लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2775
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2B अर्थशास्त्र - अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमण्डलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को इंगित कीजिए।

अथवा
विश्वव्यापीकरण से आप क्या समझते है? भारत को विश्वव्यापीकरण से होने वाले लाभ व हानियों की समीक्षा कीजिए।

उत्तर -

विश्वव्यापीकरण का आशय एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Globalisation)

विश्वव्यापीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था को सम्पूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ समेकित किया जाता है, जिससे कि सम्पूर्ण विश्व एक ही अर्थव्यवस्था एवं एक ही बाजार के रूप में कार्य कर सकें तथा जिसमें सीमारहत अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहारों के लिए व्यक्तियों, पूँजी, तकनीक, माल, सूचना एवं ज्ञान का पारस्परिक विनिमय सुलभ हो सके।

विश्वव्यापीकरण की परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-

श्रीकान्त सोनम के अनुसार, "विश्वव्यापीकरण से अभिप्राय किसी अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ना है।"

थामस मैथ्यू के अनुसार, “विश्वव्यापीकरण परिवर्तन की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो सीमा पार क्रियाओं की वृद्धि तथा सूचना प्रौद्योगिकी के प्रसार के संयोग से घटित होती है तथा जो विश्व स्तर पर सम्प्रेषण में सहायक होती है।'

प्रो. मधु दण्डवते के अनुसार, "वैश्वीकरण से आशय किसी एक अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय करना है, ताकि विकास तथा व्यापार की सन्तुलित वृद्धि हो सके तथा सम्पत्ति के चक्राकार समुद्र के बीच से सम्पत्ति के द्वीपों को समाप्त किया जा सके।'

एन. वाघुल के अनुसार, "वैश्वीकरण शब्द बाजार क्षेत्र के तीव्र गति से विस्तार को प्रकट करता है, जो विश्वव्यापी पहुँच रखता है।'

जॉन नैसबिट तथा पेट्रिसिया अबुर्डिन के अनुसार, "विश्वव्यापीकरण को ऐसे विश्व के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसमें सभी देशों का व्यापार किसी एक देश की ओर गतिमान हो रहा हो। इसमें सम्पूर्ण विश्व 'एक अर्थव्यवस्था है और 'एक बाजार है।"
-
इऐन क्लार्क के अनुसार, "विश्वव्यापीकरण अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्व्यवहारों की तीव्रता एवं विस्तार दोनों को दर्शाता है। पहले अर्थ में, विश्वव्यापीकरण कुछ सम्बन्धित विचारों, जैसे एकीकरण, अन्तर्निर्भरता, बहुपक्षवाद, खुलापन तथा अन्तर्व्याप्तता से सम्बन्धित है। दूसरे अर्थ में, यह इन प्रवृत्तियों के भौगोलिक विस्तार को प्रकट करता है एवं भूमण्डलवाद, स्थानिक संकुचन, सार्वभौमिक एवं सजातीयता से सम्बन्ध रखता है।'

स्टोनर एवं अन्य के अनुसार, "विश्वव्यापीकरण दूसरे देशों में व्यक्तियों के साथ सम्बन्धों के प्रति एक नये परिप्रेक्ष्य अथवा प्रवृत्ति को दर्शाता है यह अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार संचालित किये जाने वाले व्यावसायिक सम्बन्धों के अभूतपूर्व क्षेत्र, स्वरूप, संख्या एवं जटिलता को दर्शाता है।'

विश्वव्यापीकरण को 'भूमण्डलीकरण' 'सार्वभौमीकरण' तथा 'अन्तर्राष्ट्रीयकरण' आदि नामों से भी पुकारा जाता है।'

उदारीकरण व निजीकरण के कारण भारत की अर्थव्यवस्था विश्वव्यापी हो गयी है। विश्वव्यापीकरण की विशेषतायें अग्रवत है

1. अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक गतिविधियाँ होना,
2. पूँजी व तकनीक का स्वतन्त्र प्रवाह
3. विश्व बाजारों के बीच पारस्परिक निर्भरता,
4. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार
5. श्रम का निर्बाध प्रवाह ।
6. विश्व का एक बाजार के रूप में परिलक्षित होना।

