प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
हूणों के समय के सिक्के
हूणों के समय में जो सिक्के प्राप्त हुए, इनमें वे गुण तथा विशेषताएँ दिखाई नहीं देती हैं जिनके दर्शन गुप्तकालीन सिक्कों में नहीं होते हैं। हूणों ने अपने विजित देशों के विनिमय की सुविधा के लिए प्रचलित सिक्कों का भद्दा अनुकरण किया। गुप्त साम्राज्य तो नष्ट हो गया लेकिन गुप्तकाल के सिक्कों की शैली का चलन बराबर बना रहा। गुप्तकाल के सिक्कों की नकल की गई परिणामस्वरूप उन्होंने गुप्तकाल के सिक्कों का अनुकरण भद्दे रूप में किया। इसलिए उसके शासनकाल के सिक्कों में कलात्मकता, मौलिकता और विविधता की कमी दिखाई देने लगी। इनमें निम्न अवगुणों की छाप देखने को मिली है।
1. हूणों के सिक्कों में कलात्मकता और मौलिकता की भी छाप नहीं है।
2. हूणों के सिक्कों की बनावट तथा शैली भारतीय नहीं है उसके विषय भी भारतीय नहीं हैं।
3. हूणों के सिक्कों में अभिनवता की छाप नहीं है।
हूणों ने सासनी वंश के सिक्कों के आधार पर अपने सिक्कों का निर्माण अफगानिस्तान को जीतने के बाद कराया और फिर उन सिक्कों को अफगानिस्तान में चलाया। इन सिक्कों पर एक तरफ सासनी राजा का भद्दा अर्द्ध शरीर और दूसरी ओर यज्ञ देवी का निर्माण कराया। इस प्रकार के सिक्कों में गुप्तकाल के सिक्कों की विशेषताओं के दर्शन नहीं दिखाई देते। फिर भी इन सिक्कों का प्रचलन रहा जिसके सहयोग से व्यापार चलता रहा और साधारण जनता का लेन-देन में किसी प्रकार की कठिनाई का अनुभव नहीं हो सका।
जब हूण जाति के लोगों ने पंजाब और काश्मीर को जीतकर इन दोनों इलाकों को अपने राज्य का भाग बनाया तब इन इलाकों में कुषाण सिक्कों की नकल करके उनको अपने राज्य में चलाया। कुषाण सिक्के सबसे पहले यूनान और रोम के सिक्कों के समान बने।
वर्धनवंश के साम्राज्य के समय के सिक्के - वर्द्धन वंश के शासकों ने प्रचलित सिक्कों में अपनी इच्छानुसार परिवर्तन करके उनका निर्माण कराया। सम्राट हर्ष ने हूणों के सिक्के जो देश में चल रहे थें, उनको भारतीय शक्ल में निर्माण कराया और उनकी सुन्दरता पर भी ध्यान दिया। उसने कुषाण सिक्कों और गुप्तकालीन सिक्कों की जिनका अनुकरण हूणों ने किया था, उनमें परिवर्तन करके अपनी इच्छा के अनुसार निर्माण कराया। हर्षवर्द्धन कालीन सिक्कों को सुन्दर एवं सजीव बनाये गये जिसके कारण हर्षकालीन सिक्कों में भारतीयपन है।
जब सम्राट हर्ष की मृत्यु हो गई तब मालव राज यशोवर्मन के शासनकाल में सम्राट हर्ष के समय के सिक्कों का अनुकरण लिया गया लेकिन उनमें थोड़ा बहुत परिवर्तन अवश्य हुआ जिसके कारण मालवराज यशोवर्मन के सिक्के स्वतन्त्र रूप में दिखाई दिए।
गुर्जर प्रतिहार वंश के समय के सिक्के - गुर्जर प्रतिहार वंश के शासनकाल में कुषाण कालीन सिक्के का गुप्तकालीन सिक्कों में कुछ परिवर्तन करके अपने रंग में निर्माण कराया। इन सिक्कों को चाँदी, सोने, ताँबे आदि धातुओं से बनाया गया। इन सिक्कों में भारतीयता की छाप दिखाई पड़ती है।
गहड़वाल वंश के समय के सिक्के - ऐसा लगता है कि गहड़वाल वंश के शासनकाल में सम्राट हर्ष के समय का अनुसरण किया गया। इस वंश के सिक्के सोना, चाँदी, ताँबे के प्राप्त हो चुके हैं जिनमें सुन्दरता की छाप है।
चाहमान वंश के समय के सिक्के - चाहमान वंश के शासनकाल तक सिक्कों में बहुत परिवर्तन हो चुका था। विदेशी सिक्कों को भी चलाया गया। विदेशी व्यापारी भारत में आते थे और अपने साथ विदेशी सिक्के लाते थे।
काश्मीरी सिक्के - काश्मीरी राजाओं के शासनकाल में काश्मीरी सिक्के प्राप्त हुए। यहाँ के राजाओं ने कुषाण के सिक्कों का अनुकरण अपनी वृद्धि के अनुसार किया। इस काल के सिक्कों में खड़े हुए राजा और बैठी हुई देवी को देखा जाता है। ये सिक्के साफ-सुथरे बने हुए हैं और ये सोने, चाँदी, ताँबे के बने प्राप्त हुए है।
ग्यारहवीं तथा बारहवीं सदी में जो सोने के सिक्के बने, उन्हें अशरफियाँ तथा गिन्नी के नाम से पुकारा गया। इनको गोलाकार रूप में आधुनिक एक रूपये के सिक्के की शक्ल में देखा जाता है। अफगानिस्तान में चाँदी के सिक्कों को दीनार के नाम से भी पुकारते हैं।
दक्षिण में सिक्कों का चलन ऐसा लगता है कि कुछ दक्षिण के राजवंशों के शासनकाल में सिक्कों का चलन प्रचलित नहीं था, पल्लव, भंग, इक्ष्वाकु तथा कदम्ब राजाओं ने अपने शासनकालों में सिक्के नहीं चलाये। इन वंशों के राज्यो की साधारण जनता वस्तुओं का लेन-देन वस्तुओं से बदलकर करते थे
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- प्रश्न- उत्तर गुप्तकालीन मुद्रा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- प्राचीन सिक्कों से शासकों की धार्मिक अभिरुचियों का ज्ञान किस प्रकार प्राप्त होता है?
- प्रश्न- हड़प्पा की मुद्राओं के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन में अभिलेखों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के रूप में सिक्कों का महत्व बताइए।