बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 4
सुदूर संवेदन की अवस्थाएँ
(Stages of Remote Sensing)
प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सुदूर संवेदन की अवस्थाएँ
सुदूर संवेदन दूरस्थ स्थानों पर स्थित वस्तुओं या घटनाओं की गतिविधियों को संदर्भित करता है। रिमोट सेंसिंग में, सेंसर वस्तुओं या घटनाओं के साथ सीधे संपर्क में नहीं होता है। इस विधि में प्राप्त जानकारी को एक हस्तक्षेप के माध्यम से वस्तुओं एवं घटनाओं से सेंसर तक यात्रा करने के लिए एक भौतिक वाहक की आवश्यकता होती है। इस प्रकार रिमोट सेंसिंग में एक सूचना वाहक के रूप में विद्युत चुम्बकीय विकिरण का प्रयोग किया जाता है। रिमोट सेंसिंग सिस्टम का उत्पादन आमतौर पर दृश्य का प्रतिनिधित्व करने वाली एक छवि के रूप में देखा जाता है। प्राप्त छवि से उपयोगी जानकारी निकालने के लिए छवि का विश्लेषण किया जाता है।
1. ऊर्जा का स्त्रोत - सुदूर संवेदन में ऊर्जा का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत सूर्य है। किसी वस्तु एवं स्वभाव के विषय में सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए कृत्रिम ऊर्जा का भी उपयोग किया जा सकता है। जैसे कि फ्लेशगन तथा राडार में प्रयुक्त ऊर्जा बिम्ब।
2. स्रोत से पृथ्वी के धरातल तक ऊर्जा का संचरण - सूर्य से ऊर्जा तरंगों के रूप में विस्तारित होकर प्रकाश गति से ( 3,00,000 किमी/प्रति सेकण्ड की दर से) पृथ्वी के धरातल तक पहुँचती है। इस ऊर्जा संचरण को विद्युत चुम्बकीय विकिरण कहा जाता है। ऊर्जा तरंगों की लंबाई (तरंगदैर्ध्य ) व आवृत्ति में भिन्नता पाई जाती है। इस भिन्नता के रेखांकन को विद्युत-चुंबकीय स्पेक्ट्रम के आकार, तरंगदैर्ध्य व उनकी आवृत्ति के आधार पर ऊर्जा तरंगों को गामा किरणें, एक्स किरणें, पराबैंगनी किरणें, दृश्य किरणों, अवरक्त किरणें, माइक्रोवेव व रेडियो तरंगों में वर्गीकृत किया जाता है। सभी किरण क्षेत्रों को अलग-अलग कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है। यद्यपि सुदूर संवेदन में दृश्य ऊर्जा क्षेत्र, अवरक्त क्षेत्र व माइक्रोवेव ऊर्जा क्षेत्र अधिक उपयोगी हैं।
3. पृथ्वी के धरातल के साथ ऊर्जा की अन्योन्य क्रिया - अंततः संचरित ऊर्जा भूतल पर उपस्थित वस्तुओं के साथ अन्योन्य क्रिया करती है, जिससे वस्तुओं द्वारा ऊर्जा का अवशोषण, प्रेषण, परावर्तन व उत्सर्जन होता है। हम यह भी जानते हैं कि सभी वस्तुएँ संरचना, स्वरूप, आकार व अन्य गुणों में भिन्न-भिन्न दृष्टिगोचर होती हैं। अतः इन वस्तुओं द्वारा ऊर्जा ग्रहण व उत्सर्जन भी एकसमान नहीं होता। इसके विपरीत वस्तु विशेष भी स्पेक्ट्रम के विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों में सर्वथा भिन्न प्रकार से प्रतिक्रिया करते हैं। उदाहरण के तौर पर, शुद्ध जल युक्त भाग स्पेक्ट्रम के लाल व अवरक्त वर्णक्रम क्षेत्र प्रदेशों में ऊर्जा किरणों का सर्वाधिक अवशोषण करते हैं तथा उपग्रहों से प्राप्त प्रतिबिंबों में ये गहरे काले नजर आते हैं, जबकि आविल जलाशय क्षेत्र दृश्य स्पेक्ट्रम के नीले व हरे क्षेत्रों की किरणों को अपेक्षाकृत अधिक परावर्तित करते हैं ओर उपग्रहों से प्राप्त प्रतिबिंबों में ये हल्के नीले रंग में दिखाई देते हैं।
4. वायुमंडल से परावर्तित / उत्सर्जित ऊर्जा का प्रवर्धन - जब भूपृष्ठ वस्तुओं से ऊर्जा परावर्तित होती हैं, तो यह पुनः वायुमंडल में प्रवेश करती है। आप यह जानते हैं कि वायुमंडल में गैस, जलकण व धूलकण आदि व्याप्त हैं। वस्तुओं द्वारा परावर्तित ऊर्जा इन वायुमंडलीय घटकों के संपर्क में आती है और वास्तविक या प्राप्त ऊर्जा की विशेषताओं में परिवर्तन आ जाता है। यद्यपि कार्बन डाईऑक्साइड, हाइड्रोजन व जलकण अवरक्त किरणों को अवशोषित कर लेते हैं, जबकि धूलकणों से नीली किरणों का प्रकीर्णन होता है। अतः ऊर्जा, जो या तो अवशोषित हो जाती है या वायुमंडलीय घटक जिसको प्रकीर्ण करते हैं, वह उपग्रहों में विद्यमान संवेदक तक नहीं पहुँच पाती और इन वस्तुओं की विशेषताएँ अभिलेखित नहीं हो पाती।