विश्वव्यापीकरण को प्रोत्साहन देने वाले तत्व
(Factors Encouraging Globalisation)

ये अग्रवत हैं -

(i) प्रतिस्पर्द्धा के कारण विदेशों में बाजार की खोज,
(ii) उदारतापूर्ण आर्थिक नीतियाँ,
(iii) कम उत्पादन लागत,
(iv) उन्नत उत्पादन तकनीक,
(v) रूस का विघटन व अमेरिका का महाशक्ति बनना,
(vi) विकासशील अर्थव्यवस्था के अनुभव,
(vii) पूँजी बाजारों का सार्वभौमीकरण।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमण्डलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव (Effects of Globalisation) - भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमण्डलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं-

विदेशी सेक्टर पर प्रभाव (Effects on the External Sector ) - 1991 में आरम्भ की गई भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के कारण तथा औद्योगिक व अन्य नीतियों में व्यापक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप विदेशी क्षेत्र में अत्यन्त महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। वित्त मंत्री ने 1994 और 1995 के अपने बजट अभिभाषणों में विदेशी क्षेत्र में निम्नलिखित उपलब्धियों की चर्चा की -

(1) जून 1992 में जहाँ भारत में विदेशी विनिमय भंडार मात्र 1,100 मिलियन डालर थे, वहाँ 20 मार्च, 1995 को ये 20,000 मिलियन डालर तक पहुँच चुके थे।

(2) विनिमय दर और व्यापारिक नीति में किए गए परिवर्तनों का निर्यात आयपर अच्छा प्रभाव पड़ा जहाँ 1994-95 के प्रथम दस महीनों में भी निर्यातों के डालर मूल्य में 17 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई।

(3) आयात उदारीकरण की प्रक्रिया के दौरान बहुत से लोगों ने यह डर व्यक्त किया गया था कि इससे आयात व्यय में तेजी से वृद्धि होगी जिससे अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ जाएगी। परन्तु उदारीकरण से वास्तव में हमारी आत्मनिर्भरता में वृद्धि हुई।

(4) चालू खाते में घाटा 1990-91 में सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत था जो 1994-95 में कम होकर 0-5 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।

(5) संकट के समय हमारा विदेशी ऋण भार लगभग 8,000 मिलियन डालर प्रतिवर्ष की गति से बढ़ रहा था। 1993-94 में इसमें वृद्धि 1,000 मिलियन डालर से भी कम रह गई।

(6) तमाम अटकलों को झुठलाते हुए रुपए की विनिमय दर मजबूत व स्थिर बनी रही।

(7) भारत की क्षमताओं पर अब विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। इसके परिणामस्वरूप, भारत में प्रत्यक्ष निवेश और पोर्टफोलियों निवेश तीन चार वर्षों में तेज वृद्धि हुई है।

भारत में तेज आर्थिक संवृद्धि के परिणामस्वरूप विदेशी निवेशकों का भारत में विश्वास बढ़ा जिससे पूँजी अन्तप्रर्वाहों में तेज वृद्धि हुई। इसलिए इस वर्ष 51.6 बिलियन डालन की वृद्धि हुई। वर्ष 2010-11 में चालू खाते में घाटा 48.1 बिलियन डालर था जो 2009-10 में होने वाले 38.2 बिलियन डालर के घाटे से 9.9 डालर अधिक था। इसका मुख्य कारण व्यापार शेष में भारी घाटे का होना था। पूँजी खाते पर अधिशेष जो 2009-10 में 51.6 बिलियन डालर था। 2012-13 में विदेशी मुद्रा भंडार में 3-8 बिलियन डालर की वृद्धि हुई। इस प्रकार सभी वर्षों में विदेशी मुद्रा भंडारों में काफी वृद्धि हुई।

