बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भुगतान संतुलन के समायोजन तन्त्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
(Adjustment Mechanism of BOP)
जब एक देश का भुगतान संतुलन घाटे में अथवा अधिशेष में होता है तो इसे निम्नलिखित तन्त्र के माध्यम से समायोजित करने की आवश्यकता होती हैं -
1. कीमत एवं आय परिवर्तन के माध्यम से स्वचालित समायोजन (Automatic Adjustment through Price and Income Changes ) - इसके अन्तर्गत कीमतों में परिवर्तन का अध्ययन लोचदार या परिवर्तनीय विनिमय दरों के अधीन किया जाता है तथा ऐसा स्वर्णमान के अन्तर्गत होता है।
2. समायोजन नीति (Adjustment Policy) - देश की सरकार द्वारा भुगतान संतुलन में असाभ्य को ठीक करने के लिए समायोजन नीतियाँ बनायी जाती हैं। इनमें व्यय परिवर्तन नीतियाँ, बाह्य एवं आन्तरिक शेष रखरखाव, प्रत्यक्ष नियंत्रण आदि शामिल हैं।
3. उपागम (Approaches) - भुगतान संतुलन को ठीक करने के लिए कुछ उपागम अपनाएँ जाते हैं। ये उपागम नीतिगत उपाय का भाग होते हैं।
(Self-Price Adjustment Under Gold Standard)
अन्तर्राष्ट्रीय स्वर्णमान के अन्तर्गत स्वर्ण मुद्राएँ चलन में थी अथवा मुद्राएँ निश्चित दर पर स्वर्ण में परिवर्तनीय होती थी। वह दर जिस पर देश की मानक मुद्रा स्वर्ण में परिवर्तनीय होती थी, उसे स्वर्ण की मिन्ट दर कहा जाता था। स्वर्णमान के अन्तर्गत विनिमय दर का निर्धारण स्वर्ण बिन्दुओं के बीच माँग एवं आपूर्ति की शक्तियों पर निर्भर करता था।
(Self-Price Adjustment Under Flexible Exchange Rates) (Price Effect)
परिवर्तनीय विनिमय दरों के अन्तर्गत भुगतान संतुलन का असाम्य विदेशी विनिमय की माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा स्वतः ही ठीक हो जाता है। विनिमय दर मुद्रा की वह कीमत होती है जिसका निर्धारण अन्य वस्तुओं की भाँति माँग व पूर्ति द्वारा होता है।
मान्यताएँ (Assumptions ) - लोचदार विनिमय दरों के अन्तर्गत स्वतः कीमत समायोजन निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित होता है -
1. इसमें दो देशों की मान्यता को स्वीकार किया जाता है।
2. यह माना जाता है कि दोनों देशों में लोचपूर्ण विनिमय दर प्रणाली लागू होती है।
3. दोनों देशों में कीमतों में लोच होती है।
4. दोनों देशों के बीच स्वतंत्र व्यापार होता है।
5. भुगतान संतुलन असाम्य विनिमय दरों में परिवर्तन द्वारा स्वतः ही समायोजित हो जाता है।
(Flexible Approach)
भुगतान संतुलन का लोचशीलता उपागम मार्शल लर्नर की शर्त से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत उन दशाओं का अध्ययन किया जाता है जिनमें एक देश की मुद्रा का अवमूल्यन करके संतुलन में साम्य से विनिमय दर बदल जाती है। यह उपागम अवमूल्यन के कीमत प्रभाव से सम्बन्धित है।
मान्यताएँ (Assumptions ) - इस उपागम की निम्नलिखित मान्यताएँ हैं
1. उत्पाद की कीमतें घरेलू मुद्रा में निश्चित की जाती हैं।
2. निर्यातों की आपूर्ति पूर्णतया लोचदार होती है।
3. आय स्तर को अवमूल्यन करने वाले देश में तय किया जाता है।
4. निर्यातों एवं आयातों की माँग की कीमत लोच में चापयुक्त लोच होती है।
