बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
अथवा
टाई एण्ड डाई का महत्व तथा इसके मुख्य केन्द्र बताइए |
उत्तर -
वस्त्रों को रंगकर उन्हें चित्रित कर सुन्दर बनाने की परम्परा सभ्यता के आरम्भिक काल से ही चली आ रही है। बाँधनी शब्द संस्कृत शब्द बंध से बना है जिसका अर्थ है- बाँधना। टाई एवं डाई से तात्पर्य गाँठें बाँधने से है अर्थात् ठप्पा या किसी अन्य सामान के बिना ही कपड़े में गाँठें बाँधकर आकर्षक डिजाइन तैयार कर सकते हैं। इसके लिए किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। इसमें कपड़े पर डिजाइन की बुँदकियों को धागे से कसकर बाँधकर उसे रंगा जाता है जिससे धागे बंधे पान पर नहीं चढ़ता तथा पूरा वस्त्र रंग जाता है। इस प्रकार यह अवरोधक छपाई का एक प्रकार है।
बाँधनी का इतिहास (History of Bandhani) - बाँधनी भारतीय रँगाई की सर्वोत्तम कृति है जिसकी शुरुआत भारत में ही हुई। भारत में राजस्थान व गुजरात में इस कला का जन्म स्थान माना जाता है। राजस्थान में टाइ एण्ड डाई को बाँधनी कहा जाता है। रामायण, महाभारत व हर्षचरित में भी बाँधनी का उल्लेख है। 1373 ई० के कालीन साहित्य में भी सतरंगी चुनरी का उल्लेख मिलता है। 16वीं शताब्दी के आसपास लिखी "वर्णका" नामक पुस्तक में भी, गुजरात की बाँधनी के प्रचलन के प्रमाण मिलते हैं। इस समय इसे बंधालय कहा जाता था।
यह माना जाता है कि राजस्थान बाँधनी का घर है, यहीं पर यह कला फली फूली एवं विकसित हुई। कहा जाता है कि बाँधनी, प्रेम, खुशी व लोकगीतों का चिह्न है। यह दुल्हन के परिधान का मुख्य अंग है। बाँधनी की कला गुजरात, काठियावाड़, राजस्थान और सिन्ध में काफी प्रचलित है। बाँधनी में घट चोला व चुनरी, यह दो पारम्परिक प्रकार हैं। 15वीं शताब्दी में जोधाबाई जी के शासन में मुलतान नगर का एक कारीगर मोहम्मद बिन आसिम अपने रंगाई के नमूने लेकर जोधा जी के पास पहुँचा तब जोधा जी को यह कला इतनी मनमोहक लगी कि उन्होंने कारीगर का खास सामान खरीद लिया तथा उन्हें सम्मानित भी किया। तभी से यह कला विकसित हुई।
बंधेज की ओढ़नियों की अपने आप में एक अलग ही विशेषता है। इनके डिजाइनों में भी पक्षी, जानवर, फूल, पत्तियों का सुन्दर संयोजन होता है। जयपुर का पँचरंगी साफा, मोण्डा और जो जोधपुर का कगणियाँ विशेष ख्याति प्राप्त है। शेखावटी की बंधेज चिनोन पर होती है जबकि जयपुर में शिफोन मलमल आदि पर। दक्षिण एवं पश्चिम राजस्थान में बंधेज का काम लट्ठे पर होता है। भारत की रंगाई पुराने रोम में भी काफी प्रसिद्ध है। राजस्थान और गुजरात की स्त्रियाँ बाँधनी की चुनरी कसीदा किए हुए घाघरे के ऊपर ओढ़ती हैं।
बाँधनी का महत्व - बाँधनी प्रेम विवाह, वैवाहिक सुख व सुहाग का प्रतीक माना गया है। यह खुशियों के प्रतीक का वस्त्र है। हिन्दू संस्कारों में विवाह के समय दुल्हन के वस्त्रों में चुनरी को शुभ माना जाता है। लाल चुनरी सौभाग्य का प्रतीक होती है। हर राजस्थानी स्त्री यह मनोकामना करती है कि वह सावन में सहरिया या मोण्डा पहने। राजस्थान में यह दुल्हन के परिधान का प्रमुख अंग है। गुजरात में इसी तरह घरचोला एक परम्परागत वस्त्र है। यह घरचोला दुल्हन को विवाह के समय पहनाया जाता है। इसका उपयोग दुल्हन की ओढ़नी के रूप में करते हैं। आजकल घरचोला का उपयोग अधिकांश स्त्रियाँ उत्सवों व शादियों में करती हैं। इस प्रकार बाँधनी के वस्त्र उल्लास व खुशी के प्रतीक हैं। राजस्थानी पुरुषों की पगड़ी भी बाँधनी से बनाई जाती है। इस प्रकार बाँधनी का अलग-अलग जगह अलग-अलग महत्व होता है।
बाँधनी के मुख्य केन्द्र
गुजरात - गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और बड़े कार्यक्षेत्र हैं। जहाँ पर बाँधनी का कार्य किया जाता है। इनमें मुख्य जामनगर है। ऐसा माना जाता है कि जामनगर का पानी सबसे चमकीला लाल रंग लाता है। इसलिए रंगाई वहाँ की जाती है। जबकि गणने बाँधने का कार्य अन्य स्थानों पर किया जाता है। बाँधनी के पारम्परिक केन्द्र कच्छ में भी है। विशेषकर भुज, अंजार, नांडवी में प्रमुख रूप से यह कार्य होता है।
राजस्थान - राजस्थान के बीकानेर व सिकर में बाँधनी का बारीक कार्य किया जाता है। जयपुर, जोधपुर, बारमर, पाली, उदयपुर, नायड़वारा बाँधनी के केन्द्र हैं। रंगों की दृष्टि से राजस्थान के रेगिस्तान के शहरों में अच्छे परिणाम मिलते हैं। राजस्थान में जोधपुर का खाँडा फतसा मोहल्ला बाँधनी का प्रमुख केन्द्र है।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रकार की बुनाइयों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 1. स्वीवेल बुनाई, 2. लीनो बुनाई।
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिसज्जा एवं परिष्कृति से आप क्या समझती हैं? वस्त्रों पर परिसज्जा देना क्यों अनिवार्य है?