भारतीय उद्यमों पर प्रभाव (Effects on the Indian Enterprises) - भूमंडलीकरण ने 'असमान प्रतिस्पर्धा' को जन्म दिया है। यह प्रतिस्पर्धा है 'शक्तिशाली बहुराष्ट्रीय निगमों' और 'कमजोर ( व आकार में अपेक्षाकृत बहुत छोटे) भारतीय उद्यमों के बीच। वस्तुतः भारत की बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ भी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में बहुत छोटी और बौनी हैं और उनमें से कुछ इकाइयों को तो बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हजम कर चुकी हैं, भारत के भूमंडलीकरण का अर्थ है 'हाथियों के झुंड में एक चूहे का घुसना' बलदेव राज नय्यर के अनुसार, 'असमान प्रतिस्पर्धा' के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

1. भारतीय उद्यम 'आकार' में बहुराष्ट्रीय निगमों की तुलना में बहुत छोटे हैं।

2. भारतीय उद्यमों के लिए पूंजी की लागत बहुराष्ट्रीय निगमों की तुलना में बहुत अधिक हैं। इसका कारण यह है कि भारत में वास्तविक ब्याज दरें दूसरे देशों में पाई जाने वाली ब्याज दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं।

3. अपनी अत्यधिक शक्तिशाली वित्तीय शक्ति के कारण, बहुराष्ट्रीय निगम न केवल भारतीय उद्यमों की तुलना में किसी उत्पादन क्षेत्र में अधिक लम्बे समय तक हानि बर्दाशत कर सकते हैं, वे भारतीय उद्यमियों को उनके सहयोग से स्थापित उद्यमों में से आसानी से बाहर कर सकते हैं और उद्यमों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं।

4. भारतीय उद्यम अभी भी पहले के नियमों से जकड़े हुए हैं। उदाहरण के लिए वे पुनः संरचना करके श्रमिकों को आसानी से निकाल नहीं सकते क्योंकि श्रम कानून इसकी इजाजत नहीं देते। इसके विपरीत बहुराष्ट्रीय निगम नए उद्यमों को बेहतर प्रौद्योगिकी और कम श्रम-शक्ति की सहायता से स्थापित कर रहे हैं।

5. देश में उत्पादित कई वस्तुओं पर अत्यधिक ऊँचे और बहुत स्तरों पर परोक्ष कर लगाए जाते हैं जबकि इन्हीं वस्तुओं के आयातों पर इस प्रकार के कर नहीं हैं। इससे भारतीय उद्योगों को प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई पेश आती है। इसके अलावा, सरकार ने लघुक्षेत्र के लिए आरक्षित कुछ क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय निगमों को उत्पादन करने की छूट दी है।

6. कुछ क्षेत्रों में भारत सरकार की नीतियों में खुले रूप से बहुराष्ट्रीय निगमों के साथ पक्षपात किया गया है। उन्हें करों में ऐसी छूटें दी गई हैं जो भारतीय उद्यमियों को उपलब्ध नहीं हैं, विद्युत क्षेत्र में उनकी परियोजनाओं के लिए काउन्टर गारंटी (Counter guarantee) की व्यवस्था की गई है।

7. 1991 में अपनाई गई उदारीकरण की नीतियों ने एक पूर्णतया नई व्यवस्था को जन्म दिया है जिसके अधीन न केवल विदेशी पूँजी का काफी बड़ी मात्रा में अन्तर्प्रवाह हुआ अपितु जिसमें भारतीय घरेलू उद्यमियों ने स्वयं को पहली बार विदेशी निवेश का लाभानुपयोगी न पाकर विदेशी निवेशकों का 'निशाना' महसूस किया। जिस तेजी और आक्रामकता के साथ विदेशी निवेशकों ने भारत के घरेलू बाजार पर कब्जा करने का प्रयास किया है उसमें बड़े भारतीय उद्यमियों को बहुत चिंता हो रही है।

