यों की उचित मान्यता प्राप्त है।

4. कानूनी सहायता की व्यवस्था - इस व्यवस्था में एक विशेषता यह है कि वहाँ उन लोगों को कानूनी सहायता दिये जाने की व्यवस्था है, जो उसका व्यय सहन नहीं कर सकते।

5. न्यायाधीशों की नियुक्ति में जनस्वीकृति की व्यवस्था - अमेरिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में जन स्वीकृति की व्यवस्था की गई है। जैसे- सर्वोच्च न्यायालय, अपील के न्यायालय आदि की न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होने के बाद यह आवश्यक है कि उसकी पुष्टि जनता की प्रतिनिधि कांग्रेस के एक सदन सीनेट द्वारा हो।

न्यायिक पुनर्निरीक्षण की आलोचना - विभिन्न विद्वानों ने न्यायिक पुनर्निरीक्षण के अधिकार की आलोचना की है। आलोचना के प्रमुख तर्क इस प्रकार से हैं-

1. लोकमत और जनतंत्र की उपेक्षा - कांग्रेस देश की प्रतिनिधि सदन है। कांग्रेस राष्ट्र तथा लोकमत का सच्चा प्रतिनिधित्व करती है। अतः कांग्रेस द्वारा बनाये गये कानूनों को अवैध घोषित करके सर्वोच्च न्यायालय लोकमत और प्रजातांत्रिक भावना की उपेक्षा करता है।

2. शक्ति पृथक्करण की भावना के प्रतिकूल की भावना - अमेरिकी शासन व्यवस्था की मौलिक विशेषता शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त पाया जाना है।

3. राजनीतिक निर्णय - बहुधा अवसरों पर देखा गया है कि न्यायालयों के निर्णय विशुद्ध वैधता पर आधारित न होकर न्यायाधीशों की स्वयं की मान्यताओं और उनके स्वयं के राजनीतिक और सामाजिक विचारों पर रहे हैं।

न्यायिक पुनर्निरीक्षण का महत्व - निम्नलिखित तर्कों के आधार पर न्यायिक पुनर्निरीक्षण का

महत्व प्रकट किया जा सकता है-

1. संविधान की पवित्रता की रक्षा - न्यायिक पुनर्निरीक्षण संविधान की पवित्रता की रक्षा का महत्वपूर्ण साधन है। संविधान की रक्षा करते हुए उसने लोकतंत्र के आवेश तथा प्रशासन की मनमानी से देश की रक्षा की है।

2. संघीय प्रणाली की रक्षा - संघात्मक शासन में जहाँ केन्द्र और राज्यों के बीच अनेक संवैधानिक विवाद समय-समय पर उठते रहते हैं वहाँ पर यह आवश्यक हो जाता है कि सर्वोच्च न्यायालय के पास ऐसा न्यायिक अधिकार हो जिसके माध्यम से विवाद समाप्त हो सके, वह माध्यम है न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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