बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
"अथवा
'रासो' शब्द की व्युत्पत्ति और पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
अथवा
'पृथ्वीराज रासो' की अप्रमाणिकता के सम्बन्ध में तर्कपुष्ट धारणाएँ प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
रासो काव्य परम्परा में 'पृथ्वीराज रासो' का स्थान निर्धारित करते हुये उसकी प्रामाणिकता पर प्रकाश डालिये।
उत्तर -
रासो काव्य परम्परा का श्रीगणेश किस काल में हुआ, इसके बारे में स्पष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं। अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि रासो परम्परा का आदिग्रन्थ अभी तक अप्राप्य है। फिर भी रासो व्य के अन्तर्गत जिन रचनाओं को समाहित किया जाता है, उनके कवियों के बारे में थोड़ी बहुत उपलब्ध है, लेकिन जहाँ तक इन रचनाओं के पाठ, काल और तिथियों का प्रश्न है, यह आज भी. दास्पद है। रासो काव्य को संदिग्ध कहना अधिक तर्कसंगत होगा। रासो काव्य परम्परा में दो प्रकार चनाएँ उपलब्ध होती हैं। प्रथम कोटि की रचनाएँ इतिहास प्रसिद्ध व्यक्तियों के जीवन की घटनाओं से धत हैं यथा- पृथ्वीराज रासो, तथा दूसरी कोटि की रचनाएँ लोक प्रचलित कथाओं पर आधारित हैं - संदेश रासक। लेकिन ऐतिहासिक कही जाने वाली रचनाओं में भी ऐतिहासिक और पौराणिक ओं का विचित्र मिश्रण कर दिया गया है जिससे उनकी ऐतिहासिकता सन्देहास्पद हो गयी है। विद्वानों एक ऐसा वर्ग भी है जो दलपति विजय को रासो काव्य परम्परा का प्रथम कवि घोषित करते हैं और ो काव्य रचना खुमान रासो को इस परम्परा का प्रथम ग्रन्थ स्वीकार करते हैं। आचार्य शुक्ल तथा डॉ. ने खुमान रासो का रचनाकाल नवीं शताब्दी माना है। रासो काव्य परम्परा के ग्रन्थ निम्नलिखित हैं.. न रासो - दलपति विजय नौवी शती, बसिलदेव रासो - नरपति नाल्ह - सन् 1155 ई.. हम्मीर - शार्गधर अथवा जज्जल - सन् 1300 ई., परमाल रासो - जगनिक - तेरहवीं शती, विजयपाल नल्लसिंह - सन् 1268 ई., पृथ्वीराज रासो - चन्दबरदाई - 12वीं शती, संदेशरासक एवं अन्य
पृथ्वीराज रासो रासो काव्य परम्परा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके रचयिता चन्दबरदाई। दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान के मित्र तथा दरबारी कवि थे। ऐसा माना जाता है कि चन्दबरदाई रचना को पूरा नहीं कर पाये। अतः उनके पुत्र जल्हण ने इसे पूरा किया। जब शहाबुद्दीन गौरी राज चौहान को गौरी ले जा रहा था तब चन्दबरदाई ने इस काव्य रचना को अपने पुत्र को सौंप। "पुस्तक जल्हण हाथ दै चलि गज्जन नृप काज [:
इस ग्रन्थ में कुल 66 समय (खण्ड) हैं। अभी तक इसके केवल चार संस्करण मिले हैं। सबसे बड़े संस्करण में 19306 छन्द हैं और सबसे छोटे में 1300 छन्द हैं। इसमें पृथ्वीराज चौहान की वीरता, स्वयंवर आदि घटनाओं का मार्मिक वर्णन किया गया है।
रासो की प्रामाणिकता
रासो की प्रमाणिकता को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं जिनमें एक वर्ग तो पृथ्वीराज रासो को क मानता है और दूसरा अप्रमाणिक। पहले वर्ग वालों के प्रसिद्ध विद्वान हैं -
पं. मनोहर लाल विष्णु 'लाल पण्ड्या, मिश्रबन्धु, डॉ. श्यामसुन्दर दास, डॉ. दशरथ ओझा और णिक मानने वाले हैं- श्री मुरारीदीन, प्रो. वूलर, मुंशी देवी प्रसाद पूर्ण, महामहोपाध्याय, गौरी शंकर, बन्द ओझा, डॉ. ग्रियर्सन एवं आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
