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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2774
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।

उत्तर -

प्रो. पीगू ने कल्याणवादी अर्थशास्त्र को निश्चित रूप प्रदान किया। ये पहले अर्थशास्त्री थे जिन्होंने अपनी पुस्तक 'Economics of Welfare' में कल्याणवादी अर्थशास्त्र का वैज्ञानिक क्रमबद्ध अध्ययन किया। प्रो. पीगू को कल्याणवादी अर्थशास्त्री का जन्मदाता कहा जाता है। इसको परिभाषित करते हुए एक अर्थशास्त्री ने लिखा है कि -

“कल्याणवादी अर्थशास्त्र प्रो. पीगू से आरम्भ हुआ। उससे पहले हमारे पास 'आनन्द अर्थशास्त्र' था तथा उससे पहले 'धन अर्थशास्त्र'।

प्रो. पीगू के अनुसार कल्याण से आशय उन सन्तुष्टियों और उपयोगिताओं से है जो कि उसको वस्तुओं और सेवाओं के प्रयोग से प्राप्त होती है। इनके अनुसार व्यक्ति की चेतना में कल्याण की भावना का समावेश होता है। सामान्य कल्याण अत्यन्त जटिल, विस्तृत और अव्यावहारिक धारणा है, अतः प्रो. पीगू द्वारा अपने अध्ययन की सीमा को आर्थिक कल्याण तक ही सीमित रखा है। इन्होंने आर्थिक कल्याण को समान कल्याण का वह भाग माना जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुद्रा के मापदण्ड से सम्बन्धित किया जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि आर्थिक कल्याण से आशय एक व्यक्ति द्वारा विनिमय योग्य वस्तुओं और सेवाओं के प्रयोग से प्राप्त सन्तुष्टि या उपयोगिता से है।

पीगू के कल्याण की दशायें
(Pigouian Welfare Conditions)

पीगू के अनुसार कल्याण की निम्नलिखित दो दशायें हैं

(1) आर्थिक कल्याण राष्ट्रीय आय की मात्रा का फलन है यदि वास्तविक राष्ट्रीय आय को अधिकतम किया जाता है तो सामाजिक कल्याण भी अधिकतम होगा, परन्तु साधनों की पूर्ति का होना आवश्यक है अन्यथा ऐसा न होगा। वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि का अर्थ सन्तुष्टि की अधिकतम मात्रा से लगाया जाता है तथा राष्ट्रीय कमी का अर्थ सन्तुष्टि की कम मात्रा से लगाया जाता है, राष्ट्रीय आय में वृद्धि से सामाजिक कल्याण में वृद्धि तथा राष्ट्रीय आय में कमी से सामाजिक कल्याण में कमी होती है। अतः सामाजिक कल्याण को अधिक करने के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि आवश्यक है, जिसके लिए साधनों का अनुकूलतम वितरण करना होगा।

प्रो. पीगू ने कल्याण को अधिकतम बनाने के सम्बन्ध में कहा है -

(i) 'सीमान्त व्यक्तिगत शुद्ध उत्पादन' सीमान्त सामाजिक शुद्ध उत्पादन के बराबर हो। (ii) सभी उद्योगों में 'सीमान्त व्यक्तिगत शुद्ध उत्पादन' बराबर हो ताकि उत्पादन के साधन एक उद्योग से दूसरे को हस्तान्तरित न हों।

(2) आर्थिक कल्याण के ऊपर आय के वितरण का भी प्रभाव पड़ता है- राष्ट्रीय आय की स्थिरात्मक अवस्था में आय का अमीरों से गरीबों को हस्तान्तरण कल्याण में वृद्धि पहुँचाता है। इस प्रकार के हस्तान्तरण से गरीबों की स्थिति सुदृढ़ होती है जबकि अमीरों को कोई विशेष असर नहीं होता है। कल्याण की यह दशा पीगू की द्वैध धारणाओं, 'सन्तुष्टि के लिए समान क्षमता' तथा 'आय की ह्रासमान समान उपयोगिता' पर आधारित है।

प्रथम धारणा के अनुसार, गरीब लोगों को मूलभूत प्रकृति में उपभोग की अधिक क्षमतायें हैं। द्वितीय धारणा के अनुसार, अमीरों से गरीबों का आय का हस्तान्तरण गरीबों की आवश्यकताओं की पूर्ति करके उन्हें सन्तुष्टि प्रदान करता है, जिससे सामाजिक कल्याण में वृद्धि होगी। अतः पीगू के अनुसार, 'सामाजिक कल्याण में वृद्धि के लिए आय के वितरण की समानता आवश्यक है।

मान्यतायें (Assumptions) :

