लोगों की राय

बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व

बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2754
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीकाम सेमेस्टर-4 उद्यमिता के मूल तत्व - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 10 - लघु व्यवसाय : प्रकृति, उद्देश्य, महत्व तथा स्थापित करने की प्रक्रिया

(Small Business : Nature, Objectives,
Importence and Process of Establishing)

लघु व्यवसाय की परिभाषा संयंत्र एवं मशीनरी में निवेश के आधार पर निर्धारित की जाती है। विनिर्माण क्षेत्र और सेवा क्षेत्र दोनों में छोटी व्यावसायिक इकाइयाँ हैं। छोटे व्यवसाय में कम लागत वाला उत्पादन भी शामिल है। छोटे व्यवसाय विविध और आय के कई स्रोतों को अवसर देते हैं। ये छोटे व्यवसाय उद्योगों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं जो ग्रामीण आबादी के प्रवास को भी रोकता है। अधिकांश छोटे व्यवसाय उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादक हैं और अधिशेष श्रम के अवशोषक हैं जो गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दों को उचित रूप से संबोधित करते हैं। अंत में, ये छोटे व्यवसाय औद्योगिक विकास में तेजी लाने और अतिरिक्त उत्पादक रोजगार क्षमता पैदा करने के उद्देश्य को पूरा करते हैं।

एक व्यवसाय जो छोटे पैमाने पर संचालित होता है और कम पूँजी, कम श्रम और कम मशीनों की आवश्यकता होती है, लघु व्यवसाय कहलाता है। यहाँ माल का उत्पादन छोटे पैमाने पर किया जाता है। यह व्यवसाय के स्वामी द्वारा संचालित और प्रबंधित किया जाता है। भारत में, ग्रामीण और लघु उद्योग क्षेत्र में पारंपरिक हथकरघा, हस्तशिल्प, खादी और ग्रामोद्योग दोनों शामिल हैं।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 के अनुसार, एक लघु उद्यम को ऐसे उद्यम के रूप में परिभाषित किया गया है जहाँ संयंत्र और मशीनरी में निवेश रुपये 25 लाख से अधिक किन्तु 5 करोड़ रुपये से कम है।

सरकार छोटी व्यावसायिक इकाइयों को सहायता प्रदान करती है। क्षेत्रीय विकास और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ निर्यात आयात एवं उन्हें बुनियादी सुविधाओं, प्रशिक्षण, कच्चे माल और विपणन जैसी विभिन्न सुविधाओं के साथ भुगतान करती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book