- प्रश्न- वस्त्रों पर परिष्कृति एवं परिसज्जा देने के ध्येय क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1) मरसीकरण (Mercercizing) (2) जल भेद्य (Water Proofing) (3) अज्वलनशील परिसज्जा (Fire Proofing) (4) एंटी-सेप्टिक परिसज्जा (Anti-septic Finish)
- प्रश्न- परिसज्जा-विधियों की जानकारी से क्या लाभ है?
- प्रश्न- विरंजन या ब्लीचिंग को विस्तापूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabrics) का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- कैलेण्डरिंग एवं टेण्टरिंग परिसज्जा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिंजिइंग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- साइजिंग को समझाइये।
- प्रश्न- नेपिंग या रोयें उठाना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - i सेनफोराइजिंग व नक्काशी करना।
- प्रश्न- रसॉयल रिलीज फिनिश का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- परिसज्जा के आधार पर कपड़े कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- कार्य के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- स्थायित्व के आधार पर परिसज्जा का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा (Finishing of Fabric) किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्काउअरिंग (Scouring) या स्वच्छ करना क्या होता है? संक्षिप्त में समझाइए |
- प्रश्न- कार्यात्मक परिसज्जा (Functional Finishes) किससे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- रंगाई से आप क्या समझतीं हैं? रंगों के प्राकृतिक वर्गीकरण को संक्षेप में समझाइए एवं विभिन्न तन्तुओं हेतु उनकी उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रोद्योग में रंगाई का क्या महत्व है? रंगों की प्राप्ति के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रंगने की विभिन्न प्रावस्थाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कपड़ों की घरेलू रंगाई की विधि की व्याख्या करें।
- प्रश्न- वस्त्रों की परिसज्जा रंगों द्वारा कैसे की जाती है? बांधकर रंगाई विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाटिक रंगने की कौन-सी विधि है। इसे विस्तारपूर्वक लिखिए।
- प्रश्न- वस्त्र रंगाई की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों की रंगाई के समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- डाइरेक्ट रंग क्या हैं?
- प्रश्न- एजोइक रंग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? संक्षिप्त में इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dye) के लाभ तथा हानियाँ क्या-क्या होती हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक रंग (Natural Dyes) किसे कहते हैं?
- प्रश्न- प्राकृतिक डाई (Natural Dyes) के क्या-क्या उपयोग होते हैं?
- प्रश्न- छपाई की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंकजेट (Inkjet) और डिजिटल (Digital) प्रिंटिंग क्या होती है? विस्तार से समझाइए?
- प्रश्न- डिजिटल प्रिंटिंग (Digital Printing) के क्या-क्या लाभ होते हैं?
- प्रश्न- रंगाई के बाद (After treatment of dye) वस्त्रों के रंग की जाँच किस प्रकार से की जाती है?
