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प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2794
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।

अथवा
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थलों के नाम लिखिये।
अथवा
सिन्धु घाटी सभ्यता में नगर नियोजन पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-

सिन्धु सभ्यता की नगर योजना की आधार सामग्री मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, चन्हुदड़ो, कालीबंगा, लोथल, सुरकोतदा ओर बनवाली से प्राप्त होती है।

मोहनजोदड़ो - यह स्थल, जिसका आकार लगभग एक वर्गमील है, दो खंडों में विभाजित है पश्चिमी और पूर्वी। पश्चिमी खंड अपेक्षाकृत छोटा है। इसका सम्पूर्ण क्षेत्र गारे और कच्ची ईंटों का चबूतरा बनाकर ऊँचा उठाया गया है। सारा निर्माण कार्य इस चबूतरे के ऊपर किया गया है। इस सारे तन्त्र के आस-पास कच्ची ईंटों से किलेबन्दी की दीवार बनी है जिसमें मीनारें और बुर्ज बने हैं। इस किलेबन्द हिस्से में मुख्य प्रवेश मार्ग ( या प्रवेश मार्गों ) का अभी तक पता नहीं चला है। इस खण्ड में अनेक सार्वजनिक भवन स्थित हैं जो प्रकटतः महत्वपूर्ण थे। इन भवनों को कार्यसूचक नाम दिए गए हैं जैसे कि 'अन्न भण्डार', 'पुरोहितावास', 'महाविद्यालय भवन' इत्यादि। यह बात ध्यान देने की है कि ये सब नाम कमोवेश अलकल पर आधारित हैं। कुछ भी हो इनमें से कोई भी भवन साधारण आवास का स्थान नहीं था। एक स्तंभयुक्त भवन भी था, जिसकी व्याख्या. सभा स्थल या बाजार के रूप में की गई है। इस खंड में सड़कें और गलियाँ भी थीं, और बहुत सारे उत्खनित ढाँचे साधारण घर थे। इस खंड की शायद सबसे विशिष्ट संरचनात्मक विशेषता लगभग 39 × 23 फुट का तालाब है जिसमें ईंटों की तह लगाकर ऊपर से बिटुमन का लेप कर दिया गया है ताकि पानी उससे बाहर न जा सके। यह मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार है, जिसकी व्याख्या औपचारिक स्नानागार के रूप में की गई है।

पूर्वी खण्ड कहीं अधिक बड़ा है और ऐसे संकेत मिलते हैं कि यह भी चारों ओर एक दीवार से घिरा था। इसमें अलग-अलग घर मिट्टी के चबूतरे पर बनाए गए थे, परन्तु पूरा नगर किसी एक हीं चबूतरे के ऊपर नहीं बना था। अतः पूर्वी खण्ड की ऊँचाई पश्चिमी खण्ड की ऊँचाई से कम बैठती है। यही कारण है कि पूर्वी टीले को निचला टीला भी कहा जाता है। यह खण्ड लगभग 30 फुट चौड़ी अनेक मुख्य सड़कों के द्वारा अनेक गृह समूहों में विभाजित था। मोहनजोदड़ो के मकान बहुधा पक्की ईंटों के बने थे, जिनमें कहीं-कहीं दूसरी मंजिल भी बनी थी ओर उनमें जल निकास का प्रबन्ध था क्योंकि उन सड़कों की नालियों में ईंटों की तह लगाई जाती थी और बहुत सारी नालियाँ ऊपर से ढकीं थीं। मुख्य सार्वजनिक मार्ग के साथ-साथ जल निकास के कुछ गढ्ढे पहचाने गए हैं। कुछ मकानों में स्वच्छता का पर्याप्त प्रबन्ध देखने को मिलता है। कुछ सार्वजनिक कुँए भी थे जिनमें ईंटों की तह लगी थी। मकानों का प्रवेश द्वार साधारणतया साथ वाली सड़कों पर खुलता था। मकानों की मूल योजना में एक आँगन होता था जिसके किनारों के साथ कमरे बने होते थे। लकड़ी के दरवाजों के चिन्ह मिले हैं। वहाँ के घरों में खिड़कियाँ भी होती थीं जो दीवारों में ऊँची लगी होती थीं। कुल मिलाकर ये मकान देखने में फीके - फीके लगते थे, परन्तु इन्हें बनाने में कार्य कुशलता का परिचय दिया गया है।

हड़प्पा -  हड़प्पा में भी दो खण्ड हैं- पूर्वी और पश्चिमी, परन्तु यहाँ के पूर्वी खण्ड को आज ईंट - चोरों ने नष्ट - भ्रष्ट कर डाला है। जिससे इसका उत्खनन नहीं हो पाया है। पश्चिमी खंड में किलेबंदी के भीतर बनावट को आज के ईंट-चोरों ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया है, अतः उत्खनन के दौरान यहाँ कोई महत्वपूर्ण चीज नहीं मिली है। किलेबन्दी में आने-जाने का मुख्य मार्ग उत्तर में था। उत्खननों से पता चला है कि इस उत्तरी प्रवेश द्वार और रावी के किनारे के बीच एक 'अन्न भण्डार', 'श्रमिक आवास' और ईंटों से जुड़े गोल चबूतरे थे, जिनमें अनाज रखने के लिए कोटर बने थे। सामान्य आवास क्षेत्र के दक्षिण में एक कब्रिस्तान भी मिला है।

चन्हुदड़ो - इस बस्ती के छोटे से हिस्से का उत्खनन हुआ है। यहाँ जो महत्वपूर्ण निर्माण कार्य पाया गया, उसमें एक मनके बनाने का कारखाना भी था।

