बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 11
सुभद्रा कुमारी चौहान
वीरों का कैसा हो बसंत,
झाँसी की रानी
व्याख्या भाग
1. वीरों का कैसा हो वसंत
(1)
वीरों का कैसा हो वसंत?
आ रही हिमाचल से पुकार,
है उदधि गरजता बार-बार
प्राची, पश्चिम, भू, नभ अपार,
सब पूछ रहे हैं दिग-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत?
शब्दार्थ - हिमाचल = हिमालय। उदधि = समुद्र। प्राची = पूर्व दिशा। अपार = असीम। दिग्दिगन्त = दिशाएँ।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति 'मुकुल' में संकलित 'वीरों का कैसा हो वसन्त?' शीर्षक कविता में से लिया गया है।
वसन्त ऋतु मादकता का प्रतीक है। श्रृंगार रस के लिए भी यह ऋतु अति उपयुक्त मानी गयी है क्योंकि इस ऋतु में काम विशेष रूप से उद्दीप्त होता है। कवयित्री प्रस्तुत कविता में प्रश्न कर रही है कि वीर पुरुषों को वसन्त कैसे मनानी चाहिए। रतिक्रीड़ा में लीन रहना चाहिए या फिर युद्ध भूमि में जाकर अपनी वीरता और शौर्य का प्रदर्शन करना चाहिए।
व्याख्या - कवयित्री प्रश्न करती है कि वीरों को वसन्त ऋतु कैसे मनानी चाहिए? हिमालय से भी यही पुकार आ रही है। यही प्रश्न पूछा जा रहा है। समुद्र भी गर्जना करता हुआ यही पूछ रहा है। पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा, पृथ्वी और असीम आकाश एवं सभी दिशाएँ भी यही प्रश्न पूछ रही हैं कि वीरों का वसन्त कैसा हो? उन्हें वसन्त कैसे मनानी चाहिए।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री का भाव यह है कि वसन्त ऋतु के आगमन पर वीर पुरुष को युद्ध के लिए उसकी मातृभूमि पुकार वही है। उसे ऐसे समय में क्या करना चाहिए अर्थात् वीरों का वसन्त घर में हो या युद्ध भूमि में इसका निर्णय वीर पुरुष को करना चाहिए।
2. भाषा शैली - सहज तथा सरल।
3. अलंकार - मानवीकरण तथा अनुप्रास।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
(2)
फूली सरसों ने दिया रंग,
मधु लेकर आ पहुँचा अनंग,
वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग
है वीर वेश में किन्तु कन्त?
वीरों का कैसा हो वसन्त?
धरती। कन्त = स्वामी, पति,
शब्दार्थ - मधु = शहद, मिठास। अनंग = काम देव। वसुधा = धरती। कन्त = प्रिय।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति 'मुकुल' में संग्रहीत 'वीरों का कैसा हो वसन्त' शीर्षक कविता से ली गई हैं। इनमें कवयित्री ने वीरों की मनोस्थिति का वर्णन किया है। वसन्त और युद्ध दोनों एक समय में आ गया है। वीर पुरुष की पत्नी वसन्त देखकर प्रसन्न है परन्तु जब पति को युद्ध में जाने के लिए तैयार देखती है तो दुविधा में पड़ जाती है।
व्याख्या - कवयित्री कहती है कि वसन्त में सरसों फूल कर रंग बिखेर रही है, चारों ओर पीली-पीली सरसों बिखरी हुई है। भँवरे भी फूलों से पराग लेकर गुन-गुन करते हुए प्रसन्नचित घूम रहे हैं। ऐसे पृथ्वी रूपी दुल्हन भी प्रसन्नता से झूम रही है। पृथ्वी प्रकृति के कारण तथा वीरांगना वसन्त के कारण खुशी से नाच रही है। परन्तु उसका पति तो वसन्त की मादकता को छोड़कर युद्धभूमि में जाने के लिए तैयार खड़ा है। वीर पुरुषों का वसन्त कैसा होना चाहिए? उसे देश के लिए मर-मिटना चाहिए या प्रेम-भाव में डूबे रहना चाहिए?
