लोगों की राय

प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2793
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।

अथवा
हिन्दू समाज के संस्कारों का महत्व बताइये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं?
2. संस्कार को परिभाषित कीजिए।
3. संस्कारों का उद्देश्य बताइए।
4. संस्कारों की संख्या बताइए।

उत्तर-

जब गहरी दृष्टि से भारतीय जन-जीवन का अध्ययन किया जाता है तब ज्ञात होता है कि भारतीय जीवन संस्कारों से बंधे रूप में देखने को मिलता है संस्कार व्यक्ति को संगठित तथा अनुशासित करने के विभिन्न उपाय थे। वह समाज में रहकर सुखमय जीवन व्यतीत कर सके। उनसे व्यक्ति तथा समाज दोनों का ही हित होता था। संस्कार धार्मिक तथा कर्मकाण्ड कार्यों के रूप में जन्म से मृत्युपर्यन्त किये जाते थे। जिनका प्रमुख उद्देश्य उसको शुद्ध करना भी था।

संस्कार शब्द का अर्थ - संस्कार शब्द की व्युत्पत्ति समपूर्वक कृत्र धातु से धतृ प्रत्यय करके की गई है। डॉ० कैलाश चंद्र जैन के शब्दों में “संस्कार शब्द का अन्य भाषा में यथातथ्य अनुवाद करना असंभव है। किन्तु अधिक उपयुक्त पर्याय अंग्रेजी का सेक्रामेन्ट शब्द है जिसका अर्थ है धार्मिक विधान या कृत्य जो आन्तरिक एवं आत्मिक सौन्दर्य का बाह्य तथा दृश्य प्रतीक माना जाता है।

डॉ० राजबली पांडेय के अनुसार - संस्कार शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हुआ है। मीमांसा यद्यांगभूत पुरोऽश आदि की विधिवत् शुद्धि को अद्वैत वैदयन्ती जीव पर शारीरिक क्रियाओं के मिथ्या आरोप को तथा नैयायिक भावों को व्यक्त करने की आत्म व्यंजक शक्ति को संस्कार समझते हैं।"

संस्कृत साहित्य के अनुसार इस भाषा के साहित्य में संस्कार का प्रयोग जिन अर्थो में हुआ है वे इस प्रकार है शिक्षा, संस्कृति, प्रशिक्षण, सौजन्य, पूर्णता, व्याकरण सम्बन्धी शुद्धि, संस्करण, परिष्करण, शोभा, आभूषण, प्रभाव, स्वरूप, स्वभाव, क्रिया, ध्यान, स्मरण शक्ति, स्मरण शक्ति पर पड़ने वाला प्रभाव, शुद्ध क्रिया, धार्मिक-विधि, विधान, अभिषेक, विचार, भावना, धारणा कार्य का परिणाम तथा क्रिया की विशेषता। संस्कारों का अभिप्राय शुद्धि की धार्मिक क्रियाओं एवं व्यक्ति के दैहिक, मानसिक और बौद्धिक परिष्कार के लिए किये जाने वाले अनुष्ठानों में से है। जिनसे वह समाज का पूर्ण विकसित सदस्य हो सके। परन्तु हिन्दू समाज के संदर्भ में संस्कार का अभिप्राय इस क्रिया से है जिसमें शुद्धता प्राप्त हो तथा जिनके फलस्वरूप शिक्षा-दीक्षा के अनन्तर व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्णरूप से विकास भी हो। संस्कार प्रायः विश्व के समस्त समाजों में प्रचलित है। इस्लाम धर्म में सुन्नत तथा ईसाई धर्म में वधति स्मा संस्कार ही है। परन्तु हिन्दू समाज में संस्कारों की अपनी ही विशेषता है। ये व्यक्ति की आयु कर्म तथा आश्रम आदि से भी सम्बन्धित रहे हैं।

संस्कार की परिभाषा - विद्वानों ने अपने-अपने मत से संस्कार शब्द की व्याख्या की है। कुछ विद्वानों की परिभाषायें निम्न हैं- 

1. जेमिनी की संस्कार की परिभाषा -  संस्कार वह क्रिया है जिसके करने से कोई पदार्थ या व्यक्ति किसी कार्य योग्य हो जाता है।

