बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
उत्तर -
क्षेत्रीय विषमता के निवारण के उपायों की निम्नलिखित विशेषता होती है-
(1) केन्द्र से राज्यों को संसाधन अंतरण में पिछड़े राज्यों का पक्ष लिया जाए - हमारे देश में साधन अंतरण दो प्रकार से होते हैं-
(क) योजना आयोग द्वारा मुख्यतः योजना अंतरण के रूप में;
(ख) वित्त आयोग द्वारा गैर-योजना अंतरण के रूप में।
योजना आयोग संबद्ध विभागों से परामर्श कर केन्द्रीय एवं केन्द्र प्रायोजित परियोजनाओं के स्थान का चयन करता है।
एक नवीन अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि गरीब प्रांतों को विकास कार्यों के लिए अमीरों की अपेक्षा कहीं अधिक अनुपात में धन सुलभ कराया जा रहा है।
(2) समूचे क्षेत्र में शीघ्र प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों को वरीयता - कृषि, सामुदायिक विकास, सिंचाई, विद्युत आपूर्ति, परिवहन संचार और सामाजिक सेवाओं के कार्य क्षेत्र बहुत व्यापक होते हैं। ये जनसामान्य को आधारिक सुविधाएँ और सेवाएँ प्रदान करते हैं। ये राज्यों की योजनाओं का अंश हैं और राज्य योजनाओं की रचना तथा उनमें समयानुसार परिवर्तनों के माध्यम से विकास के फल पूरे देश में वितरित हो सकते हैं।
(3) औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में सेवाओं का प्रावधान - अनेक राज्यों की योजनाओं में नदी घाटी योजनाएँ बहुत अहम होती हैं और इन बहुमुखी प्रकल्पों में बड़े स्तर पर निवेश होता है। ये एवं अन्य अनेक प्रकल्प देश के उन बड़े भू-भागों के विकास के लिए आवश्यक हैं जहाँ अभाव, बेरोजगारी छाई है या जो अन्य किसी न किसी रूप में कम विकसित रह गए हैं। कृषि उत्पादन और सामुदायिक विकास कार्यक्रमों, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाएँ आदि के लाभ दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंच सकते हैं।
(4) लघु और ग्रामीण उद्योगों के प्रसार कार्यक्रम - ये उद्यम देश भर में फैले हुए हैं और केन्द्र एवं राज्य सरकारें विभिन्न क्षेत्रों में इन उद्यमों को कई प्रकार की सहायता प्रदान करती है। सभी राज्यों में जो औद्योगिक बस्तियाँ बनाई गई हैं, उनकी स्थापना प्रायः ग्रामीण / कृषिक क्षेत्रों में हुई है।
(5) औद्योगिक गतिविधियों का विसरण (प्रसार) - सार्वजनिक उद्यमों के स्थान का चयन करने में आवश्यक तकनीकी और आर्थिक कसौटियों को नजरअंदाज किए बिना जहां तक संभव हुआ अपेक्षाकृत पिछड़े क्षेत्रों के हितों का ध्यान रखा गया है। अनेक प्रकल्प तो विशेषज्ञों के अध्ययनों और आर्थिक कसौटियों के अनुसार स्थापित हुए हैं। किन्तु उन्हें औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों में लगाया गया है और उन क्षेत्रों को भविष्य में बहुत लाभ पहुँचेगा।
मूलभूत पूंजी और उत्पादक पदार्थों के उद्यम कच्चे माल के स्रोतों के पास अन्य आर्थिक नियमों का अनुसरण करते हुए लगाए गए हैं। अब यह भी अनुभव किया जा रहा है कि बड़े स्तर पर उपभोक्ता पदार्थों का निर्माण करने वाले उद्योगों से भी क्षेत्रीय विकास के एक नए स्वरूप की प्राप्ति संभव हो सकती हैं।
