बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- धार्मिक और तीर्थ पर्यटन से क्या आशय है?
उत्तर-
इसे सामान्यतया विश्वास पर्यटन से जाना जाता है। धार्मिक पर्यटन पुरातन काल से ही अस्तित्व में रहा है और इसको धार्मिक स्थलों की यात्रा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसे प्रायः धार्मिक यात्रा के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के पर्यटन में लोग अकेले अथवा समूह में तीर्थ-यात्रा, मिशनरी अथवा विश्राम के लिए यात्रा करते थे। संसार की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा सऊदी अरब में मक्का में हज यात्रा के रूप में होती है। भारत में इलाहाबाद में कुंभ मेला होता है जिसमें तीन नदियों गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ रहती है। आधुनिक धार्मिक पर्यटक संसार भर में पवित्र शहरों एवं पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं। कुछ प्रसिद्ध पवित्र धार्मिक शहर यरूशलम, मक्का, वाराणसी, पुष्कर, इलाहाबाद, अजमेर और अमृतसर हैं।
धार्मिक पर्यटन के दो अलग पहलू हैं (क) घरेलू पर्यटक जिनका अपने धार्मिक विश्वास के अनुसार अपने देवता / स्थान के साथ आत्मिक लगाव है। (ख) विदेशी पर्यटक जो अलग-अलग धर्म, क्षेत्र व देश के हैं जिनके लिए धार्मिक स्थान एवं धार्मिक कार्य एक अनूठेपन की बात होती है। अनेक मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे स्थल और अन्य प्रमुख धार्मिक केन्द्र धार्मिक व तीर्थ यात्रा के पर्यटन के स्थल हैं।
तीर्थयात्रा व्यक्तियों के किसी समूह द्वारा की जा सकती है, वे अपने संबंधित विश्वास के प्रति निष्ठावान होते हैं। उनका विश्वास होता है कि वे तीर्थयात्रा करने से और पवित्र हो जाएँगे और सही मार्ग पर चल सकेंगे। इसीलिए तीर्थयात्रा के पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक होती है। हिंदू, ईसाई, इस्लाम, सिक्ख, जैन व बौद्ध स्थल तीर्थयात्रा एवं पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल एवं आकर्षण के केंद्र हैं। वे हमारे अध्ययन के अत्यधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र में आते हैं।
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