2. तन्त्रवार्तिक की संस्कार की परिभाषा - “संस्कार वे क्रियायें तथा रीतियाँ हैं जिनसे योग्यता प्राप्त होती है।"

3. वीर मित्रोदय की संस्कार की परिभाषा -  “संस्कार वह योग्यता है जो शस्त्र सम्मत क्रियाओं को करने से उत्पन्न हो। संक्षेप में संस्कार द्वारा व्यक्ति को अपने शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक विकास का अवसर प्राप्त होता है।"

संस्कारों का उद्देश्य -  मनुस्मृति के अनुसार शुद्धि कारक, हवन, चूड़ाकरण, मौज्जी बन्धन संस्कारों में गर्भ शास्त्र से उत्पन्न दोष दूर हो जाते हैं। हिन्दू संस्कार साधारण रूप में हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण अंग के रूप में हैं। क्योंकि धर्म का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज को प्रत्येक दृष्टिकोण से विकसित करना भी है।

संस्कारों का विस्तार - वैदिककाल में भी संस्कारों का उदय हो चुका था। समस्त इतिहासकार इस मत से सहमत हैं। परन्तु वेदों तथा ब्राह्मण ग्रन्थों में इसका उल्लेख देखने को नहीं मिलता है। यह गृहसूत्रों के विषय क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं परन्तु यहाँ भी उनका प्रयोग वास्तविक अर्थ में उपलब्ध नहीं है। डॉ० जैन के शब्दों में “ वे समस्त गृह विधि विधानों का वर्गीकरण विविध यज्ञों के अंतर्गत करते हैं। दैहिक संस्कार पाक यज्ञों में सम्मिलित है।" पारस्कर गृह सूत्रों में पाक यज्ञों को हुत, आहुत, प्रहुत तथा प्राशित में विभक्त किया गया है। जब यज्ञ के समय आहुति दे दी जाती है तो उसे हुत कहते हैं। इसके अंतर्गत विवाह के संस्कार आते हैं। अग्नि में आहुति देने के पश्चात् जब ब्राह्मणों तथा अन्य व्यक्तियों की दान-दक्षिणा दी जाती है तो उसे प्रहुत कहा जाता है। इसमें जात कर्म से चौल पर्यन्त संपूर्ण संस्कारों का समावेश हो जाता है। जब कोई स्वयं अन्य व्यक्तियों से उपहार प्राप्त करता है तो इसे आहुत के नाम से पुकारा जाता है। उपनयन तथा समावर्तन संस्कार इनके अंतर्गत आते हैं। बाद में इनको संस्कार का रूप दिया गया।

संस्कारों की संख्या - वेदों में संस्कारों का उल्लेख देखने को नहीं मिलता है। धर्मशास्त्रों में भी इनके विषय में मतभेद देखने को मिलता है। आश्वलयन गृहसूत्र में 11, पारस्कर गृहसूत्र में 13, वौधयन गृहसूत्र में 11, बैसखानस गृहसूत्र में 18 संस्कारों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कारों की संख्या चालीस बताई है, परन्तु आमतौर से इतिहासकार मानव के जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कारों को स्वीकार करते हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं-

1. गर्भाधान संस्कार 
2. पुंसवन संस्कार
3. सीमंतोनयन संस्कार
4. जातकर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्रासन संस्कार
8. चूड़ाकर्म संस्कार
9. कर्णवेध संस्कार
10. विद्यारम्भ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारम्भ संस्कार
13. केशानत संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15 विवाह संस्कार और
16. अन्त्येष्टि संस्कार

