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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 1
प्रदेश की संकल्पना एवं वर्गीकरण
(Concept of Region and Classification)
प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर -
प्रदेश की संकल्पना
एक लम्बे समय तक ग्लोब (सम्पूर्ण पृथ्वी), विशेष रूप से इसके विभिन्न भागों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना, उन्हें क्रमबद्ध करना तथा उन्हें समझने का प्रयास करना भूगोल विषय की मुख्य अभिरूचि तथा ध्येय रहे हैं। स्पष्ट है कि पृथ्वी के विभिन्न भागों, अर्थात्, प्रदेशों का अध्ययन इस विषय के साथ इसके शैशव काल से ही जुड़ा हुआ रहा है। प्रस्तुत पाठ्य सामग्री में प्रदेश की संकल्पना तथा इसके साथ जुड़े हुए प्रदेश की परिभाषा, प्रदेशों की विशेषताएं, प्रदेशों के लक्षण, प्रदेश संकल्पना की आलोचना इत्यादि के साथ पाठकों को परिचित कराने का प्रयास किया गया है।
भूतल की समझ हासिल करने की प्रक्रिया में प्रदेशों की जानकारी प्राप्त करना कितना महत्व रखता है। इसे कहने की आवश्यकता नहीं है। एक लम्बे समय तक प्रदेश भौगोलिक अध्ययन का केन्द्रीय प्रसंग रहा है और आज भी कोई अन्य प्रसंग उसका स्थान नहीं ले पाया है। हो सकता है ठीक-ठीक आज के (आधुनिक) अर्थ में नहीं, परन्तु भौगोलिक चिन्तन के विकास के इतिहास के युनानी तथा रोमन काल से ही प्रदेश शब्द का उपयोग होता आया है। सर्वप्रथम इस शब्द का उपयोग यूनानी विद्वान 'हेरोडोटस' तथा रोमन विद्वान 'स्टैबो' ने किया था। आधुनिक काल में 'रिटर' ने अपनी पुस्तक 'अर्दकुण्डे' (Erdkunde) में इस शब्द को सही-सही अर्थ देने का प्रयास किया है। रिटर ने प्रदेश को भौगोलिक अध्ययन का एक उपागम (approach) माना। इस उपागम को प्रादेशिक अध्ययन की संज्ञा मिली। इस उपागम के समानान्तर एक दशा उपागम का उदय हुआ जिसे क्रमबद्ध अध्ययन कहा गया। इस प्रकार किसी दुर्घटना के माध्यम से ही सही, भूगोल में 'द्वितवाद' (dualism) का प्रादुर्भाव हुआ। इस द्वन्द्व की स्थिति के बावजूद प्रादेशिक अध्ययन या ऐसा कहा जाये कि प्रदेश का महत्व आज भी कम नहीं हुआ है।
जिस प्रकार इतिहासकार समय को कई महत्वपूर्ण काल खण्डों में बांटकर अपने अध्ययन की वस्तु (object of study) का विवरण प्रस्तुत करता है और कई क्रमबद्ध विज्ञान (Systematic sciences) अपने अध्ययन की वस्तुओं को कई महत्वपूर्ण वर्गों में व्यवस्थित करके उनका विश्लेषण करते हैं, उसी प्रकार भूगोलवेत्ता स्थान (space) को प्रदेशों में बांट कर उनके लक्षणों को समझने का प्रयास करता है। प्रदेश भूगोलवेत्ताओं के लिए कोई अनजाना शब्द नहीं है। वे सदियों से इसका उपयोग करते आ रहे हैं। आधुनिक भूगोल की शोध अग्रभूमि (paradigm) चाहे जो कुछ भी रहे, प्रदेश भौगोलिक विश्लेषण का आधारभूत इकाई (basic unit) होता है। यदि भौगोलिक वर्णन अथवा विश्लेषण प्रदेश के आधार पर नहीं किया जाये तो वैसा वर्णन अथवा विश्लेषण अव्यवस्थित या यह कह सकते हैं कि निरर्थक हो जायेगा। उदाहरणस्वरूप सम्पूर्ण भारत का वर्णन करना अथवा भारत के एक-एक पहाड़ नदी इत्यादि का विशेष वर्णन करना, दोनों ही परिस्थितियों में भारत का भौगोलिक विवरण अधूरा ही रहेगा। वर्णन को सार्थकता प्रदान करने के लिए आवश्यक होगा कि भारत को कई भागों में बाँटकर प्रदेशवार विवरण प्रस्तुत किया जाये।
यद्यपि प्रदेश बहुत अधिक महत्व का है भूगोलवेत्ता प्रदेश की संकल्पना, अर्थात् प्रदेश क्या है, इस विषय पर बहुत स्पष्ट नहीं रहे हैं। ऐसा देखा जाता है कि क्षेत्र (area), प्रदेश (province), भूदृश्य (landscape), पेटी (belt) इत्यादि शब्दों का प्रायः समान (एक ही) अर्थ में उपयोग होता आया है। इस संदर्भ में यह भी कह देना अनुचित नहीं होगा कि प्रदेश की संकल्पना भौगोलिक चिंतन के विकास के दौरान काफी विवादास्पद रही है। ऐसा विवाद मुख्य रूप से प्रदेशों के निर्माण की पद्धति (methods of region formation) के साथ सम्बध रखते हैं परन्तु ऐसे विवाद की जड़ में प्रदेश की संकल्पना की अस्पष्टता को ही माना जाता है। प्रदेश की संकल्पना को स्पष्टता के साथ समझने के लिए इसके क्रमिक विकास (evolution) पर प्रकाश डालना आवश्यक प्रतीत होता है।
प्रदेश की परिभाषा
किसी तत्व अथवा तत्व समूह का भौगोलिक अध्ययन जिस क्षेत्र (area) विशेष के सन्दर्भ में किया जाता है। उसे प्रदेश कहते हैं। प्रादेशिक भूगोलवेत्ताओं के हाथों इसे उच्च प्राथमिकता मिलती रही है। यही कारण है कि प्रदेश को भिन्न-भिन्न नजरिये से देखा जाता तथा परिभाषित किया जाता रहा है। इनमें से कुछ का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है।
1. ब्लाश के अनुसार - प्रदेश एक ऐसा भूभाग (domain) है जिसकी सीमान्तर्गत अनेक प्रतिकूल लक्षण वाली वस्तुएं किसी देवी कारण से एक साथ रहने लगे हों तथा कालान्तर में सह अस्तित्व के ढांचे में एक-दूसरे के साथ समन्वय स्थापित (adjust) कर लिया हो।
