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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2777
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।

उत्तर -

वायुमण्डलीय प्रकीर्णन
(Atmospheric Scattering)

वायुमण्डलीय गैसों के अणुओं द्वारा विद्युत-चुम्बकीय विकिरण की पुनर्दिशा निर्धारण करने को प्रकीर्णन कहते हैं। विकिरण का चारों दिशाओं की ओर विक्षेपण या विसरण होना विकिरण कहलाता है। प्रकीर्णन के कारण प्रतिबिम्ब विपर्यास की कमी हो जाने से धरातल का स्पेक्ट्रमी प्रतिबिम्ब बदल जाता है। ऐसे में वायुमण्डल में विद्युत चुम्बकीय विकिरण के प्रकीर्णन के सुदूर संवेदन पर दो विपरीत प्रभाव पड़ते हैं-

पहला यह प्रतिबिम्ब के विपर्यास को कम कर देता है और दूसरा यह धरातलीय वस्तुओं में स्पेक्ट्रल संकेतों को परिवर्तित कर देता है जिन्हें संवेदक द्वारा देखा जाता है।

विद्युत चुम्बकीय विकिरण का प्रकीर्णन वायुमण्डल में विद्यमान गैस अणुओं के सापेक्षिक आकार, वायुमण्डल से होकर आने वाली उत्सर्जित ऊर्जा की दूरी तथा तरंग दैर्ध्य विकिरण पर निर्भर करता है। वायुमण्डलीय अणु विभिन्न आकारों में होते हैं। धुन्ध कणों के आकार का निर्माण आर्द्रता के संघनन से होता है जिनका आकार 102 pm तक होता है। द्रव्य के कणों की सान्द्रता समय के साथ बदलती रहती है। अतः प्रकीर्णन का प्रभाव प्रमुख विषय होता है जो समय के साथ-साथ बदलता रहता है। स्वच्छ व साफ दिन में रंग चमकीले दिखाई देते हैं। सौर ऊर्जा का 95% प्रकाश हमारी आँखों से दिखाई देता है तथा 5% प्रकाश वायुमण्डल द्वारा बिखेर दिया जाता है। इसके विपरीत बादल युक्त या धुन्ध युक्त दिनों में रंग धूमिल पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी आँखों में जो प्रकाश पड़ता है वह बिखरा हुआ होता है।

कणों के आकार के आधार पर प्रकीर्णन तीन प्रकार का होता है-

(1) रैले प्रकीर्णन ( Rayleigh Scattering) - विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का वायुमण्डल में निहित कार्यों के साथ अन्तर्क्रिया होने से जो प्रकीर्णन होता है उसे रैले प्रकीर्णन कहते हैं। विकिरण तरंग दैर्ध्य का मान, कणों के आकार से बहुत अधिक होने पर ही रैले प्रकीर्णन प्रतीत होता है। सामान्यतः दृश्य रेन्ज में (0.4um से 0.7um) स्वच्छ वातावरण के अणुओं (102 Xm) द्वारा प्रकीर्णन किया जाता है। उदाहरण के लिए ये धूल के महीन कण तथा गैसों के अणु - नाइट्रोजन (NO2) तथा ऑक्सीजन (O2) होते हैं।

इसी प्रकीर्णन के कारण ही आकाश का रंग नीला दिखता है। दृश्य प्रकाश में नीले रंग की तरंग दैर्ध्य का मान सबसे कम तथा लाल रंग का सबसे अधिक होता है। अतः नीले रंग का प्रकीर्णन लाल रंग से बहुत अधिक होता है। यही कारण है कि हमें आकाश नीला दिखाई देता है।

रैले प्रकीर्णन के कारण ही स्पेक्ट्रम के नीले भाग के बहु- स्पेक्ट्रल सूचनायें कम उपयोगी होती हैं। रैले प्रकीर्णन आगे-पीछे दोनों ही तरफ होता है। तेज पश्चवर्ती प्रकीर्णन के कारण ही वायु फोटोग्राफी में काले धब्बे दिखाई देते हैं जो धुँधले वातावरण में विस्तृत कोणीय कैमरे के द्वारा चित्रित किये जाते हैं। ऐसी दशा में सौर विकिरण, संसूचक के दृश्यमान क्षेत्र में परिलक्षित पड़ता है। इस अवस्था में रैले प्रकीर्णन के कारण प्रतिबिम्ब धुंधले हो जाने से अस्पष्ट दिखते हैं।

