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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

अध्याय - 1

राजनीति के तुलनात्मक अध्ययन की प्रकृति, क्षेत्र और उपयोगिता

(Nature, Scope and Importance of Comparative Study of Politics)

प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा
तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन की उपयोगिता बताइए।

उत्तर -

आज वैश्वीकरण के युग में राजनीतिक अध्ययनं का महत्व इतना बढ़ गया है कि राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन आवश्यक प्रतीत होता है। तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन राजनीति विज्ञान का प्राण तत्व है। एम. कर्टिस का तो स्पष्ट रूप से कहना है कि "The study of comparative politics is at the heart of contemporary political science." अर्थात् "तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन समसामयिक राजनीति विज्ञान का हृदय है। तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन निम्न कारणों से भी आवश्यक है

1. राजनीतिक व्यवहार की जटिलताओं को समझना - तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन का महत्व इसलिए भी है कि तुलनात्मक अध्ययन से देश के बाहर के अन्य देशों को तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति व राजनीतिक व्यवहार तथा उसकी जटिलताओं को समझने में सहायता मिलती है। राजनीति का तुलनात्मक अध्ययन विभिन्न देशों की राजनीतिक प्रणालियों से वहाँ की राजनीतिक व्यवस्थाओं से तथा विभिन्न समाजों के राजनीतिक व्यवहारों से परिचित कराता है। तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से इस महत्वपूर्ण तथ्य का भी पता चलता है कि कोई एक राजनीतिक व्यवस्था या संस्था एक स्थान विशेष पर सफल हो जाती है तो अन्य स्थान पर असफल हो जाती है। इन बातों को समझने के लिए आवश्यक है कि राजनीतिक व्यवहार की निरन्तरता की जानकारी की जाये और उनके कारणों का स्पष्टीकरण हो। इसके लिए राजनीति के तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है।

2. राजनीति का वैज्ञानिक अध्ययन बनाना - राजनीति व्यवहार से सम्बन्धित ज्ञान को वैज्ञानिक स्वरूप किस प्रकार प्रदान किया जाये, इस बात के लिए राजनीति के दुनिया भर के विद्वान प्रयत्नशील हैं। इस प्रयत्न में तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन अत्यन्त उपयोगी है। विज्ञान में नियम प्रतिपादन न केवल राजनीतिक प्रक्रियाओं की अनेकता से है वरन् परस्पर प्रतिकूल व विविधताओं वाले राजनीतिक आचरण से भी उपलब्ध पर्याप्त सामग्री से सम्भव है। तुलनात्मक राजनीतिक अध्ययन इसलिए भी उपयोगी हो जाता है कि विविधताओं से युक्त राजनीतिक तथ्य एवं आँकड़े विभिन्न राजनीतिक क्रियाओं की तुलना से प्राप्त हो सकते हैं। एम कार्टिस के शब्दों में, "जब से व्यवहारवादी दृष्टिकोण का प्रचलन हुआ तब से आज तक राजनीतिशास्त्र की वैज्ञानिकता की खोज की आधुनिकतम अभिव्यक्ति हम तुलनात्मक राजनीतिक अध्ययन में ही पाते हैं।' राजनीतिशास्त्र विज्ञान विषयों की श्रेणी में केवल तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर ही आता है। इसलिए शायद अरस्तू के बाद से आज तक श्रेष्ठतम विचारक राजनीति के तुलनात्मक विषय में संलग्न रहे हैं।

3. सिद्धान्तों का निर्माण एवं निरूपण - किसी विषय में सिद्धान्तों का निर्माण तथा उनका निरूपण तभी सम्भव हो सकता है जबकि उस विषय का तुलनात्मक अध्ययन किया गया हो राजनीतिशास्त्र में ऐसे व्यापक सिद्धान्तों की खोज निरन्तर की जा रही है जो सम्पूर्ण विश्व के राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायक हो सके।

वर्तमान राजनीतिक अध्ययन के अनुसार राजनीतिक सिद्धान्तों को दो भागों में बाँटा गया है :- (i) आदर्शमूलक सिद्धान्त- आदर्शमूलक सिद्धान्तों में राजनीतिक व्यवस्थाओं के बारे में कोई कल्पना मस्तिष्क में कर ली जाती हैं और फिर उस कल्पना को रचनात्मक रूप दिया जाता है। प्लेटो के दार्शनिक राज्य तथा आदर्श राज्य की कल्पना इसी सिद्धान्त पर आधारित है।

(ii) आनुभविक सिद्धान्त - आनुभविक सिद्धान्तों में राजनीतिक व्यवहार के वास्तविक तथ्यों को समझकर सिद्धान्तों का निर्माण होता है। राजनीति के वैज्ञानिक स्वयं तथ्यों के संकलन के लिए राजनीति व्यवहार के क्षेत्र में जाकर राजनीतिक आचरण का अवलोकन करते हैं और संकलित ठोस तथ्यों के आधार पर सिद्धान्तों का प्रतिपादन करते हैं। तुलनात्मक राजनीति के आदर्शी सिद्धान्त के निर्माण में कोई योगदान नहीं हो सकता परन्तु आनुभविक सिद्धान्त तो केवल तुलनात्मक राजनीति के द्वारा ही निर्मित होते हैं, क्योंकि यथार्थ राजनीतिक व्यवहार की तुलना करना ही एक तरह से आनुभविक सिद्धान्तों का निर्माण करना होता है।

4. तुलनात्मक राजनीति से प्रचलित सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण - तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से अतीत में स्थापित राजनीतिक सिद्धान्तों की वर्तमान परिवर्तित राजनीतिक सामाजिक परिस्थितियों में कितनी सार्थकता है, इस बात का भी परीक्षण किया जा सकता है। इस प्रकार तुलनात्मक राजनीति . प्रचलित राजनीतिक सिद्धान्तों को पुनः परीक्षण करने के लिए नवीन उपकरण व नवीनता युक्त विविध तथ्य उपलब्ध कराती हैं जिससे उसकी प्रामाणिकता का पुनः परीक्षण हो।

5. विश्व राजनीतिक घटनाक्रम की जानकारी - तुलनात्मक राजनीति से हमें विदेशों में सरकार और राजनीति के क्षेत्र में घटी और संभावित घटनाओं का अच्छी प्रकार से वैज्ञानिक और आनुभविक निर्वचन करने में सहायता मिलती है। तुलनात्मक अध्ययन के माध्यम से अन्य देशों की राजनीतिक संस्थाओं की कार्य प्रणाली के आधार पर अपनी राजनीतिक संस्थाओं का अध्ययन कर सकते हैं।

6. शासन पद्धतियों के प्रभाव का अध्ययन - तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के फलस्वरूप आज दुनिया के प्रत्येक देश की शासन प्रणालियों से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ है। विभिन्न राज्यों की शासन पद्धतियाँ उनकी ऐतिहासिक व भौगोलिक दशाओं, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक संस्थाओं तथा विचारों से निर्धारित होती हैं। तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन के द्वारा इस बात का पता लगाया जा सकता है कि शासन और विचारधारा का किस देश में और कितना प्रभावी सम्बन्ध है

उक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि वर्तमान दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य तुलनात्मक, राजनीति का अध्ययन दुनिया में प्रत्येक देशों की राजनीतिक प्रणालियाँ वहाँ की शासन व्यवस्थायें, राजनीतिज्ञों तथा राजनीतिक विचारों से अवगत कराकर नवीन परिस्थितियाँ एवं अच्छे राजनीतिक व्यवहार की समझ उत्पन्न करने में सहायता करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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