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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2783
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 3

सामुदायिक विकास संगठन की भूमिका एवं संरचना

(Role & Structure of Community Development Organization)

प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

सामुदायिक विकास संगठन

अपने प्रारम्भिक काल में सामुदायिक विकास कार्यक्रम भारत सरकार के योजना मंत्रालय से सम्बद्ध था परन्तु बाद में इसके महत्व तथा व्यापक कार्य-क्षेत्र को देखते हुए इसे एक नव-निर्मित मंत्रालय 'सामुदायिक विकास मंत्रालय' से सम्बद्ध कर दिया गया। वर्तमान समय में यह योजना 'कृषि तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय' के अधीन है। वास्तव में सामुदायिक विकास योजना का संगठन तथा संचालन केन्द्र स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक में विभाजित है। इस दृष्टिकोण में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के संगठन को प्रत्येक स्तर पर अलग-अलग समझना आवश्यक है-

(1) केन्द्र स्तर - केन्द्रीय स्तर पर इस समय सामुदायिक विकास कार्यक्रम 'कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय' से सम्बद्ध है। इस कार्यक्रम की प्रगति तथा नीति-निर्धारण के लिए एक विशेष सलाहकार समिति का गठन किया गया है जिसके अध्यक्ष स्वयं हमारे प्रधानमंत्री है। कृषि मंत्री तथा योजना आयोग के सदस्य इस समिति के सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त केन्द्र स्तर पर अनौपचारिक रूप से गटित एक परामर्शदात्री समिति भी होती है जिसके सदस्य लोकसभा के कुछ मनोनीत सदस्य होते हैं। यह सलाहकार समिति योजना की नीति एवं प्रगति के विषय में इस औपचारिक समिति से परामर्श करती रहती है।

(2) राज्य स्तर - सामुदायिक विकास कार्यक्रम को संचालित करने का वास्तविक दायित्व राज्य सरकारों का है। राज्य स्तर पर प्रत्येक राज्य में एक समिति होती है जिसका अध्यक्ष उस राज्य का मुख्यमन्त्री तथा समस्त विकास विभागों के मन्त्री इसके सदस्य होते हैं। इस समिति का सचिव एक विकास आयुक्त होता है जो ग्रामीण विकास से सम्बन्धित सभी विभागों के कार्यक्रमों तथा नीतियों के बीच समन्वय स्थापित करता है। सन् 1969 के पश्चात् से सामुदायिक विकास योजना के लिए वित्तीय साधनों का प्रबन्ध राज्य के अधीन हो जाने के कारण विकास आयुक्त का कार्य पहले की अपेक्षा कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। विकास आयुक्त को . परामर्श देने के लिए राज्यों में विधान सभा तथा विधान परिषद् के कुछ मनोनीत सदस्यों की एक अनौपचारिक सलाहकार समिति होती है।

(3) जिला स्तर - जिला स्तर पर योजना के समन्वय और क्रियान्वयन का सम्पूर्ण दायित्व जिला परिषद का है। जिला परिषद में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं जिसमें खण्ड पंचायत समितियों के सभी अध्यक्ष तथा उस जिले के लोकसभा के सदस्य एवं विधान सभा के सदस्य सम्मिलित हैं। इसके पश्चात् भी जिला परिषद् की नीतियों के आधार पर सामुदायिक विकास कार्यक्रम को संचालित करने का कार्य 'जिला नियोजन समिति' का है जिसका अध्यक्ष जिलाधीश होता है। कार्यक्रम की प्रगति के लिए जिलाधीश अथवा उसके स्थान पर उप विकास आयुक्त ही उत्तरदायी होता है।