काव्यगत सौन्दर्य -
1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव यह है कि वीर पुरुषों के जीवन में वसन्त का अर्थ युद्ध भूमि में अपने प्राणों की आहुति देने से होता है। वीर पुरुष को कोई वसन्त नहीं रोक सकता है।
2. भाषा शैली - सरल और सहज।
3. अलंकार - पुनरुक्ति, अनुप्रास तथा रूपक।
4. गुण - ओज।
5. रस - वीर।
(3)
कह दे अतीत अब मौन-त्याग,
लंके! तुझ में क्यों लगी आग?
ऐ कुरुक्षेत्र ! अब जाग, जाग,
बतला अपने अनुभव अनन्त
वीरों का कैसा हो वसन्त?
शब्दार्थ - अतीत = बीता हुआ समय मौन = चुप्पी। अनन्त = जिसका कोई अन्त न हो, अनगिनत बेशुमार।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियाँ श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति 'मुकुल' में संग्रहीत 'वीरों का कैसा हो वसन्त' शीर्षक कविता से ली गई हैं। इसमें कवयित्री वीर पुरुष से अपना मौन त्यागने के लिए कहती है और उसे उन महापुरुषों की याद दिलाती है जिन्होंने बड़े-बड़े युद्ध लड़े थे।
व्याख्या - कवयित्री अपने प्रश्न – कि वीरों का वसन्त कैसा हो― का उत्तर बीते हुए समय से याद दिलाने के लिए कहती है। वह कहती है कि हे अतीत ( बीते हुए युग) अब तू अपनी चुप्पी तोड़ दे। ऐ लंका! मेरे देश के इन वीरों को बता कि तुझ में आग क्यों लगी थी? ऐ कुरुक्षेत्र ! अब तुम एक बार फिर जाग उठो और अपने अनगिनत अनुभव बताओ कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए?
लंका और कुरुक्षेत्र की याद दिलाने से कवयित्री का तात्पर्य यह है कि लंका को आग हनुमान जी ने वीरता धारण करते हुए लगाई थी और कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन आदि वीरों ने अपना अद्भुत पराक्रम दिखलाया था। उसी प्रकार वीरता को धारण कर आज के भारतवासियों को राग-रंग छोड़ कर स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु युद्ध में कूद पड़ना चाहिए।
विशेष -
1. प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री का भाव यह है कि वीर पुरुष अब तुझे चुप नहीं रहना चाहिए। तुझे यह निर्णय कर लेना चाहिए कि वीरों के लिए किस वसन्त का अधिक महत्त्व है।
2. भाषा शैली - सरल और सहज।
3. अलंकार - मानवीकरण, अनुप्रास तथा पुनरुक्ति।
4. रस - वीर।
5. गुण - ओज।
(4)
भूषण अथवा कवि चन्द नहीं
बिजली भर दे वह छन्द नहीं है
कलम बंधी, स्वच्छन्द नहीं,
फिर हमें बतावे कौन? हन्त !
वीरों का कैसा हो वसन्त?