5. कीमत लोचे निरपेक्ष मूल्य को संदर्भित करती है।
6. देश का चालू खाता शेष इसके व्यापार संतुलन के बराबर होता है।
इन मान्यताओं के आधार पर जब कोई देश अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है तो इसकी घरेलू कीमतें बढ़ती हैं तथा इसके निर्यातों की विदेशी कीमतें घटती हैं जिससे अवमूल्यन के परिणामस्वरूप देश का भुगतान संतुलन घाटा सुधरने लगता है।
आलोचनाएँ (Criticisms) - लोचदार उपागम की निम्नलिखित आलोचनाएँ हैं -
1. यह उपागम मार्शल की लोच अवधारणा पर आधारित होने के कारण भ्रामक है।
2. अलक्जेन्डर के अनुसार यह उपगम आंशिक लोचों का उपयोग करता है। यह केवल एकल वस्तु व्यापार पर लागू होता है न कि बहु-वस्तु व्यापार पर। इस कारण यह उपागम अविश्वसनीय है।
3. मार्शल व लर्नर दशा में निर्यातों एवं आयातों की पूर्ण लोच की कल्पना की गयी है। यह मान्यता भी विश्वास योग्य नहीं है।
4. अवमूल्यन से मुद्रा प्रसार बढ़ सकता है।
5. इस उपागम में आय वितरण पर अवमूल्यन के प्रभाव की उपेक्षा की गयी है।
6. यह उपागम केवल दीर्घकाल में लागू होता है।
7. लोचशील उपागम में पूँजी के प्रवाह की उपेक्षा की गयी है।
(Absorption Approach)
भुगतान संतुलन का अवशोषण उपागम सामान्य साम्य प्रकृति का है तथा यह कीन्स की राष्ट्रीय आय सम्बन्ध अवधारणा पर आधारित है। इसलिए इसे कीन्स का उपागम भी कहते हैं। यह उपागम अवमूल्यन के आय प्रभाव के माध्यम से कार्य करता है। इस उपागम के अनुसार यदि एक देश का भुगतान संतुलन घाटे में हो, तो इसका आशय यह है कि वहाँ के लोग वहाँ के उत्पादन से अधिक अवशोषण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय आय की अपेक्षा उपभोग एवं निवेश पर व्यय अधिक होता है। यदि भुगतान संतुलन अधिशेष में हो, तो इसका आशय यह होता है कि देश के लोगों के द्वारा कम अवशोषण किया जा रहा है।
आलोचनाएँ (Criticisms) - अवशोषण उपागम की आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं
1. इस उपागम में अवमूल्यन के कीमत प्रभाव की उपेक्षा की गयी है।
2. उपभोग व्यय बचत की प्रवृत्तियों की सटीक गणना नहीं की जा सकती।
3. अवशोषण उपागम में अवशोषण पर अवमूल्यन के अन्य देशों पर होने प्रभावों का अध्ययन नहीं किया जाता।
4. यह उपागम स्थिर विनिमय दर प्रणाली पर लागू नहीं होता।
5. अवशोषण उपागम में घरेलू उपभोग स्तर पर अधिक जोर दिया गया है।
(Monetary Approach)
भुगतान संतुलन का मौद्रिक उपागम सम्पूर्ण भुगतान संतुलन की विवेचना करता है। यह उपागम भुगतान संतुलन को मुद्रा की माँग व पूर्ति के सम्बन्ध में बताता है। इस उपागम के अनुसार भुगतान संतुलन घाटा सदैव एवं प्रत्येक स्थान पर एक मौद्रिक घटना होती है। इसलिए इसे केवल मौद्रिक उपायों द्वारा ही सुधारा जा सकता है।
मान्यताएँ (Assuptions) - मौद्रिक उपागम निम्नलिखित मान्यताओं पर आधारित हैं -
1. 'एक कीमत का नियम' विभिन्न देशों में बेची गई समतुल्य वस्तुओं के लिए होता है, बशर्ते कि ऐसी बिक्री परिवहन लागतों के बाद हुई हो।
2. उत्पाद एवं पूँजी बाजारों में उपभोग में पूर्ण प्रतिस्थापन होता है।
3. एक देश में प्रदा का स्तर बहिर्जात माना जाता है।
