बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 अर्थशास्त्र - आर्थिक संवृद्धि एवं विकास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
मानवीय पूँजी निर्माण में तथा विशेष रूप से शिक्षा में किये गये निवेश की आवश्यकता का आंकलन करने के लिए दो मूल सिद्धान्त प्रस्तुत किए जाते हैं जिनका उल्लेख निम्न है-
1. प्रतिफल दर का मापदण्ड ( The Rate of Return Criteria ) - शिक्षा में निवेश के प्रतिफल का आगणन करते समय भावी अर्जन अंश पर ध्यान दिया जाता है। यह प्रायः एक से पेशे में लगे शिक्षित एवं अशिक्षित सेविवर्ग के अर्जन (कमाई ) की तुलना के द्वारा आगणित किया जाता है। प्रो0 गेकर (G.S. Gecker) का अनुमान था कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एक गोरे शहरी पुरुष के लिए कॉलेज शिक्षा का निवेश के प्रतिफल की दर 1940 तथा 1950 में क्रमशः 12.5 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत थी, जो कर काट लेने के बाद दोनों में 9 प्रतिशत रह गई। जबकि हेनमैन (S. P. Hayneman) ने हायर सेकेण्डरी शिक्षा पर किये गये विनियोग का सामाजिक एवं आर्थिक प्रतिफल दर (Economic Social Rate of Return) मलावी के लिए 14 से 21 प्रतिशत पाया।
कठिनाइयाँ - इस मापदण्ड के अनुसार आगणन करना अत्यन्त कठिन है-
(i) यह मापदण्ड केवल प्रत्यक्ष भौतिक लाभों को मापता है तथा शिक्षा की बाह्य मितव्ययिताओं अर्थात् शिक्षा के स्तरों में सुधार देश को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों ही प्रकार से लाभ पहुँचाता है - को छोड़ देता है।
(ii) व्यक्तियों का अर्जन (कमाई ) न केवल उनकी स्नातक शिक्षा का परिणाम होता है, अपितु उनकी व्यक्तिगत क्षमता, सामाजिक प्रतिष्ठा, कार्यरत प्रशिक्षण तथा पारिवारिक सम्बन्धों से भी प्रभावित होती है।
(iii) मानवीय पूँजी निर्माण की दिशा में किए गए निवेश से न केवल सम्बन्धित व्यक्तियों की आय में वृद्धि होती है बल्कि अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है।
(iv) इस मापदण्ड की सबसे बड़ी कमी यह है कि इससे यह बात अस्पष्ट रह जाती है कि आर्थिक विकास के लिए 'कितनी' और 'किस प्रकार की अतिरिक्त शिक्षा आवश्यक है।
(v) प्रो0 इकास (Eckaus) की यह धारणा है कि प्रतिफल के आगमन में प्रयुक्त शिक्षित श्रम की कीमत इसमें लगे साधनों (Involved) की अपेक्षा दुर्लभता को व्यक्त करता है, उन दशाओं में, जहाँ शिक्षा में निवेश लागत सरकार द्वारा उठाया जाता है, गलत सिद्ध होती है। यहाँ शिक्षित श्रम का मूल्य, प्रतिस्पर्धी बाजारों में निर्धारित साधन उपकरणों की दुर्लभताओं को नहीं व्यक्त करती है
2. शिक्षा के योगदान का मापदण्ड (Contribution of Education Criteria ) - यह मापदण्ड इस धारणा पर आधारित है कि किसी समयावधि के अन्तर्गत, शिक्षा पर किए गए विनि योग का देश की सम्पूर्ण राष्ट्रीय आय में कितना योगदान रहता है। प्रो० सकारापोलस (Psacharapoulous ) शिक्षा के योगदान को ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्रों का प्रयोग करते हैं-
(i) प्रतिफल की सामाजिक दर (Social Rate of Return )
अपक्षय (स्थिर वार्षिक अर्जन भिन्नता)
=
दो वर्ष ( अवसर लागत + रेकरेन्ट लागत + वार्षिक पूंजी लागत) = 21 प्रतिशत
(ii) प्रतिफल की व्यक्तिगत दर (Private Rate of Return)
अपक्षय (स्थिर वार्षिक अर्जुन भिन्नता कर भिन्नता)
=
दो वर्ष (अवसर लागत + सीधी लागत) = 50 प्रतिशत
प्रो० शुल्ज के एक अध्ययन के अनुसार, शिक्षा में विनियोग का प्रतिफल उपभोक्ता की माप सापेक्षता में भौतिक पूँजी के सकल निर्माण की सापेक्षता में 3.5 गुना बढ़ा है। इसी प्रकार डेनिशन (Denison) के (1929-1957) के अमरीकी अनुसन्धान के अनुसार शिक्षा में विनियोजन के कारण अमरीकी सकल आय 23 प्रतिशत और सेवा नियुक्त प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में 42 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत के लिए इस प्रकार का आगणन प्रो० पंचमुखी ने किया है।
