बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 तृतीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के तकनीकी परिप्रेक्ष्य - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कृत्रिम बुद्धि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि को कृत्रिम बुद्धि कहा जाता है। कम्प्यूटर विज्ञान में कृत्रिम बुद्धि के शोध को होशियार एजेंट का अध्ययन माना जाता है। यह एक ऐसा यन्त्र है जो अपने पर्यावरण को देख कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करता है। जब एक मशीन इंसानों के संज्ञानात्मक कार्यों की नकल करती है कृत्रिम बुद्धि कहलाती है। कृत्रिम बुद्धि प्रज्ञाकल्प, कृत्रिम प्रज्ञा का संगणक में अर्पित बुद्धि है। मानव सोचनेः विश्लेषण करने व याद रखने का काम भी अपने दिमाग के स्थान पर यन्त्र कम्प्यूटर से कराना चाहता है। अर्थात कृत्रिम बुद्धि से कराना चाहता है। कृत्रिम बुद्धि कम्प्युटर विज्ञान की वह शाखा है। जो मशीनों और सॉफ्टवेयर को खुफिया के साथ विकसित करता है। 1955 ई. में जॉन मकार्ति ने इसको कृत्रिम बुद्धि का नाम दिया और उसके बारे में परिभाषित किया कि यह विज्ञान और इंजीनियरिंग के बुद्धिमान मशीनों के बनाने के कार्य करती है। कृत्रिम बृद्धि अनुसंधान के लक्ष्यों में तर्क ज्ञान की योजना बनाना सीखना, धारणा और वस्तुओं में हेर फेर करने की क्षमता इत्यादि।
कृत्रिम बुद्धि की इस वैज्ञानिक धारणा पर स्थापना की गई थी कि मानवीय बुद्धि को इतने सटीक रूप से वर्णित किया जा सकता है कि इसे नकल करने के लिए एक मशीन बनाई जा सकती है। यह मन की प्रकृति और मानव जैसी बुद्धि के साथ कृत्रिम प्राणियों के निर्माण के नैतिकता के बारे में प्रश्न उठता है जो प्राचीन काल से कथाओं के द्वारा खोजे गए हों। कुछ लोग कृत्रिम बुद्धि को मानव के लिए एक खतरा या संकट मानते हैं। अगर यह अनावश्यक रूप से प्रगति करता है तो निश्चित ही मानवीय संकट बन सकता है। यह तकनीकी क्रान्ति के विपरीत बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का खतरा उत्पन्न कर सकता है।
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