बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.)सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A इतिहास - आधुनिक विश्व का इतिहास (1453 ई. से 1815 ई.) - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सामन्तवाद के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए। (कानपुर 2012)
उत्तर -
सामन्तवाद का पतन 13वीं शताब्दी के आरम्भ से शुरू हुआ। वास्तव में ऐसी व्यवस्था का पतन अवश्यम्भावी था, जिसमें कुछ लोगों की अपेक्षा अधिक प्रमुखता दी जाती है। अनेक हजारों, लाखों लोगों की वेदना पर फलती-फूलती है। असमानता अत्याचार, शोषण, अन्याय, अमानवीय दृष्टिकोण आदि पर सामन्तवादी प्रथा के सिद्धान्त आधारित थे। सामन्तवाद का पतन सभी राष्ट्रों में एक समय से न होकर अलग-अलग हुआ। पश्चिमी यूरोपीय देशों में समान्तवाद का पतन पहले और मध्य तथा पूर्वी यूरोपीय देशों में सामन्तवाद का पतन बाद में हुआ। इसके अलावा यह भी स्मरणीय है कि इसका ह्रास प्रशासन की एक विधा के रूप में ही हुआ। क्योंकि सामाजिक व्यवस्था के रूप में यह प्रथा बहुत दिनों तक बनी रही।
सामन्तवाद के पतन के कारण निम्नलिखित थे-
(1) धर्म युद्धों का प्रभाव - ईसाइयों के पवित्र तीर्थ स्थल जेरूसलम पर मुसलमान तुर्कों ने अधिकार कर लिया था। जिसे ईसाई मुक्त कराने के लिए जेरूसलम आये। इसके अतिरिक्त धर्म गुरु पोप की अपील पर बहुत से सामन्त अपने सैनिकों तथा अनुचरों के साथ धर्मयुद्ध में भाग लेने आये। इस प्रकार इन धर्म युद्धों में भाग लेने वाले बहुत से सामन्तों ने या तो अपनी जमीन बेच दी या उसे गिरवी रख दी थीं। इससे सामन्ती शक्ति का प्रभाव राजाओं अथवा व्यापारियों के हाथों में चले गये। अनेक सामन्त इन युद्धों में मारे गये और उनकी भूमि राजाओं द्वारा जब्त कर ली गयी। इससे पश्चिमी यूरोप में सामन्तों की शक्ति दुर्बल हो गयी और राजतन्त्र को दृढ़ होने तथा सामन्तों का दमन करने का अवसर प्राप्त हुआ।
(2) नये हथियारों एवं बारूद का आविष्कार - सामन्तों की शक्ति का आधार उनके दुर्ग थे तथा उनकी सेना घुड़सवार सैनिकों की सेना होती थी। लेकिन जब बारूद का आविष्कार हुआ तब अनेक नये-नये हथियारों बन्दूक, तोपों आदि का भी निर्माण हुआ जिसके सामने सामन्तों के दुर्ग व्यर्थ हो गये। इसके अतिरिक्त घुड़सवार सेना भी बन्दूकों की शक्ति के सामने व्यर्थ हो गयी। इसके अतिरिक्त राजाओं द्वारा तोपों तथा बन्दूकों पर एकाधिकार रखा गया, जिससे सामन्त इतने दुर्बल हो गये कि राजा का सामना करने की शक्ति अब उनमें नहीं रही।
(3) कृषि उत्पादन में वृद्धि - कृषि क्षेत्र में दो श्वेत प्रणाली के स्थान पर तीन श्वेत प्रणाली का प्रादुर्भाव होने से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई जिससे कृषि उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि होने से अधिक लोगों का भरण-पोषण सम्भव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या लगभग दोगुनी हो गयी। शहरों के विकास और घनत्व में भी वृद्धि हुई, जिसके कारण कृषक वर्ग की सामन्तों पर निर्भरता कम होती चली गयी जो सामन्तवादी प्रणाली के पतन का कारण बनी।
(4) राजशक्ति में वृद्धि - कृषि, उद्योग, व्यापार-वाणिज्य में समृद्धिशाली वर्ग का निर्माण हुआ, जिसके द्वारा सामन्तों के पतन के लिए राजाओं को दी जाने वाली धनराशि तथा राजाओं द्वारा लिये जाने वाले करों ने राजाओं को अपनी सेनाओं का निर्माण करने में सहूलियत प्रदान की, जिससे राजा अब सामन्तों की सेना पर निर्भर नहीं थे। इसके साथ ही राजाओं ने सामन्तों से सैनिक सहायता के स्थान पर निश्चित धन प्राप्त करना आरम्भ किया। इन सबसे मिलकर राजा की शक्ति में वृद्धि हुई। राजा द्वारा प्रशासन अपने हाथ में लेने से एक केन्द्रीकृत सत्ता की स्थापना हुई।