मापदण्ड का मूल्यांकन (Evaluation) - शिक्षा के योगदान का मापदण्ड, प्रतिफल के मापदण्ड की अपेक्षा अधिक वास्तविक है। क्योंकि यह शिक्षा के अवसर लागत पर आधारित है। यह विद्यार्थियों की परिव्यक्त आय (foregone income) तथा अपक्षय (Depreciation) को निकाल कर शिक्षा पर किये गए सामान्य व्यय को समाहित करता है। परन्तु परिव्यक्त आय का आगणन अत्यन्त कठिन है। अधिकांश अल्पविकसित देशों में आय का अर्जन बिना शिक्षा के सम्भव होता है। इसके अलावा बेकारी तथा सामाजिक लागतों पर किए गए व्यय का भी आगणन कठिन होता है।
अन्त में इतना ही कहा जा सकता है कि शिक्षा में विनियोग के प्रतिफल को मापने में चाहे जितनी ही कठिनाई क्यों न हो किन्तु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि शिक्षा ही विकास की कुन्जी है। मानवीय पूँजी स्टाक में वृद्धि के बिना भौतिक पूँजी वृद्धि में ह्रास ही हाथ लगेगा। अतः मानवीय पूँजी निर्माण हेतु शिक्षा में विनियोग न केवल भौतिक पूँजी के निर्माण हेतु आवश्यक है, अपितु देश में विकास की नई संस्कृति की स्थापना के लिए भी आवश्यक है।
(Investment in Human Capital of India)
भारत में तीव्र आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टि से तीसरी पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा में इस बात को स्पष्ट कर दिया गया था कि 'आर्थिक क्षेत्र में तेजी के साथ विकास करने, टेकनालॉजी के क्षेत्र में उन्नति करने तथा स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और समान अवसर के सिद्धांत पर आधारित समाजवादी समाज की स्थापना के लिए, यदि कोई एक तत्त्व सबसे महत्त्वपूर्ण है, तो वह है शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सामाजिक कल्याण। भारत के भावी निर्माण में और राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक अंग में, यह क्षेत्र सुनियोजित विकास के केन्द्र - बिन्दु रहेंगे। किन्तु पंचवर्षीय योजनाओं में मानव संसाधनों के विकास पर आवश्यकता के अनुरूप, महत्व नहीं दिया जा सका। इसके विपरीत विकसित देशों में मानव संसाधनों में पर्याप्त निवेश के कारण कौशल निर्माण (skill formation) का स्तर काफी ऊँचा है। विश्व बैंक रिपोर्ट, 1994 के अनुसार औद्योगिक बाजार अर्थव्यवस्थाओं (Industrial Market Economics) द्वारा 1992 में मानव संसाधनों के विकास (शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सामाजिक सुरक्षा व कल्याण) पर कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) का 54 प्रतिशत (1972 : 59%) व्यय किया गया, जबकि निम्न आय अर्थव्यवस्थाओं (Low Income Economics) द्वारा 18 प्रतिशत (1972 18%), मध्य आय अर्थव्यवस्थाओं (Middle Income Economics) द्वारा 32 प्रतिशत (1972 : 33%) और विकासशील देशों द्वारा 22 प्रतिशत (1972 : 34% ) व्यय किया गया।
विश्व बैंक रिपोर्ट, 1997 के अनुसार पिछले दो दशकों 1981-90 तथा 1991-95 के दौरान विकसित एवं विकासशील देशों में मानव संसाधन विकास सम्बन्धी व्यय की तुलनात्मक स्थिति तालिका-1 में दर्शायी गयी है। स्पष्ट है कि विश्व के लगभग सभी देशों में मानव विकास पर व्यय बढ़ा है जबकि भारत में 1981-95 के दौरान यह स्थिर रहा है।
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- प्रश्न- आर्थिक विकास का आशय तथा परिभाषा कीजिए। आर्थिक विकास की प्रकृति व महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास की प्रकृति बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं आर्थिक वृद्धि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारको की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले आर्थिक तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के अनार्थिक तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास पर मानवीय संसाधन के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में बाधक हैं?
