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प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2794
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।

अथवा
मौर्यों की मुद्राओं के विषय में आप क्या जानते हैं स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

मौर्यकालीन सिक्के - भारत में समस्त कार्षापण ढेर (पंचमार्क) के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि विभिन्न जनपद में सिक्के निर्मित होने रहे। उत्तर पश्चिमी भारत, उत्तरी भारत राजस्थान, उड़ीसा दक्षिण भारत में जितने ढेर उपलब्ध हुए हैं उनसे प्रकट होता है कि सिक्के तैयार करने के अतिरिक्त व्यापार के माध्यम से सिक्को का आदान-प्रदान होता रहा।

टकसाल पर निगरानी रखी गयी तथा लक्षणाध्यक्ष की नियुक्ति की गयी। पूर्व मौर्य युग में सिक्कों की भद्दी बनावट दिखायी पड़ती है। उस समय चिन्हों पर ही विशेष ध्यान दिया जाता था। बौद्ध ग्रन्थों में (विनयपिटक, जातक आदि) पाद नाम के सिक्कों का उल्लेख हुआ है। राजगृह में सिक्कों का प्रचलन का उल्लेख है। शतमान (100 ) नामक सिक्के भी तक्षशिला तथा गोलकपुर (पटना) ढ़ेर से प्राप्त हुए हैं, जो पूर्व मौर्यकालीन माने गये हैं। 25 या 32 ग्रेन के सिक्के बनते रहे। बीजमुद्रा, षड़चक्र, पूर्णछट या षटकोण अथवा पर्वत खरहा भी मौर्यकाल से पूर्व के चिन्ह समझे- जाते हैं। अनेक सिक्कों पर बोधिवृक्ष या ब्राह्मी में (4) का चिन्ह खुदा है।

नन्दकाल से भारतीय समाज का जो आर्थिक एवं व्यवसायी ढाँचा दिखायी देता है। मौर्य युग में वह अधिक ठोस रूप धारण कर लिया। श्रेणियाँ तो उसकी बुनियाद थीं। शिल्प तथा वाणिज्य नन्द युग से फूलता - फलता रह्य, मौर्यकाल में सारे व्यावसायिक काम आर्थिक व्यवस्था के परिपक्क स्थिति के बोधक हैं। शिल्प तथा वाणिज्य की उन्नति का परिणाम देश की समृद्धि थी। मौर्ययुग में ऐसे सिक्के प्रसारित किए गये थे। पाद (1/4 कार्षापण) पाँचमासा (कौटिल्य 2/12) तथा 1/2 पाद मनु (8/404) तौल के बराबर होंगे। अष्टाध्यायी (5/1/34) में द्विमासक कहे गये है।

मौर्य वंश के सिक्कों का वर्णन करते समय यह बतलाने की थोड़ी सी आवश्यकता है कि किस परिस्थिति में इतना बड़ा साम्राज्य स्थापित हो सका। विदेशियों के आक्रमण को रोककर चाणक्य की सहायता से चन्द्रगुप्त मौर्य ने मगध पर अधिकार किया। हिमालय से लेकर मैसूर तक तथा अफगानिस्तान से लेकर बंगाल तक का प्रदेश मौर्य साम्राज्य में सम्मिलित था। अशोक ने कलिंग को सम्मिलित कर धर्म विजयी बनने की इच्छा से युद्ध को त्याग दिया। भारत के बाहर उसका राज्य अफगानिस्तान तक विस्तृत था। अतएव सर्वत्र शान्ति रखने के लिए विशाल सेना रखनी पड़ी। चन्द्रगुप्त ने ही नंदों के सिक्कों को राजांक से विभूषित किया और सिक्के तैयार करने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया। यद्यपि मौर्यकालीन सिक्के विशुद्ध चाँदी के नहीं मिलते, परन्तु सम्मिश्रण के साथ विभिन्न तौल के सिक्के चलाए गए। 32 रत्ती के पण को आधे मासक (ताँबा का सिक्का) को चौथाई कार्षापण के बराबर तैयार कराया। अर्द्धमासक और काकिनी (चौथाई मासक) की तरह छोटे सिक्के बनने लगे। इससे प्रकट होता है कि विशाल साम्राज्य की जनता तथा व्यापार के लिए नाना प्रकार के सिक्के निकालने की आवश्यकता थी। कौटिल्य द्वारा वर्णित व्यापार व्यवसाय, स्वर्णकार, तंतुवाय, खननकार (भू-गर्भ से धातु निकालना) तथा अन्य विदेशी व्यापार का वर्णन मौर्य युग की समृद्धि का द्योतक है। आश्चर्य यह है कि अशोक के किसी टकसाल का पता नहीं है।