किसी सीमा तक नई प्रक्रियाओं के विकास और कच्चे माल के नए प्रयोग सामने आने से भी औद्योगीकरण को प्रोत्साहन मिला है। ऐसे विकास को बढ़ावा देते समय क्षेत्रीय वितरण और उत्पादन की मितव्ययता के बीच एक सही संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होगी।
(6) पिछड़े क्षेत्रों के लिए विकास योजनाएँ - वर्तमान नीति के अनुसार पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए सामान्य क्षेत्रकीय कार्यक्रमों के अतिरिक्त और अधिक धन राशियां विशेष रूप से आबंटित होती हैं। इन विशेष योजनाओं के निम्न वर्ग हैं-
विशेष लक्षणों वाले क्षेत्रों के लिए मरू भूमि विकास कार्यक्रम, अनावृष्टि आशंका ग्रस्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम, जलसंग्रह क्षेत्र विकास, पर्वतीय क्षेत्र विकास एवं उपयोजनाएँ, उत्तर - पूर्व विकास परिषद, जनजातीय क्षेत्र विकास एजेंसी आदि।
प्रोत्साहन एवं रियायत योजनाएँ - पिछड़े क्षेत्रों में विशेष योजनाओं के लिए वित्तीय संस्थाओं से रियायती ऋण, कर राहत, निवेश साहाय्य, परिवहन साहाय्य, कच्चे माल के आबंटन में वरीयता, मशीनों की किश्तों पर खरीदारी, (246 औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े जिलों के लिए), अर्थक्षमता की नाम कसौटियां तथा ग्रामीण विद्युतीकरण निगम द्वारा इन क्षेत्रों को विद्युत आपूर्ति के निमित पूंजी व्यय के लिए ऋण की अदायगी में रियायतें आदि।
राष्ट्रीय ग्राम विकास योजना - यह योजना 150 जनपदों में चल रही है। एक 25000 रु० करोड़ का पिछड़े राज्य कोष स्थापित हुआ है जो वर्ष 2005-06 में काम प्रारंभ कर चुका है।
मुख्य त्रुटियाँ / सीमाएँ
(1) इन सभी योजनाओं की सबसे बड़ी त्रुटि तो यही है कि वास्तविक धरातल पर इनकी प्रगति की कोई जानकारी संप्रेषित नहीं होती। आम धारणा बन रही है कि ये योजनाएँ कागजी शोर होती हैं- इनके तकनीकी आर्थिक दांत भी नहीं होते और वास्तव में इन पर कोई काम नहीं होता। अधिकांश धन नौकरशाही और स्थानीय सत्ताधीशों की तिजोरियों में चला जाता है।
(2) यद्यपि क्षेत्र विकास योजनाओं के लिए आबंटित धनराशियां बड़ी भारी भरकम दिखाई देती हैं किन्तु यदि प्रति व्यक्ति धन सुलभता के अनुसार तुलना करें तो ये विकसित क्षेत्रों की तुलना में कम रह जाती हैं।
(3) औद्योगिक और परिवहन साहाय्यों के प्रभावों का अभी मूल्यांकन नहीं किया गया है। किन्तु जो थोड़ी बहुत जानकारी मिल रही है, उससे यही ज्ञात होता है कि जहाँ संरचना सुविधाएँ सुलभ हों साहाय्यों के सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पाते हैं।
(4) विभिन्न प्रांतों और केन्द्र शासित प्रदेशों में पिछड़े क्षेत्रों की पहचान के लिए कोई समरूप एवं संगतिपूर्ण कसौटियां नहीं बनाई गई न आय छूट के लिए, न केन्द्रीय निवेश सहायता योजना के लिए और न ही लाइसेंस प्रणाली के लिए। अतः इन क्षेत्रों की पहचान की वर्तमान कसौटियां अखिल भारतीय दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों के विकास की सही संभावनाओं की संप्राप्ति में सक्षम नहीं हो पायी है।
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?