(5) किसानों का विद्रोह- सामन्तवादी व्यवस्था कृषकों के उत्पीड़न पर आधारित थी। समय-समय पर कृषकों द्वारा इनका विरोध किया गया। इन्हीं दिनों एक ऐसी घटना घटी जिससे किसानों के विद्रोह ने और अधिक उग्र रूप धारण कर लिया। सन् 1348 ई. में यूरोप में एक भयंकर महामारी फैली, जिसे 'काली मृत्यु' कहा गया। इसने यूरोप की लगभग आधी जनसंख्या का सफाया कर दिया। परिणामस्वरूप किसानों एवं मजदूरों की भारी कमी होने के कारण कृषि दासों द्वारा अपने काम के लिए उचित पारिश्रमिक जैसे अधिकारों की माँग की गयी किन्तु सामन्तों के प्रभावस्वरूप इंग्लैण्ड की सरकार द्वारा किसानों को दबा दिया गया। इंग्लैण्ड के हजारों किसानों ने सन् 1381 ई. में 'वाट टाइलर' ने नेतृत्व में विद्रोह किया। इसी समय फ्रांस में भी कृषक विद्रोह हुआ लेकिन इन विद्रोह को सरकार द्वारा कठोरतापूर्वक दबा दिया गया। वाट टाइलर को छुरा घोंपकर मार दिया गया। इसके अतिरिक्त किसानों की तरफदारी करने वाले पादरी जॉन बौल को फाँसी दे दी गयी। किन्तु इतना सब होने से भी किसानों का स्वन्त्रता प्रेम नहीं मरा। शहरों का उदय होने से वे शहरों में रोजी-रोटी कमा सकते थे। जिससे अब किसानों का सामन्तों पर निर्भर रहना जरूरी नहीं रह गया। इस प्रकार किसानों के विद्रोहों में भी सामन्तवाद की नींव डाल दी।
(6) व्यापारिक वर्ग का अभ्युदय - धर्म युद्धों के परिणामस्वरूप यूरोप के वाणिज्य-व्यापार में वृद्धि हुई। धर्म युद्धों के समय यूरोप के लोगों को नये-नये देशों का ज्ञान हुआ। जिससे वे पूर्व की अनेक वस्तुओं के प्रति आकर्षित होने लगे और पूर्व की अनेक वस्तुओं की माँग यूरोप में होने के फलस्वरूप व्यापारिक वर्ग का उदय हुआ। उन्होंने खूब धन कमाया, जिसके परिणामस्वरूप अनेक व्यापारी सामन्तों से अधिक सम्पन्न थे। उनके पास धन था, बुद्धि थी। लेकिन समाज में उनको महत्त्व प्राप्त नहीं था। जिसके कारण ये सामन्तों से ईर्ष्या करते थे और उनके दमन के लिए राजाओं को आर्थिक सहयोग भी देने लगे थे।
(7) आन्तरिक दुर्बलता - सामन्तवाद युद्धं प्रणाली पर आधारित था। अनेक सामन्तों द्वारा विजय, उत्तराधिकार या विवाह के परिणामस्वरूप भूमि पर अपना अधिकार कर लिया जाता था। जिससे हमेशा संघर्ष बना रहता था। इसके अतिरिक्त शोषण पर आधारित इस व्यवस्था के परिणामस्वरूप अनेक विरोधी तत्वों का उद्भव होता चला गया और धीरे-धीरे सभी राजा, व्यापारी, कृषक, मध्यम वर्ग तथा श्रमिक उनके विरोधी हो गये। दूसरी ओर आर्थिक विचारों, वैज्ञानिक उन्नति, सैनिक परिवर्तनों तथा अन्य बौद्धिक विचारों में विकास के विपरीत सामन्तवाद प्रगति विरोधी था। जिससे सामन्तवाद का पतन आवश्यक हो गया।
(8) नवीन नगरों का आविर्भाव - व्यापार वाणिज्य तथा तीन श्वेत प्रणाली के परिणामस्वरूप अनेक नगरों का विकास हुआ जहाँ अनेक व्यापारिक मेले आयोजित किये जाते थे और व्यापारियों द्वारा वस्तुओं का विनिमय किया जाता था। इन व्यापारियों को सस्ते मजदूरों की आवश्यकता थी दूसरी ओर कृषि तथा कृषक ग्रामीण क्षेत्रों से नगर की ओर आकर बस रहे थे। इससे अब कृषकों की संख्या कम होने लगी। अब कृषक सामन्तों पर निर्भर नहीं रहे तथा सामन्तों का अहित होने लगा। कृषि के स्थान पर ्यापार, उद्योग तथा ग्रामों के स्थान पर नगरों का महत्त्व बढ़ने से व्यापारियों और सामन्तों में संघर्ष आरम्भ हो गया, जिससे अन्ततः सामन्तवाद नष्ट हुआ।
