बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- GIS में आँकड़ों के प्रकार एवं संरचना पर प्रकाश डालिये।
उत्तर -
भौगोलिक सूचना तंत्र आँकड़े में डाले जाते हैं। यदि भौगोलिक सूचना प्रणाली उन आँकड़ों की संरचना को स्वीकृत करती है, जो हमेशा उपयोग होते हैं, तो उपयोगकर्त्ता को सुविधा होती है। किन्तु कम्प्यूटर प्रोग्राम आँकड़ों को इसी संरचना के आधार पर प्रदर्शित करता है। अन्तिम रूप से आँकड़े मैग्नेटिक उपकरण में लिखे एवं संग्रहीत किये जाते हैं। विभिन्न आँकड़ों की पहचान के लिए इन्हें अलग-अलग नाम, पता या संकेत दिया जाता है। इन्हें हम निम्नलिखित चरणों में प्रदर्शित कर सकते हैं-
(1) बिन्दु, रेखा और क्षेत्र - सभी भौगोलिक आँकड़ों को तीन आधारभूत टोपोलॉजिकल सिद्धान्तों में विभाजित किया जा सकता है, बिन्दु, रेखा एवं क्षेत्र। प्रत्येक भौगोलिक आकृति सिद्धान्ततः बिन्दु, रेखा एवं क्षेत्र में लेबिल सहित प्रदर्शित की जा सकती है। तेल कुँआ को एक बिन्दु द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है, जिसके निर्देशांक x-y एक ही होंगे एवं तेल कुआँ लेबिल होगा रेलवे लाइन एक रेखा के रूप में प्रदर्शित होगी, जिसमें प्रारम्भ x-y निर्देशांक एवं अन्तिम x-y निर्देशांक होंगे एवं रेलवे लाइन लेबिल होगा। बाढ़ को क्षेत्र के रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है, जिसमें x-y निर्देशांक के समूह सम्मिलित होंगे एवं बाढ़ क्षेत्र द्वारा लेबिल किया जायेगा।
किसी भी आँकड़ा संग्रहण प्रणाली का आवश्यक गुण यह है कि वह आँकड़ा प्राप्ति और सन्दर्भों की जांच शीघ्रता से कर सके जिसके लिए विभिन्न तरीके हैं। कुछ की कार्यक्षमता ज्यादा होती है, किन्तु ऐसी कोई विधि उपलब्ध नहीं है, जो सभी परिस्थितियों में उपयुक्त हो। प्रभावशाली डाटाबेस प्रबन्धन में काफी धन और श्रम लगता है। कम्प्यूटर प्रोग्राम, आँकड़ा निवेश नियन्त्रण, निर्गम, संग्रहण एवं पुनः प्राप्ति डिजिटल डाटाबेस के रूप में होता है।
(2) डाटाबेस - जी.आई.एस. के लिए आँकड़े ही कच्चा माल हैं, जिनके द्वारा भू सूचना प्रणाली तैयार होती है। ये आँकड़े फाइलों या रिकार्ड के रूप में एकत्र होते हैं। डाटाबेस आँकड़ों का संग्रह है, जो विभिन्न उपयोगकर्त्ताओं द्वारा इस्तेमाल किये जाते हैं। डाटाबेस इस तरह व्यवस्थित किये जाते हैं जिससे इनकी पुन: प्राप्ति में परेशानी कम से कम हो।
(i) डाटाबेस संरचना - डाटाबेस में आँकड़े कई फाइलों में इस तरह से व्यवस्थित होते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें सरलता से प्राप्त किया जा सके। इसके लिए आवश्यक है विशेष प्रकार की संरचना या व्यवस्था की मुख्य रूप से डाटाबेस संरचनाएँ तीन प्रकार की होती हैं: पदानुक्रमिक (Hierarchical), नेटवर्क आधारित (Network based) एवं सम्बन्धपरक (Relational )।
(3) पदानुक्रमिक आँकड़ा संरचना - जब आँकड़ों में पिता / पुत्र या इसी प्रकार से एक से अधिक सम्बन्ध हों तो इसे पदानुक्रमिक आँकड़ा संरचना कहते हैं, जैसे मिट्टी की विभिन्न श्रेणियाँ। इस प्रकार किसी क्षेत्र विशेष के अन्दर पदानुक्रमिक आँकड़ा संरचना द्वारा शीघ्र एवं सुगमता से आँकड़े प्राप्त किये जा सकते हैं।