(4) खण्ड स्तर - आरम्भ में लगभग 300 गाँव तथा 1,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के ऊपर एक विकास- खण्ड स्थापित किया जाता था लेकिन अब एक विकास खण्ड की स्थापना 100 से लेकर 120 गाँवों अथवा 1 लाख 20 हजार ग्रामीण जनसंख्या को लेकर की जाती है। विकास खण्ड के प्रशासन के लिए प्रत्येक खण्ड में एक खण्ड विकास अधिकारी नियुक्त किया जाता है तथा इसकी सहायता के लिए कृषि, पशुपालन, सहकारिता, पंचायत, ग्रामीण उद्योग, सामाजिक शिक्षा, महिला तथा शिशु-कल्याण आदि विषयों से सम्बन्धित आठ प्रसार अधिकारी नियुक्त होते हैं। खण्ड सत्तर पर नीतियों के निर्धारण तथा योजना के संचालन का दायित्व क्षेत्र पंचायत का होता है। सरपंच, गाँव पंचायतों के अध्यक्ष, स्त्रियों, अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों का प्रतिनिधित्व करने के वाले कुछ व्यक्ति इस समिति के सदस्य होते हैं। प्रत्येक खण्ड में विकास योजना योजना को कार्यान्वित करने के लिए 5-5 वर्ष के दो मुख्य चरण निर्धारित किये जाते हैं।

(5) ग्राम सतर - यद्यपि गाँव स्तर पर योजना के क्रियान्वयन का दायित्व गाँव पंचायत पर होता है लेकिन इस स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ग्राम सेवक की होती है। ग्राम सेवक को सामुदायिक विकास योजना के सभी कार्यक्रमों की जानकारी होती है। वह किसी क्षेत्र में विशेषज्ञ नहीं होता लेकिन सरकारी अधिकारियों तथा ग्रामीण समुदाय के बीच सबसे महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। साधारणतया 10 गाँव के ऊपर एक ग्राम सेवक को नियुक्त किया जाता है। यह व्यक्ति कार्यक्रम के सभी नवाचारों का ग्रामीण समुदाय में प्रचार करता है। ग्रामीण की प्रतिक्रिया से अधिकारियों को परिचित कराता है तथा विकास के विभिन्न कार्यक्रमों के बीच समन्वय बनाये रखने का प्रयत्न करता है। ग्राम सेवक के अतिरिक्त गाँव स्तर पर प्रतिशिक्षत दाइयाँ तथा ग्राम सेविकाएँ भी महिला तथा शिशु-कल्याण के लिए कार्य करती हैं।

इससे स्पष्ट होता है कि सामुदायिक विकास योजना का सम्पूर्ण संगटन पाँच प्रमुख स्तरों में विभाजित है। डॉ० देसाई का कथन है कि इस पाँच स्तरीय संगठन की सम्पूर्ण शक्ति एवं नियन्त्रण का प्रवाह श्रेणीबद्ध नौकरशाही संगठन के द्वारा ऊपर से नीचे की ओर होता है। इसके पश्चात् भी विभिन्न समितियों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में नौकरशाही व्यवस्था के प्रभावों को कम करने के प्रयत्न किये जाते रहे हैं। सम्भवत: इसलिए बलवन्तराय मेहता समिति की सिफारिशों के आधार पर सामुदायिक विकास को स्वायतशासी संस्थाओं तथा पंचायती राज संस्थाओं से जोड़ने का प्रयत्न किया गया। आज जिला स्तर पर जिला पंचायत, खण्ड स्तर पर क्षेत्र पंचायत तथा ग्राम स्तर पर गाँव पंचायतों का इस योजना के क्रियान्वयन में विशेष महत्व है। यह कार्यक्रम क्योंकि जनता के लिए तथा जनता के द्वारा था, इसलिए नौकरशाही के दोषों से इसे बचाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जन सहयोग को सर्वोच्च महत्व दिया गया।

कपार्ट

(1) भारत के ग्रामीण विकास में स्वयंसेवी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है जो समुदाय और व्यक्तियों के बीच बदलाव की पहल और विशिष्ट मुद्दों के प्रत्यक्ष कार्यान्वयन के जरिए कार्य करता है। कपार्ट (लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद्) ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देशों के अंतर्गत कार्य करता है। आज यह संस्था भारत में ग्रामीण विकास को फैलाने में बड़ा योगदान करती है। समस्त देश में 12,000 स्वयंसेवी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर विकास कार्यक्रमों को आरंभ किया गया है।