- प्रश्न- बढ़ती हुई जनसंख्या का आर्थिक विकास पर प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास के मापक बताइये।
- प्रश्न- आर्थिक विकास में संस्थाओं की भूमिका समझाइए।
- प्रश्न- किसी देश के आर्थिक विकास में विदेशी पूँजी की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि की गैर-आर्थिक बाधाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- आर्थिक पिछड़ापन आर्थिक तथा अनार्थिक कारकों का परिणाम है। इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास एवं विकास अन्तराल की माप किस प्रकार की जाती है?
- प्रश्न- गरीबी अथवा निर्धनता के अर्थ को स्पष्ट कीजिए, भारत में गरीबी के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील देशों की आय एवं सम्पत्ति असमानता में अन्तराल के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक की धारणा किन मान्यताओं पर आधारित है, तथा मानव विकास सूचकांक निर्माण करने के चरणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गरीबी रेखा के निर्धारण का क्या महत्त्व है? तथा भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण हेतु सरकार द्वारा उठाये गये कदमों पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- प्रसरण प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सापेक्ष गरीबी बनाम निरपेक्ष गरीबी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मानव विकास सूचकांक (HDI) क्या है? यह मानव विकास में कितने आयामों को मानता है?
- प्रश्न- भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किसने निर्मित किया? भौतिक जीवन कोटि निर्देशांक किन सूचकों द्वारा की जाती है?
- प्रश्न- "कोई देश इसलिए गरीब रहता है क्योंकि वह गरीब है। " स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निर्धनता के दुष्चक्र को तोड़ने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- गिनी गुणांक क्या है? गिनी गुणांक कैसे मापा जाता है?
- प्रश्न- गिनी गुणांक का महत्व क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- लॉरेंज वक्र क्या है?
- प्रश्न- वैश्विक भूख सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- लिंग सम्बन्धित विकास सूचक क्या है?
- प्रश्न- मानव निर्धनता सूचक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- खुशहाली सूचकांक क्या है?
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य (MDG) की महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सतत् विकास की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थर लुइस द्वारा प्रस्तुत असीमित श्रम आपूर्ति द्वारा आर्थिक विकास के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- प्रबल प्रयास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नैल्सन का निम्नस्तरीय संतुलन अवरोध का सिद्धान्त की चित्रात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए तथा विकासशील देशों के सन्दर्भ में इसकी सीमाएं बताइए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- संतुलित विकास के विपक्ष में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दिये गये तर्कों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- असंतुलित विकास के सम्बन्ध में विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा परिलक्षित किये गये विचारों को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित तथा असंतुलित विकास पद्धति में कौन बेहतर है?
- प्रश्न- हर्षमैन के असन्तुलित विकास सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए तथा विकासशील देशों के लिए इसकी उपयुक्तता का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- संतुलित एवं असंतुलित विकास की व्याख्या कीजिए। भारत जैसे विकासशील देश के लिए किस प्रकार का विकास अपेक्षित है?
- प्रश्न- असंतुलित विकास सिद्धान्त को समझाइये |
- प्रश्न- सन्तुलित विकास के सम्बन्ध में रोजेन्स्टीन रोडान के विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हर्षमैन द्वारा संतुलित विकास के विचार की किस प्रकार आलोचना की गयी है?