शब्दार्थ - भूषण = रीतिकालीन का एक कवि जिन्होंने छत्रपति शिवाजी और छत्रसाल की वीरता की प्रशंसा में वीर रस की कविताएँ लिखीं। चन्द = कवि चन्दरवरदाई— जो पृथ्वीराज चौहान के मित्र एवं दरबारी कवि थे। उन्होंने वीर रस की कविता रची। छन्द कविता के छन्द। कलम बंधी परतन्त्रता के कारण लेखक स्वतन्त्रतापूर्वक लिख नहीं सकते उनकी कलम बंधी हुई है। स्वच्छन्द = स्वतन्त्र। हन्त = खेद है, दुःख है।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान की काव्य कृति 'मुकुल' में संग्रहीत 'वीरों का कैसा हो वसन्त' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवयित्री चन्दरवरदाई और भूषण कवियों को याद कर रही है। इन कवियों की लेखनी कायर से कायर पुरुष में भी वीरता का संचार कर देती थी।
व्याख्या - कवयित्री कहती है कि आज भारत परतन्त्र है। नवयुवकों में वीरता जगाने की आवश्यकता है किन्तु हाय, आज भूषण और चन्दरवरदाई जैसे वीर रस की कविता लिखने वाले कवि नहीं हैं जो अपनी कविता द्वारा नवयुवकों में वीर रस जगाया करते थे। आज कोई भी ऐसी कविता लिखने वाला नहीं है जो देशवासियों की नसों में बिजली भर दे अथवा वीरता का संचार करे। इसका कारण यह है कि कवियों की, लेखकों की कलम भी, परतन्त्र होने के कारण, बंधी हुई है वे अपना मनचाहा लिखने के लिए स्वतन्त्र नहीं हैं। ऐसे में फिर हमें और कौन बताएगा कि वीरों का वसन्त कैसा होना चाहिए? बस इसी बात का हमें खेद है, दुःख है।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री का भाव है कि अब पहले जैसे कवि नहीं रहे हैं जो लोगों में राष्ट्रीयता की भावना जगा सके। परतन्त्र देश में कलम भी परतन्त्र हो जाती है इसलिए वीरों को उनके कर्त्तव्य याद दिलाने में सभी असमर्थ हैं।
2. भाषा शैली - सरल तथा सहज।
3. अलंकार - विरोधाभास तथा अनुप्रास।
4. रस - वीर।
5. गुण - ओज।
2. झाँसी की रानी
1.
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसीवाली रानी थी॥
शब्दार्थ - गुमी = खोई हुई। फिरंगी = अंग्रेज। ठानी थी = निर्णय लिया था। सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश 'झाँसी की रानी' नामक कविता से लिया गया है। इस कविता की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान हैं।
इस पद्य में हम भारतवासियों के उस आक्रोश को देख सकते हैं जो 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ था। सभी भारतवासी हिन्दुस्तान को इस पराधीनता से मुक्त करवाना चाहते थे तथा इस क्रान्ति के प्रमुख नेतृत्व में झाँसी की रानी का स्थान शीर्षस्थ रूप में देखा जा सकता है।
व्याख्या - भारतवर्ष की आजादी की पहली लड़ाई जब प्रारम्भ हुई, तो देश के राजाओं में भी कुछ हलचल हुई। उनके सिंहासन हिल गए। राजाओं के समूह अंग्रेजों पर क्रुद्ध हो गए। गुलामी के कारण जर्जर बूढ़े भारत में नया जोश पैदा हो गया था। देश के सभी लोग अपनी खोई हुई आजादी का मूल्य समझने लगे थे। वे समझ गए थे कि स्वतन्त्रता अमूल्य है।
इसलिए उन्होंने अंग्रेज शासकों को भारत से भगाने का निश्चय कर लिया था। भारतवर्ष के राजाओं की पुरानी तलवारें सन् 1857 में चमक उठीं अर्थात् युद्ध में भाग न लेने के कारण राजाओं की तलवारों में जंग लग चुका था जो कि 1857 में पुनः चमक गई। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई उस युद्ध में वीर पुरुषों की भाँति लड़ी थी। रानी की वीरता की यह कहानी हमने (कवयित्री ने) बुंदेलखण्ड के हरबोलों से सुनी थी। भाव यह है कि अंग्रेजों की गुलामी सहते-सहते भारत के लोग तंग आ चुके थे। राजाओं ने सन् 1857 में रानी लक्ष्मीबाई के साथ मिलकर अंग्रेजों को देश से भगाने का निश्चय कर लिया। इस क्रान्ति में सम्पूर्ण भारत के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। हालाँकि इस क्रान्ति से हम 1857 में आजाद तो नहीं हुए लेकिन इस महासंग्राम से अंग्रेजों की नींव हिलाने का कार्य अवश्य किया था।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. अंग्रेजों के खिलाफ भारतवासियों के आक्रोश का वर्णन किया गया है।
