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बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्राथमिक स्तर पर पर्यावरणीय शिक्षा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक स्तर पर पर्यावरण शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य देश के पाँच से लेकर चौदह वर्ष तक के बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा करना है। बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। यदि बच्चों में अच्छी आदतों एवं विचारों को प्रारम्भ से ही समझाकर बताया जाये तो निश्चित ही उस देश का भविष्य उज्ज्वल होगा। कम आयु के बच्चों का मस्तिष्क बहुत अधिक कोमल एवं अविकसित होता है। अतः उन पर शिक्षा का अत्यन्त गहरा प्रभाव पड़ता है तथा वह लम्बे समय तक स्थायी बना रहता है। यदि छोटे बच्चों को पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया जाये, तो वे आने वाले समय में इसे अच्छा बना सकेंगे। अतः हम इन्हें भविष्य का विशाल आधार कह सकते हैं। पर्यावरण शिक्षा के द्वारा हम इस आधार को मजबूती प्रदान कर सकते हैं जिससे बड़े होकर आज के बच्चे एक स्वच्छ और अच्छे वातावरण में रह सकें। पर्यावरण शिक्षा बालकों के पाठ्यक्रम का एक प्रमुख अंग होना चाहिये, क्योंकि इससे बालक पर्यावरण को समझने का प्रयत्न कर सकेंगे। ये पहलू निम्नलिखित हैं-
1. जल का उचित उपयोग।
2. धूम्रपान का उपयोग न करे।
3. कूड़े को चारों ओर न फैलायें।
4. खुले में शौच करना पर्यावरण के लिए हानिकारक।
5. बच्चों को पौधे लगाने के प्रति जागरुक किया जाये।
6. बच्चों को आस-पास के वातावरण का ज्ञान कराया जाये।
बच्चों को जंगलों एवं वन्य जीवों के महत्त्व का ज्ञान कराया जाये।
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