(2) कपार्ट की स्थापना दो एजेंसियों को मिलाकर हुई है— 'काउंसिल ऑफ एडवांसमेंट फॉर रूरल टेक्नोलॉजी' (सीएआरटी) तथा पीपल्स एक्शन फॉर डेवलपमेंट (पीएआईडी)। कपार्ट 1980 के संस्था पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्थान मानी गई।

(3) कपार्ट की सप्तम योजना के प्रस्तुतीकरण में स्वयंसेवी क्षेत्र की संस्थाओं को 1986 में औपचारिक पहचान मिली जब ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में सहायक सरकारी तथा स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों के बीच सहायक समितियों के वर्गीकरण तथा सामंजस्य के लिए सहयोग किया गया।

उद्देश्य

कपार्ट ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यप्रणाली के सुधार का उद्देश्य लेकर कार्यरत है, विशेषतया समाज के दलित तथा सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए कार्यरत है। अतः गरीबी रेखा के स्तर से नीचे वाले लोगों, अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगों, बंधुआ मजदूरों, अपंगों, बच्चों तथा स्त्रियों को प्रमुखता देना कपार्ट का प्रमुख उद्देश्य है।

कपार्ट के प्रमुख उद्देश्य हैं -

(1) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को सहयोग देना।

(2) उचित ग्रामीण तकनीकी के विकास की योजना को राष्ट्रीय नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना।

(3) स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों की क्षमता निर्माण तथा ग्रामीण समुदायों द्वारा ग्रामीण विकास में भाग लेने वाले स्वयंसेवी संगठनों को सहयोग और पुरस्कार देना।

(4) स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों की प्रौद्योगिकी तथा ग्रामीण विकास के लिए डेटा बैंक के रूप में कार्य करना तथा निपटारा कराने की प्रक्रिया |

(5) विकास के लिए सामुदायिक कार्यविधियां उपलब्ध कराना।

(6) महत्वपूर्ण विकास विषयों पर ज्ञान का निर्माण कराना ग्रामीण स्तरीय जनसमूह तथा संगठनों का निर्माण तथा सशक्तिकरण।

(7) समुचित प्रौद्योगिकी ग्रामीण तकनीक का प्रचार तथा प्रसार।

(8) ग्रामीण क्षेत्रों में उचित अवसर प्रदान करना तथा आर्थिक निर्भरता देना।

(9) आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के साधनों को सामुदायिक रूप से उपलब्ध कराना।

(10) प्राकृतिक संसाधनों और वातावरण को सुरक्षित रखना तथा पुर्नर्निमत करना।

(11) नि:शक्तों तथा लाभ से वंचित महिलाओं तथा अन्य जनसमूह को विकास कार्यक्रम में भाग लेने योग्य बनाना।