(9) मुद्रा का प्रचलन - धर्म युद्धों के कारण और व्यापार में वृद्धि के कारण मुद्रा का प्रचलन बढ़ गया। सामन्तों को धर्मयुद्धों में जाने तथा व्यापारियों से विलासिता की वस्तुएँ खरीदने के लिए मुद्रा आवश्यकता होने लगी, जो उन्हें केवल व्यापारियों से ही प्राप्त हो सकती थी। इससे व्यापारी वर्ग सामन्तों को मुद्रा देने के बदले उनके विशेषाधिकार तथा स्वशासन के अधिकार प्राप्त कर लेते थे। जिससे सामन्तों का महत्त्व कम हो गया। दूसरी ओर सामन्त यह भी चाहने लगे थे कि कृषक दास धन देकर अपनी स्वतन्त्रता खरीद लें। इससे अनेक दासों के स्वतन्त्र होकर व्यापारियों की सेवा में चले जाने से भी सामन्तों की स्थिति दुर्बल हो गयी। वे धनी व्यापारी वर्ग का सामना करने में असमर्थ हो गये।
(10) पारस्परिक संघर्ष - सामन्तों के पारस्परिक संघर्ष भी सामन्तवाद के पतन का एक बड़ा कारण था। सभी सामन्त अलग-अलग सेना रखते थे। अनेक महत्त्वाकांक्षी सामन्तों द्वारा अपने स्वार्थों के कारण परस्पर युद्ध करने से उनकी सैनिक शक्ति इन आत्मघाती युद्धों में नष्ट हो गयी। जिससे सामन्त वर्ग सैनिक दृष्टि से तो दुर्बल हुआ ही, साथ ही अनेक सामन्तों के मारे जाने से भी सामन्त वर्ग दुर्बल हुआ। इस दुर्बलता से लाभ उठाकर राजाओं ने अपनी शक्ति को संगठित करने में सफलता प्राप्त की। फ्रांस और इंग्लैण्ड में इस तरह के संघर्ष उल्लेखनीय रहे हैं।
(11) राष्ट्रीयता की भावना का उदय - राष्ट्रीय भावना के विकास से भी सामन्तवाद का पतन हुआ। प्रत्येक व्यापारी वर्ग अपने-अपने देश में अपनी प्रभुसत्ता बनाये रखना चाहता था। इसलिए वह नहीं चाहता था कि दूसरे देश का व्यापारी उनके देश में बसे। इन सबसे व्यापारियों में संघर्ष उत्पन्न हो गया। जिसके कारण राजा द्वारा अपने देश के व्यापारियों की रक्षा तथा उनके व्यापार के सरंक्षण हेतु नियम बनाये गये। इससे व्यापारिक लाभ के लिए राष्ट्रों के मध्य युद्ध के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय भावना का उदय हुआ। जिसमें सामन्तवाद का कोई स्थान नहीं था। अतः राष्ट्रीयता के उत्थान से सामन्तवाद नष्ट हो गया।
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- प्रश्न- यूरोप में राष्ट्रीय राज्यों के उदय का वर्णन कीजिए और उनके पतन की समीक्षा कीजिए
- प्रश्न- फिलिप-II की विदेश नीति एवं धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- फिलिप-II की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक वंशानुगत शासक के रूप में चार्ल्स पंचम की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूस के आधुनिकीकरण हेतु पीटर महान ने क्या उपाय किये
- प्रश्न- "एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैंड के इतिहास का स्वर्ण युग था।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामन्तवाद के पतन के लिए उत्तरदायी कारणों का उल्लेख कीजिए। (कानपुर 2012)
- प्रश्न- यूरोपीय सामन्तवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- स्पेन के सम्राट चार्ल्स पंचम पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के कारण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निरंकुशवाद की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय राज्यों के उदय के परिणामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्पेन के उत्कर्ष के क्या कारण थे?