- प्रश्न- रोस्टोव की आर्थिक विकास की अवस्थाओं का वर्णन एवं आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- हैरोड तथा डोमर के विकास मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या करते हुए बताइए कि भारत जैसे अल्पविकसित देश में यह कहाँ तक लागू किया जा सकता है?
- प्रश्न- हैरोड द्वारा प्रस्तुत विकास दरों व समीकरण बताइए।
- प्रश्न- हैरोड के विकास मॉडल की आलोचनायें बताइए।
- प्रश्न- हैरोड का विकास मॉडल डोमर के विकास मॉडल से किस प्रकार भिन्न है?
- प्रश्न- हैरोड के विकास प्रारूप का संक्षेप में परीक्षण कीजिए। भारत जैसे विकासशील देशों में यह कहाँ तक लागू होता है?
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यष्टि स्तर पर नियोजन समझाइए।
- प्रश्न- हैरोड - डोमर मॉडल में छुरी-धार सन्तुलन की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत के जनसंख्या वृद्धि की बदलती हुई विशेषताओं पर एक नोट लिखिए।
- प्रश्न- जनांकिकी से क्या अभिप्राय है? जनांकिकी संक्रमण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या एवं पर्यावरण किस प्रकार एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं तथा आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करते हैं? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या वृद्धि आर्थिक विकास में सहायक है अथवा बाधक।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या का आर्थिक विकास पर तथा आर्थिक विकास का जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरण क्या है? इसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- जनसंख्या नीति 2000 की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- समावेशी विकास की आवधारणा या महत्व क्या है?
- प्रश्न- समावेशी विकास के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बाजार विफलता का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं बाजार विफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता के कारण बताइए।
- प्रश्न- बाजार विफलता को ठीक करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ क्या है तथा इसके क्या कारण हैं?
- प्रश्न- सरकार की विफलता का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- मानव पूँजी क्या है? आर्थिक विकास में मानवीय पूँजी निर्माण की भूमिका एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "जनसंख्या राष्ट्र के लिये सम्पत्ति है और दायित्व भी।" इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण का क्या अर्थ है तथा मानवीय संसाधनों के विकास में क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानवीय साधनों में विनियोग कितने मदों में किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के उपायों पर चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव पूँजी निर्माण के घटकों तथा अर्धविकसित देशों में मानव पूँजी के निम्न स्तर होने के कारणों का स्पष्ट विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- मानवीय पूँजी निर्माण के क्या-क्या मापदण्ड हैं? तथा इसके मापदण्डों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास से आपका क्या तात्पर्य है? किसी विकासशील (अल्पविकसित ) देश की क्या विशेषताएँ हैं?
- प्रश्न- भारत जैसे एक अल्पविकसित देश के प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए। भारत के अल्पविकसित होने के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था के मध्य अन्तर स्पष्ट करते हुए आर्थिक विकास के सूचकांकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अल्पविकास के प्रमुख मापदण्ड़ों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकास के कारणों को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- विकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में अन्तर स्पष्ट करें।
- प्रश्न- क्या भारत एक अल्पविकसित देश है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- अल्पविकसित अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिर्डल के चक्रीय कार्यकरण का सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के फाई एवं रेनिस सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस सिद्धान्त की मान्यताएँ बताइए।
- प्रश्न- फाई- रेनिस के सिद्धान्त को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फाई-रेनिस सिद्धान्त की आलोचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रो. हिणिन्स द्वारा प्रतिपादित औद्योगिक द्वैतवाद सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तकनीकी द्वैतवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'द्वैतवाद' एक विकासशील अर्थव्यवस्था के विकास की किस प्रकार बाधित कर सकती है?
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- प्रश्न- सोलो के दीर्घकालीन वृद्धि मॉडल की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए [
- प्रश्न- सोलो मॉडल की सीमाएँ लिखिए।
- प्रश्न- सोलो के वृद्धि मॉडल के अनुसार एक अर्थव्यवस्था में उत्पादन किन तत्वों पर निर्भर करता है? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- स्टिग्लिट्ज का असममित सूचना सिद्धान्त स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- विश्व बैंक के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्व बैंक के कार्यों का विश्लेषण कीजिए।