पीगू का कल्याणकारी अर्थशास्त्र कुछ प्रमुख मान्यताओं पर आधारित है जो निम्नलिखित हैं-
(1) उपयोगिता की अन्तः वैयक्तिक तुलनायें असम्भव नहीं हैं,
(2) उपयोगिता को मुद्रा रूपी पैमाने से मापा जाना सम्भव है,
(3) मुद्रा के सम्बन्ध में उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होता है,
(4) प्रत्येक उपभोक्ता का उद्देश्य अपनी सन्तुष्टि को अधिकतम करना होता है, अतः वह विवेकपूर्ण ढंग से कार्य करता है,
(5) उपभोक्ता द्वारा किसी भी वस्तु के क्रय के दौरान मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती है।

आलोचनायें (Criticisms) -

पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की कुछ आलोचनाएं भी की गई जो निम्नलिखित हैं -

(1) मुद्रा का दोषपूर्ण मापदण्ड - पीगू का कल्याणवादी अर्थशास्त्र मुद्रा के मापदण्ड पर आधारित है। कीमत में परिवर्तन के साथ-साथ मुद्रा के मूल्य में भी परिवर्तन होता रहता है, अतः यह मापदण्ड सन्तोषजनक नहीं है।

(2) सन्तुष्टि की समान क्षमता - प्रो. रॉबिन्स का मत यह है कि सन्तुष्टि की समान क्षमता की धारणा नैतिक सिद्धान्त पर आधारित है, न कि वैज्ञानिक प्रदर्शन पर। वास्तव में पीगू का कल्याणवादी सिद्धान्त वास्तविक तथा वैज्ञानिक अध्ययन न होकर आदर्शवादी अध्ययन है।

(3) 'अधिकतम' की अस्पष्ट धारणा - पीगू का कल्याणवादी सिद्धान्त कल्याण को अधिकतम करने पर जोर देता है किन्तु वह अधिकतम की धारणा को स्पष्ट नहीं करता है।

(4) राष्ट्रीय आय कल्याण का उचित मापदण्ड नहीं - राष्ट्रीय आय की गणना करना बहुत ही मुश्किल कार्य है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से कल्याण में भी वृद्धि हो, यह निश्चित नहीं है। यह सम्भव है कि स्फीति के कारण राष्ट्रीय आय में तो वृद्धि हो जाये परन्तु गरीबों की दशा और भी दयनीय हो जाये।

(5) नीति विषयक सम्बन्ध - पीगू का सिद्धान्त कल्याणकारी अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र के सम्बन्धों की व्याख्या करने में असफल रहा, जबकि कल्याणवादी अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र का घनिष्ट सम्बन्ध है। कल्याणवादी अर्थशास्त्र में मूल्य निर्णय तथा अन्तः वैयक्तिक तुलनायें की जाती हैं क्योंकि यह आदर्शवादी अध्ययन है।

(6) राष्ट्रीय आय से सम्बद्ध - राष्ट्रीय आय की धारणा वस्तुगत है जबकि पीगू का विचार व्यक्तिगत है। इस प्रकार उसने वस्तुगत और व्यक्तिगत विचारों को एक साथ सम्बद्ध कर दिया है। आधुनिक अर्थशास्त्रियों की दृष्टि से यह उचित नहीं है।

(7) आय का समान वितरण - पीगू का सिद्धान्त यह कहता है कि कल्याण को अधिक करने के लिए आय का समान वितरण आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए जबकि आलोचकों का कहना यह है कि समान वितरण से पूँजी निर्माण की दर हतोत्साहित होती है।

उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद भी यह स्पष्ट है कि प्रो. पीगू ने कल्याणवादी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके सम्बन्ध में एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. दत्ता ने लिखा है कि "पीगू ने वह प्राप्त किया जिसे प्रो. मार्शल अपने लिखित कार्यों से प्राप्त नहीं कर सके।"