2. हरर्बटसन के कथनानुसार - प्रदेश भूमि, जल पौधों, जन्तुओं तथा मनुष्यों, जिन्हें उनके स्थानिक सम्बन्ध (spatial relation) के कारण एक साथ माना जाता है, का जटिल समि (complex combination) है और जिसका अस्तित्व भूतल के एक निश्चित लक्षण-युक्त टुकड़े (portion) के रूप में रहता है।
3. डिकिनसन का कहना है - कि प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र है जिसके सभी भागों में भौतिक दशाओं (physical conditions) का एक विशेष समूह (group) एक विशेष प्रकार की आर्थिक जीवन पद्धति को जन्म देता है।
4. नियोजन पदाधिकारियों के अमेरिकी परिषद् के विचार में - प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसके सीमान्तर्गत वातावरण के साथ मनुष्य के समन्वयन (adjustment) का अनूठा (singular) प्रारूप विकसित हुआ है।
5. प्लाट के अनुसार - प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसका सीमांकन (delimitation) भूमि के लक्षण (land character) तथा भू-अधिग्रहण (land occupance) का सामान्य समरूपता के आधार पर किया गया हो।
6. वूफ्टर के विचार में - प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जिसकी सीमा अन्तर्गत वातावरणीय तथा जन सांख्यिकीय (environmental and demographic) कारकों के समिश्रण ने आर्थिक तथा सामाजिक संरचना की समरूपता (uniformity) उत्पन्न किया हो।
7. फेनेमन का कहना है कि - प्रदेश ऐसा क्षेत्र होता है जिसके सभी भागों में समतुल्य भूतलीय दशाएँ (uniform surface conditions) मिलती है तथा जो पास-पड़ोस के क्षेत्रों से सर्वथा भिन्न होता है।
8. हार्टशोर्न के मत में - प्रदेश निश्चित अवस्थिति युक्त क्षेत्र होता है जो कुछ बातों में दूसरे से बहुत विशिष्ट (distinctive) होता है तथा जिसका विस्तार उस सीमा तक रहता है जहाँ तक उसकी विशिष्टता (distinctiveness) कायम रहती है।
9. कार्ल सावर कामत हार्टशोर्न के - मत से भिन्न नहीं है। उसने क्षेत्रीय संगठनयुक्त क्षेत्र को प्रदेश माना है।
10. इसी प्रकार विट्लसी का भी मत - हार्टशोर्न के मत से भिन्न नहीं है। विट्लसी के नेतृत्व वाली समिति ने 'प्रदेश' के स्थान पर 'कम्पाज' शब्द के उपयोग करने को अधिक तर्कसंगत माना। समिति ने सन्दर्भित क्षेत्र की सीमा अन्तर्गत मानवीय तथा जैविक क्रियाकलापों पर विशेष बल दिया। समिति के मत में प्रदेश से वे सभी भौतिक, जैविक तथा सामाजिक वातावरण के सभी तत्व सन्दर्भित होते हैं, जिनका कार्यिक (functional) सम्बन्ध मनुष्य द्वारा भू-अधिग्रहण (land occupance) करने के प्रक्रिया के साथ रहता है।
11. यंग के अनुसार - प्रदेश ऐसा क्षेत्र होता है जो एक संस्कृति के धागे से बंधा हुआ रहता है। आर्थिक वस्तुओं के साथ आरम्भ होकर सूत्र-बद्धता की प्रक्रिया, क्रम से वैचारिक, शैक्षणिक तथा मनोरंजनपरक विचारों की समानता तक कार्यशील रहती है। इसके परिणामस्वरूप सन्दर्भित क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों से विशिष्ट तथा विलग दिख पड़ता है।
12. ग्रेग के विचार में - प्रदेश एक ऐसा क्षेत्र होता है जो पास-पड़ोस के क्षेत्रों से किसी सुपरिभाषित (well defined) संदर्भ में विशिष्टस्वरूप युक्त रहता है।
13. जेरासिमोव ने - अपनी पुस्तक 2 सोवियत जिओग्राफी टास्क एण्ड एकॉम्पलीशमेण्ट में प्रदेश को एक संश्लिष्ट एकीकृत क्षेत्र माना। यही मान्यता समकालीन सोवियत संघ के आर्थिक प्रादेशिकरण का आधार बना। वर्तमान में जेरासिमोव के मत को व्यापक मान्यता प्राप्त है। •
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- प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
- प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
- प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
- प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
- प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
- प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
- प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
- प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
- प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
- प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
- प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
- प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
- प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
- प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
- प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
- प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
- प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
- प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
- प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?