युरुग्याय दौर में विकसित देशों ने इन अधिकारों के संरक्षण के लिए कई कड़ी शर्तों को विकासशील देशों पर थोपा है। इसका उद्देश्य विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाभ पहुँचाना है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में तेजी भारत सरकार द्वारा जुलाई 1991 में लागू की गई। नई आर्थिक नीति के परिणामस्वरूप आई जो अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के दबाव के कारण अपनाई गईं। भूमंडलीकरण को जुलाई 1991 में अपनाई गई।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय-सामग्री एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री एवं क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का अर्थ व परिभाषा दीजिए तथा इसके विषय क्षेत्र व विषय-सामग्री का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
  5. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र का क्या अर्थ है?
  6. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण कौन-कौन सी प्रमुख आर्थिक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं?
  7. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आप क्या समझते हैं? साथ ही यह भी स्पष्ट कीजिए कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार ने किन आर्थिक समस्याओं को जन्म दिया है?
  8. प्रश्न- 'अन्तरक्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आर्थिक आधार श्रम विभाजन एवं विशिष्टीकरण है।' स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रभाव बताइये।
  10. प्रश्न- अन्तक्षेत्रीय व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ कौन-सी हैं? अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किस प्रकार अन्तर्क्षेत्रीय व्यापार से भिन्न है?
  11. प्रश्न- अन्तर्क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अन्तर बताइये।
  12. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का क्या अर्थ है? अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- विदेश व्यापार से क्या लाभ होते हैं?
  14. प्रश्न- विदेशी व्यापार से क्या-क्या हानि होती है?
  15. प्रश्न- आन्तरिक व्यापार व विदेशी व्यापार में क्या अन्तर है?
  16. प्रश्न- अन्तक्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में क्या समानताएँ है?
  17. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार पर वणिकवादी विचारधारा का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- एडम स्मिथ के निरपेक्ष लाभ के सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- रिकार्डो का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- एडम स्मिथ के लागतों के निरपेक्ष लाभ सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- क्या अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए पृथक सिद्धान्त की आवश्यकता है?
  22. प्रश्न- एडम स्मिथ के स्वतन्त्र व्यापार सिद्धान्त का प्रतिपादन कीजिए।
  23. प्रश्न- उन कारणों को स्पष्ट कीजिए जिससे तुलनात्मक लागत सिद्धान्त विकासशील देशों या अर्द्ध विकसित देशों में लागू नहीं होता है?
  24. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तुलनात्मक लाभ के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए कीजिए।
  25. प्रश्न- तुलनात्मक लागत लाभ सिद्धान्त की मान्यतायें बताइये।
  26. प्रश्न- लागतों में अन्तर के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- तुलनात्मक लागत लाभ सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  28. प्रश्न- तुलनात्मक लागत सिद्धान्त अर्द्ध-विकसित देशों में लागू क्यों नहीं होता?
  29. प्रश्न- क्या आनुभाविक जाँच से तुलनात्मक लागत सिद्धान्त की सत्यता स्थापित की गयी है? स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- मिल द्वारा प्रतिपादित अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  31. प्रश्न- व्यापार की शर्तों से क्या आशय है? व्यापार की शर्तों के प्रकार को समझाइये
  32. प्रश्न- व्यापार की शर्तों के प्रकार की व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- व्यापार की शर्तों को प्रभावित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- अर्द्धविकसित देशों की व्यापार की शर्तों के प्रतिकूल रहने के क्या कारण है? इनके सुधार हेतु सुझाव भी दीजिए।
