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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषतायें
(Characteristics of British Judicial System)

ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें निम्नांकित हैं -

1. एकीकृत न्याय व्यवस्था का अभाव (Absence of Simple Judicial Systex - संपूर्ण यूनाइटेड किंगडम ( United Kingdom) में एक समान न्याय व्यवस्था नहीं पायी जा इंग्लैड और वेल्स में एक ही न्याय व्यवस्था है, स्काटलैण्ड एवं उत्तरी आयरलैण्ड में कुछ अलग न्यायिक व्यवस्था है। लेकिन सभी क्षेत्रों में न्याय के मूल सिद्धान्त एक से हैं।

2. कानून का असंहिताबद्ध रूप (Uncodified From of Law) - न्याय व्यवस्था की विभिन्नता के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के न्यायालयों में प्रयुक्त किये जाने वाले कानूनों में भी अंतर पाया जाता है। एक समान संहिता का यहाँ पर अभाव है। ब्रिटिश न्यायालयों में सामान्यतया मुकदमों की सुनवाई और निर्णय में तीन प्रकार के कानूनों का प्रयोग होता है। सामान्य कानून औचित्यपूर्ण निर्णय एवं संसदीय कानून।

3. दीवानी और फौजदारी कानूनों में अंतर (Difference between Criminal and Civil Law) - ब्रिटेन में दीवानी और फौजदारी कानूनों में अंतर है। इनके लिए पृथक न्यायालय हैं। दीवानी कानूनों का संबंध व्यक्तियों के अधिकार, कर्तव्य तथा उनके दायित्व संबधी झगड़ों से होता है और व्यक्ति स्वयं अभियोग चलाते हैं। फौजदारी कानून का संबंध पूरे समाज अथवा राज्य के विरुद्ध किये गये अपराधों से होता है। इसमें अभियोग का संचालन राज्य की ओर से किया जाता है।

4. न्यायालयों की एकसूत्रता (Unified Heirarchy of Courts) - पहले ब्रिटेन में अनेक प्रकार के न्याय क्षेत्रों सहित अनेक न्यायालय थे परन्तु 1873 से 1876 तक के समय में पारित सुधार कानूनों के द्वारा अब न्यायालयों का पुनर्गठन कर दिया गया है। अब केवल 'जस्टिसेज आफ पीस' को छोड़कर अन्य सभी न्यायालय व्यावहारिक रूप में एक सूत्र में हो गये हैं।

5. न्यायिक पुनरावलोकन का अभाव (Absence of Judicial Review) - ब्रिटेन में अमेरिका या भारत की तरह न्यायिक पुनरावलोकन की व्यवस्था नहीं है। संसद द्वारा बनाये गये कानूनों की वैधता पर वहां पर कोई प्रश्न न्यायालयों में नहीं लाया जा सकता।

6. जूरी व्यवस्था (Jury System) - ब्रिटेन में दीवानी और फौजदारी सभी प्रकार के न्यायालयों में जूरी व्यवस्था का प्रयोग किया जाता है। इंग्लैण्ड एवं वेल्स में उन सभी फौजदारी के मुकदमों में, जिनमें तीन माह से अधिक जेल का दण्ड दिया जा सकता है, यदि प्रतिवादी चाहे तो मुकदमें की सुनवाई जूरी के समक्ष होती है। स्काटलैण्ड में भी फौजदारी मुकदमों की दूसरी सुनवाई जूरी के समक्ष होती है। इंग्लैण्ड में दीवानी मुकदमों में जूरी का प्रयोग बहुत कम होता है। जूरी की व्यवस्था से न्याय की निष्पक्षता और अधिक बढ़ती है। क्योंकि जूरी के सदस्य न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों से स्वतंत्र होते हैं।

7. न्यायाधीशों की स्वतन्त्रता (Independence of Judges) - 1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति के बाद से ब्रिटेन में न्यायाधीशों की स्वतन्त्रता विवाद से परे रही है। सर आइवर जेनिंग्स के शब्दों में ब्रेटिश न्यायाधीशों के विरुद्ध कभी भी पक्षपात, भ्रष्टाचार या राजनीतिक प्रभाव का आरोप नहीं लगाया जाता !"