2. भाषा - खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस का आविर्भाव हुआ है।
4. अलंकार- अनुप्रास अलंकार।
(2)
लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार,
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के बार,
नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार,
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार,
महाराष्ट्र- कुल देवी उसकी
भी आराध्य भवानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसीवाली रानी थी।
शब्दार्थ - पुलकित = प्रसन्न। खिलवार खेल। भवानी = कुल देवी।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।
व्याख्या - लक्ष्मीबाई साक्षात वीरता की अवतार थी। ऐसा लगता था कि या तो वह लक्ष्मी है या दुर्गा। लक्ष्मीबाई के तलवारों के प्रहार देखकर मराठे वीर अत्यधिक प्रसन्न होते थे। नकली युद्ध करना, समूह बनाकर शत्रु की सेना को, शत्रु के किले तोड़ना और शिकार खेलना उसके प्रिय खेल थे। महाराष्ट्र की कुल देवी भवानी ही लक्ष्मीबाई की पूज्य देवी थी। हमने उसकी कहानी बुंदेलखण्ड के हरबोलों से सुनी है कि वह लक्ष्मीबाई वीर पुरुषों के समान खूब लड़ी। कहने का भाव यह है कि लक्ष्मीबाई की वीरता को देखकर मराठे प्रसन्न होते थे। यह वीरतापूर्ण कार्यों में ही रुचि रखती थी।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. यहाँ कवयित्री ने लक्ष्मीबाई के बाल्यकाल के प्रिय खेलों का वर्णन किया है।
2. भाषा - सहज, सरल, खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास।
(3).
उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छाई,
किंतु कालगति चुपके-चुपके काली घटा घेर लाई,
तीर चलानेवाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भाई,
रानी विधवा हुई हाय! विधि को भी नहीं दया आई,
निःसन्तान मरे राजा जी,
रानी शोक-समानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसीवाली रानी थी॥
शब्दार्थ - उदित = उदय, जाग गया। मुदित = प्रसन्नता। उजयाली = रोशनी, प्रकाश। विधि = विधाता। शोक-समानी = दुःख के सागर में डूबना।
व्याख्या - रानी लक्ष्मीबाई के झाँसी में आने पर राजमहल का सौभाग्य जाग गया। राजमहल में हर तरफ प्रसन्नता का प्रकाश छा गया। किन्तु समय की गति से महल की खुशियाँ देखी नहीं गई। समय के साथ धीरे-धीरे मुसीबतों के बादल घिर आए। बाण चलाने वाले हाथों में चूड़ियाँ कब अच्छी लगती हैं। वस्तुतः इसी नियम के कारण तीर चलाने वाली रानी के हाथों में चूड़ियाँ अच्छी नहीं लगी। हाय! रानी लक्ष्मीबाई विधवा हो गई। अत्यन्त दुःख की बात है कि विधाता को भी उन पर दया नहीं आई। राजा गंगाधर बिना सन्तान के ही मर गए। राजा की मृत्यु के कारण रानी शोक-सागर में डूब गई। कवयित्री कहती है कि हमने बुंदेलखण्ड के हरबोलों के मुँह से रानी लक्ष्मीबाई की पुरुषों के समान लड़ाई की कहानी को सुना है। कहने का भाव यह है कि रानी के महल में आने से हर तरफ खुशियाँ मनाई जा रही थीं। परन्तु असमय राजा गंगाधर की मृत्यु के कारण रानी शोक-सागर में डूब गई।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. लक्ष्मीबाई के जीवन संघर्ष को दर्शाया गया है।
2. भाषा - खड़ी बोली।
3. रस - वीर रस।
4. अलंकार - अनुप्रास।
(4)
छिनी राजधानी देहली की, लिया लखनऊ बातों-बात,
कैद पेशवा था बिठूर में, हुआ नागपुर का भी घात,
उदैपुर, तंजोर, सतारा, करनाटक की कौन बिसात,
जबकि सिंध, पंजाब, ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात,
बंगाले, मद्रास आदि की
भी तो यही कहानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसीवाली रानी थी॥
शब्दार्थ - घात = प्रहार, चोट। बिसात = हिम्मत। वज्र-निपात = पत्थर गिरा, पतन हो गया। .
सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।
व्याख्या - अंग्रेजों ने भारत की राजधानी दिल्ली को छीन लिया और उस पर अपना अधिकार कर लिया। उन्होंने लखनऊ को बड़ी आसानी से जीत लिया। बिठूर के पेशवा बाजीराव को जेल में बन्द कर दिया तथा नागपुर पर आक्रमण कर दिया। अंग्रेजों की सेनाओं के सामने उदयपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक आदि के राजाओं की क्या ताकत थी अर्थात् इन सभी प्रान्तों पर अंग्रेजों ने अधिकार कर लिया। उधर सिंध, पंजाब और म्यांमार (बर्मा) आदि प्रान्तों का भी पतन हो गया। ऐसी ही कहानी बंगाल, मद्रास आदि राज्यों की भी थी अर्थात् ये सभी राज्य अंग्रेजों द्वारा जीते जा चुके थे। कवयित्री कहती हैं कि हमने बुंदेलखण्ड के हरबोलों के मुँह से सुना है कि झाँसी की रानी पुरुषों से भी अधिक वीरता से लड़ी थी। इसका भाव यह है कि अंग्रेजों ने भारत के लगभग सभी राज्यों पर अपना अधिकार जमा लिया।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव और लालसा का चित्रण है।
2. भाषा - खड़ी बोली।
3. रस- वीर एवं करुण।
4. अलंकार- अनुप्रास।
(5)
जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी,
यह तेरा बलिदान जगावेगा स्वतन्त्रता अविनाशी,
होवे चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी,
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झाँसी,
तेरा स्मारक तू ही होगी,
तू खुद अमिट निशानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसीवाली रानी थी॥
शब्दार्थ - कृतज्ञ = आभारी। मदमाती = घमण्ड में चूर। अमिट = न मिटने वाली।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।
व्याख्या - अन्त में कवयित्री ने कहा है कि हे रानी! आप स्वर्ग जाइए। उपकार को याद रखने वाले हम सभी भारतवासी आपका यह बलिदान याद रखेंगे। आपका यह बलिदान कभी नष्ट न होने वाली आजादी के प्रति हमें सचेत करता रहेगा। इतिहास चाहे कुछ भी न कहे तथा सच्चाई का गला घोंट दिया जाए, अंग्रेजों द्वारा विजय प्राप्त कर ली जाए या ये झाँसी को गोली से नष्ट कर दें, परन्तु भारतवासी यह बलिदान कभी नहीं भूल सकेंगे। हे रानी! अपना स्मारक आप स्वयं होंगी अर्थात् भारत के लोगों को आपकी याद में स्मारक बनवाने की आवश्यकता नहीं है। आप तो स्वयं कभी न मिटने वाली निशानी हैं। कवयित्री कहती है कि यह कहानी बुंदेलखण्ड के हरबोलों के मुँह से सुनी थी कि झाँसी वाली रानी युद्ध के मैदान में पुरुषों के समान अत्यन्त वीरता से लड़ी थी। कहने का भाव यह है कि रानी अंग्रेजों के खिलाफ पुरुषों के समान लड़ी थी। भाव यह है कि रानी लक्ष्मीबाई की स्वतन्त्रता संग्राम में दी गई कुर्बानी को देशवासी कभी नहीं भूलेंगे। उनकी याद ही देशवासियों में देश-प्रेम की भावना जगाएगी।
काव्यगत सौन्दर्य-
1. यहाँ भारतीयों के हृदयों में रानी लक्ष्मीबाई के प्रति आभार का चित्रण।
2. भाषा - मुहावरेदार खड़ी बोली।
3. रस - वीर एवं करुण।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?