4. सभी देशों में पूर्ण रोजगार को माना जाता है।
5. स्थिर विनिमय दरों के अन्तर्गत मुद्रा प्रवाह का निष्फल होना संभव नहीं होता है।
6. मुद्रा की माँग स्कन्ध माँग होती है तथा यह आय, कीमत, धन व ब्याज दर का स्थिर फलन होता है।
7. सामान्य मुद्रा शेष की माँग सामान्य आय की धनात्मक फलन होती है।
आलोचनाएँ (Criticisms) होता है।
निम्नलिखित हैं- भुगतान संतुलन के मौद्रिक उपागम की प्रमुख आलोचनाएँ
1. आलोचकों का विचार है कि मुद्रा की माँग स्थिर नहीं हो सकती। यह माँग दीर्घकाल में भले ही स्थिर हो लेकिन यह अल्पकाल में कम स्थिर होती है।
2. पूर्ण रोजगार की मान्यता स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
3. फ्रैंकलिन का मत है कि एक कीमत का नियम जिसे समान वस्तुओं पर लागू किए जाने की बात कही गयी है, ठीक नहीं है।
4. बाजार में विद्यमान अपूर्णताएँ भी एक कीमत के नियम को रोकती है।
5. मुद्रा प्रवाह के विफल होने की मान्यता स्थिर विनिमय दरों में संभव नहीं हैं।
6. भुगतान संतुलन एवं मुद्रा की पूर्ति के बीच सम्बन्ध पर भी विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने प्रश्न उठाए हैं।
7. मौद्रिक उपागम में भुगतान संतुलन का दीर्घकाल में स्वतः ठीक होने को स्वीकार किया गया है, यह अविश्वसनीय है।
8. इस उपागम में अन्य वास्तविक एवं ढाँचागत घटकों की उपेक्षा कर दी गयी है।
उपरोक्त आलोचनाएँ होने के बावजूद भी मौद्रिक उपागम इसलिए ठीक है क्योंकि इसमें घरेलू मुद्रा तथा विदेशी मुद्रा दोनों को ही ध्यान में रखा गया है। भुगतान संतुलन घाटे या आधिक्य को मौद्रिक आपूर्ति में परिवर्तन करके सुधारा जा सकता है।
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के परम्परावादी सिद्धान्त व हेक्सचर ओहलिन सिद्धान्त की तुलना कीजिए।
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- प्रश्न- रिब्जन्सकी प्रमेय की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का पाल कुग्रमैन सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना तथा उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख उपलब्धियों तथा असफलताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की कार्यप्रणाली की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक की सफलतायें या प्रगति बताइये।
- प्रश्न- विश्व बैंक की असफलतायें बताइये।
- प्रश्न- एशियन विकास बैंक की कार्यप्रणाली समझाइये ।
- प्रश्न- एशियाई विकास बैंक के मुख्य उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- एशियाई विकास बैंक की सदस्यता पूँजी व प्रबन्ध को बताइये।
- प्रश्न- "विश्व बैंक की स्थापना अर्द्धविकसित देशों के लिये वरदान है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत तथा विश्व बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'तटकर एवं व्यापार समझौते' (गैट) पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- व्यापार एवं प्रशुल्क पर हुए सामान्य समझौते (GATT) के प्रमुख उद्देश्य कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- गैट के मौलिक सिद्धान्त क्या थे?
