बी ए - एम ए >> बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी सेमेस्टर-4 शारीरिक शिक्षा - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 8
खेल
(Play)
प्रश्न- खेल के अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा खेलों के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
खेल के अर्थ को समझने के लिए हमें सबसे पहले सांस्कृतिक उत्पत्ति और खेल शब्द के पर्यायवाची शब्दों के अर्थों को समझना होगा। संस्कृत भाषा में एक शब्द है कृदति जिसका उपयोग जानवरों, बच्चों और वयस्कों के सामान्य खेल, हवा और लहरों की गति तथा विस्तार को वर्णित करने के लिए किया जाता है। हिन्दी में नाटक और नृत्य में लीला शब्द का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए गजेन्द्रलीला अर्थात् एक व्यक्ति जो हाथी का प्रतिनिधित्व करता है या हाथी का खेल दिखाता है। लैटिन भाषा में खेल शब्द के लिए लुडस (Ludus) शब्द पाया जाता है। अंग्रेजी भाषा का शब्द Play (प्ले) Plega (प्लेगा) से लिया गया है। प्लेगा शब्द को सांस्कृतिक संदर्भ में लड़ाई, प्रतियोगिता, कुछ नियमों द्वारा सीमित नियति के साथ संघर्ष के मौलिक विचार के रूप में समझा गया। यह माना गया “खेल ही युद्ध है और युद्ध ही खेल है।"
खेल शब्द के लिए संस्कृत भाषा का शब्द क्रीड़ा जिसका अर्थ होता है - मन बहलाने के लिए या मनोरंजन के लिए किया जाने वाला काम या खेलकूद। क्रीड़ा शब्द अन्य शब्दों के साथ संयुक्त होकर अपने अर्थ को और भी स्पष्ट कर देता है जैसे क्रीड़ा वन अर्थात् मनोविनोद के लिए बनाया गया उद्यान, क्रीड़ा स्थल अर्थात् खेलने की जगह या मैदान, अक्ष क्रीड़ा अर्थात् उछलकूद, अठखेली, मौजमस्ती, जल क्रीड़ा - अर्थात् नदी, तालाब में नहाते समय एक-दूसरे पर पानी उछालना, द्यूत क्रीड़ा - अर्थात् जुएँ का खेल आदि।
इस प्रकार खेल व्यक्ति या समूह द्वारा मनोरंजन, शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक तथा कौशलात्मक श्रेष्ठता साबित करने के लिए किया गया प्रयास है।
खेलों का इतिहास - ऐसा माना जाता है कि खेलों की शुरूआत यूनान से हुई है। यूनान सुकरात, प्लेटो, अरस्तू तथा होमर जैसे महान दार्शनिकों की जन्मस्थली रहा है। भारत के बाद ज्ञान का प्रकाशपुंज यदि कहीं प्रस्फुटित हुआ तो वह यूनान ही है। यूनानी दार्शनिकों ने शारीरिक हृष्ट-पुष्टता पर बल दिया ताकि शारीरिक, मानसिक व सामाजिक पक्षों से व्यक्ति पूर्ण हो सके। आज से हजारों वर्ष पूर्व जब मानव ने समाज में रहना प्रारम्भ किया होगा तो उसने जंगली जानवरों से अपनी रक्षा के लिए विभिन्न शारीरिक रक्षात्मक क्रियायें अपनायी होंगी जैसे मल्लयुद्ध, भाला फेंकना, तीरंदाजी आदि। एक साथ रहने महसूस हुई होगी जिसकी पूर्ति के लिए मानव ने धीरे-धीरे यही क्रियाएँ खेल के रूप में विकसित हो से उसे आमोद-प्रमोद मनोरंजन की आवश्यकता भी नृत्य, गायन जैसे - कला-कौशलों को अपनाया होगा। गयीं।
वैदिक काल में खेल तथा शारीरिक क्रियाएँ - वैदिक काल के ऋषि मुनियों ने मानव जाति को शारीरिक शिक्षा तथा व्यायाम के नवीन क्रियाओं से अवगत कराया जिसमें प्राणायाम, आसन तथा सूर्य नमस्कार को महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाकाव्य काल - इस युग में मानव ने तीरंदाजी, भाला फेंकने की कला, तलवारबाजी, कुश्ती, तैरना तथा नृत्य करना आदि से परिचित कराया। महाभारत में अनेक प्रकार के खेलों का उल्लेख मिलता है।
ऐतिहासिक काल तथा नालन्दा काल - यह काल महात्मा बुद्ध का काल माना जाता है। इसमें कुश्ती, दौड़, भाला फेंकना तथा घुड़सवारी आदि का प्रचलन था।
राजपूत काल - इस काल में शारीरिक शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया। इस काल में घुड़सवारी, कुश्ती, तीरंदाजी, तलवारबाजी आदि का प्रचलन था।
मुस्लिम काल - इस काल में कुश्ती, चौगान, मुक्केबाजी, कबूतरबाजी, शिकार आदि तथा चौपड़ शतरंज जैसे खेलों का प्रचलन था।
ब्रिटिश काल - अंग्रेजों के आने से भारत में विदेशी खेलों का आगमन हुआ जिसमें क्रिकेट, हॉकी आदि प्रमुख थे। इसके साथ ही भारतीय खेलों, कबड्डी, कुश्ती, खो-खो आदि को उत्कृष्ट किया गया।
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