बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.)सरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B इतिहास - मध्यकालीन एवं आधुनिक सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास (1200 ई.-1700 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
अथवा
भक्ति आन्दोलन मान्य प्रमुख संतों के विषय में बतलाइये।
अथवा
भक्ति आन्दोलन मान्य भक्ति आन्दोलन न था बल्कि उसका दूसरा पहलू सामाजिक- धार्मिक सुधार था " कथन की समीक्षा कीजिये।
उत्तर -
मध्यकालीन भारत के सांस्कृतिक इतिहास में भक्ति आन्दोलनों की एक खास भूमिका है। सामाजिक-धार्मिक सुधारकों ने इस काल में विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार किया। नारद, अलवर, नयनार, आदि शंकराचार्य, कुछ प्रमुख संत थे।
(1) भक्ति आन्दोलन का आरम्भ दक्षिण भारत में आलवरों एवं नायनारों से हुआ जो कालान्तर में उत्तर भारत सहित सम्पूर्ण दक्षिण एशिया में फैल गया।
(2) इस हिन्दू क्रांतिकारी अभियान के नेता शंकराचार्य थे। जो एक महान विचारक और जाने-माने दार्शनिक रहे, इस अभियान को चैतन्य महाप्रभु, नामदेव, तुकाराम, जयदेव ने और अधिक मुखरता प्रदान की, इस अभियान की प्रमुख उपलब्धि मूर्ति पूजा को समाप्त करना रहा।
(3) शैव संत अप्पार ने पल्लव राजा महेन्द्रवर्मन को शैवधर्म स्वीकार करवाया।
(4) भक्ति कवि संतों के दो समूह थे पहला वो जो महाराष्ट्र में लोकप्रिय हुये और भगवान विठोवा के भक्त थे, ये तीर्थयात्रा, पंथ कहलाते थे, दूसरा समूह था- राजस्थान और पंजाब का जिनकी निर्गुण भक्ति में आस्था थी।
(5) भक्ति आन्दोलन के नेता रामानंद ने राम को भगवान के रूप में लेकर इसे केन्द्रित किया, उनके बारे में बहुत कम जानकारी है। परन्तु ऐसा माना जाता है कि वे 15वीं शताब्दी के प्रथमार्थ में रहे, उन्होंने सिखाया कि भगवान राम सर्वोच्च भगवान हैं और केवल उनके प्रति प्रेम और समर्पण के माध्यम से और उनके पवित्र नाम को बार-बार उच्चारित करने से ही मुक्ति पाई जाती है।
श्री रामानुजाचार्य - श्री रामानुजाचार्य भारतीय दर्शनशास्त्री थे और उन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण वैष्णव संत के रूप में मान्यता दी गई है। रामानंद ने उत्तर भारत में जो किया वही रामानुज ने दक्षिण भारत में किया, उन्होंने रूढ़िवादी कुविचार की बढ़ती औपचारिकता के विरुद्ध आवाज उठाई और प्रेम और समर्पण की नींव पर आधारित वैष्णव विचारधारा के नये सम्प्रदाय की स्थापना की।
रामानंद वैष्णवाचार्य - स्वामी रामानंद का जन्म 1299 ई. में प्रयाग में हुआ था, इनके विचारों पर गुरू राघवानंद के विशिष्टताद्वैत मत का अधिक प्रभाव पड़ा। अपने मत के प्रचार के लिये उन्होंने भारत के विभिन्न तीर्थों की यात्रा की। तीर्थाटन से लौटने पर अनेक गुरु-भाइयों ने यह कहकर रामानंद के साथ भोजन करने से इंकार कर दिया कि इन्होंने तीर्थाटन में छुआछूत का विचार, नहीं किया होगा, इस पर रामानंद ने अपने शिष्यों को नया संप्रदाय चलाने की सलाह दी। कबीर, पीपा, रैदास आदि परम 'विरागी' महापुरुष आचार्य के शिष्य थे।
कबीर - कबीर पन्थियों की मान्यता है कि कबीर का जन्म काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहर पुष्प के ऊपर बालक के रूप में हुआ, कुछ लोगों का कहना है कि वे जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानंद के प्रभाव से उन्हें हिन्दू धर्म की बातें मालूम हुई। कबीर सन्त कवि और समाज सुधारक थे। इनका जन्म 1398 ई. में हुआ, ये सिकन्दर लोदी के समकालीन थे, कबीर का अर्थ अरबी भाषा में महान होता है, कबीर भारत के भक्ति काव्य परंपरा के महानतम कवियों में से एक है। भारत में धर्म भाषा या संस्कृति किसी की भी चर्चा बिना कबीर की चर्चा की अधूरी ही रहेगी, कबीरपंथी, एक धार्मिक समुदाय जो कबीर के सिद्धान्तों और शिक्षाओं को अपनी जीवन शैली का आधार मानते हैं।