मौर्य सिक्कों पर बीज मुद्रा तथा षड़चक्र के अतिरिक्त पर्वत पर मोर या चन्द्रमा मिलता है। विद्वानों ने मोर वाले चिन्ह से मौर्यवंश (मोरिया) का अर्थ निकाला है। मोर को मौर्य वंश का राज्य चिन्ह नहीं माना जा सकता। पर्वत पर चन्द्र मेरू वाला सिक्का अगणित संख्या में मिलता है। इसलिए वही राजांक माना जाता है। इस नतीजे पर सब लोग इस कारण पहुँचे हैं कि सोहगौरा ताम्रपत्र पर और पटना के समीप कुम्हरार नामक स्थान मंप मौर्य स्तम्भ पर मेरू वाला चिन्ह मिला है, जिसकी तिथि ईसा पू. 330 बतलाई जाती है। बुलंदी बाग की खुदाई में मौर्य सतह ( 15 से 18 फुट नीचे) से एक मिटटी की तश्तरी मिली है, जिस पर भी मेरू का चिन्ह विद्यमान है। तीसरे वैज्ञानिक प्रमाण से उन बातों की अधिक पुष्टि हो जाती है। मेरू चिन्ह वाले सिक्कों की रासायनिक परीक्षा की गयी। उसमें धातु मिश्रण का वही अनुपात मिला है, जिसका उल्लेख कौटिल्य के अर्थशास्त्र में पाया जाता है। इन प्रमाणों के बल पर मेरू वाला चिन्ह मौर्यवंश का राज्य चिन्ह माना जाता है।

सिक्कों का प्राप्ति स्थान

प्राचीन भारत के भौगोलिक विस्तार का ज्ञान रखकर आधुनिक भारतीय सीमा को भूल जाना पड़ता है। अफगानिस्तान का वर्तमान क्षेत्र भारत की सीमा के अन्तर्गत था। भारतीय नरेश चन्द्रगुप्त मौर्य तथा अशोक के अधिकार के अफगानिस्तान से लेकर बंगाल तक तथा उत्तर से मैसूर तक के प्रदेश रहे। उत्तर-पश्चिमी प्रान्त में पेशावर, तक्षशिला और कांगरा के ढेर में कार्षापण (पंचमार्क) पाए जाते हैं। अधिकतर इन सिक्कों के प्राप्ति-स्थान गंगा की घाटी में स्थित हैं।

मौर्य एवं शुंग-काल में मथुरा से व्यावसायिक मार्ग विकेन्द्रित होते थे। ईसवी सन् के आरम्भ से उत्तरी भारत में कार्षापण का प्रचलन प्रायः बन्द सा हो गया, किन्तु दक्षिण में उनका अच्छा प्रसार था। इसे आश्चर्यमय घटना कहें तो कोई अत्युक्ति न होगी। सम्भवतः पंजाब तथा उत्तरी भारत में विदेशी सिक्कों के प्रचलन से कार्षापण का निर्माण बन्द हो गया। इसका एक कारण यह हो सकता है कि आहत शैली को त्यागकर कार्षापण सांचे में ढाले जाने लगे।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
  2. प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  4. प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
  5. प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- पुरातत्व सामग्री के क्षेत्रों का विश्लेषण अध्ययन कीजिये।
  8. प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
  9. प्रश्न- प्राचीन इतिहास की संरचना में पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में पुरातत्व का महत्व बताइए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  12. प्रश्न- स्तम्भ लेख के विषय में आप क्या जानते हैं?
  13. प्रश्न- स्मारकों से प्राचीन भारतीय इतिहास की क्या जानकारी प्रात होती है?
  14. प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
  15. प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- पुरातात्विक विज्ञान के विषय में बताइये।
  17. प्रश्न- ऑगस्टस पिट, विलियम फ्लिंडर्स पेट्री व सर मोर्टिमर व्हीलर के विषय में बताइये।
  18. प्रश्न- उत्खनन के विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- पुरातत्व में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज उत्खननों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
  22. प्रश्न- कार्बन-14 की सीमाओं को बताइये।
  23. प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
  24. प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
  25. प्रश्न- लम्बवत् और क्षैतिज उत्खनन में पारस्परिक सम्बन्धों को निरूपित कीजिए।
  26. प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
  31. प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
  33. प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
  34. प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
  35. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  37. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
  39. प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
  40. प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
  44. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
  46. प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  47. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
  55. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  56. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  62. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  63. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  64. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
  67. प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
  68. प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
  69. प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
  71. प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
  72. प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  74. प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
  75. प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
  77. प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
  78. प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  79. प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
  80. प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
  81. प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
  84. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  85. प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
  86. प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
  87. प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
  88. प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
  89. प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
  90. प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
  91. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  92. प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
  98. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
  100. प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
  101. प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  103. प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
  104. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
  106. प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  107. प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
  109. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
  113. प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  114. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  115. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।

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