  35. प्रश्न- अर्द्ध-विकसित देशों में व्यापार की शर्तों में सुधार हेतु सुझाव दीजिए।
  36. प्रश्न- "व्यापार की शर्तें एवं आर्थिक विकास आपस में एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।" व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- व्यापार की शर्तें आर्थिक विकास को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  38. प्रश्न- संरक्षण के लिए शिशु उद्योग तर्क का परीक्षण कीजिए।
  39. प्रश्न- व्यापार की शर्तों का महत्व समझाइये ।
  40. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अवसर लागत सिद्धान्त की आलोचनात्मक समीक्षा व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- अवसर लागत का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- अवसर लागत सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइये।
  43. प्रश्न- स्थिर अवसर लागत के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को समझाइये।
  44. प्रश्न- स्थिर लागत की दशा में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कब लाभप्रद होता है?
  45. प्रश्न- बढ़ती अवसर लागत की दशा में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को समझाइये।
  46. प्रश्न- घटती अवसर लागत की दशा में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को समझाइये।
  47. प्रश्न- अवसर सिद्धान्त किन मायनों में परम्परागत तुलनात्मक लागत सिद्धान्त से श्रेष्ठ है?
  48. प्रश्न- अवसर लागत सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  49. प्रश्न- वास्तविक लागत सिद्धान्त एवं अवसर लागत सिद्धान्त का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  50. प्रश्न- स्वतन्त्र व्यापार की अवधारणा का विश्लेषण कीजिए।
  51. प्रश्न- स्वतन्त्र व्यापार के पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
  52. प्रश्न- स्वतन्त्र एवं संरक्षण व्यापार में अन्तर लिखिये। स्वतंत्र व्यापार के गुण व दोष बताइये।
  53. प्रश्न- व्यापार संरक्षण नीति किसे कहते हैं? संरक्षण व्यापार से लाभ व हानियाँ बताइए।
  54. प्रश्न- अल्पविकसित या विकासशील या गरीब देशों में संरक्षण व्यापार की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापारिक ब्लॉक से क्या आशय है? इसके विकास का सिद्धान्त उद्देश्य तथा प्रकारों को समझाइये।
  56. प्रश्न- व्यापारिक ब्लॉक की उत्पत्ति का सिद्धान्त समझाइए।
  57. प्रश्न- वैश्विक व्यापारिक ब्लॉकों के उद्देश्य तथा प्रकार बताइए।
  58. प्रश्न- वैश्विक व्यापारिक ब्लॉकों के लाभ व दोष समझाइए।
  59. प्रश्न- वैश्विक व्यापारिक ब्लॉकों के दोष / कमियाँ बताइए।
  60. प्रश्न- सीमा संघ के स्थैतिक तथा प्रावैगिक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सीमा संघ के प्रावैगिक प्रभाव कौन-कौन से होते हैं?
  62. प्रश्न- एसियान क्षेत्रों की प्रगति पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- ब्रिक्स (BRICS) से आप क्या समझते हैं?
  64. प्रश्न- भारत, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका संवाद मंच (IBSA) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  65. प्रश्न- दक्षिण एशियाई अधिमान व्यापार ठहराव का क्या है? इसका औचित्य व प्रगति बताइये।
  66. प्रश्न- एशियाई क्षेत्र में सीमा शुल्क संघ बनाने में क्या समस्याएँ हैं?
  67. प्रश्न- भुगतान सन्तुलन से क्या आशय है? भुगतान सन्तुलन के विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- भुगतान सन्तुलन के विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- पूँजी खाता परिवर्तनशीलता क्या है? इसको लागू करने की पूर्व शर्तें क्या हैं?
  70. प्रश्न- "भुगतान सन्तुलन सदैव सन्तुलन में रहता है।' विवेचना कीजिए।
  71. प्रश्न- भुगतान संतुलन के समायोजन तन्त्र का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भुगतान असन्तुलन के क्या परिणाम होते हैं?
  73. प्रश्न- भुगतान असन्तुलन के कारणों को समझाइये।
  74. प्रश्न- मार्शल-लर्नर शर्त (Marshall - Lerner Condition) का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- भुगतान सन्तुलन व व्यापार सन्तुलन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- तुलनात्मक लागत का हैक्सचर-ओहलिन सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  77. प्रश्न- हेक्सचर-ओहलिन सिद्धान्त की मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के परम्परावादी सिद्धान्त व हेक्सचर ओहलिन सिद्धान्त की तुलना कीजिए।