प्रकीर्णन के अभाव में प्रतिबिम्ब काला दिखाई देता है। दिन के समय सौर प्रकाश वायुमण्डल से लघु दूरी तय कर आता है। सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य नीला नहीं नारंगी दिखाई देता है, क्योंक उस समय प्रकाश हम तक पहुँचने से पूर्व, वायुमण्डल से लम्बी दूरी तय करता है। लघु तरंग दैर्ध्य में विकिरण कुछ दूरी तय करने के बाद बिखर जाता है और दीर्घ दूरी की तरंग दैर्ध्य विकिरण पृथ्वी तल तक पहुँचती है। यही कारण है कि आकाश नीला नहीं नारंगी व लाल दिखाई देता है। रैले, प्रकीर्णन, दृश्य स्पेक्ट्रम रैले में अधिक ऊँचाई वाले स्थानों पर सुदूर संवेदन प्रक्रिया को हानि पहुँचाता है। परावर्तित ऊर्जा, स्पेक्ट्रल विशेषताओं में विकार उत्पन्न करते हैं। रैले प्रकीर्णन के द्वारा लघु तरंग दैर्ध्य पर अत्यधिक आंकलन किया जाता है। अत्यधिक ऊँचाई से लिये गये रंगीन फोटो चित्रों में हल्का नीलापन दृष्टिगोचर होता है। रैले प्रकीर्णन फोटोचित्रों में स्पष्टता कम हो जाती है जिसके कारण ये विश्लेषण क्षमता को कम कर देते हैं। इसी प्रकार रैले प्रकीर्णन का अंकीय वर्गीकरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

रैले प्रकीर्णन के घटकों को नीले रंग की छन्नी लगाकर तैयार किया जा सकता है। गहरे धुंध की अवस्था में जब सभी तरंग दैर्ध्य समान रूप से प्रकीर्णित होती है तो धुंध को फिल्टर लगाकर दूर नहीं किया जा सकता है। धुंध का प्रभाव तापीय अवरक्त क्षेत्र में कम होता है जबकि लघु तरंग विकिरण पर धुंध की उपस्थिति का कुछ प्रभाव नहीं पड़ता है। ये तरंगें बादलों को भी पार कर सकती है।

(2) मी - प्रकीर्णन - जब विकिरण तरंग दैर्ध्य का मान प्रकीर्णन करने वाले कणों के आकार के बराबर होता तो वह प्रकीर्णन मी प्रकीर्णन कहलाता है। यह प्रकीर्णन वायुमण्डल में विद्यमान जल वाष्प तथा धूलिकण के कारण होता है। सुदूर संवेदन में यह प्रकीर्णन स्पष्ट करता है कि किस प्रकार वायुमण्डलीय धुंध, बहु- स्पेक्ट्रल प्रतिबिम्बों में गिरावट के लिये उत्तरदायी हैं। तरंग दैर्ध्य की तुलना में अणुओं के आकार के आधार पर भी प्रकीर्णन 24 से 2° तक आ सकता है। मी - प्रकीर्णन में आपतित प्रकाश अग्रगामी दिशा में ही प्रकीर्णित होता है। लम्बे तरंग दैर्ध्य पर मी-प्रकीर्णन का प्रभाव अधिक होता है। इसी कारण मी-प्रकीर्णन अल्ट्रा वाइलेट से मध्य इन्फ्रारेड रेन्ज तक प्रभाव डालता है।

