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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।

उत्तर -

शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं
क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्ध

 

बालक के शारीरिक विकास तथा क्रियात्मक विकास का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है । बालक का शारीरिक विकास जितना अच्छा होगा उतनी ही क्रियात्मक योग्यताएँ अधिक होंगी । क्रियात्मक विकास माँसपेशियों की क्रियाओं से सम्बन्धित होता है। माँसपेशियों पर नियन्त्रण ही क्रियात्मक विकास है क्योंकि बिना माँसपेशियों तथा नाड़ियों के समन्वय के क्रियात्मक योग्यताएँ नहीं पाई जाती हैं।

बच्चा प्रारम्भ में अपनी माँसपेशियों पर नियन्त्रण नहीं कर पाता है क्योंकि उस समय बच्चे का शारीरिक विकास पूर्ण नहीं होता। जैसे-जैसे शारीरिक विकास होता जाता है । बच्चा अपना माँसपेशियों पर नियन्त्रण करना सीख लेता है। जन्म के दो-तीन दिन बाद शिशु कभी आँखें खोलता है, कभी बन्द करता है। उसकी दृष्टि में समन्वय नहीं होता है। वह प्रकाश की ओर थोड़ी देर देख सकता है, कभी मुँह खोलता है, कभी बन्द कर लेता है। हाथ का अंगूठा या उँगलियों को चूसता है। ये सभी क्रियाएँ न तो नियन्त्रित होती हैं और न ही इनमें किसी प्रकार का समन्वय होता है। ये सभी क्रियाएँ उद्देश्यहीन होती हैं किन्तु जैसे-जैसे शारीरिक विकास होता जाता है माँसपेशियों में परिपक्वता आ जाती है और बच्चा इन सभी क्रियाओं पर नियन्त्रण करना सीख लेता है। ये क्रियाएँ ही आगे की परिष्कृत क्रियाओं और क्रियात्मक कौशलों के विकास का आधार होती हैं। बालक जितनी जल्दी माँसपेशियों पर नियन्त्रण प्राप्त कर लेता है तो वह उतनी जल्दी बाह्य वातावरण में स्वयं को समायोजित कर लेता है। क्रियात्मक विकास के फलस्वरूप बच्चा घुटने से चलना, पैर से चलना, दौड़ना, कूदना, कपड़े पहनना, खाना खाना विभिन्न क्रियात्मक क्रियाएँ करता है और ये सभी क्रियाएँ तभी सीख पाता है जब शारीरिक विकास अर्थात् माँसपेशियों में परिपक्वता आ गयी हो।

सभी बालकों का क्रियात्मक विकास की गति समान नहीं होती है। कुछ बालकों में क्रियात्मक विकास की गति तीव्र होती है, कुछ में सामान्य तथा कुछ बालकों का क्रियात्मक विकास कुंठित हो जाता है। लेकिन जिन बच्चों का शारीरिक विकास ठीक प्रकार से होता है उनका क्रियात्मक विकास भी ठीक होता है। यदि बच्चा बचपन से बीमार रहता है तो उसका शारीरिक विकास समय से नहीं हो पाता है । शारीरिक विकास ठीक से न हो पाने के कारण क्रियात्मक विकास भी विलम्ब हो जाता है क्योंकि बालक के अन्दर निश्चित समय में क्रियात्मक योग्यताओं और कौशलों का विकास होता है। अतः जो बालक बीमार रहते हैं उन्हें बीमारी की अवधि में उन क्रियात्मक कौशलों को सीखने का अवसर नहीं मिल पाता जिससे वह उस कौशल को सीखने में अपनी आयु के बालकों से पीछे रह जाते हैं। कई ऐसी बीमारियाँ हैं जैसे- टाइफाइड, निमोनिया आदि का प्रभाव बालक के शरीर पर काफी दिनों तक रहता है जिससे वे शारीरिक कमजोरी के कारण समय पर अपने शारीरिक कौशलों का विकास नहीं कर पाते । यदि बालक को कोई ऐसी बीमारी या चोट है जिसका प्रभाव सीधे-सीधे हाथ या पैर पर पड़ता है तो बालक सही समय पर हाथ और पैर के कौशलों का विकास नहीं कर पाता है । अतः माता-पिता को अपने बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल सही तरीके से करनी चाहिए जिससे बच्चा स्वस्थ रहे । बच्चा स्वस्थ रहेगा तो उसका शारीरिक विकास ठीक ढंग से होगा और बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेगा तो क्रियात्मक विकास भी सही समय पर पूर्ण होगा ।

बालकों की शारीरिक रचना तथा उसके क्रियात्मक विकास के बीच भी घनिष्ठ सम्बन्ध होता है क्योंकि बालकों के शरीर की लम्बाई तथा भार से उसका क्रियात्मक विकास प्रभावित होता है। बालकों का क्रियात्मक विकास अपनी निर्धारित आयु में हो इसके लिए यह जरूरी है कि शरीर के विभिन्न अंगों में उचित अनुपात हो जैसे कुछ बालक सामान्य की तुलना में अधिक पतले और लम्बे तथा कुछ मोटे और नाटे होते हैं। जिन बच्चों की मोटाई और वजन अधिक होता है वे सामान्य बालकों की तुलना में देर से बैठना, खड़े होना तथा चलना सीखते हैं । जो बच्चे दुबले-पतले और कमजोर होते हैं उनमें विभिन्न क्रियात्मक क्षमताएँ देर से विकसित होती हैं। जिन बालकों को किसी कारणवश संतुलित पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता उनकी अस्थि तथा माँसपेशियों का विकास भलीप्रकार से नहीं हो पाता है। माँसपेशियों का विकास पूर्ण न हो पाने के कारण क्रियात्मक विकास भी अपनी आयु के अनुरूप पूर्ण होता जाता है। प्रारम्भ में बच्चे की माँसपेशियाँ मजबूत नहीं होती हैं। माँसपेशियों के विकास के लिये आवश्यक है कि बालक की आयु के अनुसार विभिन्न क्रियाओं को स्वयं करने दें। क्रियाशीलता से माँसपेशियाँ मजबूत होती हैं लेकिन वे बालक जिनके माता-पिता अत्यधिक लाड़ प्यार के कारण आने बच्चे को हर समय गोद में रखते हैं तो ऐसे बालकों में खिसकने रेंगने, बैठने और चलने की क्रिया का विकास देर से होता है। अतः माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को जमीन पर खेलने, चलने, फिरने, उछलने कूदने आदि का पर्याप्त अवसर दें जिससे बच्चे के शरीर में मजबूती आती है और बच्चे का क्रियात्मक विकास भी ठीक समय पर होता है।

यद्यपि शारीरिक स्वास्थ्य पर क्रियात्मक विकास निर्भर करता है किन्तु दूसरी ओर क्रियात्मक विकास से शरीर स्वस्थ रहता है। जो बालक क्रियाशील होते हैं उनकी माँसपेशियाँ सुगठित तथा मजबूत होती हैं जिससे शरीर सुडौल व मजबूत बनता है । क्रियात्मक कौशलों के विकास से शरीर के साथ-साथ बालक का मन भी प्रसन्न रहता है क्योंकि अपने कौशलों की अभिव्यक्ति से बालक आत्म-सन्तोष प्राप्त करता है। अतः क्रियात्मक विकास बालक के अच्छे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का निर्धारण करता है ।

अतः निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि शारीरिक विकास और क्रियात्मक विकास का आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है ।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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