जहाँ तक इसकी अप्रमाणिकता का प्रश्न है विद्वान इसमें आई घटनाओं को ऐतिहासिक नहीं , क्योंकि इस समय के प्राप्त शिलालेखों तथा जयानक के 'पृथ्वीराज विजय' से उसकी घटनाएं एवं याँ नहीं मिलती रासो में प्राप्त अरबी-फारसी के शब्द यह सिद्ध करते हैं कि यह रचना बाद की है, क उस भाषा का इतना प्रचार उस समय नहीं हुआ था। इसकी भाषा का एक रूप नहीं हैं।
आचार्य शुक्ल ने लिखा है कि 'चन्द्र' हिन्दी के प्रथम कवि माने जाते हैं और इनका पृथ्वीराज हिन्दी का प्रथम महाकाव्य है, उन्होनें चन्दबरदायी को दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान का सामन्त और वि माना है। जिस समय पृथ्वीराज को गौरी बन्दी बनाकर अपने देश ले जा रहा था उस समय चन्द्र महाराजा के साथ गया था तथा अपने पुत्र जल्ल को 'पृथ्वीराज रासो को सौंप गया था। इस सम्बन्ध यह उक्ति है - 'पुस्तक जल्हण हत्थ दे, चलि गज्जन नृप काज। कहा जाता है कि जल्ल ने अधूरे महाकाव्य को पूर्ण किया था
प्रथिराज सुजस कविचन्द्रकृत चन्द्र नन्द उद्धरिय तिमि।।
'पृथ्वीराज रासो' के चार संस्करण प्रसिद्ध हैं। सबसे बड़ा संस्करण वह है जिसका प्रकाशन नागरी प्रचारिणी सभा काशी से हुआ है, जिसकी हस्तलिखित प्रतियाँ उदयपुर के संग्रहालय में सुरक्षित हैं इस सभा ने 1575 ई0 में लिखित प्रति के आधार पर 'रासो' का सम्पादन कराया था। द्वितीय रूप उपलब्ध 'पृथ्वीराज रासो' 7000 छन्दों का काव्य माना जाता है। इसका प्रकाशन नहीं हुआ किन्तु अनोहर एवं बीकानेर में इसकी प्रतियाँ सुरक्षित हैं। तीसरा लघु संस्करण 3500 छन्दों का है, जिसमें केवल 16 समय है। इस संस्करण की हस्तलिखित प्रतियाँ भी बीकानेर में सुरक्षित हैं। चौथा संस्करा सबसे छोटा है, जिसमे केवल 1300 छन्द हैं। इसे ही डाँ0 'दशरथ शर्मा' आदि कुछ विद्वान मूल रार मानते हैं।
'पृथ्वीराज रासो' की भाषा के सम्बन्ध में भी विवाद रहा है। वस्तुतः यह काव्य पिंगल शैली लिखा गया है जो ब्रजभाषा का वह रूप है, जिसमें राजस्थानी बोलियों का मिश्रण है। कवि ने तत्काली सभी प्रचलित शब्दों का स्वतन्त्रता से प्रयोग किया है। शब्द-चयन रसानुकूल हैं, अतः वीर रस के चित्रप प्राकृत और अपभ्रंश के शब्द भी यत्र-तत्र मिल जाते हैं। जहाँ तक भाषा की शक्ति का प्रश्न है कवि अभिध्येय भाषा को भी पर्याप्त प्रभावशाली रूप दिया है। अंलकारों का चन्द्र से सहज प्रयोग किया है लगभग अड़सठ प्रकार के छन्दों में लिखा गया यह महाकाव्य सभी दृष्टियों से आदिकाल की एक श्रेष्ठ कृति सिद्ध होता है।
प्रमाणिक सिद्ध करने वाले विद्वानों के अनुसार यह ग्रन्थ मूल रूप में अवश्य रहा होगा, जितना इसका अप्रमाणिक अंश है, वह बाद में जोड़ा हुआ प्रक्षिप्तांश है। जहाँ तक ऐतिहासिक तथ्यों का प्रश्न उसके लिए इतना ही कहना पर्याप्त है कि यह एक काव्य है इतिहास नहीं, जिसमें कल्पना के लिए पू स्थान हैं, अतः तथ्यों में हेर-फेर हो जाना कोई नई बात नहीं है कि दो सौ वर्ष पहले शब्दों का प्रयोग समीचीन बताते हुए यह विद्वान कहते हैं कि दो सौ वर्ष पहले से ही भारत पर विदेशियों के आक्रम प्रारम्भ हो गये थे तथा बहुत से व्यापारी तो यहाँ पूर्व रूप से बस ही गये थे, अतः उनका प्रभाव आ जा कोई नयी बात नहीं। जहाँ तक संवतों का प्रश्न है पण्ड्या साहब ने आनन्द सम्वत की एक नई कल्पन की है, जो 1960-61 वर्ष पीछे पड़ता है, इस आधार पर घटनाएँ बैठती हैं।
निष्कर्ष - उक्त तथ्यों के आधार पर हम निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि -
1- पृथ्वीराज रासो में प्रक्षिप्त अंशों का आधिक्य चाहे हो, पर ग्रन्थ को पूर्ण रूप से निरस्त न किया जा सकता।.
2- समय-समय पर प्रक्षिप्त अंशों के कारण ग्रन्थ का कलेवर बढ़ गया है, पर मूलरूप में ग्रन अपेक्षाकृत संक्षिप्त रहा होगा।
3- ग्रन्थ मूलरूप से अपभ्रंश में लिखा गया होगा, परन्तु गेय होने के कारण समय-समय भाषा में परिवर्तन होता रहा है।
4- चन्दबरदाई पृथ्वीराज चौहान का सखा, सामन्त और राजकवि था।
'पृथ्वीराज रासो का कलापक्ष'
छन्द योजना काव्य में कलापक्ष में सर्व प्रथम छंद-योजना पर विचार किया जाता है। क्योंकि का कवि भावनाओं को रूप देता है। इस दृष्टि से देखें तो कवि बहुत सफल है। उस छन्दों पर पूरा अधिक है। उसने इतने विभिन्न छन्दों का उपयोग किया है कि कभी-कभी तो रासो छन्दों का अजायब घर लग है। जिन छन्दों का उसने विशेष उपयोग किया है वे दोहा, कवित्त, कुंडलिया, भुजंगी, साटक, त्रोटक अरिल्ल, मोतीदाम, रसावला, पद्धरी, भ्रमरा वली, नाराच, गाथा, आर्या और अनुष्टुय हैं।
अलंकार कौशल - छन्दों की तरह अलंकार भी चंद के वशवर्ती हैं। यों तो रासो में अलंकार भरे हैं, पर अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, सन्देह उसके प्रिय अलंकार हैं। अनुप्रास और यमक एक सुन्दर उदाहरण देखिये-
यमक-
मधुरित मधुपुर महिल सुख मधुरित नयन स भोप।
रूपक - हुसेन खाँ की प्रेमिका चित्ररेखा के सौन्दर्य की रेखायें उरहेने में कवि ने देखिये किस लता से रूपक का प्रयोग किया है। रूप नदी की पटाक्ष की कूलें और भाव की तरंगें किस रसिक को देने में समर्थ नहीं हैं -
हावं भावति मीन ग्रसित गुनं सुद्ध मन भंजनी ॥
उत्प्रेक्षा - उत्प्रेक्षा के दर्शन तो रासों में पग-पग पर होते हैं। नायिकाओं के रूप वर्णन में या शिख-वर्णन में इसका बहुत प्रयोग किया जाता है। उसमें नायिका के उपमेय अंगों का वर्णन न कर उपमानो का ही चित्र उरेह दिया जाता है।
बसन रँग रँगे जानु कि फिल्लिय संझ ॥ ॥
भाषा - चंद की भाषा भावानुगामिनी हैं। यह बात दूसरी है कि उसके विभिन्न रूप हैं कहीं वह वी-चौदहवीं शती की भाषा लगती है तो कहीं 19वीं यां 18वीं की। पर भाषा सब जगह समर्थ है। चंद भाषाओं का ज्ञाता था और उनका प्रभाव उसकी भाषा पर स्पष्ट परिलक्षित होता है। अरबी और फारसी शब्दों का प्रयोग भी उसमें प्रचुरता से किया। भावानुकूल शब्द-चयन कवि भाषा की विशेषता है। शब्दों कमी उसके लिए नहीं।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?