5. संवेदक के माध्यम से परावर्तित / उत्सर्जित ऊर्जा का अभिसूचन - ऊर्जा अभिलेखित करने वाले संवेदक 700 से 900 किमी की ऊँचाई पर ऐसे उपग्रहों में लगाए गए हैं, जिनका कक्षीय परिक्रमण सूर्यतुल्य कालिक (Sun synchronous) है ( अधिक स्पष्टता के लिए चित्र देखें)। ये उपग्रह सुदूर संवेदन उपग्रहों के नाम से जाने जाते हैं (उदाहरणार्थ भारतीय श्रृंखला के भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह )। इन उपग्रहों के अतिरिक्त, मौसम संबंधी आकलन व संचार के लिए भी उपग्रह भेजे गए हैं, जो भू-स्थैतिक हैं (ये उपग्रह इस तरह स्थापित हैं कि इनका परिभ्रमण कक्ष पृथ्वी के परिभ्रमण दिशा से समायोजित है।) ये उपग्रह अंतरिक्ष में लगभग 36,000 किमी की ऊँचाई पर स्थापित हैं (उदाहरणार्थ INSAT श्रेणी के उपग्रह )।
सुदूर संवेदन उपग्रहों में ऐसे संवेदक लगाए गए हैं, जो भूपृष्ठीय वस्तुओं द्वारा परावर्तित विद्युत चुंबकीय ऊर्जा संग्रहित करने की क्षमता रखते हैं।
कैसे एक अनावरण (Exposure) पर चित्र प्राप्त कर सकते हैं। यद्यपि सुदूर संवेदन उपग्रहों में लगाए गए संवेदक सूचनाएँ एकत्रित करने में एक अलग प्रक्रिया के तहत कार्यशील हाते हैं, जो फोटोग्राफी कैमरा से भिन्न है। अंतरिक्ष में स्थापित ये संवेदक जो बिंब बनाते हैं, वह कैमरे पर आधारित चित्रों की अपेक्षा आँकड़ों के रूप में या अंकीय रूपों में सूचनाएँ देते हैं।
6. प्राप्त ऊर्जा का फोटोग्राफ/आंकिक आँकड़ों के रूप में अभिसारण - संवेदक एकत्रित ऊर्जा को विद्युतीय क्रिया द्वारा आँकड़ों (डिजिटल) के रूपों को बिंब में बदल देते हैं। ये आंकिक संख्याएँ पंक्ति व स्तंभ में क्रमानुसार व्यवस्थित होते हैं। इन संख्याओं को आँकड़ों से निर्मित प्रतिबिंबों में परिवर्तित किया जा सकता है। पृथ्वी का परिभ्रमण करने वाले उपग्रहों में लगे संवेदक एकत्र किए गए प्रतिबिम्ब आँकड़ों का संचरण, विद्युतीय विधि द्वारा संसार के विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए धरातलीय केंद्रों को प्रेषित करते हैं। ऐसा ही एक सूचना प्राप्ति का केन्द्र भारत में हैदराबाद के निकट शादनगर में स्थित है।
7. आँकड़ा उत्पाद से विषयानुरूप सूचना सामग्री को निकालना - धरातल पर स्थित आँकड़ा संग्रहण केंद्रों में संग्रहित बिंबों को प्राप्त करने के पश्चात् आँकड़े एकत्रीकरण के दौरान हुई त्रुटियों को दूर करने की कार्यवाही की जाती है। त्रुटियों को दूर करने के पश्चात् शुद्ध आंकिक आँकड़ों बिंब प्रकमण तकनीक की सहायता से तथा बिंब का चाक्षुष विधि में विश्लेषित की जाती है। व्याख्या के पश्चात् अलग-अलग विषय के अनुरूप सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं।
8. मानचित्र एवं सारणी के रूप में आँकड़ों एवं सूचनाओं का अभिसारण - विश्लेषित सूचनाओं को अंततः विषयी मानचित्रों के अलग-अलग रूपों में रेखांकन एवं परिवर्तन किया जाता है। इसमें अतिरिक्त सूचनाओं का मात्रात्मक मापन कर विभिन्न आँकड़े, सारणियों का निर्माण भी किया जाता है।
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- प्रश्न- सुदूर संवेदन से आप क्या समझते हैं? विभिन्न विद्वानों के सुदूर संवेदन के बारे में क्या विचार हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भूगोल में सुदूर संवेदन की सार्थकता एवं उपयोगिता पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के लाभ लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के विषय क्षेत्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदी के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की प्रक्रियाएँ एवं तत्व क्या हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपग्रहों की कक्षा (Orbit) एवं उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारत के कृत्रिम उपग्रहों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कार्य के आधार पर उपग्रहों का विभाजन कीजिए।
- प्रश्न- कार्यप्रणाली के आधार पर सुदूर संवेदी उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- अंतर वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में उपग्रहों के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भू-स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं?
- प्रश्न- ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
- प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
- प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