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वर्ण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारतीय दर्शन में इसका क्या महत्व है?
  2. प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- जाति व्यवस्था के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए। इसने भारतीय
  4. प्रश्न- ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक काल की भारतीय जाति प्रथा के लक्षणों की विवेचना कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन काल में शूद्रों की स्थिति निर्धारित कीजिए।
  6. प्रश्न- मौर्यकालीन वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। .
  7. प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
  8. प्रश्न- पुरुषार्थ क्या है? इनका क्या सामाजिक महत्व है?
  9. प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
  10. प्रश्न- सोलह संस्कारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
  12. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के अर्थ तथा उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए तथा प्राचीन भारतीय विवाह एक धार्मिक संस्कार है। इस कथन पर भी प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- परिवार संस्था के विकास के बारे में लिखिए।
  15. प्रश्न- प्राचीन काल में प्रचलित विधवा विवाह पर टिप्पणी लिखिए।
  16. प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नारी शिक्षा का इतिहास प्रस्तुत कीजिए।
  18. प्रश्न- स्त्री के धन सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वैदिक काल में नारी की स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में पुत्री की सामाजिक स्थिति बताइए।
  21. प्रश्न- वैदिक काल में सती-प्रथा पर टिप्पणी लिखिए।
  22. प्रश्न- उत्तर वैदिक में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- ऋग्वैदिक विदुषी स्त्रियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
  24. प्रश्न- राज्य के सम्बन्ध में हिन्दू विचारधारा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- महाभारत काल के राजतन्त्र की व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- राजा और राज्याभिषेक के बारे में बताइये।
  28. प्रश्न- राजा का महत्व बताइए।
  29. प्रश्न- राजा के कर्त्तव्यों के विषयों में आप क्या जानते हैं?
  30. प्रश्न- वैदिक कालीन राजनीतिक जीवन पर एक निबन्ध लिखिए।
  31. प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के प्रमुख राज्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- राज्य की सप्त प्रवृत्तियाँ अथवा सप्तांग सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- कौटिल्य का मण्डल सिद्धांत क्या है? उसकी विस्तृत विवेचना कीजिये।
  34. प्रश्न- सामन्त पद्धति काल में राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के उद्देश्य अथवा राज्य के उद्देश्य।
  36. प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्यों के कार्य बताइये।
  37. प्रश्न- क्या प्राचीन राजतन्त्र सीमित राजतन्त्र था?
  38. प्रश्न- राज्य के सप्तांग सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार राज्य के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्या प्राचीन राज्य धर्म आधारित राज्य थे? वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- मौर्यों के केन्द्रीय प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  42. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  43. प्रश्न- अशोक के प्रशासनिक सुधारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- गुप्त प्रशासन के प्रमुख अभिकरणों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- गुप्त प्रशासन पर विस्तृत रूप से एक निबन्ध लिखिए।
  46. प्रश्न- चोल प्रशासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  47. प्रश्न- चोलों के अन्तर्गत 'ग्राम- प्रशासन' पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में मौर्य प्रशासन का परीक्षण कीजिए।
  49. प्रश्न- मौर्यों के ग्रामीण प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
  50. प्रश्न- मौर्य युगीन नगर प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- गुप्तों की केन्द्रीय शासन व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिये।
  52. प्रश्न- गुप्तों का प्रांतीय प्रशासन पर टिप्पणी कीजिये।
  53. प्रश्न- गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  54. प्रश्न- प्राचीन भारत में कर के स्रोतों का विवरण दीजिए।
  55. प्रश्न- प्राचीन भारत में कराधान व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं?
  56. प्रश्न- प्राचीनकाल में भारत के राज्यों की आय के साधनों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- प्राचीन भारत में करों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  58. प्रश्न- कर की क्या आवश्यकता है?
  59. प्रश्न- कर व्यवस्था की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- प्रवेश्य कर पर टिप्पणी लिखिये।
  61. प्रश्न- वैदिक युग से मौर्य युग तक अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- मौर्य काल की सिंचाई व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भारत में आर्थिक श्रेणियों के संगठन तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  67. प्रश्न- श्रेणी तथा निगम पर टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- श्रेणी धर्म से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए
  69. प्रश्न- श्रेणियों के क्रिया-कलापों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- वैदिककालीन श्रेणी संगठन पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध शिक्षा की तुलना कीजिए।
  73. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के प्रमुख उच्च शिक्षा केन्द्रों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- "विभिन्न भारतीय दार्शनिक सिद्धान्तों की जड़ें उपनिषद में हैं।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अथर्ववेद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book