- प्रश्न- गैट के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है? इसके प्रमुख उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत को विश्व व्यापार संगठन से होने वाले सम्भावित लाभों एवं हानियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारत को विश्व व्यापार संगठन से होने वाली सम्भावित हानियों को बताइए।
- प्रश्न- अन्य विकासशील देशों के संदर्भ में भारत की स्थिति बताइये।
- प्रश्न- विकासशील देशों के दृष्टिकोण से विश्व व्यापार संगठन समझौते की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत को अंकटाड से होने वाले लाभों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमण्डलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को इंगित कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से आप क्या समझते हैं? प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सन्दर्भ में सरकार द्वारा बनाए गए नीतियों का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- गैट तथा अर्द्ध-विकसित राष्ट्रों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के समझौते बताइये।
- प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन का संगठनात्मक ढाँचा प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- बौद्धिक सम्पदा अधिकार से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- "विश्व व्यापार संगठन गैट (GATT) की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत एवं व्यापक वैधानिक अधिकार वाला संगठन है।' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार से सम्बन्धित बौद्धिक सम्पदा अधिकार (ट्रिप्स) पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- व्यापार से सम्बन्धित उपाय (ट्रिप्स) पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बहुपक्षीय व्यापार से आप क्या समझते हैं? विश्व व्यापार संगठन ने इस सम्बन्ध में क्या भूमिका निभायी है?
- प्रश्न- 'बहुपक्षीय मुद्दे तथा विश्व व्यापार संगठन' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंकटाड के उद्देश्य एवं स्वीकृत सिद्धान्तों को बताइये।
- प्रश्न- अंकटाड के कार्य बताइये।
- प्रश्न- दसवें अंकटाड पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विदेशी व्यापार में विविधता लाने की दृष्टि से अंकटाड की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर-दक्षिण व्यापार संवाद क्या है?
- प्रश्न- दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Coorperation) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड से आप क्या समझते हैं? यह एफडीआई से कैसे सम्बद्ध है?
- प्रश्न- विदेशी पूँजी किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अभ्यंश से आप क्या समझते हैं? आयात अभ्यंश के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- आयात अभ्यंशों के विभिन्न प्रकार बताइये।
- प्रश्न- आयात अभ्यंश के विभिन्न प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आयांत अभ्यंश के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- अभ्यंश प्रणाली के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- प्रभावी संरक्षण पर टिप्पणी।
- प्रश्न- आयात प्रतिस्थापन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आयात प्रतिस्थापन से लाभ बताइये।
- प्रश्न- आयाल अभ्यंश एवं प्रशुल्क की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राशिपातन के स्वभाव एवं उसके विभिन्न रूपों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्र व्यापार से आप क्या समझते हैं? इसके पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विदेशों में कम मूल्य पर बेचने की नीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रशुल्क के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-प्रशुल्क बाधाएँ (Non-tariff Barriers) किसे कहते हैं? इनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रशुल्क का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध से क्या आशय है?
- प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार की प्रशुल्क नीतियाँ।
- प्रश्न- "अनुकूलतम प्रशुल्क की धारणा यह बताती है कि प्रशुल्क कितनी मात्रा में लगाये जायें ताकि देश का अधिकतम कल्याण हो।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अनुकूलतम प्रशुल्क तथा कल्याण निहितार्थ पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विदेशी विनिमय बाजार के कार्यों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- विनिमय दर क्या है? विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन लाने वाले विभिन्न घटकों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विनिमय दर को प्रकाशित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करने वाले उन घटकों का वर्णन कीजिए जो विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन लाते हैं।
- प्रश्न- मुद्रा की परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्रय शक्ति समता सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- टकसाल दर समता सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विनिमय नियोजन क्या है? भारत में विनिमय नियन्त्रण के क्या उद्देश्य हैं? इस दिशा में भारत सरकार ने हाल के वर्षों में क्या किया है?
- प्रश्न- विनिमय नियंत्रण की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विनिमय नियन्त्रण की अप्रत्यक्ष विधियों को समझाइये ।
- प्रश्न- वैश्विक वित्तीय संकट का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विनिमय नियंत्रण के उद्देश्यों को बताइये।
- प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दरों के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दर के विपक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अग्रिम विनिमय तथा तैयार सौदों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- अन्तर्पणन क्रियाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- मुद्रा की परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं?