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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 9

कार्यक्रम नियोजन के अवयव

(Components of Programme Planning)

प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

विकास कार्यक्रम

विकास मनुष्य की क्षमताओं, विकल्पों तथा अवसरों को बढ़ावा देने की वह प्रक्रिया है, जिससे वह दीर्घ, स्वस्थ तथा परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। इस प्रक्रिया मेंमनुष्य के सामर्थ्य तथा कौशलों का प्रसार सम्मिलित है, जिससे वे अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को प्रभावित करने वाले कारकों तक पहुँच सकें और उन पर नियंत्रण कर सकें। विकास का लक्ष्य मनुष्यों द्वारा उनकी क्षमताओं तथा संसाधनों का पूर्णरूप उपयोग करना होता है।

सतत् विकास लक्ष्य क्या है? सतत् विकास लक्ष्य सतत् समयबद्ध विस्तृत विकास लक्ष्य है, जिन्हें प्राप्त करने के लिए पूरे संसार की सहमति है। ये आठ लक्ष्य विभिन्न रूपों में विद्यमान अतिनिर्धनता का मुकाबला करने के लिए ठोस मंच प्रदान करते हैं। सन् 2015 में संसार के नेताओं द्वारा अपनाए गए तथा 2030 तक प्राप्त करने के निश्चय के साथ ये लक्ष्य प्रत्येक देश की विशिष्ट विकास आवश्यकताओं के अनुरूप ढले हुए वैश्विक तथा स्थानीय दोनों रूपों में हैं। ये संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को समान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलजुल कर काम करने के लिए एक ऐसा ढाँचा प्रदान करते हैं, जिससे कि सुनिश्चित हो सके कि मानव विकास सभी स्थानों पर प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँच जाए।

विकास कार्यक्रम दी गई परिस्थितियों को बदलने के लिए सुविचारित प्रयासों पर केंद्रित है। अधिकतर इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रम, कार्यनीतियों तथा क्रियाकलापों का विकास और साथ ही इन प्रयासों के लक्ष्य वर्ग के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों को समझना है।

कार्यक्रम मूल्यांकन

कार्यक्रम एक प्रक्रिया है, जिसका उपयोग रूपरेखा तथा प्रस्तुति क्षेत्र के प्रभावी होने तथा लक्ष्य किस सीमा तक प्राप्त हो पाया है, उसे ज्ञात करने में किया जाता है। कार्यक्रम मूल्यांकन क्रियाकलापों का कार्यक्षेत्र भिन्न-भिन्न हो सकता है। इसे किसी विशिष्ट कार्यशाला के लिए छोटे पैमाने पर प्रयुक्त किया जा सकता है, किसी विस्तृत समुदाय या किसी देश या राज्य के कार्यक्रम के लिए बड़े पैमाने पर प्रयुक्त किया जा सकता है।

विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय अधिकांश कार्यक्रमों में निम्न तीन घटकों में से एक या अधिक होते हैं यथा — विकासात्मक, संस्थागत तथा सूचनात्मक, जो किए जाने वाले क्रियाकलापों के केंद्र बिंदु तथा दृष्टिकोण को दिशा-निर्देशित करते हैं। विकासात्मक घटक में ऐसे क्रियाकलाप होते हैं, जिनका केंद्र बिंदु मुख्य रूप से बनाए जाने वाले अंतः क्षेत्रों की संकल्पना तैयार करना होता है। संस्थागत घटक में कार्यक्रम के क्रियान्वयन में कार्यक्रम से जुड़े, विभिन्न व्यक्तियों की भूमिका की क्षमता का निर्माण सम्मिलित है। सूचनात्मक घटक में विभिन्न संचार चैनलों का उपयोग करके विभिन्न पणधारियों को कार्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण सूचना प्रदान करने का प्रयत्न करता है।

आजकल विकास कार्यक्रम को लोकतांत्रिक क्रियाकलाप की भाँति देखा जाता है, जिसमें कार्यक्रम विकास एवं मूल्यांकन के बारे में बातचीत और सहमति नीचे दर्शाए अनुसार आवश्यक है- 

(1) मुख्य समस्याएँ, आवश्यकताएँ और अपेक्षाएँ क्या हैं?
(2) समस्याओं के हल के क्या विकल्प हैं?
(3) किस प्रकार के संसाधन, सूचनाएँ तथा प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है?

(4) किस प्रकार की परियोजनाओं तथा क्रियाकलापों को कार्यान्वित किया जाना चाहिए - कब, कैसे, कहाँ, कौन करे?

(5) मूल्यांकन को किस प्रकार किया जाना चाहिए? इसे कौन करे और कब करे?
(6) कार्यक्रम का प्रबंधन और नियंत्रण कौन और कैसे करे?

विकास कार्यक्रम एवं मूल्यांकन में जनसाधारण की सहभागिता

विकास कार्यक्रम एवं मूल्यांकन को आजकल एक प्रक्रिया तथा सामाजिक कार्य-व्यवहार की भाँति जाना जाता है। कार्यक्रमों के लोकतांत्रिक विकास के लिए समाज के विभिन्न पणधारियों की भागीदारी आवश्यक है। इसमें जेंडर प्रभवी वर्गों तथा हाशिए पर बैठे वर्गों के संबंध में पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए। समाज के विभिन्न वर्गों से आए व्यक्तियों को किसी आर्थिक, सामाजिक या राजनैतिक जोखिम के बगैर अपने विचारों को प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

व्यक्तियों के साथ कार्यक्रम बनाने का अर्थ है व्यक्तियों से सम्मिलित होने के विषय में व्यापक दृष्टिकोण अपनाना। भूतकाल में भागीदारी का अर्थ था सूचना सभाओं में व्यक्तियों की यदा-कदा उपस्थिति, सार्वजनिक सेवाओं का सामान्य उपयोग, किसी परियोजना के लिए (श्रम, धन आदि का) स्वैच्छिक सहयोग या पूर्वनियोजित अधोमुखी परियोजनाओं में सहयोग बढ़ाने के लिए किसी प्रकार का क्रियाकलाप। तथापि, आधुनिक संदर्भ में भागीदारी का अर्थ है, विचार प्रक्रिया तथा व्यवहार में व्यक्तियों की सहभागिता, कार्यक्रम के प्रारंभ से अंत तक कार्यान्वयन में निर्णय लेने के अधिकार सहित सक्रिय भाग लेने की प्रक्रिया और संसाधनों तथा संस्थाओं तक पहुँच तथा नियंत्रण। इसके अतिरिक्त, स्थानीय व्यक्तियों तथा विकास कार्यक्रमों में उनकी भूमिका को नए सिरे से देखना होगा, जबकि इससे पहले के कार्यक्रम आयोजक पितृसत्तावादी थे तथा स्वयं को उत्कृष्ट समझते थे और यह मानते थे कि कार्यक्रम की समस्याओं के बारे में वे ही सबसे अच्छे प्रकार से जानते हैं और उनके पास ही सही उत्तर हैं।

पणधारियों की भागीदारी

विकास कार्यकर्ताओं ने अधिकाधिक यह अनुभव किया है कि विकास कार्यक्रमों की सफलता और उनसे संधारणीय परिणाम प्राप्त करने के लिए उनमें पणधारियों की भागीदारी का स्वरूप और स्तर एक प्राथमिक आवश्यकता हैं।

पणधारियों की भागीदारी के अनेक लाभों की पहचान की गई है, जो इन्हें विकास कार्यक्रमों का एक आवश्यक साधन बनाते हैं-

(1) मूलभूत सेवाओं को प्रभावी ढंग से जुटाना - पणधारियों की सहभागिता से स्वास्थ्य शिक्षा, जल आदि की व्यवस्था करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित होता है, जो लागत प्रभावी और समावेशी होता है, जिसके कारण विशेषतः वंचित समुदाय, उनका लाभ कम कीमत पर उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, ग्राम स्वस्थ्य, स्वच्छता और पोषक समितियाँ (VHSNCs) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत बनाई गई हैं ताकि ग्रामीण स्तर पर स्थानीय लोग अपनी प्राथमिकता पर निर्णय ले सकें। राजस्थान के गाँवों की उत्तराखंड के गाँवों से अलग जरूरतें हो सकती हैं। इसीलिए प्रत्येक गाँवों के VHSNCs अपने स्वयं के कार्यों की योजना बनाते हैं जिसके लिए स्थानीय पंचायतों को वितरित किया जाता है।

(2) नीति बनाने में सहभागिता - नीति बनाने के क्रियाकलापों जैसे—अनुसंधान, स्थानीय शासन के कार्यक्रम, जन सुनवाई तथा बजट बनाने आदि में भाग लेने से विभिन्न पणधारियों— विशेष रूप से सामान्य नागरिकों की सम्मति भी नीति बनाने के प्रक्रम में प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार अधिक जन-अनुक्रियाशील नीतियों तथा कार्यक्रमों को विकसित किया जा सकता है।

(3) लक्ष्य की ओर प्रगति का अनुवीक्षण - भागीदारी होने से विभिन्न पणधारी कार्यक्रमों के क्रियाकलापों के प्रत्यक्ष अनुवीक्षण में भाग लेने तथा उनके प्रभावी नियमन करने में समर्थ हो जाते हैं।

(4) चिंतन तथा अधिगम को सुसाध्य बनाना - भागीदारी से विभिन्न पणधारी समूहों के बीच विवेचनात्मक सोच-विचार तथा अधिगम के लिए बातचीत के अवसर उत्पन्न होते हैं, जो कि विकास कार्यक्रमों या परियोजनाओं का एक मूल तत्व है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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