- प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म से आपका क्या आशय है? प्लेटफॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म उपग्रह के लाभ और कमियों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- फोटोग्राफी संवेदक (स्कैनर ) क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हवाई फोटोग्राफी की विधियों की व्याख्या कीजिए एवं वायु फोटोचित्रों के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- प्रकाशीय संवेदक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सुदूर संवेदन के संवेदक से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- लघुतरंग संवेदक (Microwave sensors) को समझाइये |
- प्रश्न- प्रतिबिंब निर्वचन के तत्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदूर संवेदन में आँकड़ों से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का निर्वचन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- अंकिय बिम्ब प्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण से आप क्या समझते हैं? डिजिटल प्रक्रमण प्रणाली को भी समझाइए।
- प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण के तहत इमेज उच्चीकरण तकनीक की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बिम्ब वर्गीकरण प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- इमेज कितने प्रकार की होती है? समझाइए।
- प्रश्न- निरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण और अनिरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भू-विज्ञान के क्षेत्र में सुदूर संवेदन ने किस प्रकार क्रांतिकारी सहयोग प्रदान किया है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- समुद्री अध्ययन में सुदूर संवेदन किस प्रकार सहायक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वानिकी में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कृषि क्षेत्र में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।
- प्रश्न- भूगोल में सूदूर संवेदन के अनुप्रयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मृदा मानचित्रण के क्षेत्र में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लघु मापक मानचित्रण और सुदूर संवेदन के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के भौगोलिक उपागम से आपका क्या आशय है? इसके प्रमुख चरणों का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली का व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग क्या हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र (GI.S.)से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का कार्य क्या है?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रकार समझाइये |
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्या लाभ हैं?
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के उपयोग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- GIS में आँकड़ों के प्रकार एवं संरचना पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के सन्दर्भ में कम्प्यूटर की संग्रहण युक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्क जी०आई०एस० से आप क्या समझते हैं? इसके प्रशिक्षण और लाभ के संबंध में विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ERDAS इमेजिन सॉफ्टवेयर की अपने शब्दों में समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- QGIS (क्यू०जी०आई०एस०) के संबंध में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली से आपका क्या आशय है? निर्देशांक प्रणाली के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डाटा मॉडल अर्थात् आँकड़ा मॉडल से आप क्या समझते हैं? इसके कार्य, संकल्पना और उपागम का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की विवेचना कीजिए। इस मॉडल की क्षमताओं का भी वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विक्टर मॉडल की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्टोग्राफिक संकेतीकरण त्रिविम आकृति एवं मानचित्र के प्रकार मुद्रण विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की कमियों और लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- रॉस्टर और विक्टर मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।