- प्रश्न- रूस के पीटर महान का प्रबुद्ध निरंकुश शासक के रूप में मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम के शासनकाल की प्रमुख गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम की गृह नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोलहवीं सदी में यूरोप में राष्ट्रीयता का उदय किन तत्वों के अन्तर्सयोजन का परिणाम था?
- प्रश्न- स्पेन के पंतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- नीदरलैण्ड के विद्रोह के क्या कारण थे?
- प्रश्न- हेनरी चतुर्थ ने फ्रांस को किस प्रकार सुदृढ़ किया था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कैथेरिन द्वितीय के जीवन चरित्र एवं कार्यों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- पीटर महान की 'खुली खिड़की' की नीति के विषय में आप क्या जानते थे? इस नीति के क्रियान्वयन में वह कहाँ तक सफल रहा?
- प्रश्न- प्रबुद्ध निरंकुशवाद के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- फर्डीनेण्ड और ईसाबेला की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फिलिप द्वितीय की गृहनीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तानाशाही के गुण एवं दुर्गुण क्या हैं?
- प्रश्न- हेनरी चतुर्थ की विदेश नीति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृहनीति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कैथरीन द्वितीय की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी अष्टम् की धार्मिक नीति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मेरी ट्यूडर का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय की विदेश नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हेनरी अष्टम् व पोप के मध्य संघर्ष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चार्ल्स पंचम की धार्मिक नीति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्या फ्रेडरिक महान को सही अर्थों में एक प्रबुद्ध निरंकुश शासक कहा जा सकता है?
- प्रश्न- लुई ग्यारहवाँ क्या वास्तव में 'फ्रांसीसी राष्ट्र निर्माता' था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रोटेस्टेण्ट धर्म की विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- 16वीं सदी की धार्मिक उथल-पुथल का क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- काल्विनवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऐंग्लिकन चर्च का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- काल्विनवाद के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण से क्या तात्पर्य है? पुनर्जागरण के विभिन्न कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- यूरोपीय देशों के जनजीवन पर पुनर्जागरण के प्रभावों की विस्तार सहित व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- यूरोप में पुनर्जागरण के फलस्वरूप मानव के सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण की शुरूआत इटली से ही क्यों हुई?
- प्रश्न- पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएँ या लक्षण क्या थे?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का राजनीतिक क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा था?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का स्थापत्य कला के क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का मूर्तिकला के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का संगीत कला पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरण का विज्ञान के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- पुनर्जागरणकाल के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जर्मनी में पुनर्जागरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रोम में पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पुनर्जागरण काल में इटली में साहित्य एवं कला के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्जागरण का साहित्य के क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- यूरोप में धर्म सुधार आन्दोलन का वर्णन कीजिए। काल्विनवाद तथा लूथरवाद की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- काल्विनवाद से आप क्या समझते हैं? काल्विन का लूथर से तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्व एवं परिणामों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धार्मिक सुधार प्रतिक्रिया आन्दोलन में कौन-कौन से सहायक तत्त्व थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि तथा कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के तात्कालिक कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के बौद्धिक जागरण सम्बन्धी कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार के आर्थिक एवं धार्मिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार के राजनीतिक कारणों को समझाइये।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन में मार्टिन लूथर के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिधर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझतें हैं?