ब्रिटेन में न्यायाधीशों की स्वतंत्रता को कई तरीकों से सुरक्षित रखा गया है।

(i) न्यायाधीशों का निर्वाचन नहीं बल्कि नियुक्ति की जाती है। न्यायाधीश लार्ड चांसलर की सलाह पर क्राउन की ओर से प्रधानमंत्री के द्वारा नियुक्त किये जाते है। उनके राजनीतिक रूप से प्रभावित रहने की संभावना नगण्य होती है।

(ii) न्यायाधीशों को पदावधि की सुरक्षा प्राप्त होती है। एक बार वे सदाचार पर्यन्त पूरी अवधि तक पद पर रहते हैं। उन्हें केवल सदाचार के आरोप में संसद के दोनों सदनों की संस्तुति पर क्राउन द्वारा पद से हटाया जा सकता है।

(iii) न्यायाधीशों को पर्याप्त वेतन मिलता है अतः वे प्रलोभन में नहीं आते। न्यायाधीशों को वेतन न्य की संचित निधि से प्राप्त होता है।

(iv) न्यायाधीशों की पदोन्नति के कोई अवसर ब्रिटेन में नही है अतः जो एक बार न्यायाधीश क्त हो जाता है वह रिटायरमेन्ट तक अपने पद पर बना रहता है अतः वे निष्पक्ष व अप्रभावित रहते हैं। 

(v) न्यायाधीशों के विरुद्ध कोई भी दीवानी या फौजदारी मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

(vi) न्यायाधीशों की किसी भी प्रकार की आलोचना 'न्यायपालिका की अवमानना के अन्तर्गत हैं।

इन व्यवस्थाओं से ब्रिटेन में न्यायाधीश निष्पक्ष, प्रलोभनरहित व अराजनीतिक रहकर कार्य करते हैं।

8. साधारण विधि एवं साधारण न्यायालयों की सर्वोच्चता (Supremacy of Ordinary Law and Ordinary Courts) - यद्यपि ब्रिटेन में अब कई ट्रिब्यूनल्स बन गये हैं और व्यवहार में प्रशासनिक कानून का विकास भी हुआ है परन्तु अंतिम सर्वोच्चता साधारण न्यायालयों के पास ही है क्योंकि प्रशासनिक न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध साधारण न्यायालयों में अपील की व्यवस्था है जो साधारण कानून के आधार पर निर्णय करते हैं।

9. निःशुल्क कानूनी सहायता (Free legal Aid ) - ब्रिटेन में निर्धनों के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था रखी गई है। कानूनी सहायता एवं परामर्श अधिनियम 1949 तथा कानूनी सहायता (स्काटलैण्ड) अधिनियम 1949 के अंतर्गत व्यवस्था है कि आर्थिक दृष्टि से निर्बल व्यक्तियों को दीवानी मामलों में उच्च न्यायालय, अपील न्यायालयों के मामलों में इंग्लैण्ड व वेल्स में तथा सत्र न्यायालय व शैरिफ न्यायालयों के मामलों में स्काटलैण्ड में निःशुल्क कानूनी सहायता मिल सकती है। इंग्लैंड तथा वेल्स में कानूनी सहायता उन मामलों के लिए भी है जो लार्ड सभा की अपील के होते हैं। इसके कुछ दीवानी कार्यवाहियों विशेषतया विवाह संबंधी मामलों में भी निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था है। फौजदारी के मामलों में न्यायालय उन मामलों में कानूनी सहायता की व्यवस्था कर सकता है, जिसमें प्रतिपक्ष आर्थिक दृष्टि से साधन सम्पन्न न हो, तथा जिनमें न्यायालय के हित में ऐसा करना आवश्यक समझें।

10. न्यायालयों की खुली कार्यवाही एवं त्वरित न्यायिक प्रक्रिया (Open Courts and Speedy Judicial Procedure) - ब्रिटेन में सभी न्यायालयों में खुली कार्यवाही होती है। इसके अतिरिक्त वहाँ पर न्यायिक प्रक्रिया तुलनात्मक रूप में त्वरित है। इसका प्रमुख कारण न्यायाधीशों द्वारा विवेक का प्रयोग करना है जिन्हें कानूनी तकनीकियों के साथ ब्रिटिश न्यायाधीश प्रयुक्त करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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