कालीबंगा - कालीबंगा में किलेबन्द पश्चिमी टीले के दो पृथक्-पृथक् किन्तु परस्पर संबद्ध खंड है। एक संभवतः जनसंख्या के विशिष्ट के निवास के लिए और दूसरा अनेक ऊँचे-ऊँचे चबूतरों के लिए जिनके शिखर पर हवन कुंडों के अस्तित्व का साक्ष्य मिलता है। इस स्थल के पश्चिम में कब्रिस्तान है, और पूर्ण में ऐसी बनावट का साक्ष्य मिलता है जहाँ संभवताः अनुष्ठान कार्य सम्पन्न किए जाते थे। कालीबंगा के पूर्वी टीले की योजना (यह भी एक दीवार के भीतर मिलता है) मोहनजोदड़ो की योजना से मिलती-जुलती है, परन्तु इन दोनों में अन्तर यह है कि कालीबंगा के घर कच्ची ईंटों के बने थे। इसके विपरीत मोहनजोदड़ो के घर अधिकांशतः पक्की ईंटों के थे और यहाँ कोई स्पष्ट घरेलू या शहरी जल निकास प्रणाली भी नहीं थी। जाहिर है, मोहनजोदड़ो के मुकाबले कालीबंगा एक दीन-हीन बस्ती थी।

लोथल - लोथल में दो भिन्न-भिन्न टीले नहीं मिलते। पूरी की पूरी बस्ती एक ही दीवार से घिरी थी। इस अतंर के साथ यह एक सुनियोजित बस्ती थी। लोथल के पूर्वी खण्ड में पक्की ईंटों का एक तालाब जैसा घेरा मिलता है। कुछ विद्वानों ने इसकी व्याख्या गोदीबाड़े के रूप में की है, परन्तु सभी विद्वान इस व्याख्या को स्वीकार नहीं करते।

सुरकोतदा - सुरकोतदा में कालीबंगा के पश्चिमी टीले की योजना की पुनरावृत्ति दिखाई देती है। इस स्थल का कोई पूर्वी टीला नहीं है।

बनावली - बनावली अपनी योजना की दृष्टि से मोटे तौर पर सुरकोतदा तथा कालीबंगा के पश्चिमी टीले से मिलता-जुलता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
  2. प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  4. प्रश्न- 'पुरातत्व के अभाव में इतिहास अपंग है। इस कथन को समझाइए।
  5. प्रश्न- इतिहास का पुरातत्व शस्त्र के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- भारत में पुरातत्व पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- पुरातत्व सामग्री के क्षेत्रों का विश्लेषण अध्ययन कीजिये।
  8. प्रश्न- भारत के पुरातत्व के ह्रास होने के क्या कारण हैं?
  9. प्रश्न- प्राचीन इतिहास की संरचना में पुरातात्विक स्रोतों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में पुरातत्व का महत्व बताइए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  12. प्रश्न- स्तम्भ लेख के विषय में आप क्या जानते हैं?
  13. प्रश्न- स्मारकों से प्राचीन भारतीय इतिहास की क्या जानकारी प्रात होती है?
  14. प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
  15. प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
  16. प्रश्न- पुरातात्विक विज्ञान के विषय में बताइये।
  17. प्रश्न- ऑगस्टस पिट, विलियम फ्लिंडर्स पेट्री व सर मोर्टिमर व्हीलर के विषय में बताइये।
  18. प्रश्न- उत्खनन के विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- पुरातत्व में ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज उत्खननों के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
  22. प्रश्न- कार्बन-14 की सीमाओं को बताइये।
  23. प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
  24. प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
  25. प्रश्न- लम्बवत् और क्षैतिज उत्खनन में पारस्परिक सम्बन्धों को निरूपित कीजिए।
  26. प्रश्न- क्षैतिज उत्खनन के लाभों एवं हानियों पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- निम्न पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
  31. प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  32. प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
  33. प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
  34. प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
  35. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
  36. प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  37. प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
  39. प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
  40. प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
  44. प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
  46. प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  47. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  51. प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
  55. प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  56. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  60. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  62. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  63. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  64. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- लौह उत्पत्ति के सम्बन्ध में पुरैतिहासिक व ऐतिहासिक काल के विचारों से अवगत कराइये?
  67. प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
  68. प्रश्न- "ताम्र की अपेक्षा, लोहे की महत्ता उसकी कठोरता न होकर उसकी प्रचुरता में है" कथन को समझाइये।
  69. प्रश्न- महापाषाण संस्कृति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  70. प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
  71. प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
  72. प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  74. प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
  75. प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- एन. बी. पी. मृद्भाण्ड संस्कृति का कालानुक्रम बताइए।
  77. प्रश्न- मालवा की मृद्भाण्ड परम्परा के विषय में बताइए।
  78. प्रश्न- पी. जी. डब्ल्यू. मृद्भाण्ड के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
  79. प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
  80. प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
  81. प्रश्न- प्राचीन भारत की प्रमुख खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
  84. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  85. प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
  86. प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
  87. प्रश्न- अशोक के स्तम्भ लेखों के विषय में बताइये।
  88. प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
  89. प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
  90. प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
  91. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  92. प्रश्न- मुद्रा बनाने की रीतियों का उल्लेख करते हुए उनकी वैज्ञानिकता को सिद्ध कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्कों) की मुख्य विशेषताओं एवं तिथिक्रम का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
  98. प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
  100. प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
  101. प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  103. प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
  104. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन ताम्र सिक्कों पर टिप्पणी लिखिए।
  106. प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  107. प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
  109. प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
  111. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
  113. प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  114. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
  115. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।

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