लोगों की राय

बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2759
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीएड सेमेस्टर-2 चतुर्थ (A) प्रश्नपत्र - पर्यावरणीय शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न-. पारिस्थितिकी अनुक्रमण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए ।

उत्तर-

पारिस्थितिकी अनुक्रमण के सिद्धान्त

(1) अनुक्रमण के द्वारा पौधों तथा जन्तुओं की किस्मों में निरन्तर परिवर्तन होता जाता है। प्रारम्भ में जो जातियाँ प्रमुख होती हैं, वे चरमावस्था में गौण अथवा विलुप्त हो जाती हैं।

(2) अनुक्रमण के दौरान जैव पुंज तथा जैव पदार्थों की खड़ी फसल में वृद्धि होती जाती है।

(3) जैवीय संरचना में परिवर्तन तथा उनकी मात्रा में वृद्धि के कारण जीवों की स्पीशीज में परिवर्तन होता जाता है।

(4) अनुक्रमण की प्रगति के अनुसार स्पीशीज में विविधता बढ़ती जाती है। विशेषकर परपोषी जीवों में अधिक विविधता आती है।

(5) अनुक्रमण की प्रगति के साथ जीव समुदाय के शुद्ध उत्पादन में कमी होती जाती है अर्थात् कुल जीव समुदाय से उत्पन्न जैव पुंज की मात्रा घटती जाती है। जीव समुदाय अधिक ऊर्जा का उपभोग करता है।

(6) समुदाय में जीवों पर प्राकृतिक चयन का प्रभाव बढ़ता जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि जैसे-जैसे पारितन्त्र स्थिर संतुलन की ओर अग्रसित होता है प्राणियों की संख्या घटती जाती है जो जीव परिवर्तित परिस्थितियों से अनुकूलन नहीं कर पाते वे नष्ट हो जाते हैं।

(7) साम्यावस्था में पारितन्त्र में प्रति इकाई ऊर्जा के उपभोग से अधिकतम जैव पुंज का पोषण होता है।

(8) सामान्य जलवायु वाले निवास्य में चरमावस्था में सभी पूर्ववर्ती सेरे समाहित हो जाते हैं। जैव संरचना, स्पीशीज, समूह एवं उत्पादकता में स्थायित्व आ जाता है। इस स्थिति में सभी जातियाँ पुररुत्पादन करती हैं।

(9) अब किसी नई स्पीशीज के समुदाय में प्रविष्ट होने के प्रमाण नहीं मिलते।

यदि मनुष्य पारितन्त्र से अपने भोजन या अन्य जैविक पदार्थों की पूर्ति चाहता है तो उसके लिये चरम अवस्था के पूर्व की दशायें अधिक उपयोगी हैं। चरमावस्था आने पर शुद्ध उत्पादन शून्य हो जाता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book