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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2786
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 7

प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान राष्ट्रीय जागरण :
लखनऊ समझौता एवं होमरूल आन्दोलन

(National Awakening during First World War :
Lucknow Pact and Homerule Movemnt)

प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?

अथवा
प्रथम विश्व युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

प्रथम विश्व युद्ध के कारण

1914 ई. में प्रारम्भ हुआ प्रथम विश्व युद्ध विश्व इतिहास की एक युगान्तकारी घटना थी। इससे पूर्व हुए समस्त युद्ध क्षेत्रीय स्तर तक सीमित रहे थे अथवा दो या तीन देशों के मध्य हुए थे, किन्तु इस युद्ध में विश्व का प्रत्येक देश उलझा हुआ था। यद्यपि इस युद्ध की भविष्यवाणी करते हुए 1898 ई. में बिस्मार्क ने हरबेलिन से कहा था, "मैं विश्व युद्ध नहीं देखूँगा पर तुम देखोगे और यह पश्चिमी एशिया में प्रारम्भ होगा।" प्रसिद्ध इतिहासकार जे. ए. आर. मैरिएट का विचार है कि यदि बिस्मार्क ने 1898 ई. में इस प्रकार की भविष्यवाणी कर दी थी तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है, क्योंकि सम्भवतः 1898 ई. तक बिस्मार्क यह समझ गया था कि जो बीज उसने बर्लिन काँग्रेस में बोया था उससे शीघ्र ही विध्वंसक प्रतिफलों का होना निश्चित था।

यूरोप के लगभग सभी देशों में सैन्य प्रतिस्पर्द्धा का जन्म हो चुका था। फ्रांस-प्रशा युद्ध, बर्लिन काँग्रेस, बुल्गेरिया विवाद, त्रिराष्ट्र सन्धि, रूस-जर्मन विवाद, इंग्लैण्ड - जर्मन नाविक प्रतिस्पर्द्धा, पूर्वी समस्या, साम्राज्यवाद की भावना, मोरक्को संकट, सेरोजीवो हत्याकाण्ड आदि अप्रिय घटनाओं ने यूरोप में अशान्ति और देशों के मध्य तनाव को जन्म दिया। सम्पूर्ण यूरोप दो विरोधी गुटों में बँट चुका था। प्रथम गुट मित्रराष्ट्रों का था, जिसमें इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस, सर्बिया, जापान, पुर्तगाल, इटली, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूमानिया, यूनान, श्याम, साइबेरिया, क्यूबा, पनामा, ब्राजील, ग्वाटेमाला, निकारागुआ, कोस्टारिका आदि देश थे। द्वितीय गुट में जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी, बुल्गेरिया और तुर्की थे।

प्रथम विश्वयुद्ध को जन्म देने के लिए अनेक कारण उत्तरदायी थे जोकि निम्नलिखित हैं-

1. गुप्त एवं कूटनीतिक सन्धियाँ - यूरोपीय शक्तियों के मध्य सम्पन्न हुईं गुप्त तथा कूटनीतिक सन्धियाँ प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य कारण थीं। बिस्मार्क प्रथम व्यक्ति था जिसने सन्धियों के क्रम को प्रारम्भ किया था। उसने फ्रांस को यूरोप की राजनीति में एकाकी बनाने, यूरोप महाद्वीप में शान्ति की स्थापना करने तथा जर्मनी की स्थिति को सुरक्षित बनाए रखने के लिए रूस, आस्ट्रिया, इटली, रूमानिया आदि के साथ कूटनीतिक गुटबन्दी को प्रारम्भ किया। बिस्मार्क के पतन के बाद यूरोप महाद्वीप की राजनीतिक परिस्थितियों में द्रुतगति से परिवर्तन हुआ और गुटबन्दी का यह क्रम निरन्तर विकसित होता गया। सन् 1994 में रूस तथा फ्रांस के मध्य द्विवर्गीय सन्धि हुई। उधर जर्मनी के सम्राट विलियम द्वितीय की विश्व राजनीति के फलस्वरूप इंग्लैण्ड को अपनी शानदार पृथक्करण की नीति को त्यागने पर विवश होना पड़ा और उसने भी जापान, फ्रांस व रूस के साथ सन्धियाँ कीं। इस प्रकार आस्ट्रिया, जर्मनी व इटली के त्रिगुट का निर्माण हुआ। इन गुटों के विरुद्ध इंग्लैण्ड, रूस तथा फ्रांस के शक्तिशाली गुट का निर्माण हुआ। इन गुटों के मध्य शत्रुता, कटुता, वैमनस्यता की भावना बढ़ती रही जिसके फलस्वरूप विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि का निर्माण हुआ।