- प्रश्न- "धर्म सुधार आन्दोलन पोप-पद की सांसारिकता का भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक नैतिक विद्रोह था।' वाइनर एवं मार्टिन के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रति धर्म सुधार आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व और परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिवादी धर्म सुधार आन्दोलन को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आंदोलन के परिणामों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्टिन लूथर के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मार्टिन लूथर के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के आर्थिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के क्या राजनीतिक कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का तात्कालिक कारण क्या था?
- प्रश्न- आग्सबर्ग संधि की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन का यूरोप के राजनैतिक और आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- ऐंग्लिकन विचारधारा का धर्म सुधार आन्दोलन में क्या योगदान रहा?
- प्रश्न- इंग्लैंड में धर्म सुधार के क्या कारण थे?
- प्रश्न- जैसुइट संघ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- फ्रांस में धर्म सुधार आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के स्वरूप को बताइये।
- प्रश्न- जर्मनी के धर्म सुधार आन्दोलन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- धर्म सुधार आन्दोलन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- यूरोप में कैथोलिक चर्च ने धार्मिक आन्दोलनों को रोकने के लिए क्या प्रयास किए? इन प्रयासों में उसे कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के विकास की प्रमुख घटनाओं का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के क्या परिणाम हुए व इसका यूरोपीय इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- वेस्टफालिया की सन्धि पर संक्षित टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या प्रावधान थे?
- प्रश्न- वेस्टफेलिया की सन्धि के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- तीस वर्षीय युद्ध में स्पेन की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- इंग्लैण्ड ने सन् 1688 ई. की क्रान्ति के कारणों तथा परिणामों की व्याख्या कीजिए। इस क्रान्ति को 'गौरवपूर्ण (वैभवशाली) क्रान्ति तथा रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- 1688 ई. क्रान्ति के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रान्ति के प्रभाव अथवा परिणामों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम ने इंग्लैण्ड में किस प्रकार एक सुदृढ़ राज्य की स्थापना की थी? समझाइये।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की गृह नीति अथवा आन्तरिक उपलब्धियों के बारे में ज्ञात कीजिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की सफलता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हेनरी सप्तम की विदेश नीति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- एलिजाबेथ का शासनकाल इंग्लैण्ड के इतिहास में स्वर्ण युग था। इस कथन के औचित्य को सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में संसदीय सुधारों का क्रमागत अध्ययन प्रस्तुत कीजिए। (कानपुर 2018)
- प्रश्न- एलिजाबेथ के शासनकाल में इंग्लैण्ड की नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- एलिजाबेथ की वैदेशिक उपलब्धियों को समझाइये।
- प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रान्ति के धार्मिक परिणाम क्या निकले?
- प्रश्न- गुलाबों के युद्ध के महत्त्व को समझाइए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की वैभवपूर्ण क्रान्ति का महत्व बताइये।
- प्रश्न- एलिजाबेथ के समझौते पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- चार्ल्स द्वितीय कौन था?