- प्रश्न- स्क्रीन प्रिटिंग के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्टेन्सिल छपाई का क्या आशय है। स्टेन्सिल छपाई के लाभ व हानियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक रंगाई प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- ट्रांसफर प्रिंटिंग किसे कहते हैं? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- पॉलीक्रोमैटिक छपाई (Polychromatic Printing) क्या होती है? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत की परम्परागत कढ़ाई कला के इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंध, कच्छ, काठियावाड़ और उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कर्नाटक की 'कसूती' कढ़ाई पर विस्तार से प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पंजाब की फुलकारी कशीदाकारी एवं बाग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- टिप्पणी लिखिए : (i) बंगाल की कांथा कढ़ाई (ii) कश्मीर की कशीदाकारी।
- प्रश्न- कच्छ, काठियावाड़ की कढ़ाई की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? समझाइए।
- प्रश्न- कसूती कढ़ाई का विस्तृत रूप से उल्लेख करिए।
- प्रश्न- सांगानेरी (Sanganeri) छपाई का विस्तृत रूप से विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कलमकारी' छपाई का विस्तृत रूप से वर्णन करिए।
- प्रश्न- मधुबनी चित्रकारी के प्रकार, इतिहास तथा इसकी विशेषताओं के बारे में बताईए।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश की चिकन कढ़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जरदोजी कढ़ाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- इकत शब्द का अर्थ, प्रकार तथा उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- पोचमपल्ली पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बगरू (Bagru) छपाई का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कश्मीरी कालीन का संक्षिप्त रूप से परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के परम्परागत वस्त्रों का उनकी कला तथा स्थानों के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्देरी साड़ी का इतिहास व इसको बनाने की तकनीक बताइए।
- प्रश्न- हैदराबाद, बनारस और गुजरात के ब्रोकेड वस्त्रों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बाँधनी (टाई एण्ड डाई) का इतिहास, महत्व बताइए।
- प्रश्न- टाई एण्ड डाई को विस्तार से समझाइए |
- प्रश्न- कढ़ाई कला के लिए प्रसिद्ध नगरों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पटोला वस्त्रों का निर्माण भारत के किन प्रदेशों में किया जाता है? पटोला वस्त्र निर्माण की तकनीक समझाइए।
- प्रश्न- औरंगाबाद के ब्रोकेड वस्त्रों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुजरात के प्रसिद्ध 'पटोला' वस्त्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरुषों के वस्त्र खरीदते समय आप किन बातों का ध्यान रखेंगी? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों के चुनाव को प्रभावित करने वाले तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फैशन के आधार पर वस्त्रों के चुनाव को समझाइये।
- प्रश्न- परदे, ड्रेपरी एवं अपहोल्स्ट्री के वस्त्र चयन को बताइए।
- प्रश्न- वस्त्र निर्माण में काम आने वाले रेशों का चयन करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- रेडीमेड (Readymade) कपड़ों के चुनाव में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- अपहोल्सटरी के वस्त्रों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रश्न- गृहोपयोगी लिनन (Household linen) का चुनाव करते समय किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता पड़ती है?
- प्रश्न- व्यवसाय के आधार पर वस्त्रों के चयन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सूती वस्त्र गर्मी के मौसम के लिए सबसे उपयुक्त क्यों होते हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवसर के अनुकूल वस्त्रों का चयन किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- मौसम के अनुसार वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करते हैं?
- प्रश्न- वस्त्रों का प्रयोजन ही वस्त्र चुनाव का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों हेतु वस्त्रों का चुनाव किस प्रकार करेंगी?
- प्रश्न- गृह उपयोगी वस्त्रों के चुनाव में ध्यान रखने योग्य बातें बताइए।
- प्रश्न- फैशन एवं बजट किस प्रकार वस्त्रों के चयन को प्रभावित करते हैं? समझाइये |
- प्रश्न- लिनन को पहचानने के लिए किन्ही दो परीक्षणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ड्रेपरी के कपड़े का चुनाव कैसे करेंगे? इसका चुनाव करते समय किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?
- प्रश्न- वस्त्रों की सुरक्षा एवं उनके रख-रखाव के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वस्त्रों की धुलाई के सामान्य सिद्धान्त लिखिए। विभिन्न वस्त्रों को धोने की विधियाँ भी लिखिए।
- प्रश्न- दाग धब्बे कितने वर्ग के होते हैं? इन्हें छुड़ाने के सामान्य निर्देशों को बताइये।
- प्रश्न- निम्नलिखित दागों को आप किस प्रकार छुड़ायेंगी - पान, जंग, चाय के दाग, हल्दी का दाग, स्याही का दाग, चीनी के धब्बे, कीचड़ के दाग आदि।
- प्रश्न- ड्राई धुलाई से आप क्या समझते हैं? गीली तथा शुष्क धुलाई में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- वस्त्रों को किस प्रकार से संचयित किया जाता है, विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- वस्त्रों को घर पर धोने से क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- धुलाई की कितनी विधियाँ होती है?
- प्रश्न- चिकनाई दूर करने वाले पदार्थों की क्रिया विधि बताइये।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई के लाभ व हानियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शुष्क धुलाई में प्रयुक्त सामग्री व इसकी प्रयोग विधि को संक्षेप में समझाइये?
- प्रश्न- धुलाई में प्रयुक्त होने वाले सहायक रिएजेन्ट के नाम लिखिये।
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचित करने का क्या महत्व है?
- प्रश्न- वस्त्रों को स्वच्छता से संचयित करने की विधि बताए।