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(3) अवरणात्मक प्रकीर्णन - जब प्रकीर्णन करने वाले कणों का आकार, विकिरण तरंग दैर्ध्य करने वाले कणों से बहुत अधिक होता है तब उस प्रकीर्णन को अवरणात्मक प्रकीर्णन कहते हैं। यह प्रकीर्णन तरंग दैर्ध्य पर निर्भर नहीं करता है। उदाहरण के लिये जल वाष्प तथा धूल कण जिनका आकार सामान्यतः 5 से 10 pm तक होता है, विकिरण का अवरणात्मक प्रकीर्णन करती हैं क्योंकि इनमें दृश्य प्रदेश से अवरक्त प्रदेश के परावर्तित अवरक्त बैण्ड तक के सभी तरंग दैयों का समान रूप से प्रकीर्णन करने की क्षमता होती है। वायुमण्डल में बादल या गहरा धुआं होने के कारण ही यह प्रकीर्णन होता है। बादलों में जल वाष्प होने से प्रकाश के कण बिखरकर बादलों का रंग सफेद कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप प्राप्त आँकड़ों अथवा सूचनाओं में बहुत भेद होते हैं। इसके कारण सभी तरंग दैर्ध्य में समान बदलाव प्रतीत होता है। अवरणात्मक प्रकीर्णन में धुंध की उपस्थिति के कारण आकाश का रंग सफेद प्रतीत होता है। चूँकि इसमें दृश्य प्रदेश के नीले, हरे व लाल सभी बैण्डों का समान मात्रा में प्रकीर्णन हो जाता है इसलिए हमें मेघ व कुहरे का रंग श्वेत दृष्टिगोचर होता है। इस प्रकीर्णन की उपस्थिति में यह आभास होता है कि वायुमण्डल में इच्छित दृश्य से ऊपर बड़े आकार के कण हैं जो कि अपने में एक उपयोगी सूचना है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सुदूर संवेदन से आप क्या समझते हैं? विभिन्न विद्वानों के सुदूर संवेदन के बारे में क्या विचार हैं? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल में सुदूर संवेदन की सार्थकता एवं उपयोगिता पर विस्तृत लेख लिखिए।
  3. प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
  4. प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
  7. प्रश्न- सुदूर संवेदन के लाभ लिखिए।
  8. प्रश्न- सुदूर संवेदन के विषय क्षेत्र पर टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  10. प्रश्न- सुदूर संवेदी के प्रकार लिखिए।
  11. प्रश्न- सुदूर संवेदन की प्रक्रियाएँ एवं तत्व क्या हैं? वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- उपग्रहों की कक्षा (Orbit) एवं उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत के कृत्रिम उपग्रहों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्य के आधार पर उपग्रहों का विभाजन कीजिए।
  15. प्रश्न- कार्यप्रणाली के आधार पर सुदूर संवेदी उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- अंतर वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- भारत में उपग्रहों के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- भू-स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं?
  19. प्रश्न- ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
  20. प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  21. प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
  23. प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
  24. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
  25. प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
  26. प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
  28. प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
  30. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म से आपका क्या आशय है? प्लेटफॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
  33. प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
  35. प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
  36. प्रश्न- वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म उपग्रह के लाभ और कमियों का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- फोटोग्राफी संवेदक (स्कैनर ) क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- हवाई फोटोग्राफी की विधियों की व्याख्या कीजिए एवं वायु फोटोचित्रों के प्रकार बताइये।
  41. प्रश्न- प्रकाशीय संवेदक से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- सुदूर संवेदन के संवेदक से आपका क्या आशय है?
  43. प्रश्न- लघुतरंग संवेदक (Microwave sensors) को समझाइये |
  44. प्रश्न- प्रतिबिंब निर्वचन के तत्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- सुदूर संवेदन में आँकड़ों से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का निर्वचन किस प्रकार किया जाता है?
  47. प्रश्न- अंकिय बिम्ब प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण से आप क्या समझते हैं? डिजिटल प्रक्रमण प्रणाली को भी समझाइए।
  49. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण के तहत इमेज उच्चीकरण तकनीक की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- बिम्ब वर्गीकरण प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
  51. प्रश्न- इमेज कितने प्रकार की होती है? समझाइए।
  52. प्रश्न- निरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण और अनिरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
  53. प्रश्न- भू-विज्ञान के क्षेत्र में सुदूर संवेदन ने किस प्रकार क्रांतिकारी सहयोग प्रदान किया है? विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- समुद्री अध्ययन में सुदूर संवेदन किस प्रकार सहायक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- वानिकी में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- कृषि क्षेत्र में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।
  57. प्रश्न- भूगोल में सूदूर संवेदन के अनुप्रयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- मृदा मानचित्रण के क्षेत्र में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- लघु मापक मानचित्रण और सुदूर संवेदन के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  60. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  61. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के भौगोलिक उपागम से आपका क्या आशय है? इसके प्रमुख चरणों का भी वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली का व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
  64. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग क्या हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र (GI.S.)से क्या तात्पर्य है?
  66. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के उद्देश्य बताइये।
  68. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का कार्य क्या है?
  69. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रकार समझाइये |
  70. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्या लाभ हैं?
  72. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के उपयोग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  74. प्रश्न- GIS में आँकड़ों के प्रकार एवं संरचना पर प्रकाश डालिये।
  75. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के सन्दर्भ में कम्प्यूटर की संग्रहण युक्तियों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- आर्क जी०आई०एस० से आप क्या समझते हैं? इसके प्रशिक्षण और लाभ के संबंध में विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- ERDAS इमेजिन सॉफ्टवेयर की अपने शब्दों में समीक्षा कीजिए।
  79. प्रश्न- QGIS (क्यू०जी०आई०एस०) के संबंध में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली से आपका क्या आशय है? निर्देशांक प्रणाली के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- डाटा मॉडल अर्थात् आँकड़ा मॉडल से आप क्या समझते हैं? इसके कार्य, संकल्पना और उपागम का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की विवेचना कीजिए। इस मॉडल की क्षमताओं का भी वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- विक्टर मॉडल की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- कार्टोग्राफिक संकेतीकरण त्रिविम आकृति एवं मानचित्र के प्रकार मुद्रण विधि का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की कमियों और लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
  87. प्रश्न- रॉस्टर और विक्टर मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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