प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
परवर्ती काल में भारतीय संस्कृति के विकास के क्रम में ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों पर बहुत महत्व है। सम्पूर्ण भारत में ग्रामीण कृषक समुदायों का गठन इसी काल में हुआ। इसी काल में आधुनिक भारतीय ग्रामीण समाज की नींव पड़ी। आधुनिक कर्मकाण्ड और आचार-व्यवहारों का ढांचा भी इसी काल की देन है। इस काल की शव संस्कार विधियाँ भिन्न-भिन्न थीं। महाराष्ट्र में मृतक उत्तर-दक्षिण दिशा में रखा जाता था, किन्तु दक्षिण भारत में पूरब पश्चिम दिशा में। पश्चिमी भारत में लगभग सम्पूर्ण (विस्तीर्ण) शवाधान प्रचलित था, जबकि पूर्वी भारत में आंशिक शवाधान ( फैक्सनल वेरियल)। इन ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों की सबसे प्रमुख विशेषतायें हैं उनके विशिष्ट प्रकार के चिन्तन मृद्भाण्ड। कयथा संस्कृति अपने उन लाल लेप वाले मृद्भाण्डों के लिये प्रसिद्ध है, जिन पर चाकलेटी रंग से तरह तरह के चित्र बने हुये हैं। इस संस्कृति की एक अन्य विशेषता है - लाल रंग से चित्रित पाण्डुभाण्ड। आहार संस्कृति वाले लोग काले लाल रंग के बर्तन बनाते थे जो सफेद डिजाइनों से सजे होते थे। मालवा के बर्तन बनावट में कुछ अनगढ़ है लेकिन उन पर मोटा लेप लगा है जिसकी सतह पर लाल एवं काले रंग के डिजाइन बने होते हैं। प्रभास एवं रंगपुर के मिट्टी के बर्तन हड़प्पा संस्कृति से लिये हुये हैं लेकिन उनकी सतह चमकदार है जिसकी वजह से उन्हें चमकीले लाल भाण्ड भी कहा जाता है। जोर्वे की भाण्ड लाल पर काले रंग से रंजित है लेकिन उनकी तह धुँधली या खुरदरी है। इन मृद्भाण्डों में साधारण तश्तरियाँ, टोंटीदार कलश, डंडीदार चषक ( प्याले ), साधारण कटोरे, बड़े संचय पात्र और टोंटीदार पात्र एवं कटोरे मुख्य हैं।
ताम्रपाषाणिक संस्कृति के लोग नरकुल एवं मिट्टी के गारे से आयताकार और वृत्ताकार घर बनाते थे। गेहूँ और जौ की खेती मालवा क्षेत्र में की जाती थी। चावल इनामगाँव और आहार के खुदाई स्थलों से पाया गया है। ये लोग ज्वार और वाजरा भी उगाते थे और कुल्थी, रागी, हरे मटर, मसूर और हरे व काले चनों की खेती करते थे। ये लोग आपस में व्यापारिक क्रिया-कलापों से जुड़े थे। कंगन तथा चूड़ियाँ बनाने के लिये सीपियाँ व कौड़ियाँ सौराष्ट्र के समुद्र तट से व्यापार के जरिये अन्य ताम्रपाषाणिक क्षेत्रों को भेजी जाती थी। इस प्रकार सोना एवं हाथी दांत के टेक्कल कोट्टा (कर्नाटक) से जोर्वे संस्कृति वाले लोगों के पास आया होगा। इसी प्रकार राजपिपला (गुजरात से उपरत्नों का व्यापार भी विभिन्न क्षेत्रों के साथ होता था।
धर्म के द्वारा सभी ताम्रपाषाणिक संस्कृतियाँ आपस में जुड़ी थीं। उनमें मातृदेवी और वृषम की पूजा प्रचलित थी। मालवा में वृषभ पूजा का बोलबाला था। दायमाबाद से प्राप्त एक पात्र पर की गई चित्रकारी में एक देवता को बाघों जैसे जन्तुओं और मोर जैसे पक्षियों से घिरा हुआ दिखाया गया है। कुछ विद्वान इसकी तुलना शिव पशुपति से करते हैं। उत्तर कालीन जोर्वे संस्कृति के स्थल इनामगांव के पुरास्थल पर अनेक सिर कटी छोटी-छोटी मूर्तियाँ मिली हैं। उनकी तुलना महाभारत की देवी 'विशिरा' से की गई है। बड़ी संख्या में अग्निकुण्ड के मिलने से अग्नि- पूजा का अनुमान लगाया जाता है।
ताम्रपाषाण युगीन कृषकों ने मिट्टी और धातु की प्रौद्योगिकी में पर्याप्त प्रगति कर ली थी। उनके द्वारा चित्रित भाण्ड बहुत अच्छे बनाये और आग से पकाये जाते थे। उनके भट्टे की आग का तापमान 500° से 700° C तक होता था। धातु के औजारों में हम कुल्हाड़ियाँ, छेनियाँ, कड़े, मनके, कांटे आदि पाते हैं जो अधिकतर तांबे के बने होते थे। सोने के आभूषण बहुत ही दुलर्भ थे और जो केवल जोवे संस्कृति में ही पाये गये हैं।
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- प्रश्न- पुरातत्व क्या है? इसकी विषय-वस्तु का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व का मानविकी तथा अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के स्वरूप या प्रकृति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- पुरातत्व के उद्देश्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विकास के विषय में बताइये।
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- प्रश्न- डेटिंग मुख्य रूप से उत्खनन के बाद की जाती है, क्यों। कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- डेटिंग (Dating) क्या है? विस्तृत रूप से बताइये।
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- प्रश्न- उत्खनन व विश्लेषण (पुरातत्व के अंग) के विषय में बताइये।
- प्रश्न- रिमोट सेंसिंग, Lidar लेजर अल्टीमीटर के विषय में बताइये।