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विषय सामग्री को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की विषय सामग्री बताइये।
  3. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी संरचना को समझाइये।
  4. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र की संरचना बताइए।
  6. प्रश्न- पारिस्थितिक तन्त्र के प्रकार बताइए तथा पारिस्थितिक तन्त्र के महत्व का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- विकास में पारिस्थितिक तन्त्र का महत्व क्या है?
  8. प्रश्न- पेरेटो की सामान्य कल्याण की इष्टतम् दशाओं की विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- कल्याणवादी अर्थशास्त्र में पैरेटो अनुकूलतम की शर्तें पूर्ण प्रतियोगिता में कैसे पूरी होती हैं? .आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- पर्यावरणीय अर्थशास्त्र की अवधारणाएँ समझाइए।
  11. प्रश्न- पेरेटो के कल्याण अर्थशास्त्र की अथवा इससे सम्बद्ध अनुकूलतम शर्तों की मान्यताएँ बताइए।
  12. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  13. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  14. प्रश्न- बाह्यताओं का आशय बताइये।
  15. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  16. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय नीतियों के संक्षिप्त अवलोकन का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- भारत की पर्यावरणीय नीति के सिद्धान्त बताइये।
  18. प्रश्न- पर्यावरण नीति बताइये।
  19. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरणीय नीति, 2006 क्या हैं?
  20. प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 के उद्देश्य बताइए।
  21. प्रश्न- पर्यावरण में वृहत आर्थिक नीति की भूमिका की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- राष्ट्रीय जल नीति को स्पष्ट कीजिए।
  23. प्रश्न- भारत में वन नीति को समझाइए।
  24. प्रश्न- सतत विकास को प्राप्त करने में पर्यावरणीय नीति कहाँ तक सहायक रही है?
  25. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण हेतु नीतिगत उपकरण बताइये।
  26. प्रश्न- पीगूवियन कर क्या है?
  27. प्रश्न- सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दों से आप क्या समझते हैं?
  28. प्रश्न- जलवायु परिवर्तन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसके मूल्यांकन की विधियों को बताइये। पर्यावरणीय मूल्यांकन की स्पष्ट अधिमान विधियों का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की विभिन्न विधियाँ क्या हैं?
  32. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की अभिव्यक्त अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- आनन्द कीमत विधि क्या है? रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए तथा इसकी आलोचनाएँ भी बताइए।
  35. प्रश्न- प्रतिबन्धात्मक व्यय विधि को समझाइये।
  36. प्रश्न- टिप्पणी लिखिए - (a) प्रतिनिधि बाजार रीति तथा (b) सम्पत्ति मूल्य रीति।
  37. प्रश्न- मजदूरी-विभेदात्मक उपागम बताइये।
  38. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की लागत आधारित विधियाँ का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- पुनः स्थानीयकरण लागत रीति विशेषताएँ क्या है?
  40. प्रश्न- प्रतिस्थापन लागत विधि क्या है? इस विधि को रेखाचित्र की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- विकास मॉडल की सामाजिक सीमाएँ सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- हरित लेखांकन से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  44. प्रश्न- परिमाण प्रत्युत्तर विधि को बताइए।
  45. प्रश्न- मानव पूँजी अथवा पूर्वानुमानित विधि को समझाइए।
  46. प्रश्न- पर्यावरणीय अधिप्रभाव आंकलन के निर्देशक सिद्धान्त क्या हैं?
  47. प्रश्न- पर्यावरण नीति व विनियमों का लागत लाभ विश्लेषण का विश्लेषण कीजिए।
  48. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों की माप में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों के मापन से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- पर्यावरणीय क्षति से आप क्या समझते हैं?
  51. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
  52. प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की आवश्यकता बताइए।
  53. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  54. प्रश्न- सतत् विकास को प्राप्त करने के लिए उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- सतत् विकास के अवरोधक घटकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- सतत् विकास के संकेतकों या मापकों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- सतत् विकास के लिए भारत द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं?
  58. प्रश्न- सतत् विकास की रणनीति पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  59. प्रश्न- बाह्यताओं का पीगूवियन विश्लेषण समझाइये।
  60. प्रश्न- बाह्यताओं के प्रकार समझाइये।
  61. प्रश्न- उत्पादन की सकारात्मक बाह्यताओं को पीगू के विश्लेषण के अनुसार समझाइए।
  62. प्रश्न- पीगू के विश्लेषण के अनुसार उत्पादन की नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  63. प्रश्न- उपभोग में सकारात्मक बाह्यताओं पर टिप्पणी लिखिए तथा इसमें नकारात्मक बाह्यताएँ समझाइए।
  64. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुओं से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। बाह्यताओं तथा बाजार विफलताओं को किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- सार्वजनिक खराबी किसे कहते हैं?
  66. प्रश्न- सार्वजनिक वस्तुएँ क्या विशेषताएँ रखती हैं?
  67. प्रश्न- बाह्यताओं एवं बाजार विफलताओं को दूर करने के उपाय बताइये।