गुरुनानक - गुरूनानक का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तिलौंडा तलंवडी नामक गाँव में 1469 ई. में हुआ जो अब ननकाना नाम से प्रसिद्ध है। इनके पिता का नाम कल्यानचंद्र या मेहता कालू जी था, माता का नाम तृप्ता देवी था, इनकी बहन का नाम नानकी था, इनका विवाह सोलह वर्ष की अवस्था में गुरुदासपुर जिले के अंतर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाले मूला की कन्या सुलक्षणी से हुआ था, इन्होंने देश का चार बार चक्कर लगाया, 32 वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ। उन्होंने देश का पांच बार चक्कर लगाया, जिसे उदासीन कहा जाता है। इन्होंने कीर्तन के माध्यम से उपदेश दिये, अपने जीवन के अंतिम क्षणों में इन्होंने रावी नदी के किनारे अपना मठ बनाया। आध्यात्मिक आधार पर इन्होंने अपने बेटे की जगह अपने भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी बनाया, 1539 ई. में इनकी मृत्यु करतारपुर में हो गयी। नानक ने सिख धर्म की स्थापना की। नानक सूफी धर्म बाबा फरीद से प्रभावित थे ।
चैतन्य महाप्रभु - चैतन्य महाप्रभु का जन्म सन् 1486 ई. में पश्चिम बंगाल के नदिया में हुआ। इनके पिता का नाम जगन्नाथ मिश्र और मां का नाम शचि देवी था। पाठशाला में चैतन्य का नाम निमाई पंडित था। चैतन्य महाप्रभु द्वारा गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की स्थापना की गयी और वृंदावन को अपनी कर्मभूमि बनाया। इन्होंने केशव भारती नामक संन्यासी से दीक्षा ली थी। कुछ लोग माघवेन्दपुरी को इनका दीक्षा गुरू मानते हैं। इनकी पत्नी का नाम, लक्ष्मीप्रिया और विष्णुपप्रिया था, उनका देहांत उड़ीसा के पुरी तीर्थस्थल पर हुआ।
वल्लभाचार्य - श्री वल्लभाचार्य का जन्म 1479 ई. में चंपारण्य में हुआ था। इनके पिता का नाम लक्ष्मण भट्ट और माता का नाम मल्लमगर था। इनका विवाह महालक्ष्मी के साथ हुआ था। इनके दो बेटे थे - गोपीनाथ और बिट्ठलनाथ। इन्होंने अरैल में अपना निवास स्थान बनाया, इन्होंने भक्ति साधना पर जोर दिया और मोक्ष के लिये भक्ति को साधन बताया, इनके भक्ति मार्ग को पुष्टिमार्ग कहते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास - एक महान कवि थे, उनका जन्म यूपी के बांदा में हुआ था, अपनी जीवनकाल में उन्होंने 12 ग्रन्थ लिखे। उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में माना जाता है। उनको मूल आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जता है। इन्होंने श्री रामचरितमानस की रचना की थी।
धन्ना - धन्ना का जन्म 1415 ई. में एक जाट परिवार में हुआ। राजपुताना से आकर, ये बनारस में रामानंद के शिष्य बन गये, कहा जाता है कि इन्होंने भगवान की मूर्ति को भोजन करवाया था।
दादूदयाल - हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। दादूदयाल का जन्म 1544 ई. में अहमदाबाद में हुआ था। इनका जन्म धुनिया जाति से है। गृहस्थी त्यागकर इन्होंने 12 वर्षों तक कठिन तप किया। दादू ने फतेहपुर सीकरी में अकबर से भेंट की थी और चालीस दिनों तक आध्यात्मिक विषयों की चर्चा भी करते रहे थे। इन्होंने निपख नामक आन्दोलन की शुरुआत की। इन्होंने शबद और साखी लिखी। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है, इनके अधिकतर पद जात-पात के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर हैं।
संत रैदास - संत रैदास जाति के चमार थे, ये रामानंद के 12 शिष्यों में से एक थे, ये जूता बनाकर जीविकोपार्जन करते थे, कबीर के समसामयिक कहे जाते हैं, मध्ययुगीन संतों में रैदास का महत्वपूर्ण स्थान है, मीराबाई ने इन्हें अपना गुरू माना है, इन्होंने रामदासी की स्थापना की। मीराबाई - मीराबाई मेड़तिया के राठौर रत्नसिंह की पुत्री, रावदूदा जी की पौत्री और जोधपुर को बसाने वाले प्रसिद्ध रावजोधाजी की प्रपौत्री थी। इनका जन्म संवत् 1573 ई. में चोकड़ी नाम के एक गाँव में हुआ था और विवाह उदयपुर के महाराणा कुमार भोजराज जी के साथ हुआ था। ये आरम्भ से ही कृष्ण-भक्ति में लीन रहा करती थी। इनके इस राजकुल विरुद्ध आचरण से इनके स्वजन लोक निंदा के भय से रुष्ट रहा करते थे। इन्हें विष देने का भी प्रयत्न किया गया, पर इन पर विष का भी कोई प्रभाव न हुआ। मीराबाई का देहांत 1603 में हुआ।
|