- प्रश्न- इंग्लैंड के द्वितीय गृहयुद्ध (1646-1649 ई.) के संक्षिप्त परिणाम लिखिए।
- प्रश्न- एलिजाबेथ के चरित्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1688 की गौरवपूर्ण क्रान्ति के राजनीतिक, धार्मिक तथा तात्कालिक कारणों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की क्रान्ति को रक्तहीन क्रान्ति क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- इंग्लैण्ड के भारतीय उपनिवेश की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- इंग्लैण्ड की एलिजाबेथ प्रथम की विदेश नीति का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'इंग्लैण्ड' में संसदीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- गौरवपूर्ण क्रांति के परिणाम स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैंड द्वारा उत्तरी अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? अमेरिकी क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका की क्रांति के घटना चक्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रान्ति पूर्ण अमेरिका की स्थिति पर प्रकाश डालिए तथा अंग्रेजों की असफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप क्या था? क्रान्ति के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के महत्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति प्रभावों को विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति का स्वरूप बताइए।
- प्रश्न- अमेरिका में उपनिवेशवाद के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- अमेरिका के स्वतन्त्रता संग्राम के दो कारण बताइये।
- प्रश्न- 'बोस्टन टी पार्टी' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के प्रमुख कारणों में उस पर इंग्लैण्ड द्वारा लगाये जाने वाले नवीन कर व एक्ट भी थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी क्रांति के महत्व का परीक्षण कीजिए
- प्रश्न- अमेरिकी क्रान्ति के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- "फ्रांस की क्रांति जितनी शस्त्रों का संघर्ष थी उतनी ही विचारों की " कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस की राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के तात्कालिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारणों को बताइए।
- प्रश्न- बौद्धिक आन्दोलन का फ्रांस की क्रांति पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- फ्राँस में ही क्रान्ति क्यों हुई? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- फ्रांस की राज्य क्रान्ति के क्या परिणाम थे?
- प्रश्न- सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के महत्त्व पर प्रकाश डालिए। फ्रांस में ही क्रान्ति पहले क्यों हुई?
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता, समानता तथा बन्धुत्व की भावनाएँ 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति का परिणाम थी। परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति (सन् 1789 ई.) के राजनैतिक कारण बताइए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रान्ति की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- रूसो कौन था उसके विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के आर्थिक कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दांते कौन था? फ्रांसीसी क्रान्ति में उसका क्या योगदान रहा?
- प्रश्न- वाल्टेयर तथा दिदरों के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्वेस्ने तथा मान्टेस्क्यू के विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसी क्रांति का प्रारम्भ किस प्रकार हुआ?
- प्रश्न- 1789 की फ्रांस की क्रांति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बास्तील के पतन पर संक्षित टिपणी लिखिये।
- प्रश्न- फ्रांस की पुरातन व्यवस्था की मुख्य कमियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जैकोबिन क्लब" की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
- प्रश्न- जिरोंदिस्तों की फ्रांस की क्रांति में क्या भूमिका थी?
- प्रश्न- 1789 ई. में फ्रांस की क्रांति के समय तत्कालीन राजा और रानी की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांस में 14 जुलाई का महत्व क्यों है?
- प्रश्न- "नेपोलियन क्रांति का मित्र एवं शत्रु दोनों था।" चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- 1799 के संविधान पर प्रकाश डालिए। प्रथम सलाहकार के रूप में नेपोलियन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था क्या थी? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महाद्वीपीय व्यवस्था की असफलता को समझाइए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- "मैं क्रान्ति का पुत्र हूँ।"मैंने क्रान्ति को नष्ट किया।" नेपोलियन के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'यदि नेपोलियन बोनापार्ट का अन्त वर्ष 1807 में हो जाता, तो वैश्विक सैन्य इतिहास में वह सर्वश्रेष्ठ माना जाता।" कथन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के पुनर्निर्माण के लिए क्या प्रयत्न किये?
- प्रश्न- नेपोलियन की महाद्वीपीय व्यवस्था संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- टिलसिट की सन्धि पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट के प्रारम्भिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट वाटरलू के युद्ध में क्यों असफल रहा?
- प्रश्न- 1804 1807 के मध्य नेपोलियन के उत्कर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन के सौ दिनों के शासन पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट के रूप में नेपोलियन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन युग का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन द्वारा राजतन्त्रवादियों के विद्रोहों के दमन पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- नेपोलियन पर रोमन कानून का क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- नेपोलियन की सफलता के प्रमुख कारण कौन-कौन से थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के सम्राट का पद कैसे ग्रहण किया? अतः जनता ने उसे क्यों मान्यता दी?
- प्रश्न- नेपोलियन के प्रशासन सम्बन्धी सुधारों का वर्णन करो?
- प्रश्न- नेपोलियन प्रथम के पतन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम कॉन्सल के रूप में नेपालियन द्वारा किए गए सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन बोनापार्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नेपोलियन के सार्वजनिक और शिक्षा सम्बन्धी सुधारों का वर्णन कीजिए?