  79. प्रश्न- हेक्सचर-ओहलिन के सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  80. प्रश्न- तकनीकी अन्तराल सिद्धान्त (Technological Gap Model ) का विश्लेषण कीजिए।
  81. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभों को बताइये तथा यह बताइये कि इनकी माप किस प्रकार की जाती है?
  82. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की हानियों को बताइये।
  83. प्रश्न- लियोनतीफ का विरोधाभास क्या है? बताइये।
  84. प्रश्न- रिब्जन्सकी प्रमेय की व्याख्या कीजिए।
  85. प्रश्न- निर्धनताकारी विकास को समझाइए।
  86. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का पाल कुग्रमैन सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना तथा उद्देश्य बताइये।
  88. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य बताइये।
  89. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों की विवेचना कीजिए।
  90. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख उपलब्धियों तथा असफलताओं का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की कार्यप्रणाली की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  93. प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- विश्व बैंक की सफलतायें या प्रगति बताइये।
  95. प्रश्न- विश्व बैंक की असफलतायें बताइये।
  96. प्रश्न- एशियन विकास बैंक की कार्यप्रणाली समझाइये ।
  97. प्रश्न- एशियाई विकास बैंक के मुख्य उद्देश्य बताइये।
  98. प्रश्न- एशियाई विकास बैंक की सदस्यता पूँजी व प्रबन्ध को बताइये।
  99. प्रश्न- "विश्व बैंक की स्थापना अर्द्धविकसित देशों के लिये वरदान है।' स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- विश्व बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
  101. प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- भारत तथा विश्व बैंक पर टिप्पणी लिखिए।
  103. प्रश्न- 'तटकर एवं व्यापार समझौते' (गैट) पर एक लेख लिखिए।
  104. प्रश्न- व्यापार एवं प्रशुल्क पर हुए सामान्य समझौते (GATT) के प्रमुख उद्देश्य कौन-कौन से हैं?
  105. प्रश्न- गैट के मौलिक सिद्धान्त क्या थे?
  106. प्रश्न- गैट के प्रमुख कार्य बताइये।
  107. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है? इसके प्रमुख उद्देश्यों को बताइये।
  108. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
  109. प्रश्न- भारत को विश्व व्यापार संगठन से होने वाले सम्भावित लाभों एवं हानियों का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- भारत को विश्व व्यापार संगठन से होने वाली सम्भावित हानियों को बताइए।
  111. प्रश्न- अन्य विकासशील देशों के संदर्भ में भारत की स्थिति बताइये।
  112. प्रश्न- विकासशील देशों के दृष्टिकोण से विश्व व्यापार संगठन समझौते की व्याख्या कीजिए।
  113. प्रश्न- भारत को अंकटाड से होने वाले लाभों की व्याख्या कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर भूमण्डलीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को इंगित कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से आप क्या समझते हैं? प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सन्दर्भ में सरकार द्वारा बनाए गए नीतियों का उल्लेख कीजिए?
  116. प्रश्न- गैट तथा अर्द्ध-विकसित राष्ट्रों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के समझौते बताइये।
  118. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन का संगठनात्मक ढाँचा प्रस्तुत कीजिए।
  119. प्रश्न- बौद्धिक सम्पदा अधिकार से आप क्या समझते हैं?
  120. प्रश्न- "विश्व व्यापार संगठन गैट (GATT) की तुलना में कहीं अधिक विस्तृत एवं व्यापक वैधानिक अधिकार वाला संगठन है।' विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- व्यापार से सम्बन्धित बौद्धिक सम्पदा अधिकार (ट्रिप्स) पर टिप्पणी लिखिए।
  122. प्रश्न- व्यापार से सम्बन्धित उपाय (ट्रिप्स) पर टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- बहुपक्षीय व्यापार से आप क्या समझते हैं? विश्व व्यापार संगठन ने इस सम्बन्ध में क्या भूमिका निभायी है?
  124. प्रश्न- 'बहुपक्षीय मुद्दे तथा विश्व व्यापार संगठन' को स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली की विवेचना कीजिए।