2. उग्र राष्ट्रीयता की भावना का विकास - प्रथम विश्व युद्ध के प्रारम्भ होने से पूर्व उग्र राष्ट्रवाद की भावना का विकास यूरोप के लगभग सभी देशों में हो चुका था। जर्मन सरकार व जनता में उग्र राष्ट्रीयता की भावना इस हद तक विकसित हो चुकी थी कि वे जर्मन राष्ट्र को विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र मानते थे। यह भावना वस्तुतः विश्व क्रान्ति व अन्तर्राष्ट्रीयता के लिए खतरे का संकेत थी। इसी भावना से प्रेरित होकर फ्रांस अपने खोए हुए प्रान्तों अल्सास लॉरेन को प्राप्त करने को आतुर था। बाल्कन राज्यों की राजनीति पर भी उग्र राष्ट्रवाद की भावना का विशेष प्रभाव पड़ा।

3. उग्र सैनिकवाद की भावना का विकास - उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यूरोप के लगभग सभी देशों ने अपनी सैनिक शक्ति को विकसित करने का प्रयास किया। सन् 1890 के बाद जर्मनी ने इंग्लैण्ड की जल-शक्ति की तुलना में जल सेना को अधिक उत्कृष्ट एवं विस्तृत करने की घोषणा की। इस घोषणा के फलस्वरूप इन दोनों देशों में कटुता व शत्रुता का उदय हुआ। नवीनतम वैज्ञानिक आविष्कारों से प्रेरित होकर यूरोपीय देशों ने बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों एवं अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण प्रारम्भ किया। इसके अलावा जर्मन सम्राट विलियम द्वितीय ने बार-बार यह घोषणा करके कि वह सैनिक दृष्टि से जर्मनी को विश्व शक्ति बनाना चाहता है, अपने उग्रवादी सैनिक दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।

4. साम्राज्यवाद - औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप सभी देशों की उत्पादन प्रणाली में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया। मशीनों के आविष्कार एवं विशाल पैमाने पर वस्तुओं के उत्पादन से तीन समस्याओं का उदय हुआ। पहली, कच्चे माल की प्राप्ति के लिए नवीन क्षेत्रों की खोज, दूसरी, निर्मित वस्तुओं की बिक्री के लिए नवीन बाजारों की खोज तथा तीसरी, औद्योगिक क्षेत्रों की बढ़ती हुई जनसंख्या को अन्य क्षेत्रों में स्थानान्तरित करना।

उपर्युक्त समस्याओं का समाधान करने के लिए यूरोपीय देशों का ध्यान अफ्रीका, एशिया, अमरीका व बाल्कन राज्यों में नवीन क्षेत्रों की खोज करने की ओर आकर्षित हुआ। किन्तु इसके फलस्वरूप उन देशों के मध्य तनाव व वैमनस्य से मुक्त रखने के उद्देश्य से औपनिवेशिक विस्तार की नीति में अधिक रुचि न दिखाई किन्तु विलियम द्वितीय ने उपर्युक्त क्षेत्रों में जर्मनी के उपनिवेश स्थापित करने का प्रयत्न किया। साम्राज्य विस्तार की भावना से प्रेरित होकर सभी देश एक-दूसरे को शंका, अविश्वास, घृणा व कटुता की दृष्टि से देखने लगे। अन्ततः यह भावना प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बनी।

5. पूर्वी समस्या के प्रति जर्मनी की नीति - जर्मन सम्राट विलियम द्वितीय द्वारा टर्की तथा अन्य पूर्वी राज्यों के प्रति अपनाई गई नीति भी विश्व युद्ध के लिए उत्तरदायी थी। जर्मनी को विश्व शक्ति बनाने के उद्देश्य से विलियम द्वितीय ने पूर्वी समस्या में रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया। चूँकि बर्लिन सम्मेलन 1878 के बाद इंग्लैण्ड ने टर्की के आन्तरिक मामलों में रुचि लेना बन्द कर दिया, अतः उचित अवसर जानकर जर्मनी ने टर्की के साथ मित्रता बढ़ाना शुरू कर दिया। जर्मन सम्राट ने टर्की के सुल्तान तथा वहाँ की मुस्लिम जनता को यह आश्वासन दिया कि जर्मनी उनका अच्छा मित्र है, परन्तु वास्तविकता यह थी कि जर्मनी बर्लिन-बगदाद रेलवे लाइन के निर्माण कि अनुमति टर्की से प्राप्त करना चाहता था। इस रेलवे मार्ग का निर्माण हो जाने से जर्मनी के व्यापार व वाणिज्य के विकास में सहायता मिल सकती थी, किन्तु इंग्लैण्ड ने जर्मनी की इस योजना का विरोध किया, क्योंकि इस योजना के पूरा हो जाने से भारत तथा एशिया के अन्य स्थानों पर स्थित ब्रिटिश साम्राज्य के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता। यह योजना सीरिया में फ्रांस के हितों के लिए घातक थी, अतः फ्रांस और इंग्लैण्ड का विरोध स्वाभाविक था। रूस ने मित्र होने के कारण जर्मनी का विरोध किया। किन्तु इस विरोध के बाद भी जर्मनी ने सुल्तान से अनुमति प्राप्त कर ली। इस प्रकार पूर्वी समस्या के प्रति जर्मनी की नीति ने यूरोपीय शक्तियों के मध्य शत्रुता व कटुता को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

6. बोसनिया हर्जीगोविना की समस्या - बोसनिया तथा हर्जीगोविना के प्रश्न ने बाल्कन की राजनीति को अधिक जटिल और पेचीदा बना दिया था। मूलतः ये प्रदेश टर्की के साम्राज्य में स्थित थे। सन् 1878 की बर्लिन सन्धि के अनुसार इन प्रदेशों के प्रशासन का अधिकार आस्ट्रिया को प्राप्त हो गया किन्तु वह इन राज्यों को अपने साम्राज्य में विलीन नहीं कर सकता था। इस शर्त की अवहेलना करके आस्ट्रिया के सम्राट फ्रांसिस जोसेफ ने 7 अक्टूबर, 1908 को दोनों प्रदेशों को अपने राज्य में मिलाने की घोषणा कर दी। सर्बिया ने इस कृत्य की आलोचना की और इस प्रकार बोसनिया और हर्जेगोविना की समस्या ने आस्ट्रिया व सर्बिया के मध्य शत्रुता को जन्म दिया। जर्मनी ने आस्ट्रिया का समर्थन किया। इस घटना ने सम्पूर्ण यूरोप के राजनीतिक वातावरण को प्रभावित किया।

7. कैसर विलियम द्वितीय का चरित्र - 1890 में जर्मनी के चान्सलर बिस्मार्क के पतन के बाद सम्राट कैसर विलियम द्वितीय ने गृह नीति व वैदेशिक नीतियों में अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। वह एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। वह चाहता था कि विश्व की राजनीति में जर्मनी की निर्णायक भूमिका होनी चाहिए। वह सुदृढ़ नाविक शक्ति को जर्मनी की सर्वतोन्मुखी उन्नति की कुंजी मानता था। उसकी विदेश नीति का आधार विश्व राजनीति थी। वह जर्मन जाति को विश्व की सर्वश्रेष्ठ जाति मानता था। उसने पान जर्मन लीग' की स्थापना की तथा विभिन्न देशों में निवास करने वाली जर्मन जनता को संगठित करने का प्रयास किया। सम्राट ने थल एवं जल सेना के विकास हेतु राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग व्यय किया। युद्धपोतों के सुविधाजनक आवागमन हेतु कील नहर की खुदाई करवाई। उसने 'जल सेना लीग' की स्थापना की। सम्राट के इन कार्यों से अन्य देशों विशेषतः इंग्लैण्ड के साथ जर्मनी के सम्बन्ध तनावपूर्ण हो गए। इंग्लैण्ड जल सेना की दृष्टि से विश्व में सर्वोत्कृष्ट देश था। वह समतुल्य प्रतिस्पद्ध देश नहीं चाहता था, अतः जर्मनी का विरोध इंग्लैण्ड ने किया। विश्व दो गुटों में बँट गया जिसमें से एक गुट का नेतृत्व जर्मनी कर रहा था तथा दूसरे का इंग्लैण्ड। दोनों गुटों के मध्य युद्ध अनिवार्य हो गया।

8. अल्सास लॉरेन की समस्या - इन प्रदेशों के प्रश्न पर जर्मनी व फ्रांस के मध्य लम्बे समय से संघर्ष चल रहा था। सन् 1870 में सेडान के युद्ध में फ्रांस की पराजय के फलस्वरूप इन प्रदेशों पर जर्मनी का अधिकार हो गया था। औद्योगिक दृष्टि से ये दोनों प्रदेश अत्यन्त महत्वपूर्ण थे। इसलिए फ्रांस की जनता इन प्रदेशों पर पुनः अधिकार करना चाहती थी। सन् 1890 तक बिस्मार्क की कूटनीति व दूरदर्शिता के कारण फ्रांस को अपने उद्देश्य में सफलता नहीं मिली। किन्तु बिस्मार्क के पतन के फलस्वरूप यूरोप के राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से परिवर्तन हुआ और उसने इंग्लैण्ड व रूस जैसे शक्तिशाली देशों से सन्धियाँ कीं। फ्रांस की जनता सरकार से माँग करने लगी कि अल्सास व लॉरेन हर कीमत पर जर्मन से वापस लिए जाएँ। इस समस्या को लेकर फ्रांस में कटुता अधिक बढ़ गई। प्रथम विश्व युद्ध के कारणों में यह समस्या भी मुख्य थी।

9. अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव - उस समय ऐसी कोई अन्तर्राष्ट्रीय संस्था नहीं थी जो युद्ध की सम्भावनाओं को टालने व सीमित करने का प्रयत्न करती। सभी देश अपने निहित स्वार्थों को पूरा करने हेतु उचित व अनुचित सभी कार्यों को करने के लिए पूर्णतः स्वतन्त्र थे। यद्यपि इस दिशा में हेग सम्मेलनों ने कुछ प्रभावशाली कदम उठाए थे किन्तु इन्हें अपने उद्देश्यों में सफलता न प्राप्त हो सकी। प्रत्येक देश अपनी निजी नीति का पालन करता था तथा अन्य देशों के हितों की चिन्ता नहीं थी। इसके फलस्वरूप सम्पूर्ण यूरोप में सन्देह, निराशा एवं अविश्वास का वातावरण उत्पन्न हो गया।

10. युद्ध का तात्कालिक कारण - उपर्युक्त परिस्थितियों के फलस्वरूप सम्पूर्ण यूरोप में अशान्ति व अव्यवस्था के चिह्न दृष्टिगोचर होने लगे। महाद्वीप के चारों ओर युद्ध के बादल मँडराने लगे। बारूद में विस्फोट के लिए केवल एक चिनगारी की आवश्यकता थी। आस्ट्रिया के राजकुमार की हत्या की घटना ने उस चिनगारी का काम किया। 28 जून, 1914 को आस्ट्रिया के सम्राट के भतीजे तथा आस्ट्रिया के राजसिंहासन के उत्तराधिकारी आर्क ड्यूक फ्रांसिस फर्डीनेण्ड की हत्या बोसनिया की राजधानी सेरोजीवों में कर दी गई। यद्यपि यह कुकृत्य आस्ट्रिया की जनता ने किया था तथापि इसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया। आस्ट्रिया व सर्बिया के सम्बन्ध बोसनिया हर्जेगोविना के प्रश्न पर पहले से ही खराब थे। इस घटना के फलस्वरूप आस्ट्रिया को सर्बिया से प्रतिशोध लेने का मौका मिल गया। आस्ट्रिया ने सर्बिया के सम्मुख दससूत्रीय माँगपत्र प्रस्तुत किया तथा इसे स्वीकार करने के लिए सर्बिया को 48 घण्टे का अल्टीमेटम दिया। सर्बिया ने इस माँगपत्र की अनुचित माँगों को स्वीकार नहीं किया। फलतः 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया। जर्मनी ने आस्ट्रिया का पक्ष लिया। तीन दिन बाद रूस ने आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। चूँकि फ्रांस रूस का मित्र था, अतः उसने भी जर्मनी व आस्ट्रिया के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। 5 अगस्त, 1914 को ब्रिटेन भी युद्ध में सम्मिलित हो गया। इस प्रकार युद्ध ने विश्वव्यापी रूप ले लिया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  2. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
  3. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
  5. प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
  6. प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
  8. प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
  11. प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
  14. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
  15. प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
  16. प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  17. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
  18. प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
  19. प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  20. प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  22. प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
  23. प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
  25. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
  27. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  28. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  29. प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
  30. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  33. प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
  34. प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
  35. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  37. प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
  41. प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
  42. प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
  43. प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
  47. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
  49. प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
  50. प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
  51. प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
  53. प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
  54. प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
  55. प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
  56. प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
  57. प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
  58. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
  61. प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
  68. प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
  69. प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
  70. प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
  71. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  72. प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  75. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
  76. प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
  77. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
  78. प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
  79. प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
  81. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
  82. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
  83. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
  85. प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
  88. प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
  89. प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
  91. प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
  92. प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
  93. प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
  94. प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
  95. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
  96. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
  97. प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
  100. प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
  102. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।

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