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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।

अथवा
विकासशील दुनिया में राज्य की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

विकासशील दुनिया में राज्य की भूमिका

यदि हम अपने चारों ओर देखें तो हमें ज्ञात होगा कि हमारे जीवन में राज्य का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य मानव जीवन को अधिक निकटता से और अधिक प्रत्यक्ष रीति से स्पर्श करता है। राज्य आधुनिक व्यवस्था में एक ऐसा सशक्त समवाय है जिसे मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है।

प्रारम्भिक स्थितियों में समाज की रचना अत्यधिक सरल थी। प्रारम्भिक स्थिति में राज्य विदेशी आक्रमण से रक्षा करने और राज्य के भीतर शान्ति व्यवस्था बनाये रखने जैसे प्राथमिक कार्य सम्पादित करता था लेकिन सभ्यता के विकास के साथ-साथ नवीन समाज दर्शन में राज्य अपने नागरिकों को अधिक से अधिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने की व्यवस्था करता है। एक विकासशील देश में राज्य की भूमिका इस सभी कार्यों से भी ज्यादा होती है। यहाँ राज्य द्वारा समाज में निर्णायक की भूमिका निर्वाहन किया जाता है। विकासशील दुनिया में राज्य की भूमिका का वर्णन निम्नलिखित है-

(1) नवोदित राष्ट्र का निर्माण - एशिया अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों में राज्यों को जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब वे स्वतन्त्र राज्यों के रूप में थे इनमें से अधिकतर देशों को स्थानिक गरीबी, आर्थिक निर्भरता, नृजातीय, धार्मिक या कबायली संघर्ष साम्राज्यवादी शोषण, व्यापक भ्रष्टाचार, निरक्ष ता, राजनीतिक खलबली और घोर असमानताओं की समस्याओं से

जूझना पड़ा। उनका मुख्य कार्य इस पिछड़ेपन से लड़ना था, परन्तु नवोदित देश राजनीतिक स्थिरता को कायम रखने में असफल रहे। जोकि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए अत्यन्त आवश्यक थी। इसका मूल कारण ये था कि आधुनिक राज्य की विभिन्न संस्थाओं, उपकरणों और एजेन्सियाँ जिनका निर्माण करने में पश्चिमी देशों को सदियाँ लग गई थीं और जिन्हें उन्होंने स्वयं परिमार्जित किया, वहीं विकासशील देशों से ये अपेक्षा की गई थी कि वे इन्हें उसी क्षण स्थापित कर ले जब इनके औपनिवेशिक स्वामी विदा हुए। इनमें से कई समाज विविध संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं, जातियों और नृजातीय समूहों वाले अर्द्ध- कबायली या धार्मिक समूह जो पारम्परिक रूप से कटु प्रतिद्वन्द्वी थे उन्हें नए राज्य में एक जगह पर इकट्ठा कर दिया गया जिसके कारण समाज में अस्थिरता और गृह युद्धों की प्रवृत्ति बढ़ गई। उदाहरण के लिए, 1967 में नाइजीरिया एक क्रूरतापूर्ण गृह युद्ध में घिर गया जब बहुसंख्यक इग्बो नृजातीय समूह ने अलग होने और बायाफ्रा नामक एक स्वतन्त्र राज्य की स्थापना का प्रयास किया।

(2) रक्षा और सुरक्षा - विकासशील देशों में अधिकांश राज्य अपनी मूलभूत जिम्मेदारी को निभाने में असफल रहे हैं। जिनमें राज्य की आन्तरिक और बाहरी आक्रमण से रक्षा बेहतर अभिशासन, सशक्त कानून और व्यवस्था सामाजिक विकास और आर्थिक प्रगति शामिल है। विकासशील राज्यों द्वारा अपने निर्धारित कर्त्तव्यों के पालन की इस असमर्थता को ही गुनार मिर्डल ने "नरम राज्य" कहा है। मिर्डल अनुसार राज्य की नरम स्थिति विकासशील विश्व में प्रचलित राज्य की एक सामान्य प्रकृति या समाज जुड़ी अनुशासनहीनता है। विशेष रूप से दक्षिण एशियाई राज्य में जो प्रथमतः अपने नागरिकों के हितों रक्षा नहीं कर पाते हैं और द्वितीय कानून प्रवर्तन और आर्थिक नीतियों और कार्यक्रमों को कार्यान्वित बने में राज्य की निम्न क्षमता।

फिर भी, नरम राज्य की सीमित प्रकृति के विषय में मिर्डल का दृष्टिकोण अक्सर विकासशील रापों के अन्य पहलू के विरोधाभास में होता है। उदाहरण के लिए, हमजा अलवी विकासशील देशों में राजा नियंत्रण के क्षेत्रों के विस्तार की चर्चा करते हैं। जिसे उन्होंने अतिविकसित राज्य के नाम से पुकारा है। अलवी ने उत्तर - औपनिवेशिक पाकिस्तान राज्य का वर्णन एक अतिविकसित राज्य के रूप में किया जहाँ एक जटिल सैनिक - नौकरशाही अंतः सम्बन्ध का नागरिक सरकार समेत समाज के सभी पहलुओं पर नियंत्रण होता है। इसी प्रकार अतुल कोहली ने उस राज्य की चर्चा की जो अपने प्राधिकार में असीम विस्तार के बावजूद कार्य करने की सीमित क्षमता रखता है।

(3) आर्थिक विकास - 1960 के दशक में उत्तर - औपनिवेशिक राज्य राजनीतिक स्वतन्त्रता और आत्मनिर्भरता के विषय में भी अत्यधिक जोश में थे। उनकी निजी उद्यम और मुक्त बाजार की क्षमता में भी कम आस्था थी। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश राज्यों ने आयात प्रतिस्थापन "औद्योगीकरण" के माध्यम से आत्म-निर्भरता प्राप्त करने पर अपना ध्यान केन्द्रित किया। इन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को प्रोत्साहित किया और उच्च सीमा शुल्कों और सख्त कूटनीतिक बाधाओं के माध्यम से विदेशी माल और टेक्नोलॉजी के अंतर्वाह पर और निजी क्षेत्र पर व्यापक प्रतिबन्ध और नियम लागू किए। उदाहरण के लिए, भारत में निजी क्षेत्र पर प्रतिबन्ध इतने प्रबल थें कि राज्य को अक्सर लाइसेंस राज कहा जाता था। इसका प्रारम्भिक उद्देश्य अर्थव्यवस्था में विदेशी हस्तक्षेप को सीमित करना और बाहरी विश्व के साथ आर्थिक पास्परिक क्रिया पर नियंत्रण रखना था।

(4) वैश्वीकरण में राज्य - 1980 के दशक से विश्व के विकासशल देशों में राज्यों ने वैश्वीकरण की आँधी का सामना किया जिसके कारण उनकी शासन व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और समाज में भारी परिवर्तन हुए। वैश्विक स्तर पर आन्तरिक उपभोग के लिए उत्पादन के स्थान पर व्यापार, नई वैश्विक अर्थव्यवस्था का संचालक बल बन गया है। वैश्वीकरण के इस प्रक्षेप पथ के बढ़े हुए अन्तर्राष्ट्रीय उत्पादन और उच्च गुणवत्ता टैक्नोलॉजी में तीव्र उन्नति के साथ मेल खाया। उदहारण के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) में उन्नति ने विश्व के चारों ओर के देशों को अभूतपूर्व तरीके से जोड़ा है। राज्य के लिए इन सबका निहितार्थ था वैश्वीकरण की व शक्तियों का सामना करना।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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