- प्रश्न- सल्तनतकालीन सामाजिक-आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनतकालीन केन्द्रीय मन्त्रिपरिषद का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में प्रांतीय शासन प्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनतकालीन राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- सल्तनत के सैन्य-संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत काल में उलेमा वर्ग की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनतकाल में सुल्तान व खलीफा वर्ग के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम राजवंशों के द्रुतगति से परिवर्तन के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनतकालीन राजतंत्र की विचारधारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के स्वरूप की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनत काल में 'दीवाने विजारत' की स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनत कालीन राजदरबार एवं महल के प्रबन्ध पर एक लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'अमीरे हाजिब' कौन था? इसकी पदस्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जजिया और जकात नामक कर क्या थे?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में राज्य की आय के प्रमुख स्रोत क्या थे?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन भू-राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत में सुल्तान की पदस्थिति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनतकालीन न्याय-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'उलेमा वर्ग' पर एक टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों में सल्तनत का विशाल साम्राज्य तथा मुहम्मद तुगलक और फिरोज तुगलक की दुर्बल नीतियाँ प्रमुख थीं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विदेशी आक्रमण और केन्द्रीय शक्ति की दुर्बलता दिल्ली सल्तनत के पतन का कारण बनी। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन की प्रारम्भिक कठिनाइयाँ क्या थीं? अलाउद्दीन के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए यह स्पष्ट कीजिए कि उसने इन कठिनाइयों से किस प्रकार निजात पाई?
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार व बाजार नियंत्रण नीति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण विजय का विवरण दीजिए। उसकी दक्षिणी विजय की सफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'खिलजी क्रांति' से क्या समझते हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन की दक्षिण नीति के क्या उद्देश्य थे, क्या वह उनकी पूर्ति में सफल रहा?
- प्रश्न- खिलजी शासकों के काल में स्थापन्न कला के विकास पर टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का एक वीर सैनिक व कुशल सेनानायक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की मंगोल नीति की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजनीति क्या थी?
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन की हिन्दुओं के प्रति नीति स्पष्ट करते हुए तत्कालीन हिन्दू समाज की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व सुधार नीति के विषय में बताइए।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी का प्रारम्भिक विजय का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की महत्त्वाकांक्षाओं को बताइये।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों का लाभ-हानि के आधार पर विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- अलाउद्दीन खिलजी की हिन्दुओं के प्रति नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सूफी विचारधारा क्या है? इसकी प्रमुख शाखाओं का वर्णन कीजिए तथा इसके भारत में विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों, विशेषताओं और मध्यकालीन भारतीय समाज पर प्रभाव का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- मध्यकालीन भारत के सन्दर्भ में भक्ति आन्दोलन को बतलाइये।
- प्रश्न- समाज की प्रत्येक बुराई का जीवन्त विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- “मध्यकालीन युग में जन्मी, मीरा ने काव्य और भक्ति दोनों को नये आयाम दिये" कथन की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सूफी धर्म का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा।
- प्रश्न- राष्ट्रीय संगठन की भावना को जागृत करने में सूफी संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- सूफी मत की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के प्रभाव व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भक्ति साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- भक्ति एवं सूफी सन्तों ने किस प्रकार सामाजिक एकता में योगदान दिया?
