बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2A अर्थशास्त्र - पर्यावरणीय अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न - पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियों से आप क्या समझते हैं? यात्रा-लागत विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
पर्यावरणीय मूल्यांकन की प्रकरित अधिमान विधियाँ
(Revealed Preference Methods of Environmental Valuation)
पर्यावरणीय वस्तुओं की माँग को निजी बाजार स्थान में सम्बन्धित वस्तुओं के क्रय के परीक्षण द्वारा प्रकट किया जा सकता है। घरेलू उत्पादन फलन में पूरक वस्तुएँ अथवा अन्य साधन आदान हो सकते हैं। प्रकटित अधिमान की कई विधियाँ जैसे- यात्रा लागत विधि, आनन्द अथवा सुख भोग कीमत विधि तथा सम्पत्ति मूल्य विधि हैं।
यात्रा लागत विधि
(Travel Cost Method)
यात्रा लागत विधि व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाली प्रतिनिधित्व बाजार रीति है जो समय पर सूचनाओं तथा मनोरंजक स्थान के माँग वक्र की व्युत्पन्न यात्रा लागत पर विश्वास करती है। यह वक्र उपभोक्ता के आधिक्य अथवा सभी उपभोक्ताओं के स्थल के उपयोग के मूल्य का अनुमान लगाते हैं। इस उपागम का व्यापक रूप से उपयोग सार्वजनिक पार्कों तथा अन्य प्राकृतिक क्षेत्रों के मनोरंजक लाभों के मूल्यन के लिए किया जाता है।
क्लॉसन नेच- होटलिंग रीति
(Clawson Knetsch Hotelling Method)
विशिष्ट स्थल की यह सर्वाधिक प्रचलित पूर्वानुमान तकनीक है। इस तकनीक के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
1. यह तकनीक मनोरंजन लागत लाभ विश्लेषण में लाभ अनुमान से सम्बन्धित एक सामान्य तकनीक है।
2. इस तकनीक में मनोरंजन केन्द्र हेतु अन्तिम माँग वक्र को सृजित करने के लिए यात्रा लागतों से सम्बन्धित सूचनाएँ उपयोग की जाती है।
3. यह उन केन्द्रों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है जहाँ कुल भ्रमण लागतों में यात्रा लागत सर्वाधिक प्रमुख घटक हों।
4. क्लॉसन - नेच के अनुसार बाह्य मनोरंजन गतिविधियाँ व्यक्तिगत आवश्यकताओं (जैसे शारीरिक, सामाजिक अथवा मनोरंजक) को संतुष्ट करती हैं। यह आवश्यक रूप से एक पैकेज की तरह है जो स्थल पर भ्रमण आदि को शामिल करता है।
रेखाचित्र की सहायता से स्पष्टीकरण (Explanation with the Help of Diagram) - भ्रमण लागत विधि को नीचे दिए चित्र की मदद से समझा जा सकता है -
उपर्युक्त चित्र में शहर में एकल झील की मान्यता ली गयी है जहाँ प्रवेश शुल्क OP है जो कि प्रत्येक भ्रमण पर स्थिर रहती है। प्रारम्भ में झील की मनोरंजक माँग को BDo तथा पर्यावरणीय गुणवत्ता स्तर Eo है।
यदि झील की पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार किया जाता है, तो माँग वक्र बाहर की ओर AD1 के रूप में अन्तरित हो जाता है तथा पर्यावरणीय गुणवत्ता स्तर E1 की ओर बढ़ जाता है। उपभोक्ता आधिक्य में प्राप्ति क्षेत्र PAK के बराबर है। झील की पर्यावरणीय गुणवत्ता में सुधार के पश्चात् उपभोक्ता के आधिक्य में शुद्ध प्राप्ति को PAK - PBC = ABCK के रूप में दिखाया गया है।
यात्रा लागत उपागम झील के मनोरंजक उपयोग पर विचार करता है तथा उपभोक्ता आधिक्य की कुल मात्रा का अनुमान लगाने के लिए माँग वक्र को व्युत्पन्न किए जाने हेतु सूचना का उपयोग करता है।
भ्रमणकर्ताओं को झील से बढ़ती हुई दूरी के मूल क्षेत्रों की संख्या में वर्गीकृत किया जाता है। इसके पश्चात् झील तक पहुँचने में लगने वाले समय व मौद्रिक लागत का निर्धारण करने के लिए सर्वेक्षण किया जाता है।
आलोचनाएँ (Criticism) - यात्रा लागत विधि की आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं
1. यह रीति वहाँ सर्वाधिक सफल रहती है जहाँ विभिन्न उपयोगकर्ताओं की यात्रा लागत में अधिक अन्तर होता है तथा प्रश्नागत स्थल पर मनोरंजन करना भ्रमण करने का प्रमुख उद्देश्य होता है। परन्तु पसन्दगी एवं विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध स्थानापन्नों में अन्तर रहता है।
2. यात्रा लागत विधि की प्रमुख मान्यता यह है कि उपभोक्ताओं द्वारा प्रवेश शुल्क में वृद्धि से वृद्धि होती है। इस मान्यता पर भी प्रश्न उठाए जाते हैं।
3. यात्रा लागत विधि का उस स्थिति में सीमित मूल्य होता है जब भीड़-भाड़ की समस्या हो।
4. मनोरंजक गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले छोटे परिवर्तनों का मूल्यांकन करना भी इस रीति में कठिन होता है।
5. यात्रा लागत विधि के बारे में एक अन्य समस्या यह है कि इसमें यह माना जाता है कि कुछ दशाओं में मनोरंजन की गुणवत्ता स्थिर रहती है। यह अत्यन्त परिकल्पनापूर्ण है।
6. यात्रा लागत विधि केवल मनोरंजन स्थलों के उपयोग मूल्य का मापन करती हैं।
7. यह विधि कुल आर्थिक मूल्य अनुमान प्रस्तुत करने में असफल है क्योंकि यह गैर- उपयोग वाली मदों जैसे अस्तित्व मूल्य का अनुमान प्रस्तुत नहीं करती।
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