बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्धसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-4 पर्यटन एवं यात्रा प्रबन्ध - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- राष्ट्रीय पर्यटन नीति, 2002 की प्रमुख विशेषताएँ/मूल सिद्धांत लिखिए।
अथवा
राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 तथा प्रारूप 2015 पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 और प्रारूप 2015
1982 में पहली राष्ट्रीय पर्यटन नीति बनी थी। इसके बीस वर्ष बाद, पर्यावरण पर हानिकारक असर पहुँचाये बिना औचित्य पूर्ण तरीके से पर्यटन उद्योग में रोजगार देने और गरीबी मिटाने की क्षमता को देखते हुए सन् 2002 में दूसरी बार राष्ट्रीय पर्यटन नीति लायी गयी।
राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 के कुछ प्रमुख लक्ष्य-बिन्दु निम्न प्रकार थे-
(1) पर्यटन उद्योग को अर्थव्यवस्था में सुधार का प्रमुख स्रोत बनाना।
(2) पर्यटन उद्योग को कई तरह के रोजगार सृजन और आर्थिक विकास का आधारभूत स्रोत बनाना।
(3) पर्यटन उद्योग के विकास के लिए घरेलू पर्यटन पर ध्यान केन्द्रित करना।
(4) विश्व व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में हो रहे तीव्र विकास का लाभ उठाते हुए तथा नये पर्यटन स्थलों के विकास की संभावनाओं के मददे नजर भारत के पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक ब्राण्ड के रूप में स्थापित करना।
(5) पर्यटन के क्षेत्र में एक प्रमुख सहायक और प्रेरक के तौर पर सक्रिय निजी क्षेत्र की संस्थाओं के महत्व को स्वीकार करना।
(6) राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं तथा अन्य एजेंसियों के सहयोग से भारत की सभ्यता संस्कृति और विरासत के वैशिष्ट्य पर आधारित समेकित पर्यटन परिपथ का निर्माण और विकास करना।
(7) यह सुनिश्चित करना कि बाहर से आने वाले पर्यटक भारत में शारीरिक रूप से स्फूर्त मानसिक रूप से उत्साहित, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध तथा आध्यात्मिक तौर पर उन्नत महसूस करते हैं। भारत को दिल से प्यार करने लगते हैं।
पर्यटन के विकास को तेज करने के लिए, भारत को एक पर्यटन स्थल के तौर पर SWORT (S-स्ट्ररेंथ, W-वीकनेस, O-अपरचुनिटी और T-थ्ररेट) विश्लेषण में शामिल कराना और सात सूत्रों की पहचान करना।
सात सूत्र इस प्रकार थे-
(1) स्वागत (Welcome)
(2) सूचना (Information)
(3) सुविधा (Facilitation)
(4) सुरक्षा (Safety)
(5) सहयोग (Co-operation)
(6) संरचना (Infrastructure)
(7) सफाई (Cleanness)
पर्यटन नीति की परिकल्पना को साकार करने के लिए तय किये गये पाँच रणनीतिक सूत्र इस प्रकार थे-
(1) पर्यटन विकास को एक राष्ट्रीय स्तर की प्राथमिकता का विषय बनाना।
(2) एक पर्यटन केन्द्र के तौर पर विकसित करने के लिए भारत के पर्यटन को प्रतियोगितात्मक स्तर पर उच्चीकृत करना।
(3) बाजार की बदली हुई जरूरतों के अनुरूप भारत के मौजूदा पर्यटन उत्पादों को संवर्धित तथा विकसित करना।
(4) विश्वस्तरीय ढाँचा तैयार करना।
(5) दीर्घस्थायी महत्व की प्रचार योजनाओं और कार्यक्रमों का विकास करना। राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2002 में रह गयी खामियों को दूर करने और पर्यटन से जुड़े तमाम दूसरे क्षेत्रों में हो रहे निरंतर विकास और बदलावों की समीक्षा करते रहने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए पर्यटन मंत्रालय ने 2002 की नीति का पुनरीक्षण कर के 2015 का नीति मसौदा तैयार किया। मसौदा तैयार करने के दौरान, वर्कशाप और बैठकों के माध्यम से पर्यटन के क्षेत्र को प्रभावित करने की क्षमता रखने वाले लोगों, नेताओं, प्रांतीय और केन्द्रशासित सरकारों, उद्योग संगठनों और हितधारकों से राय मश्विरा लेना एक बड़ा काम होता था। यूनाइटेड नेसन्स वर्ल्ड टूरिज्म आर्गेनाइजेशन (यूएनडब्लूटीओ) समेत दूसरी वैश्विक संस्थाओं की राय लेना भी आवश्यक था।
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