- प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के कारण बताइए
- प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की क्या दशा थी? इस काल की एकमात्र शासिका रजिया सुल्ताना के विषय में बताइये।
- प्रश्न- "डोमिगो पेस" द्वारा चित्रित मध्यकाल भारत के विषय में बताइये।
- प्रश्न- "मध्ययुग एक तरफ महिलाओं के अधिकारों का पूर्णतया हनन का युग था, वहीं दूसरी ओर कई महिलाओं ने इसी युग में अपनी विशिष्ट उपस्थिति दर्ज करायी" कथन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मुस्लिम काल की शिक्षा व्यवस्था का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- नूरजहाँ के जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी जहाँगीर की गृह व विदेशी नीति के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सल्तनत काल में स्त्रियों की दशा कैसी थी?
- प्रश्न- 1200-1750 के मध्य महिलाओं की स्थिति को बताइये।
- प्रश्न- "देवदासी प्रथा" क्या है? व इसका स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- रजिया के उत्थान और पतन पर एक टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- मीराबाई पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रजिया सुल्तान की कठिनाइयों को बताइये?
- प्रश्न- रजिया सुल्तान का शासक के रूप में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अक्का महादेवी का वस्त्रों को त्याग देने से क्या आशय था?
- प्रश्न- रजिया सुल्तान की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- मुगलकालीन आइन-ए-दहशाला प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व का निर्धारण किस प्रकार किया जाता था? विस्तार से समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व वसूली की दर का किस अनुपात में वसूली जाती थी? ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर क्षेत्रवार मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व प्रशासन का कालक्रम विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व के अतिरिक्त लागू अन्य करों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल के दौरान मराठा शासन में राजस्व व्यवस्था की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- शेरशाह की भू-राजस्व प्रणाली का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- मुगल शासन में कृषि संसाधन का वर्णन करते हुए करारोपण के तरीके को समझाइए।
- प्रश्न- मुगल शासन के दौरान खुदकाश्त और पाहीकाश्त किसानों के बीच भेद कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भूमि अनुदान प्रणाली को समझाइए।
- प्रश्न- मुगलकाल में जमींदार के अधिकार और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में फसलों के प्रकार और आयात-निर्यात पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकबर के भूमि सुधार के क्या प्रभाव हुए? संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में भू-राजस्व में राहत और रियायतें विषय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मुगलों के अधीन हुए भारत में विदेशी व्यापार के विस्तार पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- मुग़ल काल में आंतरिक व्यापार की स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकालीन व्यापारिक मार्गों और यातायात के लिए अपनाए जाने वाले साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में व्यापारी और महाजन की स्थितियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 18वीं शताब्दी में मुगल शासकों का यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकालीन तटवर्ती और विदेशी व्यापार का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मुगलकाल में मध्य वर्ग की स्थिति का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- मुगलकालीन व्यापार में दलालों की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मुगलकालीन भारत की मुद्रा व्यवस्था पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मुगलकाल के दौरान बैंकिंग प्रणाली के विकास और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली हुण्डी व्यवस्था को समझाइए।
- प्रश्न- मुगलकालीन मुद्रा प्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में बैंकिंग और बीमा पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- मुगलकाल में सूदखोरी और ब्याज की दर का संक्षिप्त विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- मुगलकालीन औद्योगिक विकास में कारखानों की भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औरंगजेब के समय में उद्योगों के विकास की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल में उद्योगों के विकास के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के पद और कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकाल के दौरान कारीगरों की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 18वीं सदी के पूर्वार्ध में भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुगलकालीन कारखानों का जनसामान्य के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- यूरोपियन इतिहासकारों के नजरिए से मुगलकालीन कारीगरों की स्थिति प