  68. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र को परिभाषित कीजिए। कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  69. प्रश्न- कल्याणकारी अर्थशास्त्र में नैतिक निर्णयों का क्या स्थान है?
  70. प्रश्न- पीगू के कल्याणवादी अर्थशास्त्र की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  71. प्रश्न- बाजार असफलता क्या है?
  72. प्रश्न- बाजार असफलता किन दशाओं में सम्भव है?
  73. प्रश्न- पीगूवियन सब्सिडी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- बाह्यताओं के समाधान हेतु सुझाव क्या हैं?
  75. प्रश्न- बाजार असफलताओं के कारण समझाइये।
  76. प्रश्न- सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में प्रो. रोनाल्ड कोज की प्रमेयों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रो. आर. कोज द्वारा सम्पत्ति अधिकारों के सम्बन्ध में बतायी गयी द्वितीय प्रमेय को समझाइये।
  78. प्रश्न- कोज द्वारा बताए गए प्रमेयों का महत्व समझाइए।
  79. प्रश्न- सम्पदा अधिकार के विभिन्न प्रकारों को बताइए।
  80. प्रश्न- मानव पूँजी के अवयव लिखिए।
  81. प्रश्न- पर्यावरण एक सार्वजनिक वस्तु है। समझाइए।
  82. प्रश्न- पर्यावरणीय गुणवत्ता का आशय एवं महत्व बताइये।
  83. प्रश्न- इको लेबलिंग (Eco Labelling) का क्या अर्थ है?
  84. प्रश्न- पर्यावरण दक्षता (Eco Efficiency) से आप क्या समझते हैं?
  85. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके लक्षण बताइए। इसके लक्ष्यों को भी लिखिए।
  86. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्षण बताइए।
  87. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लक्ष्य बताइये।
  88. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के लाभ बताइये। सतत् सुधार चक्र को समझाइये।
  89. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यक्षेत्र तथा आवृत्ति को बताइए। पर्यावरणीय अंकेक्षण के क्या लाभ होते हैं?
  90. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण की आवश्यकता बताइये।
  91. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण का कार्यक्षेत्र समझाइए। यह किसे करना चाहिए?
  92. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण के लाभ बताइये।
  93. प्रश्न- पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में भारतीय संविधान के प्रावधान बताइये।
  94. प्रश्न- पर्यावरणीय प्रबन्धन क्या है?
  95. प्रश्न- प्राकृतिक संसाधन प्रबन्ध से आपका क्या तात्पर्य है?
  96. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- पर्यावरणीय अंकेक्षण प्रोटोकॉल का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- प्रभावी पर्यावरणीय प्रबन्ध प्रणाली के प्रमुख तत्व बताइये।
  99. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा का आशय एवं परिभाषा बताइये। पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट करते हुए इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व को समझाइये।
  101. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- मूल्य-आधारित पर्यावरणीय शिक्षा क्या है? इसका महत्व एवं आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मूल्य आधारित पर्यावरणीय शिक्षा का महत्व एवं आवश्यकता समझाइये।
  104. प्रश्न- पर्यावरणीय शिक्षा को प्रभावी बनाने हेतु उपायों का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- पर्यावरणीय जागरूकता से आप क्या समझते हैं? पर्यावरणीय जागरूकता / शिक्षा के उपाय बताइये।
  106. प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय शिक्षा पर लेख लिखिए।
  107. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- पर्यावरण शिक्षा के प्रसार के अवरोधों को दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- पर्यावरणीय विधान पर टिप्पणी लिखिए।
  110. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  111. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन एवं पर्यावरण पर लेख लिखिए।
  112. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के अन्तर्गत व्यापार तथा पर्यावरणीय मुद्दों को समझाइये।
  113. प्रश्न- "जनसंख्या, निर्धनता तथा पर्यावरण एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है।' विश्लेषण कीजिए।
  114. प्रश्न- आर्थिक विकास एवं स्वास्थ्य के मध्य सम्बन्ध का परीक्षण कीजिए।
  115. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन क्या है?
  116. प्रश्न- विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य बताइये।
  117. प्रश्न- व्यापार एवं पर्यावरण में सम्बन्ध लिखिए।
  118. प्रश्न- पर्यावरण पर मनुष्य का क्या प्रभाव पड़ा है?
  119. प्रश्न- लिंग समानता तथा पर्यावरण को बताइये।
  120. प्रश्न- ग्रीन हाउस प्रभाव से आप क्या समझते हैं?
  121. प्रश्न- वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियन्त्रण) अधिनियम, 1981 में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के सम्बन्ध में कौन-कौन से प्रावधान किये गये हैं? समझाइये।
  122. प्रश्न- पारिस्थितिकी तन्त्र (Eco System) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- यूरो मानक से क्या समझते हो?
  124. प्रश्न- भारतीय उत्सर्जन मानक (BS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  125. प्रश्न- प्रमुख वैश्विक पर्यावरण मुद्दों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- वैश्विक ऊष्मीकरण या वैश्विक उष्मण।
  127. प्रश्न- मरुस्थलीयकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- ओजोन परत व उसके क्षरण पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं?
  130. प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण में भारत की न्यायपालिका की सक्रियता या भूमिका का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- कार्बन ट्रेडिंग या कार्बन व्यापार से आप क्या समझते हैं?

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