पदानुक्रमिक प्रणाली में प्रत्येक हिस्से में पहुँचने हेतु एक कुंजी का उपयोग किया जाता है, जो आँकड़ा संरचना के बारे में पूरी जानकारी देती है।
पदानुक्रमिक प्रणाली के फायदे इस प्रकार हैं- इसे आसानी से समझा जा सकता है और सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है एवं विस्तार किया जा सकता है। यदि वांछित जानकारी का मूल विषय पहले से ज्ञात हो, तब आँकड़ा प्राप्ति हेतु पदानुक्रमिक प्रणाली बहुत अच्छी हैं।
सामान्यतः ग्रन्थ सूची, बैंक या एयरलाइन में आँकड़ा प्राप्ति हेतु पदानुक्रमिक प्रणाली का ही उपयोग किया जाता है।
पदानुक्रमिक डाटाबेस संरचना की एक समस्या बड़ी फाइल को सम्भालना है। इसमें कुछ लक्षणों की कई बार पुनरावृत्ति होती है, जिससे आँकड़ों की मात्रा बढ़ती जाती है, जिससे आँकड़ा संग्रह भी बढ़ता है और लागत भी।
(4) नेटवर्क आधारित प्रणाली - पदानुक्रमिक आँकड़ा प्रणाली वाले डाटाबेस में इधर-उधर आँकड़े खोजने पड़ते हैं। यह खोज ऊपर दिए गए आँकड़ों से होकर नीचे तक आती है। बहुत से मामलों में आँकड़ों में परस्पर और ज्यादा सम्बन्ध की आवश्यकता होती है, विशेषकर ग्राफिक गुणों वाले आँकड़ों में, जिनमें आसपास के सभी होता है। नेटवर्क प्रणाली इन सभी समस्याओं को दूर करती हैं।
(5) सम्बन्धपरक डाटाबेस संरचना - सम्बन्धपरक डाटाबेस संरचना बहुत ही सरल है। न तो इसमें कुँजी दिखाने वाली जानकारी की और
विषय आपस में सम्बन्ध रखते हैं। हालांकि उनके निर्देशांक डाटाबेस में रखना मुश्किल काम न ही पदानुक्रम की आवश्यकता होती है।
आँकड़े साधारण रिकार्ड के रूप में संग्रहीत होते हैं, जिसे ट्पल (Tuples) कहते हैं। इन समूहों में क्रम से विभिन्न लक्षणों के मान सारणियों में संग्रहीत होते हैं। प्रत्येक सारणी या सम्बन्ध की सामान्यतः अलग फाइल होती है। नेटवर्क मॉडल में दृश्य संरचना एवं पदानुक्रमिक मॉडल में कुंजी की परेशानी को इसमें दूर किया गया है पहचान कोड के रूप में एकल कुंजी द्वारा फाइल के सभी रिकार्ड पहचाने जाते हैं।
एक विधि के द्वारा आँकड़े सम्बन्ध डाटाबेस से प्राप्त किये जाते हैं, जिसमें उपयोगकर्त्ता सम्बन्ध परिभाषित करते हैं। यह आवश्यक नहीं कि यह सम्बन्ध, फाइल में पहले से हो, इसलिए नियन्त्रण प्रोग्राम का उपयोग करके बीजगणित लगाकर नई सम्बन्ध सारणी बनाई जाती है।
सम्बन्ध डाटाबेस के बहुत फायदे हैं इसमें बुलियन तार्किक एवं गणितीय संक्रिया द्वारा सभी जिज्ञासाओं का समाधान किया जा सकता है।
इन मॉडलों में विभिन्न आँकड़ों की खोज एवं तुलना की जा सकती है और उन्हें मिश्रित भी किया जा सकता है। इसमें आँकड़े जोड़ना एवं हटाना अत्यन्त सरल है, क्योंकि इसमें ट्पल को मिटाना या जोड़ना भर होता है। इसका एक नुकसान यह है कि इसमें बहुत सी खोजें श्रेणीक्रम में करनी होती हैं: जिसमें बहुत सारे आँकड़ों में से वांछित आँकड़े खोजने में बहुत समय लगता है।
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