  126. प्रश्न- अंकटाड के उद्देश्य एवं स्वीकृत सिद्धान्तों को बताइये।
  127. प्रश्न- अंकटाड के कार्य बताइये।
  128. प्रश्न- दसवें अंकटाड पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- विदेशी व्यापार में विविधता लाने की दृष्टि से अंकटाड की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- उत्तर-दक्षिण व्यापार संवाद क्या है?
  131. प्रश्न- दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Coorperation) से आप क्या समझते हैं?
  132. प्रश्न- विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड से आप क्या समझते हैं? यह एफडीआई से कैसे सम्बद्ध है?
  133. प्रश्न- विदेशी पूँजी किसे कहते हैं?
  134. प्रश्न- अभ्यंश से आप क्या समझते हैं? आयात अभ्यंश के विभिन्न प्रकारों को बताइये।
  135. प्रश्न- आयात अभ्यंशों के विभिन्न प्रकार बताइये।
  136. प्रश्न- आयात अभ्यंश के विभिन्न प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
  137. प्रश्न- आयांत अभ्यंश के उद्देश्य बताइये।
  138. प्रश्न- अभ्यंश प्रणाली के पक्ष में तर्क दीजिए।
  139. प्रश्न- प्रभावी संरक्षण पर टिप्पणी।
  140. प्रश्न- आयात प्रतिस्थापन से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- आयात प्रतिस्थापन से लाभ बताइये।
  142. प्रश्न- आयाल अभ्यंश एवं प्रशुल्क की तुलना कीजिए।
  143. प्रश्न- राशिपातन के स्वभाव एवं उसके विभिन्न रूपों की विवेचना कीजिए।
  144. प्रश्न- स्वतन्त्र व्यापार से आप क्या समझते हैं? इसके पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
  145. प्रश्न- विदेशों में कम मूल्य पर बेचने की नीति से आप क्या समझते हैं?
  146. प्रश्न- प्रशुल्क के प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- गैर-प्रशुल्क बाधाएँ (Non-tariff Barriers) किसे कहते हैं? इनके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- प्रशुल्क का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  149. प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध से क्या आशय है?
  150. प्रश्न- प्रशुल्क युद्ध को चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
  151. प्रश्न- भारत सरकार की प्रशुल्क नीतियाँ।
  152. प्रश्न- "अनुकूलतम प्रशुल्क की धारणा यह बताती है कि प्रशुल्क कितनी मात्रा में लगाये जायें ताकि देश का अधिकतम कल्याण हो।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  153. प्रश्न- अनुकूलतम प्रशुल्क तथा कल्याण निहितार्थ पर टिप्पणी लिखिए।
  154. प्रश्न- विदेशी विनिमय बाजार के कार्यों का विवरण दीजिए।
  155. प्रश्न- विनिमय दर क्या है? विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन लाने वाले विभिन्न घटकों का विवेचन कीजिए।
  156. प्रश्न- विनिमय दर को प्रकाशित करने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  157. प्रश्न- विदेशी विनिमय दर को प्रभावित करने वाले उन घटकों का वर्णन कीजिए जो विदेशी विनिमय दरों में परिवर्तन लाते हैं।
  158. प्रश्न- मुद्रा की परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं?
  159. प्रश्न- क्रय शक्ति समता सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  160. प्रश्न- टकसाल दर समता सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  161. प्रश्न- विनिमय नियोजन क्या है? भारत में विनिमय नियन्त्रण के क्या उद्देश्य हैं? इस दिशा में भारत सरकार ने हाल के वर्षों में क्या किया है?
  162. प्रश्न- विनिमय नियंत्रण की विधियों का वर्णन कीजिए।
  163. प्रश्न- विनिमय नियन्त्रण की अप्रत्यक्ष विधियों को समझाइये ।
  164. प्रश्न- वैश्विक वित्तीय संकट का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- विनिमय नियंत्रण के उद्देश्यों को बताइये।
  166. प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दरों के पक्ष में तर्क दीजिए।
  167. प्रश्न- परिवर्तनशील विनिमय दर के विपक्ष में तर्क दीजिए।
  168. प्रश्न- अग्रिम विनिमय तथा तैयार सौदों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  169. प्रश्न- हेजिंग (Hedging) से आप क्या समझते हैं?
  170. प्रश्न- अन्तर्पणन क्रियाएँ क्या हैं?
  171. प्रश्न- मुद्रा की परिवर्तनीयता से आप क्या समझते हैं?

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book