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- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन संस्कृति का विस्तृत वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- उत्तर पुरापाषाण कालीन संस्कृति के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की मध्यपाषाणिक संस्कृति पर एक वृहद लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल की संस्कृति का महत्व पूर्ववर्ती संस्कृतियों से अधिक है? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नवपाषाण कालीन संस्कृति के विस्तार का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय पाषाणिक संस्कृति को कितने कालों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- पुरापाषाण काल पर एक लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन मृद्भाण्डों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पूर्व पाषाण काल के विषय में एक लघु लेख लिखिये।
- प्रश्न- पुरापाषाण कालीन शवाशेष पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्यपाषाण काल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मध्यपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।।
- प्रश्न- मध्यपाषाणकालीन संस्कृति का विस्तार या प्रसार क्षेत्र स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र के मध्यपाषाणिक उपकरणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गंगा घाटी की मध्यपाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नवपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- विन्ध्य क्षेत्र की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दक्षिण भारत की नवपाषाण कालीन संस्कृति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मध्य गंगा घाटी की नवपाषाण कालीन संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं? भारत में इसके विस्तार का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जोर्वे-ताम्रपाषाणिक संस्कृति की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आहार संस्कृति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालवा की ताम्रपाषाणिक संस्कृति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जोर्वे संस्कृति की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के औजार क्या थे?
- प्रश्न- ताम्रपाषाणिक संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
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- प्रश्न- लोहे की उत्पत्ति (भारत में) के विषय में विभिन्न चर्चाओं से अवगत कराइये।
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- प्रश्न- लौह युग की भारत में प्राचीनता से अवगत कराइये।
- प्रश्न- बलूचिस्तान में लौह की उत्पत्ति से सम्बन्धित मतों से अवगत कराइये?
- प्रश्न- भारत में लौह-प्रयोक्ता संस्कृति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन मृद्भाण्ड परम्परा से आप क्या समझते हैं? गैरिक मृद्भाण्ड (OCP) संस्कृति का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- चित्रित धूसर मृद्भाण्ड (PGW) के विषय में विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तरी काले चमकदार मृद्भाण्ड (NBPW) के विषय में संक्षेप में बताइए।
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- प्रश्न- प्राचीन भारत में प्रयुक्त लिपियों के प्रकार तथा नाम बताइए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन ब्राह्मी लिपि पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- अक्षरों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अशोक के अभिलेख की लिपि बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास की संरचना में अभिलेखों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिलेख किसे कहते हैं? और प्रालेख से किस प्रकार भिन्न हैं?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय अभिलेखों से सामाजिक जीवन पर क्या प्रकाश पड़ता है?
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- प्रश्न- अशोक के रूमेन्देई स्तम्भ लेख का सार बताइए।
- प्रश्न- अभिलेख के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
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- प्रश्न- भारत में मुद्रा की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में मुद्रा निर्माण की साँचा विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुद्रा निर्माण की ठप्पा विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मौर्यकालीन सिक्कों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आहत मुद्राओं (पंचमार्क सिक्के) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आहत सिक्कों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- पंचमार्क सिक्कों का महत्व बताइए।
- प्रश्न- कुषाणकालीन सिक्कों के इतिहास का विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय यूनानी सिक्कों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- कुषाण कालीन सिक्कों के उद्भव एवं प्राचीनता को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- समुद्रगुप्त के स्वर्ण सिक्कों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्त सिक्कों की बनावट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन सिक्कों का ऐतिहासिक महत्व बताइए।
- प्रश्न- इतिहास के अध्ययन हेतु अभिलेख अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
- प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।