इन उद्देश्यों के साथ-साथ कपार्ट आर्थिक तथा प्राकृतिक सहयोग द्वारा विकास योजनाओं को पूर्ण रूप से फैलाने तथा बड़े पैमाने पर सुचारू रूप से चलाने वाले स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को सहयोग प्रदान करता है। कपार्ट भारत सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर धनराशि प्राप्त करता है। इसे ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों को चलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दाताओं का सहयोग भी मिलता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
  2. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना का क्षेत्र एवं उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
  4. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
  5. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
  7. प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
  8. प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
  9. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
  10. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
  11. प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
  12. प्रश्न- सामुदायिक संगठन से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक संगठन को परिभाषित करते हुए इसकी विभिन्न परिभाषाओं का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
  16. प्रश्न- सामुदायिक संगठन के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
  18. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के दर्शन पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  19. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  20. प्रश्न- सामुदायिक विकास प्रक्रिया के अन्तर्गत सामुदायिक विकास संगठन कितनी अवस्थाओं से गुजरता है?
  21. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  22. प्रश्न- सामुदायिक संगठन और सामुदायिक विकास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन और सामुदायिक क्रिया में अंतर बताइये।
  24. प्रश्न- सामुदायिक विकास संगठन के प्रशासनिक ढांचे का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सामुदायिक विकास में सामुदायिक विकास संगठन की सार्थकता एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का क्षेत्र समझाइये।
  27. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के उद्देश्यों का विस्तार से वर्णन कीजिये।
  28. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइयें।
  29. प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
  30. प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के क्षेत्र, आवश्यकता एवं परिकल्पना के विषय में विस्तार से लिखिए।
  31. प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
  32. प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना के बारे में बताइए।
  33. प्रश्न- राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) पर एक टिप्पणी लिखिये।
  34. प्रश्न- राष्ट्रीय सेवा योजना (N.S.S.) पर टिप्पणी लिखिये।
  35. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र संगठन का परिचय देते हुए इसके विभिन्न कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- नेहरू युवा केन्द्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  37. प्रश्न- कपार्ट एवं गैर-सरकारी संगठन की विकास कार्यक्रम में महत्वपूर्ण घटक की भूमिका निभाते हैं? विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  38. प्रश्न- बाल कल्याण से सम्बन्ध रखने वाली प्रमुख संस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- हेल्प एज इण्डिया के विषय में आप क्या जानते हैं? यह बुजुर्गों के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण है? प्रकाश डालिए।
  40. प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों व महत्व पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- बाल विकास एवं आप (CRY) से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों एवं मूल सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
  42. प्रश्न- CRY को मिली मान्यता एवं पुरस्कारों के विषय में बताइए।
  43. प्रश्न- बाल अधिकार का अर्थ क्या है?
  44. प्रश्न- बच्चों के लिए सबसे अच्छा एनजीओ कौन-सा है?
  45. प्रश्न- राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस कब मनाया जाता है?
  46. प्रश्न- नेतृत्व से आप क्या समझते है? नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं का विश्लेषण कीजिये।
  47. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न प्रारूपों (प्रकारों) की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण की प्रमुख प्रविधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- कार्यस्थल पर नेताओं की पहचान करने की विधियों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- ग्रामीण क्षेत्रों में कितने प्रकार के नेतृत्व पाए जाते हैं?
  52. प्रश्न- परम्परागत ग्रामीण नेतृत्व की विशेषताएँ बताइये।
  53. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षण को किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है?
  54. प्रश्न- नेतृत्व की प्रमुख विशेषताओं को बताइए।
  55. प्रश्न- नेतृत्व का क्या महत्व है? साथ ही नेतृत्व के स्तर को बताइए।
  56. प्रश्न- नेतृत्व प्रशिक्षक से आप क्या समझते हैं? एक नेतृत्व प्रशिक्षक में कौन-से गुण होने चाहिए? संक्षेप में बताइए।
  57. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  58. प्रश्न- एक अच्छा नेता कैसा होता है या उसमें कौन-से गुण होने चाहिए?
  59. प्रश्न- विकास कार्यक्रम का अर्थ स्पष्ट करते हुए विकास कार्यक्रम के मूल्यांकन में विभिन्न भागीदारों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  60. प्रश्न- विकास कार्यक्रम चक्र को विस्तृत रूप से समझाइये | इसके मूल्यांकन पर भी प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- विकास कार्यक्रम तथा उसके मूल्यांकन के महत्व का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के प्रमुख घटक क्या हैं?
  63. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन की प्रक्रिया का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- अनुवीक्षण / निगरानी की विकास कार्यक्रमों में क्या भूमिका है? टिप्पणी कीजिए।
  66. प्रश्न- निगरानी में बुनियादी अवधारणाएँ और तत्वों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- निगरानी के साधन और तकनीकों का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  68. प्रश्न- मूल्यांकन डिजाइन (मूल्यांकन कैसे करें) को समझाइये |
  69. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- मूल्यांकन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- निगरानी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- निगरानी के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- निगरानी में कितने प्रकार के सूचकों का प्रयोग किया जाता है?
  74. प्रश्न- मूल्यांकन का अर्थ और विशेषताएँ बताइये।
  75. प्रश्न- निगरानी और मूल्यांकन के बीच अंतर लिखिए।
  76. प्रश्न- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों को समझाइये।

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